Hotspot और हम
ट्रेन की बोगी नंबर 6 में बैठा मैं चार्जर की तलाश में अपनी बोगी में भटक रहा था। कोई मोबाइल को चार्ज में ठूँस फ़िल्म देखने में व्यस्त था तो कोई पबजी गेम में भिड़ा था।
किसी की सहायता करना उतना मुश्किल नहीं लगता, जितना कि किसी से सहायता मांगना लगता है।
बोगी नंबर 6 में सब व्यस्त, मस्त है। चार्जर की तलाश ने 7 नंबर की दहलीज पर कब पहुँचा दिया, पता भी तब चला जब एक नव युवक वॉशरूम से पेंट की ज़िप लगाते हुए बाहर निकल रहा था और टॉयलेट के बाहर सिगरेट का धुआँ भी इस बात का पुख्ता सबूत पेश कर रहा था कि आगे डिब्बा बदलने वाला है। गेट पर नज़र पड़ी - लिखा था 'यहाँ धूम्रपान निषेध है'।
जल्दी से आगे बढ़ा और पहली सीट को देखा कि चार्जर बोर्ड खाली है। उम्मीद जगी उस सीट पर बैठे एक अंकल जी से अनुमति माँगी, अंकल जी मोबाइल चार्ज कर लें, थोड़ा जरूरी था। ठीक है बेटा, बैठ जाओ देख लो। चार्जर लगा दिया और 1 मिनट तक रुका बैठा रहा। मोबाइल का स्क्रीन जैसे कोमा में चल दिया हो। अंकल का मोबाइल भी लगाकर देखा। और यह दूध का दूध और पानी का पानी हो गया कि बोर्ड ही ख़राब है।
मोबाइल तो बंद था ही। बोनस स्वरूप नेट बैलेंस को भी आज ही ख़त्म होना था। एटीएम कार्ड लेने बैंक भी जाना था। इसलिए कोई ऑनलाइन पेमेंट से रिचार्ज संभव नहीं। दोस्तों को इस टाइम पर कॉल करना भी सरप्राइज को अखिल भारतीय करने जैसा था। सो! एक ही विकल्प बचा था, किसी विकल्प की तलाश करना। जो इस बंद बोर्ड ने पहले ही प्रयास को मुक्का दे मारा था।
लेकिन कहीं पढ़ा था...
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।
आगे बढ़ा और देखा 21 नंबर सीट पर बोर्ड है। जान में जान आयी। लेकिन सामने कोई लड़की बैठी थी और बगल वाले सीट पर एक लड़का भी। लड़का नींद में है। लड़की से बात कैसे करें ? लेकिन मोबाइल क्या नहीं कराता। ऐसे मुसीबत में फँसा हुआ हूँ कि भूत से भी बात कर लेता। इधर तो कोई लड़की बैठी है। बजरंगबली का ध्यान किया और खिड़की के बाहर देख रही लड़की से बात करने का प्रयास। नीले रंग का सूट पहनी हुई थी, कानों में झुमके हैं और इयरफोन भी। ट्रेन की यात्रा के दौरान पूरे देश की विविधता यहाँ दिख जाती है। अलग-अलग रंग रूप के लोग, कपड़े अलग, भाषा-बोली अलग, सोच अलग, मंजिल अलग, बस सबका उद्देश्य एक ही है ट्रेन में बैठ अपनी मंज़िल तक पहुँचना।
ट्रेन, जहाज और बस सहित कार में भी बैठ खिड़की से बाहर देखना भला कौन नहीं चाहता है। ऐसे लोग दो - तीन किस्म के मालूम पड़ते हैं। पहले तो वे जिनको रास्ते में उल्टी होने की संभावना होती है। दूसरे जिद्दी किस्म के लोग जिनको बेवजह बस उस तरफ देखते बैठना है। कोई सुंदर या बुजुर्ग व्यक्ति के लिए मदद करने वाले, और अंत में तीसरे नंबर वाले लोग जो ज़िंदादिल होते हैं। यात्रा को जीते हैं।
ये तीसरे नंबर की श्रेणी वाली लगी। खिड़की से बाहर देख रही है। जैसे कोई प्रेमी युगल एक दूसरे की आँखों में आँखें डाल मिनटों देखते हैं। देखने से लगता है, सफ़र की दीवानी होगी। बाकी ज़्यादातर लोग किसी को भी पहली ही बार में ही देख जज करने लग जाते हैं। ये लड़की इतनी सुंदर दिख रही है कि मिंगल भी हुई तो क्रश बना लूंगा। और सिंगल हुई तो बजरंगबली जी को एक नारियल के साथ बेसन के लड्डू भेंट करूंगा।
लेकिन अभी तो इनसे अनुमति लेकर मोबाइल को चार्ज करना ही परम सत्य और आवश्यक है। उनको प्रकृति दर्शन करते देखना अद्भुत है। 5 मिनट इनको ही तो खड़े देख रहा हूँ और ये सब सोच रहा हूँ। वो सफ़र की खूबसूरती को देख रही है और मैं इस खूबसूरत लड़की को।
एक्सक्यूज़ मी - हेल्लो। कहते हुए बस उसको देखता रह गया, उसने जब हेल्लो कहा तो लगा कोई फ़िल्म का सीन है उसके होंठ जैसे हिल रहे हैं हेलो कहते हुए।
मन को शांत किया और बलपूर्वक शालीनता से कहा- मोबाइल बंद है चार्ज में लगाना है, लगा लें?
वो जैसे निर्णय लेने में मोदी जी से भी तेज लगी। ok! लगा लीजिए, बैठ जाइए और यहाँ। बगल में बैठा मैं खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहा था। भारतीय रेलवे का कृतज्ञ हूँ। नहीं तो इतनी खूबसूरत लड़की के बगल में कभी बैठ भी पाऊंगा, सपने में भी नहीं सोचा था। वो फिर से खिड़की के बाहर देखने लगी और मैं उसे।
मोबाइल 50 ℅ हो गया। मोबाइल ऑन किया तो उनका हाथ थोड़ा टच हुआ और मैं सॉरी बोला।
वो बोली it's ok। तुम्हारा स्पर्श पवित्र है।
मैं मन ही मन खुश हुआ और बोला धन्यवाद।
अब वो मोबाइल में गाना सुनने लगी। मैं थोड़ा सुन पाया गाना का बोल था... ओ माही वे...
मेरा प्रिय गाना था। वैसे इस गाने से मोहब्बत तो पहले से ही थी अब इन दोनों से हो गयी।
मैं शांत बैठा खिड़की के बाहर देखने लगा। उसने पूछा कि कुछ प्रॉब्लम है ? मैंने पहले तो 'नहीं' कहा उसने फिर दूसरी बार पूछा । बता दीजिए कुछ प्रॉब्लम है तो। मैं बिना देर किए कह दिया हाँ! hotspot मिलेगा? उसने मुस्कुराकर, कहा बस इतनी सी बात थी। वाईफाई ऑन करिये, हो गया hotspot ऑन।
मैं जल्दी से माँ को व्हाट्सएप किया, माँ मैं सुबह 7 बजे स्टेशन पहुँच जाऊंगा। पापा को भेज देना।
वो लड़की ज़िंदादिल मुस्कुरा रही है। मेरे मन के भाव पढ़ लिए लगता है। मैंने धन्यवाद कहा।
और उसने मुझसे नाम और पढ़ाई के बारे में पूछ लिया।
जब मैंने भी यही सवाल पूछा तो जवाब आया।
नाम मणिकर्णिका, पढ़ाई मनोविज्ञान ऑनर्स।
तो तुम क्या चेहरा पढ़ सकती हो ?
उसने कहाँ हाँ, इसीलिए तो पूछा था कि परेशान हो क्या?
मैंने कहा, और मेरे मन के भाव भी पढ़ लिए तुमने ?
उसने कहा हाँ! हाँ जी सब कुछ, और मुस्कुराने लगी।
- तेज साहू