Sir
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जिनको आप पसंद करते हो, उनकी लव स्टोरी सुनी है कभी? मैंने जब ये बात उनसे कही तो वे मुझे एकटक देख बस मुस्कुरा दिए।
वैसे सच बताऊं तो उनकी मुस्कुराहट बहुत पसंद है मुझे, शायद इसीलिए मेरे क्लासमेट मुझे छेड़ते हुए बस "सर" कह देते हैं, और मैं भी ब्लश कर देती हूं।
एक शहर से दूसरे शहर जब हम अपने परिवार से दूर होते हैं, तो एक कोना या यूं कहें एक अपने की तलाश युवा अवस्था में जरूरी लगती है। कितने ही लोगों से हम रोजाना मिल रहे होते हैं, सबकी अपनी लाइफ है, सबके अपने सपने हैं। ऐसे में कोई ऐसा दिख जाए जो पसंद आए, तो लगता है कि ये हसीन ख्वाब का साथी पूरा हो जाए।
हम पहली बार कैंटीन में मिले थे। उनकी बातें, उनका नॉलेज, उनके कंधे पर खादी का गमछा! ओहो, क्या कहने! मेरी क्या औकात इनसे बात कर पाती! बस देखती जा रही थी। सुनते आए हैं कि लड़के ही लड़की को ताड़ते हैं, मेरे लिए ये उल्टा था लेकिन सिर्फ इन्हीं के लिए। घर से भले दूर हूं, लेकिन अनुशासन का पूरा पालन करती हूं; पढ़ने जो आई हूं। एक लड़की का एक लड़के से अच्छी दोस्ती भी हो सकती है, मैंने उन्हीं से सीखा है। वे बहुत प्यारे इंसान हैं। सबकी बातों को ध्यान से सुनते, सबके प्रॉब्लम का सॉल्यूशन रहता इनके पास। मुझे अच्छा लगता उनका दूसरों को सुनना और मेरा उन्हें बस एकटक देखते रहना। कभी मन करता कॉफी या चाय पीने का, तो बस एक मैसेज करती: "सर, आप जब फ्री हो जाएंगे, बताइएगा न।"
इस नवंबर के मिड में कॉफी का स्वाद आपके साथ बढ़ जाता है! मैं ऐसे कभी-कभी फ्लर्ट भी कर देती थी। वे मुस्कुरा दिया करते थे। मुझे धीरे-धीरे एहसास हुआ कि वे मुझे कंफर्ट जोन देना चाह रहे थे। माने घर से दूर, एक अपनापन वाला साथ जिससे मैं पूरी तरह खुलकर रह सकूं।
एक शाम हम कॉफी पीने शहर के अंतिम छोर के एक कैफे में गए थे। ऐसे ही ट्रुथ-एन-डेयर में हम अपनी स्टोरी बनाने लगे, अनछुए पहलुओं को लेकर। वे एक बार अपनी कहानी सुना रहे थे।
बोले, "मुझे वह पहला दृश्य आज भी याद है जब वह हाफ ग्रीन कुर्ती पहने झरने से आती फुहार के बीच अपने पति देव को निहार रही थीं।" मैंने उनकी पूरी कहानी सुने बिना ही चुलबुले अंदाज़ में "ओह! भाभी लवर" कह दिया।
वे बोले, "पागल हो, बिना पूरी कहानी सुने ही कुछ भी कह देती हो।" वे पहली बार ऐसा बोले थे। मैं सन्न रह गई। फिर हम दोनों ठहाके लगाकर हंसने लगे। तभी उधर से एक वेटर आया और बोला, "क्या लेंगे आप लोग? चाय या कॉफी?" हम दोनों ने एक स्वर में "कॉफी" कहा! हम दोनों मुस्कुरा दिए, फिर थोड़ी देर में कॉफी आई।
मेरे जन्मदिन पर उन्होंने मुझे धर्मवीर भारती जी की "गुनाहों का देवता" किताब दी थी। सुधा से मानो मैं मन से दोस्ती कर बैठी थी। बाकी उस किताब को पढ़ते हुए न जाने कितनी ही आंखें नम हुई होंगी।
एक शाम कॉफी में जब हम मिले! ये जो एक शाम की कॉफी है न, ये पूरे महीने में वही एक शाम की कॉफी होती है, क्योंकि वे अपनी किताबें पढ़ने, फिल्में देखने और इंटरव्यू में लगे रहते हैं। कितनी स्ट्रॉन्ग विल पॉवर है उनके बाबा! ओ, अब छोड़िए ये सुनिए...
मैंने जब उनसे पूछा, "सर, बर्थडे में क्या गिफ्ट चाहिए आपको?"
उन्होंने बस ये कहकर कॉफी में थोड़ा शुगर डाल दी, "वो तो सब, it's all up to you..."
मैंने फिर चुलबुले अंदाज़ में कहा, "प्लीज बताओ न 'जोगी सर'!"
- Tej
- 14.11,2024