मशिनो का गुलाम रनजीत कुमार तिवारी द्वारा कल्पित-विज्ञान में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
  • द्वारावती - 72

    72दोनों ने अदृश्य ध्वनि की आज्ञा का पालन किया। जिस बिंदु पर...

  • कालिंदी

    अशोक एक मध्यम वर्गीय आम आदमी था, जो कर्नाटक के एक छोटे से कस...

  • आई कैन सी यू - 40

    अब तक हम ने पढ़ा की रोवन और लूसी की रिसेपशन खत्म हुई और वो द...

  • जंगल - भाग 9

    ---"शुरुआत कही से भी कर, लालच खत्म कर ही देता है। "कहने पे म...

  • My Devil Hubby Rebirth Love - 52

    अब आगे वाइफी तुम्हारा रोना रूही गुस्से में चिल्लाई झूठ बोल र...

श्रेणी
शेयर करे

मशिनो का गुलाम

एक बार समय निकाल कर जरूर पढ़ें:-आज के समय में लोग किताबों से दुर हो गए या फिर दुर होते जा रहे हैं। लोगों का पढ़ने, लिखने में दिलचस्पी खत्म होता जा रहा है।लोग किसी तरह की जानकारी या अपनी भावनाओं को व्यक्त करने पढ़ने लिखने के लिए बोलने या सुनने का तरीका ज्यादातर इस्तेमाल कर रहे हैं।कापी किताब तो दुर लोग गुगल या यूट्यूब में भी लिखकर किसी जानकारी को सर्च करने के बजाय बोलकर आसानी से ढुंढ ले रहे हैं।और पढ़ने की बजाय विडियो या आडियो सुनकर जानकारी प्राप्त कर लें रहे हैं। इसके कयी सारे फायदे हैं तो बहुत सारे नुकसान भी हैं।सबसे बड़ा नुक्सान तो इन्सान आलसी होता जा रहा है। और इस कदर मशिनो से घिरता जा रहा है। जैसे इसके बिना जीवन संभव नहीं है।यही कारण है बिमारियों का प्रसार लोगों में पहले की अपेक्षा ज्यादा हो रहें हैं। अपने जीवन काल का लगभग 65% से भी अधिक समय लोग मशिनो और आधुनिक उपकरणों के बिच घिरे रहते हैं। जिसका ना केवल मानव जीवन पर असर पड़ रहा वल्कि प्राकृतिक संपदाओं पर भी बुरा असर पड़ रहा है।देखा जाए तो समय देखने से लेकर स्वच्छ होने ,खाने पिने,आने जाने,सोने पहनने,उठने बैठने इत्यादि लगभग सारे कार्यों के लिए मशिनो का उपयोग हो रहा है।जिसके कारण मानव जीवन में समय से पहले आंखों की रोशनी, ह्रदय घात,शुगर,तनाव, उम्र का कम होना, कब्ज, आदी अनेकों प्रकार की बिमारियों के साथ साथ हवा,जल, मिट्टी, इत्यादि प्रदुषित हो गए हैं। इसके परिणाम स्वरूप पशु पंछियों का विलुप्त होने जैसी घटनाएं भी देखने को मिल रहा है। पेड़ पौधे , पशुओं का नस्ल भी लोग लोभ और लालच वस करते जा रहे हैं।लग रहा आने वाले समय में कुछ भी हम शुद्ध नहीं देख पाएंगे। मेरे दिमाग में ऐसा ख्याल आते ही मन द्रवित होकर रह गया है।मैं आशा करता हूं यह लेख पढ़ने के बाद आप सब भी जरूर इस पर चिंतन करेंगे और अपने पुरानी नस्लों को बर्बाद होने से बचाएंगे।मैं आप सबसे निवेदन करता हूं सबसे पहले आइए हम सब मिलकर अपनी देशी गायों के नस्लों को बचाने की प्रतिज्ञा करते हैं।और ज्यादा से ज्यादा लोगों को इसके लिए जागरूक करने का विणा उठाते हैं। ज्यादा दुग्ध के चक्कर में हम अपने देशी गायों को खत्म करने जा रहे हैं। खेतों में ज्यादा उपज के लिए रसायनिक खादों का इस्तेमाल करके जहर की पैदावार कर रहे हैं।आइए आर्गेनिक खेती बाड़ी करते हैं और अपनों को बिमारी से बचाने का संकल्प लेते हैं। मुझे खुशी होगी अगर मेरे लेख में आप कमेंट करके अपनी राय मुझे देंगे और इसके लिए मुझे प्रोत्साहित करेंगे।और सबसे पहले खुद इसकी शुरूआत करेंगे फिर देखते देखते हम इस पास का माहौल भी मनोनुकूल हो जाएगा।मेरे भारत का अस्तित्व फिर से बचेगा पेड़ पौधे फिर से लहराएंगे पशु पंछियों का मधुर संगीत हमारे जीवन को खुशहाल करेंगे।हम और हमारा परिवार स्वस्थ होगा और एक नये भारत का निर्माण होगा। बिमारियों का अंत होगा और मेरा देश महान था और हमेशा महान रहेगा।आपस में सौहार्द बढ़ेगा लोग तनाव मुक्त होंगे देश धनवान होगा।आप सबका बहुत बहुत धन्यवाद आपका रनजीत तिवारी