हवस की आग - मासूम लड़की हुई हवस की शिकार रनजीत कुमार तिवारी द्वारा महिला विशेष में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

हवस की आग - मासूम लड़की हुई हवस की शिकार

आदरणीय पाठकों मेरा सादर प्रणाम यह कहानी मैं समाज में आए दिन घट रही घटनाओं से अवगत होकर इसपर प्रकाश डालने की छोटी सी कोशिश कर रहा हूं।
अगर कोई कमी हो तो माफ़ करिएगा और अच्छा लगे तो मेरा मनोबल बढ़ाने की कृपा करें।
दोस्तों आज गांव हो या शहर हर जगह पश्चिमी सभ्यता अपने पैर पुरी तरह से फैैैला चुकी है।लोग पश्चिमी सभ्यताओं को बहुत ज्यादा पसंद करने लगे हैं। युवा पीढ़ी के बच्चे हो या बच्चियां या फिर नवजवान हो याा बुजुर्ग सब लोग काफी रूचि ले रहे पश्चिम की सभ्यताओं में आज समाज में व्याप्त अश्लीलता इसका बहुत बड़ा उदाहरण है। लड़कियां हो या लड़के सब अपनी अश्लील वीडियो शोशल मिडिया पर डाल रहे हैं।आज छोटे बच्चे भी अपना सबसे ज्यादा समय शोशल साइट और एप में खराब कर रहे हैं।इसका सबसे बड़ा असर इनके मानसिक विकास पर पड़ रहा है ‌। अश्लील वीडियो फोटो देेेेखकर बुद्धी भ्रष्ट होती जा रही है।आप सबका ज्यादा समय ना लेते हुए अब मैं एक ऐसी घटना के बारे में बता रहा हूं।जो मेरे जीवन के नजदीकी अनुभव में से हैं।आइए कहानी पर चलते हैं‌।एक गांव की लड़की थी उसका नाम संध्या ( काल्पनिक नाम) था। बहुत अच्छी लड़की थी सबकी इज्जत करतीं थीं। सबसे अच्छे से बााते करना सब मिलाकर यह कहा जाएं तो गलत नहीं होगा।वह हजारों मेें एक थी। उसकी उम्र यही कोई 20 साल की होगी।सब कुछ सही चल रहा था अचानक एक दिन उसके पिता उसकी पिटाई करने लगते हैं।रात का समय था सब अपने घरों में खाने पिििने की तैयारी में लगे थे। अचानक मारने पिटने की आवाज सुनकर पास के लोग उत्सुकता वश जानने की कोशिश कर रहे थे। क्या हो गया लेकिन कोई रात की वजह से उनके घर नहीं गया। लोग इतना ध्यान नहीं दििए सब खा पिकर सो गए।सुबह सब अपने अपने काम धंधे में व्यस्त रहने लगे। किसी ने जाानने की कोशिश नहीं किया आखिर क्या हुआ था रात में क्यों मार रहे थे जवान लड़की को और किसी ने पुछा भी तो उनके घर वालों ने इधर उधर की बातें करते हुए। लोगों को भटका दिया लेकिन सच्चाई छिपती नहीं है। किसी न किसी दिन उजागर होना है।ठिक एक हफ्ते बाद ही फिर उस लड़की को उसके घर वालों ने बहुत जोरदार पिटाई कर दिया। पिछले दिनों जब उसको घर वालों ने मारा वह खाने खाना बंद कर दी थी।वह काफी कमजोर हो गई थी और उदास रहने लगी थी। फिर एक बार पिटाई से उसके सर में तेज चोट लगने के कारण और पहले से कमजोरी ने उसे अचेत अवस्था में पहुंचा दिया।उसको घर वालों ने तुरंत अस्पताल ले जाने की बजाय दो दिन बाद लेकर जााातेेे है। जहां उसको डाक्टर बचा नहीं पाता है।लोग तरह तरह की बातें करने लगे थे। पता चला उसको एक लड़के के साथ आपत्ति जनक स्थिति में देख लिया था घर वालों ने। का वह उससे बातें भी करती थी फोोन पर बस यही कारण था उस लड़की के जीवन के अंत का बहुत ज्यादा इसके गहराई में जाने के बाद पता चला।वह लड़का कोई दुुर का रिश्तेदार था जो उस लड़की का जिजा लगता है। ज्यादातर देखने को मिलता है जो छोटी उम्र की लड़कियां या महिलाओं का शोषण अपने जानने वाले या दुर के रिश्तेदार ही करते हैं। समय इतना खरााब हो गया है किसी पर भरोसा करना मुश्किल हो गया है।कम उम्र के लड़के लड़कियों को हवस मिटाने के लिए इस्तेमाल करने वाले लोग अपने नजदीकी, रिश्तेदार,और घर के ही लोग है। नैतिक मूल्यों और परंपराओं ,आदर्शों को खत्म करने में हम सब भी कहीं न कहीं पुरी तरह से जििम्मेदार है‌।इस तरह की घटनाएं आए दिन कही ना कही रोज सुनने को मिलती है।लोोग छोटी-छोटी बच्चियों को अपने हवस का शिकार बना रहे हैं।और भारत की कानून व्यवस्था भी अपंग और लचार है। ऐसे घृणित कार्य करने वाले लोग आजादी की साांसें ले रहे हैं। कयी सारे ऐसे मामले ंं न्यायालय में सालोों से लटके हुए हैं ‌।और भारत के न्याय व्यवस्था को चिढ़ा रहें हैं।