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मेरा दुखद जिवन - जनता की अदालत में न्याय की मांग

।।श्री गणेशाय नमः।।
जय श्री कृष्ण,हर हर महादेव आदरणीय पाठकों मेरा सादर प्रणाम मैं रनजीत कुमार तिवारी पिता श्री सोभ नाथ तिवारी माता श्रीमती शांति देवी ग्राम बेचन छपरा बलिया उत्तर प्रदेश 277201 से अपने जिवन की सच्ची घटना का वर्णन कर रहा हूं यह कोई बनावटी और काल्पनिक घटना नहीं है। यह मेरे जिवन के 30 सालों का अनुभव रहा है। यह एकदम अटल सत्य है जिसका प्रमाण हमारे आस-पड़ोस ,गांव के लोगों के दिमाग में और जिला प्रशासन के भ्रष्ट फाइल रिकार्ड में दर्ज है। चाहे उनके दिमाग में दर्ज हो या भ्रष्ट अधिकारियों के फाईल में जिसके सारे लोग साक्षी और गवाह है।सारी सच्चाई जानने के बाद भी प्रपंचों ने साजिश के तहत हमारे ऊपर अन्याय करके हमें आतंक वादी बनने पर मजबूर कर दिया है। जिसमें अपने रिश्तेदारों, कुटुम्ब परिवार के बाद गांव के लोगों ने घर में आपसी फुट डालकर पुस्तैनी समाप्ति का लुट कर रखा हैं।और अपने लोग आज भी आपस में दुष्मनी करके गांव के कुछ दबंगों के चंगुल में फंसकर हमारे ऊपर अंतःकरण अत्याचार और घिनौने कृत्य करके यह दुष्ट भगवान बने बैठे हैं। सबकुछ दुसरो के हाथों सौंपकर, बेचकर दुसरे के हक पर अवैध रूप से मालिक बने बैठे हैं।हमारा सब कुछ होने के बाद भी इन्होंने हमें बेदखल कर रखा है। हमारा कुछ है ही नहीं ना घर है ना खेत ना खलिहान सबने हमें नौकर रखा है और उल्टा लगान हमीं से। बिना वेतन का घर खेत खलिहान की रखवाली के लिए सही से खाने को भी नहीं मिलता हमें इनके प्रपंचों के कारण नहीं कभी हमने इनके आगे हाथ फैलाए और ना ही गिड़गिड़ाने गये । कभी भुखे प्यासे भी हमने गुजर वसर किया लेकिन किसी से हमने मांग कर नहीं खाया 50-60 सालों से इन्होंने सारी दुष्टता और मानवता को शर्मसार करने वाली घटनाओं को अंजाम दिया है। जिनको सायद यह भुल है। हम अपने कुटुम्ब, गांव ,घर ,बेटी,बहन समझकर अबतक सहते आ रहे हैं।और जबतक सह रहे हैं जबतक बर्दाश्त हो रहा है। कुछ ऐसी घटनाओं का जिक्र करने जा रहा हूं जिसकी सत्यता आप हर तरह से कर सकते हैं। और मेरा खूला चैलेंज भी है कोई झुठला नहीं सकता। मुझे इतना तो ज्ञान नहीं लेकिन तिन पिढियो की जिक्र मैं कर रहा हूं। जो क्रमशः स्व पंडित श्री नेमधारी तिवारी,के एकलौते पुत्र पंडित स्व. श्री राम सागर तिवारी, स्व. पंडित श्री रामलगन तिवारी, के पुत्र क्रमशः स्व. श्री रामचन्द्र तिवारी, स्व श्री गोपी नाथ तिवारी, स्व. श्री बालेश्वर तिवारी, स्व.श्री गणेश तिवारी थे जो चले गए इनकी जिवनी लिखने लगूं तो मेरी उम्र कम पड़ जाएगी। लेकिन सिर्फ उदाहरण के लिए लिख रहा हूं।मेरे जो सगे बाबा थे वह गांव में मां बाप की सेवा सारी खेती-बाड़ी का कार्य और गौ सेवा करते थे। जिन पुण्य आत्मा का नाम श्री गोपीनाथ तिवारी था इनके साथ पुरी साजिश के साथ भाईयों ने शुरू से छल कपट प्रपंच किया ‌। जैसे इनके तिन भाई थे वह सारे लोग सरकारी नौकरी अपनी योग्यता और काबिलियत के हिसाब से करने लगे ऐसा नहीं था मेरे बाबा को ज्ञान नहीं था।वह भी नौकरी कर सकते थे लेकिन बुढ़े मां बाप की सेवा कौन करे सारी जिम्मेदारी इनपर थोपकर सबकुछ संभालने की जिम्मेदारी इनको देकर भाइयों ने अपना स्वार्थ सिद्धी और भोले पन का फैदा उठाते रहे। बाबा के तिसरे नम्बर भाई श्री बालेश्वर तिवारी जी अध्यापक थे प्राथमिक विद्यालय के वह भी गांव में रहते थे और दो भाई सबसे बड़े और सबसे छोटे वालें भाई दिनदयाल उपाध्याय (मुगल सराय) और गया में रहते थे ‌।बड़े वाले बाबा रेलवे में और सबसे छोटे वालें बाबा पंजाब नेशनल बैंक में कार्य करते थे ‌। हमारे प्रिय बडे बाबा श्री राम सागर तिवारी जी एकलौते लड़के थे जिनको जिते जी महापात्र कहकर उनके जमीन में गौ सेवा के लिए कच्ची झोपड़ी श्री बालेश्वर तिवारी जी और उनके अपने परिवार के लोग और उनके हमदर्द लोग अपने घर के दिवार से झोपड़ी की दिवार सटकर नहीं बनने दिया ‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌क्योंकी इन लोगों की नजर में वह महापात्र थे‌। यह घटना मेरे होश की है और बहुत सारे गांव के लोग जानते होंगे इसके बारे में और आज भी वह मौजूद गायों की झोपड़ी और इन बेईमान भाइयों के घर की दिवार गवाही देने के लिए खड़ी है।और हकीकत बयां कर रही है ‌‌‌और यह घटना मेरे जीवन में प्रत्यक्ष देखा हुआ है।इस घटना के समय मेरी उम्र यही कोई 5 या 6 साल होगी मुझे इतना तो याद नहीं लेकिन 1994-1995 की यह घटना होगी‌। जबकी इन्होंने इससे पहले सन् 1974-1975 के आस पास के समय से ही छल कपट करना चालू कर दिया था।हुआ कुछ यूं की जो मेरे चचेरे बड़े बाबा थे वह अपने मां बाप के एकलौते लड़के थे उनकी एक बहन थी जिनका पुरा घर आदर ,सत्कार और सम्मान करता था। उन्होंने बड़े चचेरे बाबा श्री राम सागर तिवारी जी की सेवा के लिए हमारे सगे बाबा श्री गोपीनाथ तिवारी और हमारे परिवार के लोगों को कहा आप लोग इनका ध्यान और ख्याल रखो इनका जो है।सब आपका ही तो होगा उनकी कोई अवलाद नहीं थी।मेरे घर वालों को कोई लोभ लालच नहीं था कुल खानदान के होने के नाते हमने यह बिणा भी उठा लिया थोड़ा
भी भाईयों से छल कपट करने की उम्मीद नहीं थी। सबने संडयंत्र के तहत हमें अपने घर से बड़े वाले बाबा के घर में साजिश के तहत् जाने दिया।जिसका मेरे भोले और सिधे- साधे बाबा को मतलब बाद में समझ आया जब उन्होंने हमारे घर से निकलते ही हमारा जो अपना घर था उसपर कब्जा कर लिया । मेरे घर वाले फिर भी भाई समझकर जहर का कड़वा घुट पी गए। जिसका प्रमाण आज भी हमारी पुस्तैनी घर पर अवैध कब्जा हमारे बाबा के भाईयों का है।जिसका हमारे गांव के लोग त्याग नहीं पी सकते।और तो और जिन्होंने उनकी सेवा में लगाया उनके लड़के, नाती पोतों ने ही उनके आकस्मिक ह्रदय घात की वजह से निधन को मडर का रूप देकर उनके द्वारा मेहनत से अर्जित कुछ पैसों के लिए हमारे पिता श्री शोोभ नाथ तिवारी पर आरोप लगाया और जिस दिन मरे उसके अगले दिन ही बड़ा ड्रामा खड़ा कर दिया था।बात जिला न्यायालय भी गया लेकिन हमें न्याय नहीं मिला इसको भी गांव के लोग और क्षेत्र के लोग नहीं झुठला सकते ‌।जििस दिन उनकी मृत्यु हुई वह दिन मेरे जीवन का सबसे काला दिन था। हम सब भाई बहन साम को 7-8 बजे करीब पढ़ रहे थे मैं पढ़ते पढ़ते सो गया था।तभी बाबा अपने कमरे से बाहर निकले और मेरी बडी बहन के ऊपर गिर गए । जिससे मेेेरीी बहन दब गयी उसने मुझे जगाया मैैं गहरी नींद में था उसने मुझे मारा और पिता जी को बताने को कहा मैैं गया और आंगन में बैठे पापा को बताया वह दौड़कर भागते हुए आए और बाबा को पहले बहन के ऊपर से हटाया उनको दबाया लेकिन वह जिवन की यात्रा पुरी कर चुके थे उन्होंने मेरे पिता श्री के गोद में अपनी दो चार तेज सांसें ली और भगवान को प्यारे हो गए।जाते जाते वह भी सौतेला व्यवहार कर गए हमारे ऊपर मुसिबतो का पहाड़ खड़ा कर दिया। घर परिवार में शोोक का लहर दौड़ पडा बाबा की तबियत सुबह से ठिक नहीं थी उनको दोपहर के समय मेरे पिता श्री शोभ नाथ तिवारी किसी डाक्टर के पास ले गए थे उन्होंने बाबा की रक्त चााप ज्यादा हो गया बताया दवाा दिया और करेले का जुुुुस भी देने को कहा। वहीं मेरी मां पििस रही थी।मेरे पिता जी बैैेठे हुए जुस बनने का इंतजार कर रहे थे।इधर मौत भी अपनी तांडव लिला रच रही थी। अपने संडयंत्र का सही मौका देखकर सबने सारा खेल एक साथ मिलकर खेला और हमारी जिंदगी तबााह बर्बाद होती चली गई।और आज हम दर बदर भटक रहे हैं। उनको महापात्र कहने वाले उनके खेतों में उपज कर रहे हैं। जो अपना था बेचकर खा गए इसमें रामप्रवेस पाल और उनके परिवार ने भी खुब लाभ उठाया। इनको बहला फुसलाकर इनके हक की जमीन खरिद लिए।जबकी घर के लोग सर एक कटठे पर उनसे 5000 हजार फालतू रूपए देने को तैयार थे हमारे पिता जी ने भी पुरी कोशिश की लेकिन यह दुष्टों के बहकावे में आकर खुद दुष्टता पहले से करते भी आए थे। उन्होंने जमीन आखिर कार दुसरो को बेच दिया। दुसरे का 50 सालों से लुटकर पेट नहीं भरा तो हमारे भविष्य को इन्होंने लुट लिया इसमें सबसे बडा खेेेल स्व श्री राम सागर तिवारी की बहन मुर्ति देेेेवी के बेेेटेे श्री वसिष्ठ पांडे स्व. सुखदेव पाांडे के पुत्र श्री रामलला पांडे धतुरी टोला निवासी बलिया उत्तर और उनके परिवार के सदस्यों ने खेली तुरंत मरते ही उनके रूपए और जमीन जायदाद में आंख लगने लगीी‌ ।इधर उनके अंतिम संस्कार नहीं हूआ जिनको हमने और हमारे घर के लोगों ने किया।सबने पुरा दिखावा मरने के बाद दाह संस्कार में शामिल होकर किया लेकिन जेब से एक फुटी कवडी नहीं निकला सब रिश्तेदार और संपत्ति में दावे मरते ही करने लगे और कोर्ट पहुंचकर दावेदारी ठोक दी और दौलत की भुख मेें पागल अपनों ने ड्रामा चालू कर दिया। हमें घर से निकालने लगे हमारे पिता जी पर जहर देकर मारने का आरोप भी लगाया लेकिन पोस्ट मार्टम के नाम पर बोलती बंद हो गई जिसका हमारे अनपढ़ भााई और पड़ोसियों ने बिरोध करा जबकी पढ़ें लिखे लोग खड़े होकर तमाशा देख रहे थे।इसका असर हमारे अबोध बालक जिवन पर सदमे की तरह पड़ा और हम भटक गए अनेक प्रकार के व्यसन हो गई किशोर अवस्था में घर छोड़ने पड़े इसको भी कोई नहीं झुठला सकता। वह पहली आवाज उठाने वाला व्यक्ति आज भी जिंदा है ‌‌‌।उस व्यक्ति का नाम मोहम्मद खलील खान, मोहम्मद मुन्ना खान है‌। दुनिया की नजर में वह गजेडी भंगेडी है लेकिन मानवता की मिशाल है। दुसरे धर्म समुदाय से हैं लेकिन अपनों से अच्छे हैं।जहां पढ़ें लिखे लोग तमाशा कर रहे थे या बना रहे थे वहां उन्होंने मानवता की लाज बचाई।और भी बहुत सारे लोगों का सहयोग प्राप्त हुआ इस जिवन में लेकिन शुक्र है। भगवान का आपने हमें इस दुनिया में पैदा करके यहां के रिती, रिवाजों, चोरी, बेईमानी ,कटुता, नफरत, आदि का
अनुभव कराया आपको कोटी-कोटी प्रणाम नमस्कार लेकिन मुझे सिर्फ एक ही बात का दुुःख है। उनकी अंतिम इच्छा जिसका मैं कर्ज दार हूं उनका बजरंग बली का दरवाजे पर स्थापना करनें की बात कहना। मरने वाले दिन डाक्टर के यहां से लौटकर आने के बाद मुझे अपने पास बुलाया और मुझे आलिंगन कर रोने लगे और कहा मुझे मरने के बाद कंधे पर लेकर चलोगे ना और अपने अधुुुरेे सपने को जो मंदिर निर्माण करने की बातें कहीं मुझे ‌कुछ समझ नहीं आया तो मैैं भी उनके साथ साथ रो पड़ा।मेरी उम्र उस समय लगभग 8-9 साल होगी। यह छड़ मेरी नििंद चैन सकुन यााद आकर सब छििन लेेाता है। मेरे परिवार को उनके घर की देख रेख करते हुए 50 सालों से ज्यादा समय हो गया है ‌।उनके घर का पुरा भुगोल ही हमने बदल दिया कच्चा मकान ढहने के बाद पक्के मकान का निर्माण हमारे घर वालों ने पुरे घर की अपनी सामर्थ्य अनुसार कर रखा है ‌। केवल उनका घर हम सबका आधार है‌। उनके खेती और हमारे पुस्तैनी आधे घर पर अवैध कब्जा श्री बालेश्वर तिवारी के परिवार ने कर रखा है। श्री गणेश तिवारी जी और उनके परिवार ने हमारे आधे पुस्तैनी मकान पर कर रखी है। तो मैं सिर्फ इतना पुछता हुं क्या हम सब लवारिस है।इस दुनियां के नहीं हैं या फिर हम इस देश के नहीं हैं। इसलिए मैं अपने दुःख और दर्द को आप सब के बिच एक फरियादी बनकर अंधे और भ्रष्ट कानून से दुुुखी होकर आप सब से न्याय की मांग के लिए करता हूं। मुझे आप सब से न्याय चाहिए इसमें कोई दुश्मनी नहीं है।हम सब कुछ आज भी छोड़ने को तैयार है ‌।लोग एक इंच के लिए खुन खराबा कर देते हैं।हमने 50 साल, अपना घर ,अपनी कैरियर बर्बाद आप सबकी साजििश से कर ली नौकर रखें थे तो इतने दिनों का हिसाब कर दो नहीं तो जिसपर मेरा अधिकार है। उसको लौटा दो यही हमारी माांग है। हमारे बाबा मर गए न्याय की उम्मीद लगाए अब हमारे पिता जी उम्मीद लगाकर बैठे हैं। लेकिन न्याय गरिबों के लिए नहीं है यह साबित कर दिया है न्यायालय ने बस आखिरी उम्मीद आप सब है। सब कुछ पैसे पर बिक रहा है लेकिन हम उन सपुतो में से नहीं जो मातृ भूमि की सौदेबाजी करें मर सकते हैं। लेकिन मातृभूमि से गद्दारी नहीं कर सकते।जो हमारी मातृभूमि है जिसपर हमने जन्म लिया और जिसको हमने खुन पसिने से सिंचा उसको बेचकर घर के गद्दारों ने हमें इस कदर तोड़ दिया है। चारों तरफ अंधेरा ही अंधेरा दिखाई देता है।और इन्हीं लोगों की प्रेरणा से हमारे पिता श्री के अपने सबसे छोटे भाई श्री रघुनाथ तिवारी जी भी वही कार्य कर रहे हैं।जो उनके पिता जी के साथ उनके भाईयों ने किया था।इसकी जिती जागती उदाहरण मेरी दादी मैया है।जिनकी सेवा मेरे पिता श्री और माता जी के द्वारा निस्वार्थ हो रहा है।कोई सरकारी पेंशन नहीं है।और लाखों रूपए कमाकर भी अपने मां के लिए एक रूपए भी हर महीने यह दुष्ट आत्मा नहीं देते हैं।मेरे पिता जी और माता जी सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलकर मेहनत ,मजदूरी, पुजा ,पाठ ,आसा बहू के रूप में काम करके हमें पढ़ाया ,लिखाया आप सोच सकते कितनी कष्ट करके हमें पाला पोसा और घर परिवार की आपूर्ति करते हुए सब कुछ आज भी सम्भाल रखें है।और लोग आकर कब्जा कर लें रहें हैं।हम सब अपने भाई समझकर झगड़ा झंझट से दुर रहने की कोशिश करते रहे हैं।मेरे बाबा तम्बाकू सेवन करते थे उनके पास पैसे नहीं होने पर गांव के हमारे सुरदास भैया कभी कभी लाकर देते थे। यह सब मैंने खुद देख रखी है ।और बेटे लाखों कमा रहे हैं थू है ऐसे बेटों पर मेरे घर वालों को गांव के कुछ लोग आंखें दिखाने की कोशिश कयी बार कर चुके हैं। जिन्होंने इतना बड़ा त्याग कर दिया हो। उसके लिए कुछ असम्भव नहीं आंखें निकाल लुंगा लेकिन अपने पिता श्री के केवल अनुसासन की कद्र है।जो हमें हिंसा करने पर रोक रखा है ‌।वहीं मेरे बड़े चाचा श्री गजाधर तिवारी के प्यार और त्याग भी हमें नफरत दिल में नहीं रखना सिखाता है।इनका भी हमारे जीवन पर बहुत बड़ा उपकार है।ऐसा भाई सबको दे भगवान इनका ख्याल आते ही सारे दुःख तकलीफ दुर हो जाता है। इनका भी कोई नहीं है। लेकिन यह अपनों से ज्यादा प्यार और दुलार हम सब पर लुटाते हैं। ऐसे ही कहानी कुछ बड़े बाबा श्री राम सागर तिवारी जी की भी थी। उन्होंने भी कभी जिते जी यह आभास नहीं कराया मैं पराया हूं। इसलिए आप सबसे न्याय की आशा और उम्मीद लेकर एक छोटा सहयोग मांग रहा हूं ‌। आप सब का एक सहयोोग हमेें न्याय दिला सकता केेेवल इसके लिए आप सबका सहयोग और समर्थन चाहिए जो लोग गांव के हैं और मेरी बात सही है ‌। तो समय निकालकर अपने जीवन का अमूल्य 5 मिनट हमारे लिए निकाले और लिखकर यह बात सत्य है पुष्टी करें।और जो भी इसे पढ़ रहे हैं वह एक लाईक, रेेेेेटिंग, सब्सक्राइब,शेेेयर देकर आप एक ऐतिहासिक न्याय दिलाने में मेेेरीी मदद कर सकते हैं।असत्य पर सत्य की जीत का साथ देकर पुण्य के भागी बनने का मौका पा सकते हैं।आपका मैैं और मेरा पुरा परिवार जिवन भर आभारी रहेगा। धन्यवाद आभार जय हिन्द जय भारत वंदेमातरम 🇮🇳🙏

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