जिवन का अंत रनजीत कुमार तिवारी द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

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जिवन का अंत

आदरणीय पाठकों मेरा सादर प्रणाम आप सबके लिए एक कहानी लिख रहा हूं। अच्छा लगे तो मेरा मनोबल बढ़ाने की कृपा करें।आइए कहानी की ओर चलतें है।
यह कहानी गांव की एक सिधी साधी भाभी की है।जिनका नाम निर्मला था वह बहुत मिलनसार और मृदुल स्वभाव की थी।उनका स्नेह और प्यार आज भी हमें भावुक कर देता है।उनकी तारीफ कैसे करूं मेरे पास शब्द कम पड़ जाएंगे। बहुत अच्छी औरतों में उनकी गिनती होती थी। उनकी दो लड़कियां और तिन लड़के थे सबसे बड़ी एक लड़की थी जिसकी उम्र यही कोई 14 साल की होगी उस समय और बच्चे काफी छोटे थे एक गरिब परिवार के होने के नाते भाभी एकदम सादी भेष भुषा में रहती थी।वह घर को बहुत अच्छे से संभालती उनके पती भी उनको बहुत प्यार करते थे।यह बात लगभग आज से 17 साल पहले की है।घर में इनके अलावा एक बुढ़ी मां और एक देवर जो दोनों आंखों से अंधे थे सारे लोग खुश थे। सब कुछ अच्छे से चल रहा था। लेकिन कहते हैं ना बहुत अच्छे लोगों को भगवान जल्द ही बुला लेते हैं। ऐसा ही कुछ उनके साथ हुआ पहले घरों में लकड़ी पर खाना बनता था। बरसात का मौसम था भाभी साम को खाना बनाने के लिए लकड़ी निकाल रही थी जोकि आंगन में ही एक कोने में रखा गया था। बरसात की वजह से लकड़ी थोड़ी गिली हो गयी थी जिसको सुखाने के लिए भाभी लकड़ी दोपहर के समय में निकाल कर फैला रही थीं। जहां काल बनकर एक कोबरा सांप उनके लिए मानो बैठा हुआ था।भाभी निश्चित रूप से असावधान होकर लकड़ी निकाल कर सुखने के लिए डालती जा रही थी।तभी अचानक सांप ने काट लिया भाभी को सांप दिखाई नहीं दिया लेकिन उन्होंने घर में सबको बताया मुझे कुछ काट लिया है।धिरे धिरे सांप का जहर उनके शरीर में फैलने लगा और वह अचेत अवस्था में जाने लगी।घर और गांव के लोग उनको सांप का जहर झाड़ने वाले के पास लेकर गए। लेकिन कामयाबी नहीं मिली जहर काफी फैल चुका था भाभी के प्राण पखेरू अन्यास ही चले गए।सब यह कह कर दिल को तसल्ली दे रहे थे ऐसे ही लिखा था इनका जाना इतने दिनों के लिए ही हम सब के साथ थी। लेकिन सबसे बड़ा आघात भैया को लगा जो भाभी से बहुत प्यार करते थे।उनकी हालत पागलों जैसी हो गयी बच्चे भी पालने थे। बहुत बड़ी समस्या आन पड़ी परिवार के ऊपर एक बुढ़ी मां थी वहीं बच्चों की देखभाल करती मेहनत मजदूरी करके बच्चों को उन्होंने अच्छे से पाला पोसा बच्चों की शादी भी कर दी जो सबसे छोटा लड़का उसकी केवल शादी नहीं हुई है। लेकिन आज भी भैया भाभी से बहुत प्यार करते हैं।उनकी बातें सुनकर ऐसा लगता है कितना बड़ा इनका दिल है। जैसे पुरी दुनिया का प्यार केवल उनके दिल में रहता है।अब उनको किसी से कोई लेना देना नहीं है।वह बिल्कुल अकेले और में रहते हैं। बच्चे बड़े हो गए हैं।सब कुछ ना कुछ काम धंधे करते हैं। दोस्तों जब भी कभी उनका ध्यान आता है दिल दुःख से भर जाता है।ऐसे इन्सान इस दुनियां में कम होते हैं जिनके जाने की कमी पुरे गांव को होती हो ऐसी सादगी और स्नेह भरी जिंदगी सबकी हो।यह मेरी प्रभू से कामना है।मेरी कहानी कैसी लगी मुझे जरूर बताएं। धन्यवाद