औरतें रोती नहीं - 24 Jayanti Ranganathan द्वारा महिला विशेष में हिंदी पीडीएफ

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औरतें रोती नहीं - 24

औरतें रोती नहीं

जयंती रंगनाथन

Chapter 24

आमना को ज्यादा देर नहीं लगी अपने को तैयार करने में। देखकर तो आए, इतने बड़े चैनल का ऑडिशन आखिर होता कैसे है? हमेशा की तरह लंबी कुर्ती, जीन्स और जालीदार स्टोल पहना। आंखों में गहरा काजल, सुबह बाल धोए थे, लंबे बालों को खुला छोड़ दिया, कानों में कंधे तक झूलते कुंडल। सोनिया ने पूरा मेकअप कर रखा था, लेकिन आमना को देखकर उत्साह से बोली, ‘‘कूल मैन... तुम स्मार्ट लग रही हो। दिस अटायर सूट्स यू...’’

ऑडिशन गुड़गांव में था। मेट्रो ले कर दोनों वहां पहुंचीं।

जबदस्त भीड़। लेकिन सोनिया की काफी पहचान थी। अंदर। चहचहाते युवा। रंग-बिरंगे डिजाइनर कपड़ों में। लग रहा था जैसे सब फैंसी ड्रेस के लिए तैयार होकर आए हों। भीड़ ऑडिशन से ज्यादा तीनों सेलिब्रिटी जजों से मिलने को बेताब थी। फमस सिंग सुनिधि चौहान, लेटेस्ट हॉट हीरो रनबीर कपूर और धूम थ्री का यंग डायरेक्टर संजय गाडवी। तेज आवाजें, एक्साइटमेंट... ‘‘देख रनबीर कितना क्यूट दिख रहा है, बिल्कुल अपनी मॉम नीतू सिंह के जैसे।’’ आमना को मजा आने लगा। दोपहर बाद उसे और सोनिया को बुलाया गया।

हर कन्टेंस्टेंट को कोई आइटम पेश करना था।

सोनिया बेहिचक इन दिनों चल रहे हॉट गाने गेट मी यॉर हार्ट बेबी पर थिरकने लगी। संजय को उसकी अदा पसंद आई। रनबीर ने उसे हॉट कहा और सुनिधि ने कमेंट किया- सो सो।

बारी आई आमना की। आमना ने माइक उठाकर क्रिकेट मैच का लाइव कवरेज शुरू किया। हाथ हिलाते हुए बीच में एक वैन संता सिंह वेंट टु सी द मैच विद हिज गर्लफ्रेंड चुटकुला सुनाया और एक पैरोडी भी सुना दी...

सुनिधि खूब हंसी, ‘‘बेबी, यू आर डिफरेंट। मैं सुबह से वही आइटम नंबर देख-देखकर पक गई हूं। एटलीस्ट तुमने कुछ अलग कर दिखाया। क्यों रनबीर, क्या तुम्हें नहीं लगता शिप में अलग कैरेक्टर्स भी होने चाहिए?’’

रनबीर ने सिर हिलाया। संजय कुछ गंभीर दिखे, ‘‘लेडी, नॉट बैड। एक बात बताओ... तुमने मेरी मूवीज देखी हैं? विच वन यू लाइक्ड बैटर? द शाहरुख वन, द ऋतिक रोशन वन ऑर द वेरी फस्र्ट वन?’’

आमना ने सोचने में जरा भी वक्त नहीं लगाया, ‘‘सर... आई लाइक्ड धूम टू द बेस्ट। वह सबसे फास्ट और पेसी थी एंड द विलेन वाज सो वेरी गुड लुकिंग...’’

‘‘तुमने अभी कहा फास्ट और पेसी... आई एग्री। हमें अपने शिप पर ऐसे कैरेक्टर्स चाहिए जो टैंपो को फास्ट और पेसी बनाए। तुम्हारी कमेंट्री में वो बात नहीं। यहां मैं क्लास की नहीं, मास की बात कर रहा हूं...’’

आमना की आंखों में चमक दप से बुझ गई।

बाहर निकली। सोनिया धूप में बैठकर लेमन टी पी रही थी। आमना का चेहरा देखकर समझ गई कि उसका परफॉर्मेशन अच्छा नहीं हुआ। उसने बिना पूछे वेंडिंग मशीन से उसके लिए भी चाय निकाल ली। आमना ने टेट्रा गिलास हाथ में लिया ही था कि पीछे से एक बीसेक साल का अजीब सा दिखने वाला लड़का भागता हुआ उसके पास आया, ‘‘मैम... डोंट गो। सर वॉन्ट्स टु टॉक टु यू...’’

सोनिया ने समझा उसके लिए कह रहा हैश् पर उसका इशारा आमना की तरफ था। वह चौंक गई, ‘‘मैं? फॉर वॉट?’’

वे दोनों रुकी रहीं। एक घंटे बाद वही लड़का एक लगभग अधेड़ आदमी के साथ ऑडिशन रूम से बाहर निकला। आमना के पास आकर उसने बेतकल्लुफी से हाथ बढ़ाया, ‘‘आयम शिराज। मैं कैमरे के पीछे से तुम्हें देख रहा था। आई हैव ए जॉब फॉर यू...’’

शिराज उन दोनों को कैंटीन ले गया। कुछ हिचकिचाते हुए उसने कहा, ‘‘गल्र्स, देखो मैं कोई तोप नहीं हूं। सालभर पहले तक मैं एन.डी.टी.वी. में काम करता था। अब खुद का काम करता हूं। मैं सोनी के लिए दिल्ली में कॉर्डिनेट कर रहा हूं। इनफैक्ट इसके तुरंत बाद मैं चैनल कैपिटल के लिए एकमहीने का एक प्रोजेक्ट करूंगा। यह चैनल कॉमनवैल्थ गेम्स के दौरान एक रिएलिटी स्ट्रीट शो चाहता है। मैं उस प्रोग्राम के लिए एंकर ढूंढ रहा हूं। आई केन पे यू थर्टी थाउजेंड फॉर दैड। क्या तुम मेरे लिए काम करोगी?’’

आमना का मुंह खुला का खुला रह गया। उसने धीरे से कहा, ‘‘लेकिन सर... मैं यहां गेम्स के दौरान स्पोर्ट्स कवर करने आई हूं। आई थिंक मैं अपने को डायवर्ट नहीं करना चाहती। क्या मैं आपके चैनल के लिए स्पोटर््स कवर नहीं कर सकती?’’

‘‘नो लेडी... दैट्स ऑल। मेरा कार्ड रख लो। कल सुबह तक इरादा बदल दो, तो मुझे फोन कर लेना।’’

शिराज तुरंत उठकर चला गया। सोनिया ने उसके जाते ही आमना की पीठ पर जबरदस्त घूंसा मारा, ‘‘आर यू क्रेजी आमना? काम खुद चलकर तुम्हारे पास आ रहा है और तुम मना कर रही हो? कभी तो शुरुआत करोगी न? स्टुपिड गर्ल... क्रेजी...’’

आमना चुप थी। लौटने के बाद पाया कि वह अंदर से खुश है। चलो, कुछ तो काम मिला। यानी वह उतनी बुरी नहीं। आज पूरे दिन का अनुभव अच्छा रहा। अलग। तो ऐसी होती है मीडिया वालों की जिंदगी। सुबह से रात तक व्यस्त। पेसी और फास्ट...।

आंटी बाहर बैठी थीं, आरामकुर्सी पर। घर के बाहर उन्होंने काफी पौधे लगा रखे थे। कुछ जमीन पर, तो कुछ गमले में। हल्के नारंगी रंग का बोगनवेलिया पूरे शबाब पर था। एक तरफ क्रोटन्स, दूसरी तरफ कैक्टस। पैरों से थोड़ी दूर पर टुटू। अचानक अंदर से क्रिश भागता हुआ आया। आंटी को देख लपककर उनकी गोद में चढ़ गया और बड़े प्यार से उनकी उंगलियां चाटने लगा।

आमना एकदम आंटी के सामने लगी आई, ‘‘आप मुझे एक सलाह देंगी आंटी? मुझे एक काम मिल गया है, पर यह वो नहीं जिसके लिए मैं यहां आई हूं। कर लूं क्या?’’

आंटी ने ध्यान से उसका चेहरा देखा। दिनभर बाहर रहने से थोड़ा कुम्हला गया है, पर आंखें अब भी हमेशा की तरह निर्मल हैं।

आंटी ने उसे इशारे से अपने पास बुलाया और पास की कुर्सी पर बिठा लिया, ‘‘देखो बेटी... काम कोई अच्छा-बुरा नहीं होता। तुम दूसरे काम का इंतजार करती रहोगी, तो यह भी हाथ से निकल जाएगा। फिर अपने मन का करने के लिए तो पूरी उम्र पड़ी है न...’’

लग रहा है जैसे अम्मी कह रही हों यह बात। आमना ने सिर हिलाया, ‘‘सही है आंटी... मैं कल सुबह उन्हें फोन कर दूंगी। मुझे अभी बहुत कुछ सीखना है यहां...। एक बात बताइए आंटी... आप ये जो काम कर रही हैं, वो आपके मन का है कि नहीं...?’’

आंटी हंसी, ‘‘मैं इन सबसे ऊपर उठ चुकी हूं बच्ची। हां, यह बता सकती हूं कि मैं इस काम से नाखुश नहीं हूं।’’

‘‘और यह घर जिसके नाम है... एम.एल.ए. साहब... वो कहां रहते हैं?’’

‘‘आंटी के होंठो पर हल्की सी मुस्कान आई, मैंने यह घर उनसे खरीदा था। मेरा घर दिल्ली में था। कुछ बातें हो गईं कि बेचना पड़ गया। यहां कम कीमतें थीं तीन साल पहले। मैंने ले लिया। गुजारे के लिए सोचा, क्यों न पेइंग गेस्ट रख लूं। बस... जिसके नाम पर यह घर था, उसकी नेम प्लेट रहने दी। इस इलाके में ऐसे नामों से बहुत फायदा मिल जाता है। मैं सबसे कहती हूं वो मेरा ममेरा भाई है... पर सच बात है कि उससे दूर-दूर का कोई रिश्ता नहीं...’’

‘‘पॉलीटिक्स से भी नहीं?’’ आमना ने यूं ही पूछ लिया।

आंटी के चेहरे का रंग उड़ गया। वे चुप हो गईं। आमना ने फिर कुछ नहीं पूछा।

काम दिलचस्प था। राजधानी में गेम्स की वजह से जो भीड़ का सैलाब उमड़ आया था, उनके बीच बिछड़ों को मिलाना, दोस्तों का पता देना और इधर-उधर की बातें करना।

रोज एक घंटे का लाइव शो था। शो शुरू हुआ एक अक्टूबर को। गेम्स से दो दिन पहले। इंडिया गेट पर तगड़ी सिक्योरिटी थी। वहां वह दो ही लोगों से पूछ पाई कि क्या वे इन गेम्स के दौरान अपने किसी दोस्त से मिलना चाहेंगे? वे दोनों दिल्ली के ही थे, दोनों ने अपने कुछ दोस्तों के नाम गिनवा दिए। फिर वह ओबी वैन लेकर पहुंची दिल्ली यूनीवर्सिटी। वहां खासी गहमागहमी थी। कुछ स्टूडेंट्स ने उसे नाचकर दिखाया, तो किसी ने डंब शेराड करके। किसी को अभिषेक बच्चन से मिलना था, तो किसी को अपनी स्कूल फ्रेंड श्यामली से। उसने अपना नाम, पता और फोन नंबर दिया कि श्यामली अगर तुम यह लाइव शो देख रही हो, तो प्लीज मुझे फोन कर लेना। लेट्स हैव फन...

बुरी तरह थक गई। पर खूब मजा आ रहा था। कनॉट प्लेस के पास उसे शर्मा दंपती ने, जिनका उठारह साल का बेटा मेट्रो में उनके साथ चढ़ नहीं पाया। उसके लिए संदेश भेजा। वह लौटकर स्टूडियो आई, तो शिराज उत्तेजित था, ‘‘आमना, वी हैव डन इट। शर्माज को अपना बेटा मिल गया है। उस लड़के ने अभी अपने टोल फ्री नंबर पर फोन किया था... इन इज वर्किंग...’’ चेहरा उत्तेजना से लाल, शिराज ने इतनी जोर से आमना को गले लगाया कि उसकी चीख निकल गई, ‘‘रिलैक्स सर। कल से मैं और भी अच्छा काम करूंगी...’’

सो... दिस इज लाइफ... उत्तेजना और चुनौतियों भरा दिन। नोएडा के सेक्टर सोलह में उसके चैनल का स्टूडियो था। रात लौटी तो देर हो गई थी। आंटी को पता था, कम से कम उसके लिए खाना निकालकर रखेंगी। उन्हें पटाकर एक कप कॉफी भी बनवा लेगी।

मेट्रो में बैठी ही थी कि उसके भाई फैजल का फोन आ गया, ‘‘आमना, तेरा शो यहां भी दिख रहा है। अम्मी बहुत खुश हैं। देख आमना, बोलते समय इतना सिर मत हिलाया कर। बाल ये क्या भूतनी की तरह खोल रखे थे? बांधकर रखाकर... ओके? मैं कल सुबह आ रहा हूं दिल्ली। ऐसे ही, तेरा मॉरल बढ़ाने... अरे, तेरे साथ थोड़े ही रहूंगा? मेरे कॉलेज की फ्रेंड रेवती की फैमिली वहीं रहती है, मैं वहां रह लूंगा।’’

फैजल का आना यानी सिरदर्र्दी। अभी से फोन पर इतने आदेश दे रहा है, तो सामने मिलने पर क्या होगा?

घर पहुंचते-पहुंचे दस बज गए थे। आंटी के कमरे की सारी बत्तियां जल रही थीं। गेट खुला था। वह अंदर पहुंची, आंटी की तलाश में। कमरे में आंटी पलंग पर आलथी-पालथी मारे बैठी थीं और उनके बिल्कुल सामने कुर्सी पर छोटे कटे बालों वाली महिला बैठी थी। उम्र में आंटी से कुछ कम। लेकिन चेहरा बेहद थका हुआ, मुरझाया सा। हाथ में सिगरेट। तिपाई पर दो वाइन के गिलास रखे थे, अधभरे। उसे देखकर आंटी मुस्कराई, ‘‘आजा आमना... हमने देखा तेरा शो। सोनिया ने सबको दिखाया। अच्छा था। क्या वाकई तुम बिछड़े लोगों को मिलना रही हो?’’

आमना आंटी के पास बैठ गई, ‘‘आंटी, आपको पता है, शर्मा कपल को उनका बेटा मिल गया। उसने फोन किया था हमारे ऑफिस...’’

आंटी चुप रहीं, फिर सामने बैठी महिला से बोलीं, ‘‘हमें भी ढूंढना चाहिए...’’

‘‘किसे आंटी...?’’ आमना उत्सुक हो उठी।

आंटी न जाने कहां गुम थीं। वाइन का एक लंबा घूंट भरकर बोलीं, ‘‘हम तीन फ्रैंड्स थीं। शाम को जब से यह आई है, हम दोनों उसी तीसरी को याद कर रहे हैं।’’

आमना ने देखा, आंटी की दोस्त की आंखें बंद थीं। किसी जमाने में सुंदर रही होंगी ये आंखें। त्वचा में ढीलापन है, आंखों के आसपास कितनी झुर्रियां। ढीली पैंट और स्लीवलैस कमीज में ढलका सा बदन। आमना ने देखा हमेशा दूर बैठने वाला टुटू आंटी की दोस्त से बिल्कुल सटकर बैठा है। उनका एक हाथ टुटू के बालों को सहला रहा है।

आमना ने धीरे से कहा, ‘‘आप मुझे उनका नाम और पता दे दीजिए। मैं शो के बीच में कभी अनाउंसमेंट कर दूंगी। यहीं दिल्ली में रहती हैं वो?’’

आंटी ने सिर हिलाया।

तीनों चुप रही। आंटी ने धीरे से पूछा, ‘‘वाइन लोगी?’’

‘‘ना आंटी... इस समय कॉफी पीने का मन हो रहा है। आपका सर्वेंट बना देगा? आप दोनों दोस्त बात कीजिए। मैं डिस्टर्ब नहीं करूंगी...’’

आंटी ने कुछ कहा नहीं। पता नहीं क्यों आमना को वे विचलित लगीं। हमेशा की तरह नहीं। कोई तो बात थी? उस तीसरी दोस्त की याद?... उनके बिस्तर पर सुबह के अखबार फैले पड़े थे। पहले पन्ने पर खबर थी- विधायक सुशील कुमार की हत्या के जुर्म में उनकी पूर्व प्रेमिका अस्मिता और उनके भाई को आजन्म कैद की सजा सुनाई गई।

कुछ पढ़ी-पढ़ी सी खबर है। उन दिनों आमना एम.ए. फाइनल में थी। अखबार और टीवी चैनलों ने कई दिनों तक सुशील कुमार की हत्या को उछाला था। कुछ अवैध रिश्ते और प्रेम का मामला था। बुरे काम का बुरा नतीजा... आमना सिर झटककर कमरे से बाहर निकल आई।

क्रमश..