औरतें रोती नहीं
जयंती रंगनाथन
Chapter 23
आने से पहले बस उसे दिक्कत हुई थी फैजल से। फैजल अलग था। पढ़ने में ठीक था। पर जब यहां इंजीनियरिंग में उसे कहीं दाखिला नहीं मिला, तो अब्बा ने उसे दुबई के बिट्स पिलानी में इंजीनियरिंग करने भेज दिया। कई गुना ज्यादा खर्च। पर अब्बा चाहते थे कि फैजल इंजीनियर बने। दो साल पहले वह वहां से डिग्री लेकर लौट आया। अब्बा कहते रहे कि वहां नौकरी मिल रही है, तो वहीं कर लो। पर नहीं... पता नहीं क्या करना चाहता है? अब्बा का किताबों का बिजनेस कोई इतना बड़ा नहीं कि फैजल उनके साथ काम करने लगे। उसकी पढ़ाई में अब्बा के बीस लाख रुपए लग गए। अम्मी ने उससे शेयर किया था कि अब कुछ नहीं बचा अब्बा के पास। दोनों की शादी हुई, तो कर्जा लेना पड़ेगा। आमना को गुस्सा आ गया, ‘‘आप लोग कर्ज लेकर शादी करोगे हमारी? इट्स नॉट नीडेड अम्मी... प्लीज, आपने मुझे इस तरह तो नहीं पाला कि मैं आपसे निकाह में लाखों खर्च करवाऊं।’’
अम्मी थोड़ी गमगीन हो उठीं, ‘‘आमना... मैं नहीं चाहती। मैंने तुम्हारे लिए ऐसा कोई ख्वाब भी नहीं देखा। पर कुछ तो हो हाथ में। मुझे लगा था फैजल कमाने लगेगा, तो हालत थोड़ी दुरुस्त हो जाएगी। पर जाने जनाब के मन में है क्या?’’
फैजल इलाहाबाद में ही एक कोचिंग सेंटर में पढ़ाने लगा। घर में रहता, तो हर समय आमना को टोकता रहता, ‘‘तुमने क्या कपड़े पहन रखे हैं? रात को इत्ती देर से घर कैसे लौट रही हो? दूसरी लड़कियों की तरह चुपचाप शादी कर सेटल क्यों नहीं हो जातीं? ये क्या जर्नलिस्ट बनने का भूत सवार हो गया है? क्या तीर मार लोगी? बरखा दत्त बनोगी क्या?’’
अम्मी परेशान होतीं, ‘‘फैजल चुप हो जाओ। क्यों मेरी बच्ची के पीछे पड़े हो? इतनी पाबंदियां तो मेरे भाई ने भी मुझ पर नहीं लगाई थीं। खुदा के वास्ते बेटा, हम इक्कीसवीं सदी में भी दस बरस आगे निकल चुके हैं। इंडिया सुपर पावर बन गया है और तुम्हारी सोच वहीं की वहीं है...’’
जब भी अम्मी उसका पक्ष लेतीं, फैजल और नाराज हो जाता। उसके दिल्ली आने की बात पर तो उसने हाय-तौबा मचा दी, ‘‘अब्बा, क्या सोचकर आमना को अकेले दिल्ली भेज रहे हैं?’’
अब्बा ने शांत आवाज में कहा, ‘‘जब तुम्हें दुबई भे सकता हूं, तो क्या आमना को दिल्ली नहीं भेज सकता? चुप हो जाओ फैजल। तुमने चाहा दुबई जाकर पढ़ाई करना, मैंने तुम्हें भेज दिया। अब आमना अपने लिए कुछ सोच रही है, तो मैं उसे रोकूंगा नहीं। समझदार है वह। अपना ख्याल रख लेगी...।’’
फैजल भड़क गया, ‘‘आप लोग हमेशा वही देखते हैं, जो आपको देखना होता है। मैं बाहर गया हूं। मुझे पता है, बाहर की दुनिया में लड़कियां किस तरह बहक जाती हैं। डैड... दुबई में लड़कियों को किस बात की कमी है, बताएं... वहां मैंने उन्हें ऐसे-ऐसे काम करते देखा है, कि बस... मैं कहता हूं कि आमना को जो करना है बनना है, यहीं करे। वह दिल्ली नहीं जाएगी, बस्स...’’
आमना ने देर से अपने को जब्त कर रखा था, वह कुछ कठोर आवाज में बोली, ‘‘फैजल, मेरी जान लो कि मैं क्या करना चाहती हूं। मैं तुमने राय नहीं मांग रही। मगर तुम मेरी मदद नहीं कर सकते, तो कोई बात नहीं। कम से कम मेरी राह में रोड़ा तोन बनो।’’
आमना चली आई। अम्मी जब उसके साथ हैं, तो वह जमाने से लड़ लेगी। बस किसी तरह उसे दिल्ली से अपनी दोनों रूममेट्स को पटाना होगा। ऐसे ऊब के माहौल में रहने की उसे आदत नहीं।
शाम को वह कमरे में लौटी, तो सोनिया तेज म्यूजिक चलाकर अपने कपड़े प्रेस कर रही थी। आमना कोदेख कुछ रूठी सी आवाज में बोली, ‘‘प्लीज, अब तुम भी यह मत कहना कि तुम्हें लाउड म्युजिक नहीं पसंद। ’’
आमना मुस्कराई, ‘‘नो प्रॉब्स... मुझे हर तरह का म्यूजिक पंसद है। इनफैक्ट अपने घर में वल्र्ड स्पेस सबसे ज्यादा मैं ही सुनती हूं...।’’
सोनिया थोड़ी सहज हुई, ‘‘हां, आंटी भी चलाती हैं। पर हमेशा वही गजलों वाला म्यूजिक चैनल फलक या पुराने हिंदी गानों का फरिश्ता।’’
‘‘मेरे अब्बा भी फलक के दीवाने हैं... खासकर ये जो नया पाकिस्तानी गजल सिंग है, जिसने ‘इस जिंदगी का वजूद तुमसे है’ गाया है... वो राशिद अब्बास... वो तो मुझे भी पसंद है। मैं सब चैनल सुनती हूं, स्पिन मेरा फेवरेट है...’’
‘‘ओह रियली! मुझे भी पसंद है स्पिन। खासकर सैटरडे नाइट ऐट टु टेन वाला शो। थैंक गॉड... तुम म्यूजिक की शौकीन हो।’’ सोनिया के चेहरे पर राहत के भाव आए।
आमना ने सोनिया को ध्यान से देखा। अच्छी हाइट, खुला सांवला रंग, स्लिम देहयष्टि, बस बाल थोड़े रूखे और बेरंग हैं। आवाज भी ठीक है। चेहरे पर सबसे ज्यादा आकर्षित करती है उसकी छोटी सुतवां नाक। दाहिनी भौंह पर उसने छोटी सी बाली पहन रखी है, नाभि पर टैटू है।
सोनिया मुस्कराई, ‘‘क्या देख रही हो यार? टू मच लग रही हूं क्या?’’
आमना हंसी, ‘‘कूल लग रही हो बेबी। आई लाइक इट। मुझे तुमसे कुछ टिप्स लेने चाहिए...।’’
दोनों हंसने लगीं। एकदम से अजनबीयत की दीवार ढह गई। आमना ने उठकर म्यूजिक और तेज कर दिया। दोनों थिरकने लगीं। एक-दूसरे का हाथ पकड़कर नाचने लगीं और नाचते-नाचते बिस्तर पर गिर गईं। आमना की आंखों में आंसू थे, इतना तेज जो हंसी थी! सोनिया ने उसका हाथ पकड़ रखा था और बहुत कोमल आवाज में बोली, ‘‘यॉअर हैंड्स आर सो सॉफ्ट। क्या करती हो भई?’’
‘‘कुछ नहीं करती... इसलिए...’’
फिर हंसी... कमरा भर गया दोनों की आवाज से। बहुत दिनों बाद लग रहा था जैसे सच में कोई रहता हो कमरे में।
आंटी नीचे अपने दो नेपाली रसोइयों से खाना बनवा रही थीं। उन दोनों की हंसी की आवाज नीचे तक आ रही थी। आंटी के पैरों के पास बैठा टुटू कान खड़े कर इधर-उधर देखने लगा।
आंटी को अच्छा लगा। आमना को कमरे में जगह देकर गलत नहीं किया। वाकई साफ और मस्त लड़की है।
तीसरे ही दिन आमना को लग गया कि राजधानी में कुछ करना आसान नहीं। अपने शहर में वह खास थी, यहां तो आम भी नहीं है। उससे स्मार्ट, मेहनती, तेज और सुंदर युवा मीडिया में काम पाने को लाइन में लगे खड़े हैं। उनके सामने तो कहीं नहीं ठहरती वो। हिंदी ठीक-ठाक है, उसे लगता था कि अंग्रेजी भी अच्छे से बोल लेती है। पर यहां के लिए तो बिल्कुल नाकाफी है। सोनिया को देखो, मॉडल है, पर हर समय सिर्फ अंग्रेजी में बात करती है। आंटी से भी मुश्किल से हिंदी में बोलती है। आंटी भी समझती हैं, बल्कि कई बार तो उनके संग इंग्लिश बोलने लगती हैं। अपने किसी मित्र से कोई फायदा न हुआ उसे। अगले दिन मंदिरा के घर गई तो रहा-सहा भ्रम टूट गया। मंदिरा ने हाल में शादी की थी, चैनल टेन के एक एक्जीक्यूटिव प्रोड्यूसर से। मीडिया जगत में खास नाम था उसका। आमना एक तरह से उससे मिलने के लिए उत्सुक थी। रमेश पेंढारकर। पांच साल से उसे न्यूज कवरेज करते देखती आई है। दिखने में स्मार्ट, बोलने में तेज-तर्रार। मंदिरा की किस्मत पर उसे रश्क हो आया। रमेश की बीवी... वाह! एक ही प्रोफेशन में हैं दोनों, कितना मजा आता होगा काम करने में!
इलाहाबाद में जर्नलिज्म के कोर्स में मंदिरा उसकी सीनियर थी।
तो यह होता है इनका असली रूप... मंदिरा और उसके हजबैंड रमेश से मिलकर लौटते समय यही ख्याल आया था आमना के मन में। संडे की दोपहर। आमना मेट्रो से ही पहुंची थी मंदिरा के घर। मंदिरा पहले से दुबली हो गई थी। आमना को उम्मीद थी कि उसे देखकर मंदिरा खुश होगी, पुराने शहर की पुरानी परिचित।
रमेश वहीं था कमरे में। लगातार अपने थर्ड जेनरेशन मोबाइल पर बात करते हुए। कानों में ब्लू टूथ। रमेश की आवाज सख्त थी। मुंह से गालियां, वो भी लगातार।
मोबाइल रखने के बाद उसने उसी रौ में मंदिरा से कहा, ‘‘तुम तैयार नहीं हुईं? हाउ मैनी टाइम्स आई हैव टु टेल यू... मुझे बिल्कुल नहीं पसंद हर समय तुम फ्रैंड्स को बुला लेती हो। इतना अनप्रोफेशनल रवैया है तुम्हारा। चलो, पांच मिनट में पहुंचो नीचे। मैं गाड़ी निकालता हूं।’’
मंदिरा ने धीरे से कहा, ‘‘रमेश आई हैव टोल्ड यू... शी इज आमना, माई इलाहाबाद फ्रेंड।’’
‘‘ओह...’’ रमेश ने एक नजर आमना पर डाली और कुछ ठीक सी आवाजमें बोला, ‘‘सॉरी... इनफैक्ट बहुत बिजी शेड्यूल है हमारा... कॉमनवैल्थ गेम्स तक। फिर कभी मिलते हैं फुर्सत से...’’
‘‘रमेश... इनफैक्ट मैं भी इसीलिए दिल्ली आई हूं। कॉमनवैल्थ कवर करने... आप...’’
रमेश झल्ला गया, ‘‘ओह नो... नॉट एनअदर वन... मैं कल ही अपने कलीग से बात कर रहा था इस बारे में। लगता है कॉमनवैल्थ गेम्स के लिए जितने खिलाड़ी हैं, उससे ज्यादा मीडियाकर्मी हैं। गो बैक लेडी... कैपिटल डज नॉट नीड यू...’’
आमना स्तब्ध रह गई। मंदिरा ने धीरे से टहोका, ‘‘मुझे जाना होगा आमना... दो-तीन दिन बाद फोन करूंगी तुम्हें। देखती, क्या हो सकता है। पर रमेश सच कह रहा है, मीडिया के लिए सारे पास अलॉट हो चुके हैं। फिर तुम्हारे पास किसी बड़े मीडिया हाउस का प्रेस कार्ड भी तो नहीं है। बहुत मुश्किल है आमना... एनीवे... आई विल ट्राई...’’
इस बीच नौकर चाय बनाकर दे गया। दोनों ने खड़े-खड़े चाय की और बस...
मन किया कि खूब रोए। ऐसा कैसे हो सकता है? कितने अरमानों के साथ वह दिल्ली आई है, ऐसे कैसे कवर नहीं कर पाएगी वह कॉमनवैल्थ गेम्स? क्यों नहीं मिलेगा उसे पास?
उसका दिल बैठने लगा। कैसे मिलेगा पास? वाकई उसकेपास तो ढंग का प्रेस कार्ड भी नहीं। पता नहीं कब आंखों से आंसू गिरने लगे। मैट्रो में कोने की सीट पर बैठी। उसने परवाह नहीं की। देखते हैं लोग तो देखें। वह दुखी है, तो रोएगी ही।
सोनिया ने सबसे पहले भांपा, ‘‘समथिंग रॉन्ग बेबी?’’
आमना ने नहीं में सिर हिलाया। उसे क्या बताना? कल वह फिर कोशिश करेगी। इंडियन एक्सप्रेस में किशोर काम करता है, बल्कि स्पोटर््स ही देखता है, वह जरूर कुछ कर सकता है।
आंटी ने स्पेशल खाना बनाया था। संडे स्पेशल। चिकन बिरयानी और रायता। इसके बाद आइसक्रीम। आंटी के घर में सात लड़कियां बतौर पेइंग गेस्ट रह रही थीं। उसे छोड़ बाकी सब या तो नौकरी कर रही थीं या पढ़ रही थीं। डाइनिंग रूम में चहल-पहल थी। इन सबके बीच आंटी का छुटकू कुत्ता क्रिश फुदक रहा था। कोई उसकी तरफ बिरयानी की रसपगी हड्डी फेंक रहा था, तो कोई उसे पास बुलाकर दुलार रहा था।
आमना की हालत टुटू जैसी थी। एक कोने में बैठकर चुपचाप प्लेट में थोड़ी सी बिरयानी डाल खाने लगी। आंटी ने भी देखा, आज बच्ची चहक नहीं रही। धीरे से उसके पास आकर बोली, ‘‘ऐसा ही होता है बच्ची। दिल छोटा मत करो। बन जाएगा तुम्हारा काम। बस सब्र से काम लो।’’
आमना की सूख गई आंखें फिर भर आईं। आंटी को कैसे पता चला... आंटी का एक हाथ पकड़ वह जरा सा मुस्कराई और प्लेट में ढेर सी बिरयानी डाल ली। सोनिया टीवी के सामने जमी बैठी थी। आमना उसकी बगल में आकर बैठ गई, ‘‘बडी... तुम्हारा शहर बहुत जालिम है... एकदम जालिम लोशन... अच्छे भले लोग भी यहां आकर बदतमीज हो जाते हैं। दे सक... एंड सिंक...’’
‘‘हुआ क्या?’’ सोनिया की आवाज गंभीर थी।
आमना ने कम शब्दों में पूरी बात बताई। यह भी कि रमेश इज एक डॉग...
‘‘डॉग मत बोल... आंटी के यहां रहते हुए मैं भयंकर डॉग लवर हो गई हूं। इसलिए कोई सही सी गाली दो, पर कुत्ता नहीं...’’ रुककर जोड़ा सोनिया ने, ‘‘यू आर राइट आमना। इस शहर के लोग कुछ ज्यादा ही अक्खड़ और बददिमाग हैं। लेकिन इनकी गलती नहीं। काम का प्रेशर इस कदर रहता है कि कोई क्या करे? शो ऑफ भी है। वैसे एक बात तो है... रमेश गलत नहीं कह रहा। इस शहर में मीडिया के लोग जरूरत से ज्यादा हो गए हैं। यहीं हमारी कॉलोनी में कम से कम सौ जर्नलिस्ट रहते हैं। रमेश की टोन तुम्हें अखर गई होगी... पर एटलीस्ट एप्रीशिएट कि उसने तुम्हें सब्जबाग नहीं दिखाए। जो सच था, मुंह पर कह दिया।’’
आमना सोचने लगी...
सोनिया ने बिरयानी का एक कौर मुंह में भर लिया और चबाने के बाद बोली, ‘‘देखो आमना, तुम दिल्ली आई हो कुछ करने। पर उस कुछ को पाने के लिए हो सकता है, तुम्हें नए रास्ते बनाने पड़ें। यह मत सोचो कि यहां आते ही तुम्हें तुरंत काम मिल जाएगा। नो वे। मुझे देखो... मैं चंडीगढ़ से यहां आई थी यह सोचकर कि एयर होस्टेस बनूंगी। एयर होस्टेस का कोर्स भी किया, पर उससे पहले मुझे मॉडलिंग का काम मिल गया। अब मैं चाहती हूं कि फिल्मों में काम करूं। आई नो इट्स नॉट ईजी। पर कोशिश कर रही हूं।’’
अचानक सोनिया बोली, ‘‘यू नो आमना... परसों यहां सोनी चैनल वाले अपने नए रिएलिटी शो का ऑडिशन कर रहे हैं। वेरी इंट्रेस्टिंग कॉनसेप्ट। वो पिछले तीन साल से बिग बॉस चल रहा है न, कुछ-कुछ वैसा ही। पर सेलिब्रिटी की जगह ऑर्डिनरी पीपल को ले रहे हैं। पूरे दो वीक सिंगापुर के पास एक शिप में रहने का मौका मिलेगा। इनफैक्ट, सबको एक कैरेक्टर दिया जाएगा, जो उनको पंद्रह दिन तक निभाना होगा और उसकी शूटिंग होगी। आयम र्थिल्ड... एक बार अगर चांस मिल जाए न, तो बात बन जाएगी। यू विल बी ए नोन फेस। तुम चलोगी मेरे साथ ऑडिशन देने?’’
मेरे जर्नलिज्म कैरियर के साथ इस रिएलिटी शो का क्या संबंध? सोनिया की मंजिल अलग है, मेरी अलग। मैं क्या करूंगी वहां जाकर?
क्रमश..