Aashiqi - An Un Told Love Story 7 zeba Praveen द्वारा नाटक में हिंदी पीडीएफ

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Aashiqi - An Un Told Love Story 7

Chapter 11

(दीवांक गुस्से में सीधा पब जाता हैं इस बार वो किसी और पब में जाता हैं, दीवांक जब जसलीन को पब से निकाल कर अपने घर लाया था तभी उसकी झड़प उस पहले पब के लोगो से हो गयी थी लेकिन आज जब वो दूसरे पब में जाता हैं तो वहां पहले से ही वो लोग होते हैं और दीवांक को देखते ही पहचान लेते हैं, वो लोग सेठ को कॉल करते हैं:-

टीटू (फ़ोन पर ) "सेठ, वो लड़का मेरे सामने हैं जिसने जस्सी को भगाया था"

सेठ "क्या .....,साले को अपने पैर पर जाने मत देना, बहुत शौक हैं दुसरो की मदद करने का, आज के बाद से वो सिर्फ पछताना चाहिए, समझे"

दीवांक हमेशा की तरह इस पब में भी बिलकुल अकेले कोने में बैठा था, सेठ के लोग हॉकी स्टिक लेकर आते हैं और दीवांक पर पीछे से वार करते हैं, टीटू हॉकी स्टिक से उसके सिर पर ज़ोर से मारता हैं, दीवांक सिर पर हाथ रख कर खड़ा होता हैं और पीछे मुड़ कर देखता हैं, तभी सेठ के लोग उसे सामने से मारते हैं, दीवांक बेसुध होकर निचे ज़मीन पर गिर जाता हैं वो लोग उसे ले जाकर पहाड़ी से निचे फेंक देते हैं, दीवांक फ्लाईओवर पर जाकर गिरता हैं, दीवांक बुरी तरह घायल हो जाता हैं, लगभग वो कई घंटो तक वहां पर बेहोश पड़ा रहता हैं लेकिन कोई भी उसकी मदद करने नहीं आता हैं, उसी दिन आरुषि अपनी बहन का बर्थडे सेलेब्रट करने के लिए मुंबई से कोलकत्ता आ रही होती हैं, आरुषि और उसके ड्राइवर काका दोनों गाड़ी में बैठ कर आ रहे होते हैं, शायद किस्मत उन दोनों को फिर से मिलाना चाहती थी, आरुषि की गाड़ी भी उसी फ्लाईओवर से होकर गुजरती हैं )

रात हो चुकी थी, सिर्फ़ कुछ-कुछ देर पर एक दो गाड़िया चल रही थी, एक गाड़ी वाले ने उसे देखा भी तो वह पुलिस केस से बचने के लिए उसके पास नहीं गया, दीवांक फ्लाईओवर के कनारे बेहोश पड़ा था उसके सिर से बहुत खून बह रहा था जिसकी वजह से उसे पहचानना मुश्किल था आरुषि की गाड़ी भी वही से गुज़रती हैं, इससे पहले गाडी और आगे बढ़ती, आरुषि की नज़र खिड़की से बाहर जाती हैं, वो दीवांक को सड़क के किनारे पड़ा देख कर अपने ड्राइवर को गाड़ी रोकने को कहती हैं )

आरुषि "काका आगे गाड़ी रोकना"

(गाड़ी रोकते हुए) ड्राइवर काका "का हुआ बिटिया, सब ठीक तो हैं न "

आरुषि "नहीं काका, (इशारे करते हुए ) वहाँ सड़क के किनारे कुछ है शायद कोई इंसान? वह ज़िंदा भी हो सकता है, आप ज़रा देख कर आइये प्लीज कि वह ज़िंदा है या नहीं ...?"

काका "ठीक बा बिटिया,आप इहे पर रहो हम देख कर अभी आते है .... (दीवांक के हाथो को पकड़ कर देखने के बाद काका ज़ोर से चिल्लाते हुए कहते हैं) बिटिया ई तो ज़िंदा है....(वापस गाड़ी के पास आ जाते हैं)"

आरुषि "काका मैं एम्बुलेंस को कॉल कर देती हूँ, आप इसके साथ हॉस्पिटल चले जाइएगा ...."

(आरुषि के नज़दीक आते हुए) काका "बिटिया हम तो ईको जानत भी नहीं, फिर क्यूँ हम इसके लफड़े में पड़ रहे है, इ कोनो चोर या अपराधी हुआ तो ..."

आरुषि "काका हम नहीं जानते तो क्या हुआ, है तो ये भी इंसान ही ना, चाहे चोर या मुज़रिम क्यूँ न हो, अगर ये ज़िंदा है तो हमें इसकी मदद करनी चाहिए आप डरिये नहीं मैं आप के साथ हूँ, (फ़ोन से बात करने के बाद) मैंने एम्बुलेंस को कॉल कर दिया है बस वह आती ही होगी ....."

काका "बिटिया तो आप घर कैसे जाओगी, आप को कोनो दिक़्क़्क़त तो नाही होगा "

आरुषि "काका आप मेरी फिक्र मत कीजिये, मैं गाड़ी से चली जाउंगी, आप इसे हॉस्पिटल छोड़ कर आ जाइयेगा और जो भी खर्चा होगा मुझे फ़ोन कर के बता दीजियेगा...ठीक है काका ...और हाँ आप पुलिस की टेंशन मत लेना, वह भी अपना काम करने आएगी जो उनका फ़र्ज़ भी है, देखिये एम्बुलेंस के आने की आवाज़ आ रही है आप इसके साथ चले जाइएगा और मैं घर जा रही हूँ ...."

काका "ठीक बा बिटिया, आप अपना ध्यान रखना ...."

(आरुषि वहां से चली जाती है ,आरुषि का ड्राइवर भी दीवांक के साथ हॉस्पिटल चला जाता है, दीवांक को बहुत ज्यादा चोटे लगी हुई थी, उसे आईसीयू में रखा था, उसके जितने भी मेडिकल खर्चे थे आरुषि ने सारा पे कर दिया था, लगभग चार घंटे तक उसका ऑपरेशन चला उतने देर तक डाइवर काका उसके साथ ही थे और उसका होश में आने का इंतज़ार कर रहे थे, उधर आरुषि भी अपने घर पहुँचती हैं, उसकी बहन केक के पास खड़ी होकर उसका आने का इंतज़ार कर रही होती हैं, आरुषि को देखर उसकी छोटी बहन निशा कहती हैं "आरुषि दी, आपको पता हैं आप कितने लेट हो चुके हो, आप कभी भी टाइम पर नहीं आते, देखिये मेरी कुछ फ्रेंड्स वापस चली गयी हैं”

आरुषि "सॉरी स्वीट हार्ट, एक्चुली आप की दीदी एक ज़रूरी काम करते हुए आ रही हैं, उसी में टाइम लग गया था (गिफ्ट बढ़ाते हुए) वेल मेरी प्रिंसेस के लिए एक बयूटीफ़ुल तोहफ़ा"

निशा " वॉव दीदी थैंक्स, अब जल्दी आइये केक काटते हैं ”

आरुषि "हाँ …हाँ शुरू करो, एक मिनट, कोई सॉन्ग तो चलाओ यार, इतनी शांति में केक काटना चाहती हो"

निशा "दीदी आप को पता हैं टाइम कितना हो रहा हैं, हम लोग डांस करके थक चुके हैं”

आरुषि "ओह मैं ज़्यादा लेट हो गयी क्या”

दूसरी बहन पिंकी "दीदी ज़्यादा नहीं, बहुत ज़्यादा लेट हो चुके हो आप"

आरुषि "अच्छा चलो बस सॉन्ग चला देते हैं, डांस कोई नहीं करेगा, ओके निशु"

सब मिलकर निशा का बर्थडे सेलिब्रेट करते हैं, उसके बाद सब हॉल में ही आरुषि के साथ बैठ कर बातें करने लगते हैं,

आरुषि की माँ "आरुषि प्रोजेक्ट कैसा चल रहा"

आरुषि "मॉम पुणे का प्रोजेक्ट क्लियर हो चूका हैं मंडे से सब पुणे ही जाएंगे, मॉम पता हैं पुणे के प्रोजेक्ट में बहुत बड़े-बड़े सेलेब इंक्लूड हैं, और यह लगभग ट्वेल्व हंड्रेड करोड़ का हैं,मैं चाहती हूँ आप लोग भी मेरे साथ चले”

मॉम "बेटा हम चाहते तो हैं तुम्हारे साथ चलने के लिए लेकिन इस बार बिट्टू का फाइनल एग्जाम हैं और दस के बाद ही यह फ्री हो पाएगी"

आरुषि "हाँ निशु का तो फाइनल एग्जाम हैं और मैडम तुम्हारी तैयारी कैसी चल रही हैं"

निशा "दीदी....मेरी तैयारी तो बहुत अच्छी चल रही हैं, मेरी फ्रेंड्स आप का ऑटोग्राफ लेना चाहती हैं, वो सब मुझसे कब से रिक्वेस्ट कर रही हैं"

आरुषि "अच्छा जी, मैडम आप अपना पढाई पर फोकस रखिये, इस बार भी टॉप करने का इरादा हैं न आपका"

निशा "ओफ्फो दी, आप तो बस पढाई के बारे में पूछते रहते हो, मुझे एक्ट्रेस के बारे में बताओ न, वो लोग क्या खाती हैं जो मोटी नहीं होती है?"

आरुषि "उनके जैसा खाना तुम नहीं खा सकती हो अरे खाना से याद आया मॉम, अभी न मुझे बहुत ज़ोर से भूख लगी हैं, खाने में क्या हैं?

मॉम "आज का खाना सारा तुम्हारे पसंद का बना हुआ हैं, बिट्टू ने तुम्हारे लिए बनवाया हैं"

आरुषि (निशा को तकिया फेंक कर मरते हुए) "थैंक क्यूँ निशु"

पिंकी "दीदी, मुझे लाइव शूटिंग देखनी हैं, मैं चलूँ आपके साथ, मैने और निशु दी ने मिल कर डिसाइड किया हैं इस बार हम भी आप के साथ चलेंगे"

मॉम "छोटी तुम्हारा भी तो एग्जाम आने वाला हैं न, एग्जाम खत्म हो जाएगा तब हम सब चलेंगे"

पिंकी "ओह गॉड, एक्साम्स भी न पता नहीं क्यू आ जाता हैं बार-बार"

आरुषि (हसते हुए) "पिंकी माय डार्लिंग, पास तो हो जाओगी न इस बार "

पिंकी "ओह दीदी मत पूछो, पता नहीं क्या होगा इस बार...."

आरुषि "पापा, नानी के यहाँ से कब तक लौटेंगे"

मॉम "कल ही आने के लिए बोल रहे हैं, अगर तुम रुक गयी तो....लेकिन तुम कहाँ रुकने वाली"

आरुषि "मॉम आप तो जानती हो न, सब लोग रिहर्सल के टाइम एक साथ होते हैं अगर एक ने भी एब्सेंट कर लिया तो पूरा कांसेप्ट बिगड़ जाता हैं, जब तक कोई प्रोजक्ट पूरा न हो जाए तब तक हम में से कोई भी कहीं नहीं जाता हैं, वो तो निशु का बर्थडे था इसलिए थोड़ टाइम अर्जेस्ट करके आयी हूँ, पापा को बोल देना मुंबई आकर मिल ले, मैं टिकेट बुक कर दूंगी"

मॉम "इस बार हम सब आएंगे, मुंबई भी घूम लेंगे और तुम से भी मिल लेंगे, तुम्हारी नानी की तबियत ज़्यादा ख़राब हो गयी हैं कल परसो तक हम लोग भी मिल आएंगे उनसे"

आरुषि "ओह, नानी से बात हुई थी मेरी, आप उन्हें यही बुलवा लीजिये अच्छे से इलाज यही से होता रहेगा, यहाँ तो हमारे घर के पास ही अच्छे-अच्छे डॉक्टर्स हैं, पापा को बोल दीजिये लेते आएंगे"

मॉम "बेटा मैंने तो पहले ही बोल रखा हैं आने के लिए, अब देखो पापा कहते हैं तो आती हैं या नहीं, उनको अपना घर छोड़ने का मन नहीं करता हैं, लगता हैं जैसे कोई उनका घर लेके भाग जायेगा"

आरुषि "चलो न सब खाना खाते हैं, मॉम खाना लगवा दो न प्लीज"

मॉम "मैं अभी लेकर आती हूँ खाना"

निशा "दीदी आप लेट क्यू हो गए थे, आपने तो कहा था सेवन ओ क्लॉक आप पहुंच जायेंगे"

आरुषि "अरे हाँ, मैं तो तुम लोगो को बताना भूल गयी, हाइवे पर एक आदमी का एक्सीडेंट हो गया था, बुरी तरह इंजर्ड था, काका ने देखा तो वो ज़िंदा था, उन्हें मैंने हॉस्पिटल में एडमिट करवा दिया हैं बस उसी में टाइम लग गया था"

(खाना खाने के बाद सब लोग हॉल में ही बिस्तर लगा कर सो जाते हैं)

(हॉस्पिटल में दीवांक का ऑपरेशन लगभग चार घंटे तक चलता हैं, ऑप्रेशन ख़त्म होने के कुछ देर बाद ड्राइवर काका दीवांक के पास जाते है, दीवांक थोड़ा होश में होता है और कुछ बड़बड़ा रहा होता हैं आ...आ....आरुषि, ड्राइवर काका उसकी बड़बड़ाहट सुन रहे होते हैं, वह उससे बातें करने की कोशिश भी करते हैं लेकिन दिवांक कोई जवाब नहीं देता। कुछ देर बाद वह कोमा में चला जाता हैं, ड्राइवर काका रात होने की वजह से हॉस्पिटल में ही रुक जाते हैं और अगली सुबह ऑटो पकड़ कर आरुषि के घर पर आते हैं)

Chapter 14

सुबह छह बजे

(आरुषि का फ्लाइट सुबह दस बजे का हैं इस समय वो अपने गार्डन में वॉक कर रही हैं, तभी ड्राइवर काका वहां आतें हैं)

गार्डन में आते ही "बिटिया गुड मार्निंग"

आरुषि (एक जगह रुक कर) "मॉर्निंग काका, उस लड़के का क्या हुआ.......,वह ठीक तो है न और उसका कोई रिश्तेदार मिला "

काका "अरे नाही बिटिया पुलिस भी इहे कोशिश में लगी है, अभी तक कछु ना पता चला, उसके पास से उसका एको गो कार्ड भी न मिला जिससे उसके बारे में पता लगाया जा सके, बस ऊके मुँह से एक ही नाम निकल रहा था, शायद उ अपना पत्नी से बहुते प्यार करता था इसी के लिए उसी का नाम बोले जा रहा था "

(हसते हुए )आरुषि "अच्छा काका, तो क्या नाम बताया उसने अपनी पत्नी का ....."

काका "बिटिया उका आवाज़ तो साफ नाही थी लेकिन आप का जो नाम है न आरुषि, शायेद ऊके पत्नी का भी नाम वही होगा, ऊ एक दो बार बोला था बस ऊके बाद उ बेहोश होई गवा..."

आरुषि "काका जब तक उसके परिवार वालो का कुछ पता ना चले तब तक आप उसका ध्यान रखियेगा, इंसानियत से बढ़ कर और कुछ नहीं होता हैं, आप को अगर एक्सट्रा पैसे चाहिए तो मुझे बोल दीजियेगा मैं आप को दे दूंगी, ठीक है ..."

काका "अरे बिटिया, हमका पैसन की का ज़रूरत, तीन वक़त का खाना और रहना तो आप के इस घर में मिल ही जाता है और हमार परिवार में कोनो और तो है नाही, हम तो ठहरे अनाथ, आप जो बोलोगी उहे करूँगा बिटिया "

आरुषि "काका खुद को अनाथ बोल कर आप ने मुझे पराया कर दिया, मैं क्या आपकी बेटी नहीं .....,आप मेरे पापा के समान है, और खबरदार खुद को अनाथ बोला तो हम आप से कभी बात नहीं करेंगे "

(ड्राइवर काका को आरुषि की बातें सुन कर आँखों में आंसू आ जाता है, वह मुस्कुराते हुए कहते हैं) "बिटिया अब नाही बोलेंगे, अच्छा अब हम चलते हैं, ऑटो में थे तब उ डॉक्टर साहब ने कहा के दस बजे सारे रिपोर्ट मिल जायेगा, ऊके लिए हमका जाना होगा”

आरुषि "ठीक है काका जाइये और कुछ भी ज़रूरत पड़े तो मुझे बता दीजियेगा "

ड्राइवर काका " ठीक बा बिटिया "

(ड्राइवर काका नाश्ता करके हॉस्पिटल चले जाते है, आरुषि भी अंदर कमरे में जाकर वापस मुंबई जाने की तैयारी करने लगती हैं)

आरुषि लगभग दस बजे के करीब मुंबई के लिए फ्लाइट पकड़ लेती हैं, ड्राइवर काका उसे दीवांक से रिलेटेड सारी इनफार्मेशन देते रहते हैं, दीवांक कौमे में जा चुका था, आरुषि काका से कहती हैं की उसके घर वालो का पता लगा कर उसे उसके घर पंहुचा दे लेकिन अभी तक उसके माँ-बाप ने उसके मिसिंग की कोई कम्प्लेन नहीं की थी इसलिए पुलिस को भी उसके घर वालो को ढूँढना मुश्किल हो रहा था,

(फ़ोन पर) आरुषि "काका ऐसा कैसे हो सकता हैं, आपने न्यूज़ पेपर में तो मिसिंग की रिपोर्ट छपवाई थी न"

ड्राइवर काका "बिटिया हम गए थे उह न्यूज़ पेपरवा वाले किहाँ, उह तोह अब्भी तक छापिए दिया होगा, लेकिन उस नम्बरवा पर कोनो फोन-फान आया नहीं हैं"

आरुषि "ओफ्फो काका आप से एक भी काम अभी तक सही से हुआ हैं, अरे ऐसे कैसे हो सकता हैं, पुलिस वाले ने क्या कहा आपको?"

ड्राइवर काका "बिटिया उह तो कह रहे हैं उस तारीख में कोनो मिसिंग की रिपोर्ट नाही हैं और नाही उससे पहले या फिर बाद में किया गया हैं तो अइसे में कइसे पता लगेगा की उह कौन हैं, तब तक पुलिस वाले बोले हैं उसको अस्पताल में ही रखने को और इ भी बोले हैं की अगर आप लोग इनका खर्चा नहीं उठा सकत हो तो सरकारी अस्पताल में डाली दो"

आरुषि "काका पैसे की टेंशन नहीं हैं, मेन उसे उसके फॅमिली वाले मिल जाए तो सही रहता, अभी मैं फ़ोन रखती हूँ, कुछ पता चले तो मुझे बताइयेगा"

आरुषि "ठीक बा बिटिया, कल हम आपके नानी को लाने जात हैं, उह आपके डैडी के साथ आवेगी"

आरुषि “ठीक हैं, आप उसे ले आइये”

(आरुषि अपने रिहर्सल में बिजी हो जाती हैं, उसे तीन दिन बाद पुणे जाना होता हैं लेकिन उससे पहले वो अपने घर वालो से मिलने के लिए फिर से कोलकत्ता आती हैं)

continue .........