Chapter 8
उसी दिन शाम को,
(आरुषि की फ्रेंड्स उसके घर पर आती है और उसे साथ में मार्किट चलने के लिए ज़िद करने लगती है, आरुषि अपनी फ्रेंड्स को मना करती हैं लेकिन फिर भी वो सब उसे लेकर मार्किट चले जातें है, आरुषि बिलकुल उदास मन से साथ जा रही होती हैं, उसे दीवांक के बारे में सोच-सोच कर बहुत बुरा लग रहा था, आरुषि जैसे ही गली से निकलती हैं तभी उसी समय दीवांक भी किसी काम से अपने घर से निकलता है, आरुषि ने फ्रॉक सूट पहना था, दीवांक को बस उसका दुपट्टा दिखता है और वह समझ जाता है कि वह आरुषि ही है, वह ख़ुश होकर उसके पीछे जाता है ताकि उससे बात कर सके, आरुषि की फ्रेंड्स के साथ सौम्या भी थी, आरुषि को उदास देखकर उससे पूछने लगती है)
सौम्या "आरुषि तुझे क्या हो गया हैं, (अपने फ्रेंड्स को देखते हुए ) यार हम इसे ज़बरदस्ती लेकर आ गए है इसलिए ये हमसे नाराज़ है "
आरुषि "नहीं यार ऐसी कोई बात नहीं है, मुझे पता था मैं कितना भी मना कर लूँ तुम लोग लास्ट में मुझे मना ही लेते, बस ऐसे ही....."
आरुषि की फ्रेंड्स "बस ऐसे ही, चल झूट नहीं बोल, हमे पता है तेरी उससे लड़ाई हो गयी है न तभी तो वो तुझे मनाने के लिए तेरे पीछे-पीछे आ रहा है"
(चौंकते हुए) आरुषि "क्या, वो हमारे पीछे है, ओ शिट यार कोई भी उससे बात नहीं करना प्लीज......और ना ही कोई कमैंट्स पास करना...प्लीज़...प्लीज़"
सौम्या "आरुषि तु भी ना, देख तेरा दीवाना तेरे पीछे-पीछे आ रहा है और तू है की इतना भाव खा रही है, काश हमें भी कोई इतना चाहने वाला होता......."
(घबराते हुए ) आरुषि "यार सौम्या, मैं बाद में सब कुछ तुम लोगो को बता दूंगी लेकिन अभी प्लीज़ सब मेरी बात मान जाओ यार, प्लीज…..",
सौम्या "यार क्या हो गया आरुषि इतना अच्छा तो मौका मिला हैं इससे मज़ाक करने का और तू हैं की ....., ओके गाइस कोई भी हमारे जीजू से बात नहीं करेगा (सभी हॅसने लगते है) अब ठीक है ...."
आरुषि - "सौम्या .....थैंक्स, चलो अब सब, कुछ खरीदते है,
(दीवांक उन सब के पीछे ही आ रहा था, मार्किट में जाने के बाद आरुषि अपनी फ्रेंड्स का साथ छोड़ देती है ताकि दीवांक उसे न देख सके और वापस चला जाए, भीड़ की वहज से दीवांक पीछे ही रह जाता है, जब वह आरुषि को उसकी फ्रेंड्स के साथ नहीं देखता तो वह उसे मार्किट में हर जगह ढूंढने लगता है दरअसल आरुषि एक शॉप के पीछे छुप जाती है और खुद दीवांक पर नज़र रख रही होती है, दीवांक उसे ढूंढने के लिए हर शॉप में जाकर देखने लगता है एक शॉप पर उसे आरुषि की फ्रेंड्स दिखती है वो उन मे से सिर्फ सौम्या को जनता था )
(सौम्या के पास जाते हुए) दीवांक "सौम्या, आरुषि कहाँ है.....? वो आप सब के साथ ही आयी थी ना, कहाँ चली गयी, कुछ बताया उसने ? मैंने उसे पुरे मार्किट में ढूंढ लिया, बट......"
सौम्या "हाय दीवांक, आरुषि तो हमारे साथ ही थी लेकिन वो गयी कहाँ......,(अपनी फ्रेंड्स की तरफ देखते हुए ) गाइस तुम लोगो ने आरुषि को देखा है क्या, कहाँ चली गई इतनी जल्दी?"
फ्रेंड्स "नहीं यार, अभी तक तो हमारे साथ ही थी लेकिन इतनी जल्दी कहाँ चली गयी, उसके पास एक फ़ोन था, कॉल कर के देख..."
सौम्या "हाँ वो घर का फ़ोन लेकर आयी थी, मैं अभी कॉल करती हूँ"
(सौम्या आरुषि को कॉल लगाने लगती है, दीवांक भी वही पर खड़ा होता है, आरुषि शॉप के पीछे से सब कुछ देख रही होती है, उसका फ़ोन साइलेंट पर होता है, आरुषि फ़ोन उठती हैं)
सौम्या "हेलो आरुषि, कहाँ है तू...?,बिना बताये कहाँ चली गयी"
आरुषि "सौम्या मैं घर पर हूँ, एक्चुअली मेरी बुआ मिल गयी थी मार्किट में तो मैं उनके साथ वापस आ गयी, सॉरी यार तुम लोगो को बताया नहीं"
सौम्या -"क्या....?, तू घर पर है हम सब यहाँ पर तुझे ढूंढ रहे है, तूने हमें बताया क्यू नहीं, हम सब इतनी देर से परेशान हो रहे है, एक बार कॉल तो कर देती अच्छा सुन दीवांक भी यही पर है ...."
आरुषि- "यार मैं बताने वाली........."
(दीवांक, सौम्या के हाथो से फ़ोन ले लेता हैं)
दीवांक "हेलो आरुषि, तुम मुझसे बात क्यू नहीं कर रही हो, मैंने तुम्हे कई बार कॉल किया बट तुम्हारा नंबर बंद आ रहा हैं, तुम्हे पता हैं मैंने तुम्हारे लिए कई सारे लेटर्स भी लिखा है लेकिन तुमने एक का भी जवाब नहीं दिया, मैं काफी देर से परेशान हो रहा हूँ तुम से बात करने के लिए.....,कुछ जवाब दो आरुषि "
(दीवांक की आवाज़ सुन कर आरुषि के आंसू निकलने लगते है, बहुत हिम्मत कर के वो बोलती है) आरुषि -"सौम्या को फ़ोन दो प्लीज....."
दीवांक "नहीं पहले तुम्हें मेरी बातो का जवाब देना होगा"
आरुषि "दीवांक प्लीज........"
दीवांक "आरुषि आई लव यू " देखो अगर तुमने अभी जवाब नहीं दिया तो मैं तुमसे कभी बात नहीं करूँगा...."
(आरुषि फ़ूट-फ़ूट कर रोने लगती हैं और फ़ोन कट कर देती है)
दीवांक "हैल्लो....हैल्लो आरुषि, हैल्लो .....(दीवांक दुबारा उसे फ़ोन करता हैं लेकिन आरुषि फ़ोन का स्विच ऑफ कर देती हैं, दीवांक सौम्या की तरफ देखते हुए कहता हैं ) फ़ोन काट दिया उसने, उसे क्या हुआ हैं तुम लोग जानती हो पूछोगी ना प्लीज .....(रिक्वेस्ट करते हुए )"उसे क्या हुआ हैं...........सौम्या तुम उससे पूछना उसे हुआ क्या है, उसने ऐसा कभी नहीं किया आज से पहले, तुम उससे उसकेघर तो पूछ कर बताउंगी"
(सौम्या के फ़ोन में अपना नंबर डॉयल करते हुए) दीवांक "ये लो मेरा नंबर तुम मुझे पक्का पूछ कर बताना, मैं तुम्हारा इंतज़ार करूँगा "
सौम्या "ओके...... गाइस जल्दी-जल्दी शॉपिंग कर लो आज ही घर पहुंचना है हमें, बाय दीवांक ...."
(चलते हुए ) दीवांक "मैं कल तुम्हारे कॉल का इंतज़ार करूँगा"
(दीवांक वापस अपने घर चला जाता है, कुछ देर बाद आरुषि अपना आंसू पोंछकर अपने फ्रेंड्स के पास जाती है और सौम्या के गले लग कर रोने लगती है )
(चौकते हुए ) सौम्या "आरुषि तू तो घर पर थी ना, यहाँ कैसे आयी और तू रो क्यू रही है?"
(आंसू पोछते हुए) आरुषि "नहीं यार मैं यही थी....., दीवांक के जाने का वेट कर रही थी, चलो कुछ खरीदते है "
सौम्या "यार तू रो क्यूँ रही है, देख जल्दी बता हमें बहुत घबराहट हो रही है"
(थोड़ा मुस्कुराते हुए ) आरुषि "कुछ नहीं यार, मैं दीवांक की वजह से (इशारे करते हुए )उस शॉप के पीछे छुपी थी, अब वो जा चुका है, चलो हम सब शॉपिंग करते है",
सौम्या "आरुषि तेरा दिमाग तो ठीक है ना, बेचारा दीवांक इतना परेशान हो रहा था और तू उससे छुप रही थी, ये सब क्या है आरुषि?"
आरुषि "सौम्या....चलो छोड़ो उन बातो को, मुझे अब उस बारे में बात नहीं करनी गाइस चलो न कुछ खरीदते है ....."
सौम्या "नहीं आरुषि तुझे बताना होगा, देख दीवांक भी बहुत परेशान हो रहा था"
आरुषि "सौम्या प्लीज ज़िद ना कर, देख मैं तुझे सब कुछ बता दूंगी लेकिन बाद में, अभी तुम लोग शॉपिंग कर लो, मेरी वजह से तुम लोगो का टाइम लॉस हो गया हैं, सॉरी यार "
सौम्या "नहीं कोई बात नहीं, तुझे तो पता है ना हमारी आदते, अब बिना सुने हम यहाँ से कही नहीं जायेंगे"
(रोते हुए ) आरुषि "यार तुम लोगो को लग रहा हैं की मैं ये सब जान बूझ कर, कर रही हूँ, नहीं मैं बबिलकुल टूट चुकी हूँ, बहुत मुश्किल से खुद को संभाला है, दीवांक के साथ मैं जान बूझ कर लुक्का-छुप्पी का खेल नहीं खेल रही, बल्कि मैंने किसी से वादा किया है......."
फ्रेंड्स "वादा, किससे ...?"
आरुषि "दीवांक की माँ से (आरुषि उन सब को सारी बाते बताने लगती है )
सौम्या "ओ कमोन आरुषि, तू उसकी माँ की बातो में आकर उसके बेटे को ही सजा दे रही है जिससे तू खुद भी प्यार करती है ,यार कौन सी माँ चाहती है की उसके बच्चों का अफेयर चले, लेकिन फिर भी लोग प्यार करते है ना, यार तू क्यूँ कर रही हैं यह सब ....."
आरुषि - "बात सिर्फ उसकी माँ की नहीं है, बल्कि उसके फ्यूचर की भी है, यार वो मेरी वजह से अपना सब कुछ बर्बाद कर रहा है, उसकी माँ ने बहुत उम्मीद से मुझसे वादा करवाया है और मैं उनकी बातो को नहीं टाल सकती क्यूंकि जितना एक माँ अपने बच्चे से प्यार करती है ना उतना कोई भी नहीं कर सकता, बस कुछ दिनों की बात है फिर दीवांक भी मुझसे नफरत करने लगेगा ...."
सौम्या "देख आरुषि तेरी बात भी ठीक है लेकिन क्या तू खुद भी रह सकती है उसके बिना?"
आरुषि "मेरे लिए उसकी ख़ुशी से बढ़ कर कुछ नहीं है, अगर हमारा प्यार सच्चा है तो हम दुबारा ज़रूर मिलेंगे....."
(हसते हुए )सौम्या "आरुषि तू सच में बहुत महान है, इतनी बड़ी क़ुरबानी...ओ माय गॉड "
(मुस्कुराते हुए) आरुषि "यार सॉरी, तुम लोगो का मेरी वजह से टाइम ख़राब हो गया...,मैंने इसी लिए कहा था मुझे नहीं जाना मार्केट, लेकिन तुम लोग मेरी सुनती कहा हो"
(मज़े लेते हुए) सौम्या "अच्छा हुआ तुझे लेकर आ गए नहीं तो हमें पता कैसे चलता तू इतनी महान है, आरुषि मुझे दीवांक ने अपना नंबर दिया है और उसने बोला है तुझसे पूछने के लिए कि तू उससे बात क्यू नहीं करना चाहती और फिर मुझे उसे कॉल करके बताना होगा अब तू बता मैं उसे क्या बोलूंगी?"
(थोड़ा सोचते हुए) आरुषि "सौम्या तू उसे बोल दियो मुझे अब कभी भी उससे बात नहीं करनी और मुझे उसकी शक़्ल कभी नहीं देखनी, प्लीज ऐसा ही बोलना ....."
फ्रेंड्स "आरुषि तू गलत कर रही है यार, कोई और सोलुशन भी तो हो सकता है ना क्या किसी का दिल तोड़ना अच्छी बात है और वो भी ऐसे इंसान की जो सच में इतना प्यार करता हैं ...?"
आरुषि "कौन किस से कितना प्यार करता है ये तो वक़्त ही बता देगा और अगर हमारा प्यार सच्चा होगा तो हम दुबारा मिलेंगे न"
सौम्या "आरुषि, मैं तो ऊपर वाले से यही दुआ करुँगी की तुम दोनों कभी अलग ही न हो, गाइस अब हमें घर चलना चाहिए, हम बहुत लेट हो चुके है, आरुषि तू अपना ख्याल रखना"
आरुषि "तुम लोग जैसे दोस्त हो तो मुझे कुछ हो सकता हैं क्या, हाँ चलो सब अब घर चलते हैं"
(सभी अपने-अपने घर चले जाते है )
Chapter 9
अगले दिन दोपहर दो बजे
(सौम्या, दीवांक को कॉल करके सारी बाते बता देती है जैसा की आरुषि ने बोलने को कहा था, दीवांक को अब भी आरुषि पर विश्वाश था की वो उसके साथ ऐसा नहीं कर सकती, सुबह जब आरुषि अपने बालकनी में कपड़े डालने आती है तब दीवांक उसका पहले से ही इंतज़ार कर रहा होता है, आरुषि अपने कपड़े डाल कर वापस चली जाती है बिना दीवांक की तरफ देखे, आरुषि के इस बर्ताव से दीवांक को सौम्या की बातो पर थोड़ा विश्वाश होने लगा था, उसके मन में अलग-अलग से ख्याल आ रहे थे लेकिन उसे फिर भी यक़ीन करना मुश्किल हो रहा था, वह कई बार आरुषि से बातें करने की कोशिश करता है लेकिन हर बार आरुषि उससे दूर ही भागती है, आरुषि के इस बर्ताव से दीवांक कुछ दिनों तक डिप्रेशन में चला चला जाता है वो न तो किसी से बात करता और न ही अपने घर से बाहर निकलता था, दीवांक के माँ-बाप उसकी हरकतों से परेशान होने लगे थे उसकी माँ सब कुछ जानती थी फिर भी जब दीवांक के पापा उससे पूछते हैं तो वह उन्हें कुछ नहीं बताती, लगभग पांच दिन बाद दीवांक अपने घर से बाहर निकलता हैं और सीधा अपने दोस्तों के पास जाता हैं)
(दीवांक को देखते ही) दीवांक के दोस्त मयंक "और भाई सब बढ़िया, इतने दिनों से कहाँ था?, तेरा फोन भी बंद आ रहा था"
दीवांक"नहीं यार कुछ भी बढ़िया नहीं है"
रेहान "क्या हो गया भाई, गैलफ्रैंड नाराज़ हो गयी हैं क्या"
दीवांक "नाराज़ नहीं बल्कि उसने मुझे छोड़ दिया हैं"
मनीष "क्या हो गया.....,सब ठीक तो हैं, वो तो तुझसे बहुत प्यार करती थी न फिर सडन यह सब कैसे?"
दीवांक "पता नहीं उसे क्या हुआ हैं...,मुझसे बात करेगी तभी तो मुझे पता चलेगा न, मेरे सामने आती तक नहीं हैं"
नंदू "ओ तेर्री भाई का भी ब्रेकअप हो गया, यार मेरा भी कल ही हुआ है (दीवांक के कंधो पर हाथ रखते हुए ) यार ये लड़किया तो होती ही है धोखेबाज़ इसलिए मेरी चार-चार गिर्ल्फ्रेंड्स है जिसमे से कल एक के साथ ब्रेकअप हो गया लेकिन अब भी तीन है.....तेरी कितनी है?"
(अपने दोस्त का हाथ कंधे से निचे करते हुए ) दीवांक "भाई मेरी एक ही थी और अब उसने भी मुझे छोड़ दिया, यार मैं उस धोखेबाज़ को भूल नहीं पा रहा, कुछ भी करता हूँ तो उसकी याद आती हैं, अब तुम लोग ही कुछ आईडिया दो उसे भूलने का ....."
नंदू "यार, आज कल तो एक गयी और दूसरी आयी, तू चल मेरे साथ मैं तेरी सेटिंग करवाता हूँ...."
दीवांक " नहीं यार, अब मुझे किसी भी लड़की के प्यार में नहीं पड़ना, कोई और तरीका है तो बता....."
नंदू "भाई तू चल, मैं तुझे ऐसी चीज़ से मिलवाता हूँ की अगली बार से तुझे सिर्फ वही याद रहेंगी ....."
(नंदू उसे पब में ले जाता हैं और उसे शराब पिलाता हैं, पहले तो दीवांक पीने से मना करता हैं लेकिन जब नंदू जबरन उसके मुँह में डाल देता हैं तब से वह अपने आप ही लेकर पीने लगता हैं, उस दिन के बाद से दीवांक को शराब की लत लग जाती है, वो अक्सर उस पब में ड्रिंक करने जाया करता था वो इस बात से अनजान था के उसे वहां कोई फॉलो कर रहा था और वो थी जसलीन उसके स्कूल की एक लड़की जो न चाहते हुए भी उस पब की डांसर बन गयी थी, जब वो एर्थ क्लास में थी तभी उसके शराबी पिता उसे पब के ठेकेदार के हाथो बेच दिया था तब से आज तक उसने बाहर की दुनिया नहीं देखी, कई बार वहां से भागने की कोशिश की थी लेकिन हर बार उस ठेकेदार के लोग उसे पकड़ कर ले आते थे, दीवांक को देख कर उसे एक उम्मीद नज़र आने लगी थी लेकिन दीवांक उसे नहीं पहचान पाया था वो पब में अक्सर सबसे अलग एक कोने में बैठ कर ड्रिंक करता था लेकिन जब वो शराब लेने जाता तब जसलीन उसे देखती थी, दीवांक को पब जाते हुए पांच दिन हो चुके थे, आरुषि भी अपने आप को बिजी रखने के लिए अपने दोस्तों के साथ "रॉक म्यूजिक" नाम से अपना एक यूट्यूब चैनल बनाती हैं और अपनी नई-नई वीडियो उपलोड करती रहती हैं उसके दोस्त भी उसका बहुत साथ देते थे )
छटे दिन जसलीन, दीवांक से बात करने आती हैं,
(हाथ बढ़ाते हुए) जसलीन "हाय, आई ऍम जस्सी उर्फ जसलीन"
(दीवांक उसकी तरफ देखता भी नहीं हैं, जसलीन अपना हाथ नीचे कर लेती हैं, वो देखती हैं दीवांक उस शराब की बोतल को खोलने में बिजी होता हैं, वो उसे कुछ और कहती उससे पहले उसके पब के लोग उसे चारो तरफ से घेर लेते हैं, जसलीन गुस्से में अपने सेट के पास जाती हैं )
जसलीन "सेट यह सब क्या हैं, तू मुझे अपना काम नहीं करने देगा"
सेट "क्या….तू अपना काम कर रही थी, तेरा काम स्टेज पर नाचना हैं लोगों से हाय हेलो करने के लिए तुझे यहाँ नहीं रखा हैं"
जसलीन "तू उसे नहीं जनता वो कौन हैं,पर्सनालिटी से वो बहुत अमीर घर का लगता हैं और अगर ऐसे लोगो को पटा लिया न तो सोच तेरे इस पब को कितना फ़ायदा होगा"
सेठ "वो क्या हैं न हमें तुझ पर अब विश्वाश करना मुश्किल होता हैं, कही तू फिर से हमें चकमा देकर भाग गयी तो?"
जसलीन "यह सब पहले की बात हैं, अब मैंने इस जगह को ही अपना घर मान लिया हैं, यह जो तेरे टट्टू हैं न इन्हे कह दे मेरे और मेरे कस्टमर के बीच न आये"
सेट के लोग "वो तेरा कस्टमर हैं, देखने से तो तेरा पुराना यार लगता हैं"
(कॉलर पकड़ते हुए) जसलीन "तुझे तो एक घुसा मारने का मन करता हैं, तू ऐसे ही कह कर मेरे हर कस्टमर को भगा देता है, सेठ तू इसे कुछ कहता क्यूँ नहीं हैं?"
सेठ "चिट्ठु, जाने दे ......."
चिट्ठु "सेठ, जब यह भाग जाती हैं तो उसे ढूंढने में हमें प्रॉब्लम होती हैं"
सेठ "अबे,तुझे समझ नहीं आ रहा मैंने अभी क्या कहा हैं (जसलीन को देखते हुए)तू जा अपना काम कर"
जसलीन "थैंक्स सेठ(चिट्ठु के पास जाके) चल बे हट"
(जसलीन के जाने के बाद)
सेठ "तू लोग इस पर नज़र रख, बहुत तेज़ हैं यह"
जसलीन जब दीवांक के पास दुबारा जाती हैं तब तक दीवांक वहां से जा चुका होता हैं, वो अपने कमरे में जाकर एक पर्ची पर अपना नाम और फ़ोन नंबर लिख कर रख लेती हैं दीवांक को देने के लिए, वो उस दिन शाम तक दिवांक का इंतज़ार करती हैं लेकिन दीवांक नहीं आता हैं, अगले दिन फिर दीवांक उस पब में आता हैं, जसलीन उसे देख कर खुश हो जाती हैं, दीवांक फिर से एक बोतल लेकर एक कोने में चला जाता है, जसलीन उसके सामने जाकर खड़ी हो जाती हैं)
जसलीन "हाय दीवांक, मैं जसलीन"
(थोड़ी देर सोचने के बाद) दीवांक "हाय"
(खुश होते हुए) जसलीन "दीवांक, तुमने मुझे पहचाना...."
(बिना देखे) दीवांक "तुम मेरा पीछा क्यूँ कर रही हो?"
जसलीन "नहीं….मैं पीछा नहीं कर रही, मुझे तुमसे कुछ बात करनी हैं"
दीवांक "लेकिन मुझे किसी से कोई बात नहीं करनी, तुम जा सकती हो"
(कागज़ का टुकड़ा देते हुए) जसलीन "यह मेरा नंबर हैं, अभी मैं कुछ भी नहीं कह सकती, यहाँ के सभी लोग मुझपर नज़र रखे हुए हैं, दीवांक मुझे तुम्हारी हेल्प चाहिए "
(दीवांक बोतल उठा कर, पीते हुए वहां से चला जाता हैं)
जसलीन "दीवांक प्लीज हेल्प मी .....दीवांक....दीवांक"
(दीवांक वहां से चला जाता है और अगले दस दिन तक उस पब में नहीं जाता, इस बीच आरुषि उसे कई बार मिलती हैं लेकिन हर बार वो दीवांक को अनदेखा करते हुए वहां से चली जाती है, जसलीन हर रोज़ दीवांक का इंतज़ार करती थी लेकिन हर शाम उसका निराशा से बीतता था, दीवांक जब ग्यारवे दिन जाता हैं तो जसलीन के दिल में फिर से एक उम्मीद जागने लगती हैं वो दीवांक से बात करने फिर जाती हैं लेकिन इस बार उसका सेठ भी देख रहा होता हैं इसलिए वो उससे बातें करने नहीं बल्कि डांस करते हुए उसे रिझाने जाती हैं, दीवांक उसकी तरफ नहीं देखता हैं, दीवांक उसकी हरकतों से इर्रिटेट होने लगा था जब वो दीवांक के कंधो पर हाथ रखती हैं तो वो उसका हाथ झिटक हुए उसको देखता हैं, जस्लीन के आँखों में आंसू था और होठों पर प्लीज हेल्प मी" ,दीवांक को लगा शायद यह लड़की सच में किसी मुसीबत में हैं इसलिए वो शांत होकर उसे देखने लगता हैं, जसलीन वो कागज़ का टुकड़ा जिसमे उसका नंबर लिखा हुआ था, दीवांक के हाथो में रख कर स्टेज पर डांस करने चली जाती हैं, दीवांक कुछ देर बाद वहां से चला जाता हैं और जाकर अपने घर के बेड पर लेट जाता हैं, सोचने लगता हैं कि वो पब की डांसर आखिर हैं कौन जो उसका नाम भी जानती हैं, वो उस नंबर पर कॉल करता हैं,
दीवांक "हेलो...."
जसलीन "हेलो दीवांक, दीवांक मैं जसलीन हूँ जिसे स्कूल में सब बोंदु नाम से बुलाते थे और मैं लास्ट बेंच पर बैठती थी, तुम्हे याद आया कुछ"
दीवांक "हाँ.......जसलीन तुम कितनी बदल चुकी हो, तुमने बीच में पढाई क्यूँ छोड़ दिया था?"
जसलीन "यार, क्या बताऊँ मेरी मम्मी के जाने के बाद मेरा साला पियक्कड़ बाप मुझे इस पब के सेठ के हाथो बेच दिया था और हमेशा मुफ्त कि शराब पीने आया करता था, बुड्ढा खुद तो पीते पीते मर गया और मुझे यहाँ मरने के लिए छोड़ गया, तब से मैंने आज तक बाहर कि दुनिया नहीं देखी हैं, दीवांक मैं इस नर्क से आज़ाद होना चाहती हूँ, जब से मैंने तुम्हे देखा हैं न तब से मुझे जीने की एक उम्मीद मिल गयी हैं, तुम मेरी हेल्प करोगे न यहाँ से निकलने में"
दीवांक "हाँ...हाँ मैं हेल्प करूँगा, लेकिन कैसे?"
(जस्लीन उसे अपने प्लान के बारे में बताती हैं)
दीवांक जसलीन की पूरी-पूरी मदद करता हैं, वो उसे वहां से निकाल कर कुछ दिनों के लिए अपने घर में रखता हैं, दीवांक की माँ उसे पसंद नहीं करती थी वो चाहती थी के वो जल्द से जल्द उसके घर से चली जाए, दीवांक इस बीच जसलीन के पासपोर्ट के लिए अप्लाई कर देता हैं, दीवांक जसलीन को छत्त पर ले जाता और जोर-जोर से हसी मज़ाक करता हैं ताकि आरुषि चिढ़ने लगे, कई बार आरुषि उन दोनों को हसी माज़क करते हुए देखती तो अपने घर की खिड़की बंद कर लेती, वो जानती थी के दीवांक उसे चिढ़ाने के लिए जान-बूझ कर ऐसा कर रहा था जस्लीन भी उसको पसंद करने लगी थी जब वो उसे एयरपोर्ट पर छोड़ने जाता हैं तब वो उसे अपने दिल कि बातें बताती हैं,
जसलीन "दीवांक, तुम बहुत अच्छे हो, तुमने जो मेरे लिए किया हैं न वो कोई भी नहीं कर सकता था, मैं तुम्हारी इसी अदा पर फ़िदा हो चुकी हूँ, यू नो जब से तुम्हे देखा हैं तुम मुझे उसी दिन से पसंद हो, तुम उन लड़को जैसे नहीं हो जो लड़कियों के पीछे भागता हैं, मुझे तुम बहुत अच्छे लगे"
दीवांक "मैंने तुम्हारी इसलिए हेल्प नहीं की के तुम मेरी क्लास में पढ़ती थी बल्कि उस दिन मुझे तुम्हारी आँखों में सच्चाई लगी, आज कल के लोग दिल में रह कर दिल तोड़ते हैं और पता भी नहीं लगने देते हैं, तुम बहुत अच्छी लड़की हो, तुम ने जितना सहा हैं लेकिन फिर भी हिम्मत नहीं हारी इसके लिए मैं तुम्हे सलाम करता हूँ, तुम्हारे लिए एक बहुत अच्छा फ्यूचर वेट कर रहा हैं, तुम मुझ जैसे लड़के की याद में अपनी लाइफ स्पोइल मत करना यह दिल किसी और का हो चुका हैं जिसमे अब किसी और के लिए कोई जगह नहीं हैं, आई ऍम सॉरी"
जसलीन "तुमने मुझे दुबारा ज़िन्दगी दी हैं मैं तुम्हारा इस एहसान को कभी नहीं भूलूंगी, मुझे यह जान कर बहुत ख़ुशी हुई हैं की तुम किसी से प्यार करते हो, मैं ऊपर वाले से दुआ करुँगी के तुम दोनों हमेशा एक साथ रहो"
दीवांक "थैंक यू जसलीन, तुम्हे जब भी ज़रूरत पड़े तो इस दोस्त को मत भूलना, मैं हमेशा तुम्हारी हेल्प के लिए रेडी रहूँगा"
जसलीन-“थैंक्स दीवांक”
(जसलीन दुबई के लिए रवाना हो जाती हैं, दीवांक अपनी तरफ से उसे कुछ पैसे भी देता हैं, वो वहां एक कमरा किराये पर लेकर रहने लगती हैं, दिवांक दुबई में रह रहे कजिन की मदद से जसलीन की जॉब भी लगवा देता हैं, इधर दीवांक भी आगे की पढाई के लिए लन्दन जाने की सोचने लगता हैं, अब भी दीवांक आरुषि को भूल नहीं पाया था, आरुषि से ब्रेकअप हुए तीन महीने बीत चुके थे, दीवांक ने विदेश जाना का फैसला किया, आरुषि भी अब अपना ज़्यादा टाइम स्टडी और अपने पापा के अधूरे सपने को पूरा करने में लगाती हैं, आरुषि के यूट्यूब चैनल पर काफी सारे फैंस बन चुके थे)
continue......