Chapter 6
उसी दिन दोपहर २ बजे
(आरुषि अपने म्यूजिक क्लासेस से वापस आ रही थी, दीवांक की माँ अपने दरवाज़े के पास पहले से ही खड़ी थी, आरुषि उन्हें देख कर थोड़ा घबरा जाती हैं और नमस्ते कहते हुए आगे बढ़ने का सोचती हैं लेकिन तभी दीवांक की माँ उसे आवाज़ लगाती है और रोक कर बातें करने लगती हैं )
(दीवांक की माँ को कुछ बोलने से पहले ही आरुषि बोल पड़ती है ) आरुषि "नमस्ते आंटी जी "
(मुस्कुराते हुए ) दीवांक की माँ "नमस्ते-नमस्ते, सब ठीक हैं घर में "
आरुषि "जी आंटी जी "
दीवांक की माँ "अ..,तुम्हारा नाम आरुषि हैं क्या ?"
(मुस्कुराते हुए ) आरुषि "जी, आप कैसे हैं ?"
(बिना हसी के हसते हुए) दीवांक की माँ "हम भी ठीक हैं, आओ बेटा अंदर बैठते हैं तुमसे कुछ बाते भी करनी है"
(थोड़ा डरते हुए ) आरुषि "आंटी जी........क्या बात करनी है आपको मुझसे ?"
दीवांक की माँ "घबराओ मत, आओ तुम्हे कुछ दिखाना है "
(आरुषि उनके साथ घर के अंदर चली जाती हैं, आरुषि थोड़ा डर रही होती है और सोचती है पता नहीं दीवांक की मॉम उसे क्या दिखाना चाहती है, दीवांक की माँ आरुषि को सीधा दीवांक के कमरे में लेकर जाती है )
दीवांक की माँ "इस कमरे को ध्यान से देखो, ये कमरा मेरा बेटा दीवांक का है"
(चारो तरफ देखते हुए )आरुषि "पर आप मुझे यहाँ क्यूँ लेकर आयी हैं, आप मुझे क्या दिखाना चाहती हैं? "
दीवांक की माँ " वेट करो अभी सब पता चल जायेगा (पर्दा उठाते हुए ) यह तस्वीर तुम से काफी मिलती हैं न, ध्यान से देखो"
(आरुषि अपनी फोटो देख कर चौक जाती हैं)
आरुषि -"यह तो मेरी........."
(आरुषि के कुछ बोलने से पहले ही ) दीवांक की माँ "मुझे तो यह तुम्हारी तस्वीर लग रही हैं….क्यूँ सही कह रही हूँ न"
(सिहमते हुए) आरुषि "आंटी जी मैं इसके बारे में नहीं जानती, मेरी यह तस्वीर किसने बनाई मुझे नहीं पता"
दीवांक की माँ "मेरे बेटे दीवांक ने बनाई है ये, उसे पता नहीं क्या हो गया है आजकल बिलकुल बदल चुका है ना घर में किसी से ठीक से बात करता है और ना ही किसी की बातें सुनता है सिर्फ अपनी मनमानी करता रहता है और तो और उसे अपने भविष्य की भी कोई चिंता नहीं, जो चाहिए वो हमने उसे दिया और अब वो हमारे साथ ऐसा बर्ताव करता हैं जैसे हम उसके लिए कुछ भी नहीं"
(सिहमें आवाज़ में ) आरुषि "लेकिन आंटी आप मुझे ये सब क्यू बता रही है"
दीवांक की माँ "कही न कही यह तस्वीर इसकी ज़िम्मेदार हैं, मुझे नहीं पता तुम्हारी उससे बात होती है या नहीं लेकिन मैं एक माँ होने के नाते, मैं तुम से रिक्वेस्ट करती हूँ की अगर वो तुमसे बातें करने की कोशिश करे तो तुम उससे बात मत करना, जब तुम उससे बात नहीं करोगी ना तब वह अपने आप ही ठीक हो जाएगा, मुझे पूरा विश्वाश है की तुम एक माँ की बात को नहीं टालोगी, मुझसे वादा करो की तुम उससे नहीं मिलोगी और नाही उससे बाते करोगी”
(दीवांक की माँ की बाते सुन कर आरुषि के आँखों से आंसू निकलने लगते है )
आरुषि "आंटी .....(आंसू पोछते हुए ) मुझे नहीं पता दीवांक ऐसा क्यूँ कर रहा हैं....... मैं उसे बहुत अच्छा दोस्त मानती हूँ बट मुझे सच में इस सब के बारे में नहीं पता था की वह आप सब के साथ ऐसा बर्ताव करता हैं"
दीवांक की माँ "मैं फिर से तुम से विनती करती हूँ, मेरे बेटे को उसकी हालत पर छोड़ दो प्लीज (हाँथ जोड़ते हुए )"
आरुषि "नहीं आंटी आप ऐसा क्यूँ कर रही है, हाँथ मत जोड़िये प्लीज"
(आरुषि आंसू पोछते हुए वहाँ से चली जाती है, आरुषि जब आंसू पोंछ रही थी तब उसके कान की एक ईयररिंग दीवांक के कमरे में ही गिर जाती है, वो ईयररिंग लुढ़कते हुए बेड के निचे चली जाती है, आरुषि के जाने के बाद दीवांक की माँ उसके कमरे को बंद कर देती है, आरुषि अपने घर पहुँचती है और अपने बेड पर लेट कर फूट-फूट कर रोने लगती है कुछ देर बाद उसकी आँखे लग जाती है और वह वही पर सो जाती है )
Chapter 7
शाम 4 बजे
(लगभग १ घंटे बाद आरुषि का दोस्त रोहित उसके घर पर आता हैं, आरुषि की बहन दरवाज़ा खोलती है और उसे हॉल में बैठने को कहती है और फिर वह आरुषि को बुलाने चली जाती है )
(दरवाज़ा खटकटाते हुए)आरुषि की बहन - "आरुषि दी जल्दी उठो, रोहित भईया आये है उनके लिए चाय बना दो "
(दरवाज़ा खटखटाने की आवाज़ से आरुषि की आँखे खुल जाती है, वह अपने कमरे के बाथरूम में जाकर मुँह-हाँथ धोती है, रोने की वजह से उसकी आँखे भी सूज चुकी होती हैं, वह शीशे में देख कर दीवांक की माँ की बातें याद करने लगती हैं, आरुषि टॉवेल से मुँह पोछते हुए बाहर निकलती है और सीधा हॉल में जाती है )
आरुषि- "हाय रोहित, कैसे हो? अंकल-आंटी कैसे है?"
(रोहित आरुषि को देख कर खड़ा हो जाता है) रोहित- "हाय, मैं बिलकुल ठीक हूँ और मम्मी पापा भी ठीक है, तुम कैसी हो, तबियत तो ठीक हैं न "
(टॉवेल निचे रखते हुए ) आरुषि -"वो एक्चुअली मैं सो ही रही थी इसलिए सिर हैवी हो रहा हैं ......,अकेडमी से आने के बाद आँख लग गयी थी और टाइम का पता ही नहीं चला खैर तुम बैठो मैं तुम्हारे लिए चाय बना कर लाती हूँ "
रोहित -"नहीं...,मैंने चाय पीनी छोड़ दी हैं बस अभी एक गिलास पानी पिला दो "
आरुषि-"अच्छा...ओके, मैं अभी लेकर आ रही हूँ "
(रोहित दुबारा बैठ जाता है, आरुषि रोहित के लिए पानी लेकर आती है, रोहित पानी पीकर टेबल पर रखा न्यूज़ पेपर पढ़ने लगता है, आरुषि भी सोफे के एक साइड में बैठ जाती है, आरुषि अपना एक हाथ अपने गालो पर रख कर बैठी होती है)
रोहित -"क्या हुआ आरुषि, बहुत उदास लग रही हो, मम्मी से डांट पड़ी है क्या...?"
(रोहित की तरफ देखते हुए )आरुषि-"नहीं तो मम्मी क्यू डाँटेगी, अभी सो कर उठी हूँ न तो लग रहा होगा, तुम बताओ स्टडी कैसी चल रही हैं? "
रोहित-"फाइनल ईयर चल रहा हैं और अभी एक्साम्स की तैयारी कर रहा हूँ, तुम बताओ तुम्हारे म्यूजिक क्लासेस कैसे चल रहे है?"
(हल्की सी स्माइल पास करते हुए) आरुषि-"म्यूजिक क्लास अच्छी चल रही है, एक सवाल है मेरा क्या तुम आंसर दोगे...?"
साहिल-"हाँ क्यूँ नहीं पूछो तो सही, पता होगा तो ज़रूर दूंगा"
आरुषि-"एक्चुअली बात ये है की मुझे लव के बारे में जाना है"
(हसते हुए) रोहित -"क्या लव के बारे में......."
आरुषि -"हाँ......मुझे यह जानना हैं की एक लड़का एक लड़की से किस हद तक प्यार करता है?, मेरा मतलब यह हैं क़ि अगर किसी लड़के को किसी लड़की से प्यार हो जाये तो वह बिलकुल बदल जाता है क्या अपने माँ बाप के लिए और फिर वह अपने माँ बाप की बातें भी नहीं सुनता है, और तो और वह अपने कमरे में उस लड़की की तस्वीर भी बनाता है, क्या लड़के इस तरह प्यार करते है किसी लड़की से?"
रोहित -"ओह गॉड......, मैंने कौन सी लव पर पीएचडी कर रखी हैं, मेरा इसमें कोई एक्सपीरिएंस नहीं हैं बट जितना देखा हैं, फील किया हैं उसके बिहाल्फ पे बता सकता हूँ "
(हसते हुए) आरुषि " क्यूँ...,तुम्हारी कोई गिर्ल्फ्रैंड नहीं हैं क्या"
रोहित "दिल में हैं एक लड़की बट इतनी हिम्मत नहीं हैं की उसे बता सकूँ"
आरुषि "मुझे उसका नाम बताओ, मैं तुम्हारी हेल्प कर देती हूँ"
रोहित "आ..आरुषि यह सब छोड़ो न......नहीं तो तुम्हारा सवाल रह जायेगा "
आरुषि "जवाब सुने बिना तो तुम्हे जाने भी नहीं दूंगी, बट पहले तुम्हे अपनी गिर्ल्फ्रैंड का नाम बताना होगा"
रोहित "आरुषि...,यह क्या हैं.....(आँखे बचाते हुए) मैंने आज तक उसका नाम नहीं लिया तो तुम्हे कैसे बता दूँ, वेल मुझे काम याद आ गया, जाना होगा"
आरुषि "रोहित मैं तुम्हारी फ्रैंड नहीं हूँ क्या, मुझे बताने में क्या प्रॉब्लम हैं"
रोहित "अच्छा, बट तुम्हे भी बताना होगा"
आरुषि "क्या?"
रोहित "तुम्हारा कोई बॉयफ्रैंड हैं?"
(आरुषि एक दम शांत हो जाती हैं, उसके होठो पर हसी रुक जाती हैं)
(मुस्कुराते हुए ) आरुषि "यह तो गलत हैं न पहले मैंने पूछा था "
रोहित "यह मैटर नहीं करता किसने पहले पूछा हैं, बताना तो तुम्हे भी पड़ेगा"
आरुषि "ओके......लीव दिस टॉपिक, नहीं तो मेरा सवाल रह जाएगा"
रोहित -बट तुम बीच में कुछ नहीं पूछोगी"
आरुषि- ओके बाबा, नहीं पूछूँगी"
रोहित-होप सो....क्या क्वेशचन था... लव ....यू नो आरुषि लव एक ऐसी इनविजिबल फीलिंग है जो हर किसी को देख कर नहीं होती और जिसे भी देख कर ये फिलिंग होती है न बस फिर दिल यही चाहता हैकी वो इंसान हमेशा हमारे सामने रहे और हमारे साथ रहे, और फिर बार-बार हमारा ध्यान उसी इंसान के पास जाता है जिसे देख कर ये फीलिंग होती है, मुझे तो लगता है की यही प्यार है और ऐसा कुछ भी ज़रूरी नहीं है की अगर किसी लड़के को किसी लड़की से प्यार हो जाये तो वो अपने माँ-बाप को भूल जाते है या फिर बदल जाते है उनके लिए और उनकी बात नहीं सुनते, और हाँ तुमने तस्वीर के बारे में भी पूछा है तो उसके लिए मेरा यही मानना है ऐसा तो वो लोग करते है जिसे सिर्फ लड़की को पाने का जूनून होता है क्युकि प्यार करने वालो को किसी तस्वीर बनाने की ज़रूरत नहीं होती हैं बल्कि उनके आँखों में ही उनके लवर्स का चेहरा बस जाता है तस्वीर बनाने वाले लोग सिर्फ प्यार का दिखावा करते है, वैसे तुम्हे क्या हो गया है आरुषि इतने अलग से सवाल क्यूँ पूछ रही हो....?"
(हॅसते हुए) आरुषि "नहीं ऐसी कोई बात नहीं है, एक्चुअली मैंने एक मैगज़ीन में लव स्टोरी पढ़ी थी तो उसी में ये सब डाउट थे ..(हसते हुए) एक्चुअली ये सच नहीं है, मेरी फ्रेंड्स के साथ इस टॉपिक पर डिस्कशन होगा कल तो मैं पहले से ही इसकी तैयारी कर रही हूँ "
रोहित "मुझे लग रहा था, तुम और वो भी लव स्टोरी वाली मैगज़ीन पढ़ोगी, वैसे काफी अलग टॉपिक नहीं है डिस्कशन करने के लिए"
आरुषि "क्यूँ मै क्यूँ नहीं पढ़ सकती लव स्टोरी वाली मैगज़ीन "
रोहित "नहीं…,पढ़ सकती हो, लेकिन मैंने तो तुम्हे सिर्फ अपने टेक्स्ट बुक्स पढ़ते देखा है(रोहित फिर हसने लगता है )"
आरुषि "वैरी फनी.......मैं जा रही हूँ कुकिंग करने, तुम्हे कुछ खाना है ...?"
रोहित "नहीं मुझे कुछ नहीं खाना, मैं भी जा रहा हूँ, तुम अपने मम्मी-पापा को मेरा नमस्ते कहना, बाय "
आरुषि "ओके बाय, बट रुको तुम्हे थैंक्स तो बोला ही नहीं, थैंक्यू सो मच "
रोहित "ये किस लिए...?"
(हसते हुए )आरुषि "तुम्हारे लेक्चर के लिए "
रोहित "तुम्हे इतना अच्छा लगा मेरा लेक्चर,ओह यू आर वेलकम माय डिअर"
(मज़ाक करते हुए) आरुषि "अच्छा नहीं लगा बल्कि बहुत बकवास था, कोई बोले किसी टॉपिक पर बोलने के लिए तो ध्यान रखना, सामने वाला सो न जाये"
दीवांक "आरुषि.....मै जा रहा हूँ, बाय"
(हसते हुए)आरुषि "रुको-रुको मैंने मज़ाक किया था, सॉरी"
रोहित- "मुझे पता था चल मैं जा रहा हूँ, फिर मिलते है, बाय"
आरुषि -"ओके बाय"
शाम 6 बजे
शाम छह बजे दीवांक हॉस्पिटल से वापस आता हैं, आते ही दीवांक फ्रेश होकर सीधा छत्त पर जाता है, दीवांक की माँ हॉल में बैठी टेलीविज़न देख रही होती हैं और उसकी बहन लैपटॉप चला रही होती है, दीवांक की माँ उसकी हरकतों पर भी ध्यान रख रही थी, दीवांक छत्त पर आरुषि के आने का इंतज़ार करता हैं लेकिन फिर से आरुषि अपने बालकनी में नहीं आती हैं, दिवांक उसको दिन में भी कॉल करता हैं लेकिन आरुषि उसका फ़ोन पिक नहीं करती हैं, लगभग आधे घंटे बाद दीवांक वापस निचे आता है और गुस्से में अपने कमरे का दरवाज़ा बंद कर लेता है, कुछ देर बाद उसकी मॉम उसके लिए खाने की चीज़े लेकर जाती है ,
(दरवाजा खटखटाते हुए) माँ "दीवांक बेटा दरवाज़ा खोलिये मैं आपके लिए खाना लायी हूँ,आपका फेवरेट डिश"
दीवांक "मुझे भूख नहीं हैं, आप वापस ले जाइये"
मॉम "बेटा स्पेशली आपके लिए ही बनाया हैं, प्लीज खा लीजिये"
(दरवाज़ा खोलते हुए ) दीवांक "मॉम क्या लायी हैं आप, दे दीजिये, मैं थोड़ी देर बाद खा लूंगा "
माँ "याद से खा लेना"
दीवांक "ओके मॉम"
(दीवांक फिर दरवाज़ा बंद कर लेता है, दिवांक आरुषि को फ़ोन करता हैं लेकिन उसका नंबर बंद होता हैं वो रात के समय आरुषि के लिए एक लेटर लिख कर छत्त पर उसका इंतज़ार करता है, दीवांक घंटो उसका इंतज़ार करता रहता है लेकिन आरुषि अपने बालकनी में वापस नहीं आती है, दीवांक उस लेटर को उसके बालकनी में फेंक देता है और मन ही मन सोचता हैं जब आरुषि आएगी तो लेटर उठा लेगी, लगभग ग्यारह बजे वह अपने कमरे में वापस जाता है और बिना खाये सो जाता है, दीवांक के माँ-बाप जब उससे पूछने जाते हैं तो वह कहता की उसे भूख नहीं है |
अगली सुबह वह फिर छत्त पर जाता हैं, वह जो देखता हैं उसे देख कर शॉक्ड रह जाता हैं, अभी भी उसका लेटर बालकनी में ही पड़ा था, वह जल्दी-जल्दी नाश्ता कर के गली के मोड़ पर खड़ा हो जाता हैं ताकि जब आरुषि अपने कोचिंग के लिए निकले तो वह उससे पूछ सके कि वो उसके लेटर का जवाब क्यूँ नहीं दे रही है )
लगभग दो घंटे तक वो वही पर खड़ा होकर उसका इंतज़ार करता हैं लेकिन आरुषि उस दिन अपने कोचिंग भी नहीं जाती है,आरुषि के कोचिंग जाने का टाइम हो चुका था, दीवांक उसे देखने के लिए बेचैन हो रहा था, दीवांक को लगने लगा शायद आरुषि बीमार होगी इसलिए कोचिंग भी नहीं जा रही है, वह जैसे-तैसे अपने दिल को समझा कर वापस अपने घर आ जाता है, दीवांक उसके लिए फिर से एक लेटर लिखता है और छत्त पर उसका इंतज़ार करने लगता है, आरुषि अपने खिड़की में से दीवांक को देख रही होती है, वो चाह कर भी उसके सामने नहीं आ रही थी क्यूंकि उसने किसी से वादा किया था और वह थी दीवांक की माँ, कुछ देर बाद दीवांक निराश होकर निचे आ जाता हैं और फिर तैयार होकर हॉस्पिटल चला जाता हैं, दीवंक के जाने के बाद आरुषि अपने बेड पर लेट कर फूट-फूट कर रोने लगती हैं |
Continue.........