Chapter 10
(13 अप्रैल 2012 की सुबह ग्यारह बजे दीवांक विदेश जाने के लिए घर से निकल रहा था, उस समय आरुषि कमरे में अपने संगीत का रिहर्सल कर रही थी तभी उसे अज़ीब सी बेचैनी होने लगी वो थोड़ी देर के लिए अपने बालकनी में आकर खड़ी हो गयी, उसी समय दीवांक अपना बैग लिए घर से निकल रहा था आरुषि उसे जाते हुए देख रही थी, दीवांक बिना पीछे मुड़े चले जा रहा था गली के अंत में जाकर दीवांक पीछे मुड़ कर देखता है, उसने देखा आरुषि बालकनी में खड़ी थी, दीवांक को देखने पर आरुषि अन्दर कमरे में चली जाती है और थोड़ी देर बाद दीवांक भी वहां से चला जाता है।
आरुषि की आँखे नम थी एक पल के लिए सोच रही थी के दीवांक से पूछे की वो कहा जा रहा हैं लेकिन अब पहले जैसा कुछ रहा नहीं, उसे दीवांक की माँ की बातें याद आने लगीं यह सब सोच ही रही थी के उसे अपने दोस्तों की कॉल आती है और यह कॉल उसके करियर के लिए सबसे इम्पोर्टेन्ट कॉल थी, उसकी टीम को एक वेब सीरीज के डायरेक्टर ने अपने अप-कमिंग सीरीज़ में साथ काम करने का मौका दिया हैं जिसके लिए उन लोगो ने पहले ही उस डायरेक्टर से बात कर लिया था, अब वो उन सब के साथ काम करने के लिए मान गए हैं, आरुषि की कामयाबी की यह पहली सीढ़ी थी उसने बहुत मेहनत से इस प्रोजेक्ट को पूरा कर लिया, यह सब सिर्फ उसके और उसकी टीम की मेहनत से हो पाया था इस प्रोजेक्ट को कम्पलीट करने के बाद उनको एक और नया प्रोजेक्ट मिला, धीरे-धीरे वो सब अपनी कामयाबी की ओर बढ़ रहे थे, उधर दीवांक विदेश में अपनी बची हुई पढाई पूरी करने लगा लेकिन अभी भी वो आरुषि को भूल नहीं पाया था, आरुषि को भूलने के लिए उसने कई गिर्ल्फ्रेंड्स भी बनाये थे लेकिन कहते है ना पहला प्यार बहुत ही खास होता है जिसे भूल पाना मुश्किल हैं ।
आरुषि ने अपना करियर म्यूजिक से शुरू किया था लेकिन धीरे-धीरे उसने सिंगिंग भी शुरू कर दी, आरुषि सिर्फ एक अच्छा म्यूजिशियन ही नहीं थी बल्कि उसके गाने का सुर भी बहुत अच्छा था )
तीन साल बाद
आरुषि अपने हुनर और लगन से एक मशहूर म्यूजिशियन और सिंगर बन चुकी थी, वह बॉलीवुड में ही नहीं बल्कि हॉलीवुड में भी कदम रख चुकी थी।
आरुषि ने अपने पैसो से एक घर ख़रीदा था जो काफ़ी बड़ा और सूंदर था, उसका यह नया घर शहर के रिहायशी इलाकों में था वही उसके माँ-बाप और दोनों बहनें रहती थी लेकिन आरुषि वहाँ बहुत कम रह पाती थी क्यूंकि उसे अपने कामो की वजह से ज़्यादातर अपने परिवारों से अलग रहना पड़ता था अक्सर उसे अलग-अलग जगहों से काम के ऑफर्स आते थे और जब उसका प्रोजेक्ट कम्पलीट हो जाता तो वह कुछ दिनों के लिए घर चली आती थी, आरुषि अपनी टीम के साथ अभी मुंबई में रह रही थी उसने मुंबई के लोखंडवाला में एक नया फ़्लैट ख़रीदा था और जब भी वो मुंबई जाती थी तो वह अपने फ़्लैट में ही रहना पसंद करती थी, आरुषि अपने कर्मो से अपनी पहचान बना चुकी थी, उसकी ये कामयाबी दीवांक से दूर नहीं थी, वह भी जनता था की उसकी एक्स गर्लफ्रेंड आरुषि अब उस से बहुत दूर जा चुकी है, वह धीरे-धीरे आरुषि को भूलता जा रहा था, दीवांक ने जब अपनी पढाई पूरी कर ली तब उसे जॉब्स के ऑफर्स आने लगे थे, दीवांक अपने घर में सब से ठीक तरह से बाते भी करने लगा था, एक दिन दीवांक की माँ उसे बहाने से बुलवाती है और कहती है की उसकी तबियत ठीक नहीं हैं दरअसल वह बहाना इसलिए करती है क्युकि उन्होंने दीवांक के लिए एक लड़की देख रखी थी और वह चाहती थी की दीवांक की शादी उसी लड़की से हो )
05 जून 2015
सुबह का समय
( दीवांक लन्दन से इंडिया के लिए प्लेन में बैठ गया, लगभग पांच घंटे का सफर तय करने के बाद वो इंडिया पंहुचा, एयरपोर्ट पर उसके डैड खड़े थे उसे ले जाने के लिए, वहा से कुछ देर कार में ट्रेवल करने के बाद वो अपने घर पहुँचता हैं, रास्ते में आते समय उसे एक जग़ह आरुषि के शो का बैनर दिखा, आरुषि की फ़ोटो देखते ही उसे पुरानी यादें सताने लगी, वो ख़यालो में खोता जा रहा था, कुछ देर बाद गाड़ी उसके घर के सामने रूकती हैं, गाडी की हॉर्न उसे वापस वर्तमान में लेकर आती हैं | दीवांक सामने देखता हैं, उसकी मॉम पूजा की थाली लेकर उसके स्वागत में खड़ी थी उसके साथ कुछ लड़कियाँ भी थी जो रिश्ते में उसके दूर की कज़िन्स थी, दीवांक की मॉम उसके स्वागत के लिए घर में छोटी सी पार्टी भी ऑर्गनाइज़ की थी, उसके कई रिश्तेदार भी आये हुए थे, दीवांक इन सब से खुश तो हो जाता हैं लेकिन अपनी मॉम से पूछने लगता हैं की उनकी तबियत तो ठीक है फिर उन्होंने तबियत ख़राब हैं क्यूँ कहाँ, उसकी मॉम ने बहुत प्यार से जवाब दिया-
"बेटा आपकी याद आ रही थी, ऐसा लग रहा था जैसे आपको देखे बरसो हो गए और अगर मैं तबियत ख़राब का बहाना नहीं करती तो आप आतें भी नहीं"
दीवांक "मॉम, आप मुझे सिर्फ आने के लिए भी कहती तब भी मैं आ जाता, आप बिलकुल ठीक हैं यह देख कर मुझे बहुत अच्छा लगा, खाने में क्या बनवाया हैं, मैं आपके हाथों का खाना बहुत मिस कर रहा था"
मॉम "सारी आपकी फवोरिट डिश बनवायी हैं, सब लोग आप से मिलने के लिए बहुत एक्ससाइटेड हो रहे हैं, आप जल्दी से फ्रेश होकर हॉल में आईये, वही सब के खाने का इंतज़ाम हैं"
दीवांक "ओके मॉम, मैं आता हूँ, आप जाइये"
दीवांक अपने कमरे को देख कर पुरानी बातें याद करने लगता हैं जो पिछले तीन सालो से बंद था, वो अपने कमरे में बने आरुषि की फोटो को देखने लगता है, उस तस्वीर को देख कर उसे बहुत गुस्सा आता हैं, वो स्टोर रूम से पेंट लेकर आता हैं और उस पेंटिंग को ख़राब कर देता हैं और उस पर लगे पर्दें को उतार कर फेंक देता हैं, थोड़ी देर में उसकी बहन उसे बुलाने आती हैं और साथ में उसे निचे हॉल में ले जाती हैं, वहां उसकी मॉम ने उसे पसंद करने के लिए कई सारी लड़कियों को पहले से ही बुलवा रखा था, दीवांक को देख सब लोग उसके नज़दीक जाकर बातें करने लगते हैं, दीवांक भी उन सब में बिजी हो जाता हैं, थोड़ी देर बाद उसकी मॉम उसे बुला कर एक साइड में ले जाती हैं,
मॉम "दीवांक बेटा (इशारा करते हुए) वहां देखिये, वहां पर बहुत बड़े-बड़े बिज़नेस मैन की बेटियां आयी हैं, यह सब भी वेल सेटल्ड है हमारी तरह, इन में से देखिये कोई आपको पसंद हैं"
दीवांक "मॉम प्लीज .....,मुझे बहुत भूख लगी हैं खाने जा रहा हूँ"
मॉम "हाँ...... मैं तो भूल ही गयी थी, आप पहले खाना खा लीजिये फिर मिल लीजियेगा"
(दीवांक उनको बिना जवाब दिए खाने की तरफ चला जाता है, दीवांक जाकर खाना निकालने लगता हैं वहां पहले से ही दिवांक की माँ ने एक लड़की को बिठा रखा था उससे दोस्ती करने के लिए, नाम हैं सुनैना, सुनैना भी उन अमीर बाप में से एक की एकलौती बेटी थी, सुनैना दीवांक से बातें करने लगती हैं,
सुनैना "हाय दीवांक, हाउ आर यू?"
दीवांक (खाना निकालते हुए) "फाइन"
सुनैना "आपके बारे में बहुत सुना हैं, आप ने सर्जरी में मास्टर्स कर लिया हैं और आपको लन्दन के सबसे अच्छे हॉस्पिटल में काम करने का ऑफर भी मिला था, ग्रेट यू नो मैं भी बहुत रिच फॅमिली से हूँ, मैंने भी बिज़नेस में मास्टर्स कर लिया हैं एंड पापा की तरफ मुझे भी बिज़नेस से ही लगाव हैं, अभी मैं "दी फार्मा" कंपनी में इंटर्नशिप कर रही हूँ .......यू नो न "दी फार्मा" में कोई भी इजली इंटर्नशिप नहीं कर सकता......"
दीवांक "हाँ वो तो हैं....एनी वे नाइस टू मीट यू"
(दीवांक खाना लेकर खाने लग जाता हैं, सुनैना भी अपना खाना लाकर उसके साथ खाने बैठ जाती हैं, दीवांक उसके साथ बैठ कर अनकम्फर्टेबल फील कर रहा होता हैं, वो अपनी माँ को आवाज़ लगता हैं लेकिन उसकी मॉम जान बुझ कर उन दोनों को अकेले बात करने के लिए छोड़ देती हैं )
(खाते हुए) सुनैना "यू नो दीवांक, लन्दन से मैंने भी अपनी स्टडी कम्पलीट की हैं, पापा की ज़िद की वहज से मैं वापस आयी हूँ, प्लान तो था वही शादी करके सेटल्ड हो जाना बट पापा चाहते हैं उनका सन इन लॉ इंडिया का रहने वाला हो "
दीवांक "ओह, फिर आपने क्या सोचा हैं"
सुनैना "मैंने भी पापा से एक शर्त रखी है, शादी करुँगी तो उसी से जो लन्दन के वैल्ली में रह चुका हो ताकि वो मुझे ख़ुशी-ख़ुशी वहां ले जा सके "
दीवांक “आपको तो कोई भी ले जा सकता हैं, इसके लिए शर्त क्यूँ"
सुनैना "अरे दीवांक जी, लन्दन में रह कर आ चुके हो लेकिन फिर भी बहुत भोले हो, लन्दन के वैल्ली मीन्स वहां के कल्चर से हैं, मैं अपने हस्बैंड को वहां ले जाकर अपने एक्स बॉयफ्रैंड डेविड को चिढ़ाना चाहती हूँ "
(दीवांक जोर-जोर से खांसने लगता हैं और खासते हुए वहां से निकल जाता हैं)
दीवांक "एक्सक्यूज़्मी"
दीवांक वापस अपने कमरे में जाने लगता हैं, तभी उसकी मॉम उसे रोकती हैं )
मॉम "दीवांक, कहाँ जा रहे हैं आप, यह पार्टी तो आपके लिए ही हैं और आप इसे छोड़ कर कहा चल दिए"
दीवांक "मॉम, आपने किस तरह के लोगो को बुला रखा हैं….,सब मुझसे ही क्यूँ बातें करने आ रहे हैं "
मॉम "आपके नाम की पार्टी हैं न इसलिए, आपको कैसा लगा हमारा अरेंजमेंट?"
दीवांक "बहुत अच्छा हैं, मैं अभी थक चूका हूँ रेस्ट करने जा रहा हूँ (दीवांक अपने कमरे में चला जाता हैं)
(दीवांक अपने कमरे में न जाकर छत्त पर जाता हैं, छत्त पर जाते ही उसे पुरानी यादे फिर से सताने लगती हैं, सामने वाले घर में अब कोई और रहता था, दीवांक चुपचाप निचे आ गया और सीधा अपने कमरे में गया, वहाँ भी कई साऱी यादे थी जो आरुषि के बारे में सोचने पर मजबूर कर रही थी। दीवांक अपने बेड पर जाकर लेट जाता हैं, शाम तक पूरी पार्टी ख़त्म होती हैं, सब इतने थके हुए थे की जल्दी ही सो जाते हैं अगली सुबह दीवांक उठ कर अपने कमरे की सफाई करने में लग जाता हैं, दीवांक हमेशा अपने कमरे को लॉक करके रखता था यहाँ तक की जब वो लन्दन गया था तब भी अपने कमरे की चाभी अपने साथ ले गया था और कल जब वो लन्दन से आया था तब थोड़ी बहुत सफाई कमला आंटी ने कर दी थी लेकिन आज सुबह वो इसलिए सफाई कर रहा था ताकि वो आरुषि की सारी निशानी अपने घर से हटा सके, दीवांक आरुषि के दिए हुए सारे लेटर्स को फाड़ कर जला देता हैं, सारे गिफ्ट्स को निकाल कर डस्टबिन में डाल देता है, झाड़ू लगाते समय उसे आरुषि की एक इयरिंग मिली जो तीन साल पहले गिर गयी थी जब आरुषि कि मॉम उसे उसके कमरे में लेकर आई थी, दीवांक उस इयरिंग को देखते ही पहचान गया था कि "आरुषि की ही है",वह उसे अपने हाथों में लेकर सोचने लगा कि आखिर उसकी एक इयरिंग उसके कमरे में कैसे आयी, उसी समय उसकी मॉम उसके कमरे में आती है)
मॉम "दीवांक, दीवांक....."
दीवांक "जी मॉम"
मॉम "आप उठ गए, अरे यह क्या..,आप यह सब क्या कर रहे हैं, छोड़िये यह.....आप क्यूँ सफाई कर रहे हैं, हमारे यहां नौकर कि कमी हैं क्या, मैं अभी विमला को भेजती हूँ, आप हमारे साथ आइये, देखिये हम आप के लिए क्या लाएं हैं, देखिये यह तस्वीर, आपकी चाची ने भिजवाई है कितनी सूंदर लड़की है ना बिलकुल परी जैसी लग रही है, ये उनके पड़ोस में रहती है, आप बताइये, आपको कैसी लगी? ..."
(दीवांक अभी भी उस इयरिंग को ही देख रहा होता है )
(मॉम को बाली दिखाते हुए ) दीवांक "मॉम ये आप की तो नहीं है,फिर ये किसकी है और मेरे कमरे में कैसे आयी...?"
माँ "दिखाइए, हाँ ये मेरी नहीं है शायद विमला आंटी का गिर गया होगा, आपका इस बेकार सी इयरिंग के पीछे पड़े है फेंकिए इसे (दीवांक अपनी मुट्ठी बंद कर लेता हैं) देखिये न ये तस्वीर मै चाहती हूँ ये लड़की ही हमारे घर की बहू बने ...."
(फोटो को बिना देखे) दिवांक "मॉम आप तो जानती है न कि आप के आलावा मेरे कमरे में कोई भी नहीं आता, सोना भी नहीं आती, विमला आंटी ये सब नही पहनती फिर ये किसकी है....?"
मॉम "मैं आपको फोटो दिखा रही हूँ और आप क्या इस बेकार सी इयरिंग के पीछे पड़े हैं, देखिये न आप को कैसी लग रही हैं"
दीवांक "मॉम, आपको पता हैं, मेरे कमरे में कोई भी नहीं आती हैं, फिर यह किसकी हैं?"
मॉम "आप क्या कहना चाहते हैं यह किसी और की हैं ?"
दीवांक "एक्साक्ट्ली मॉम, ये किसी और लड़की की ही है और मैंने इसे पहले भी देखा है, आप बताइये मॉम, क्या मेरे कमरे में कोई आयी थी ...?"
माँ "ये क्या कह रहे हैं आप, कौन आएगी आपके कमरे में, आप तो इसे बंद कर के गए थे न फिर कैसे कोई आ सकती है...?"
दीवांक "मॉम ये कमरा सिर्फ तीन सालो से बंद था, क्या तीन साल पहले कोई आयी थी ?"
(घबराते हुए)माँ- "आप कहना क्या चाहते हैं, मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा (फोटो टेबल पर रखते हुए )मैंने इस फोटो को टेबल पर रख दिया है वक़्त मिले तो देख लेना और बता देना आपको ये लड़की कैसी लगी, मैं जा रही हूँ, कमला आंटी को भेज दूंगी"
(माँ के हाँथो को पकड़ते हुए) दीवांक "मॉम आप कुछ छुपा रही हैं मुझसे, (मॉम का हाथ अपने सिर पर रखते हुए) मॉम लीज सच बताइये, क्या कोई आई थी मेरे कमरे में .....?"
माँ "ये क्या हो गया है आपको, एक अनजान सी इयरिंग के पीछे क्यूँ पड़े है "
(चिल्लाते हुए) दीवांक "ये कोई अनजान ईयररिंग नहीं है मॉम, ये....ये मेरी आरुषि की है, मेरी आरुषि की ....आप उसे यहाँ मेरे कमरे में लेकर आयी थी, हाँ या ना ?"
माँ "क्या.....दीवांक देखिये ......"
(माँ की बातो को बीच में रोकते हुए )दीवांक "मॉम हाँ या ना "
(थोड़ा झल्लाते हुए ) माँ "हाँ, मैं उसे लेकर आयी थी यहाँ ...."
(एक लम्बी साँस लेते हुए ) दीवांक "क्यूँ लायी थी आप उसे यहां .....?"
माँ "इसलिए ताकि वह आपकी ज़िन्दगी से हमेशा के लिए निकल जाये क्यूंकि वो आपके लायक नहीं थी उसने आपको बिलकुल वश में कर लिया था और मैं अपने बेटे को ऐसे नहीं देख सकती थी इसलिए मैंने उससे वादा करवाया हैं अब वो आपकी ज़िन्दगी में कभी नहीं आएगी, मैंने उससे अच्छी और सूंदर लड़की आपके लिए ढूंढा हैं ......(दीवांक ये सुन कर निचे बैठ गया, उसकी माँ निचे बैठ कर उसके सिर पर हाँथ फेरने लगी) मैं आपको हमेशा खुश देखना चाहती हूँ, आपकी ख़ुशी के लिए ही मैंने ये सब किया था ....."
(माँ के हाथो को निचे करते हुए )दीवांक "क्या आप जानती है मेरी ख़ुशी क्या है,"नहीं "आपने शायद जानने की कोशिश भी नहीं की हैं कभी, मेरी ख़ुशी सिर्फ मेरी आरुषि थी, आपने ये सब करने से पहले मेरे बारे में एक बार भी नहीं सोचा, आप को पता भी है मैंने ये तीन साल कैसे गुज़ारे है ........सिर्फ आप की वजह से आज मेरी आरुषि मुझसे दूर गयी है, मैं आप को कभी माफ़ नहीं करूँगा मॉम ,कभी नहीं ......."
माँ "आप भी मुझे गलत ही समझेंगे लेकिन मैं ऐसे किसी भी लड़की को अपने घर की बहु नहीं बना सकती जो मेरे बेटे को मुझसे दूर ले जाये"
(खड़े होते हुए )दीवांक "ओह मॉम, आप जानती भी हैं के वो लड़की कैसी थी,.....(खड़े होकर) जा रहा हूँ मैं ये घर छोड़ कर, आपको सिर्फ अपने बेटे से मतलब है ना, उसकी खुशिया क्या है वो क्या चाहता हैं, इससे आपको कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता, जैसे मैं अपनी आरुषि के लिए तड़पता था न वैसे ही आपको अपने बेटे के लिए तड़पना पड़ेगा"
मॉम "दीवांक, दीवांक आप प्लीज घर छोड़ कर मत जाइये, देखिये आपको जो सजा देनी हैं आप मुझे दीजिये, आप प्लीज़ घर छोड़ कर मत जाइये"
दीवांक (आंसू पोछते हुए) “आप की यही सजा हैं”
(दीवांक गुस्से में वहा से चला जाता है )
continue .........