दो पागल - कहानी सपने और प्यार की - 4 VARUN S. PATEL द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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दो पागल - कहानी सपने और प्यार की - 4

पहली मुलाकात २ - दो पागल-कहानी सपने और प्यार की अंक ४

   हेल्लो दोस्तो तो केसे हो आप लोग। मे फिरसे हाजिर हु आप सब के बिच आपकी अपनी सबसे मजेदार कहानी को लेकर जीसमे प्यार, ड्रामा सबकुछ है लेकिन इसको पढने से पहले मेरी आपसे एक अपील है कि आप पहले आगे के तीन अंक अगर आपने नहीं पढे हैं तो उन अंको को पढले और फिर इसे पढना शुरु करे । पढने के बाद इसे अपने दोस्तों के साथ शेर करना ना भुले।

शुरुआत 

        तो आइये शुरु करते है आगे की कहानी । जहा से हमारी कहानी थमी थी वही से शुरुआत।

        सभा में बैठे सभी विद्यार्थी, प्रोफेसरो और प्रिन्सीपल सर सभी के दिमाग मे अभी दो चीजे ही चल रही थी। एक तो यह की संजयभाई के सवाल का उत्तर क्या हो शक्ता है और दुसरा रुहान क्या जवाब देने वाला है। जीज्ञा का ध्यान भी रुहान की तरफ ही था क्युकी जीज्ञा जानना चाहती थी की क्या उसका और रुहान का उत्तर एक ही है या अलग है और अगर अलग है तो दोनो मे से किसका उत्तर सही है।

        ( सवाल - एसा कोनसा पुस्तक है आपके धर्म ग्रंथो को छोडकर जीसे ठीक तरह से पढ लेने से और समझलेने से आप दुनिया की कोई भी लडाई जीत शक्ते है।)

        अब रुहान संजयभाइ द्वारा पुछे गए प्रश्न का उत्तर देने की शुरुआत करता है।

        सर आपने मुझ से जो सवाल किया था उसका एक ही उत्तर है और वो उत्तर यह है कि वो पुस्तक और कुछ नहीं वो हम खुद ही है । अगर हम अपनी जात को पढ ले और समझ ले तो हम इतने बहेतर इंसान बन शक्ते है कि हम दुनिया की कोई भी काबिलियत को हासिल कर सकते हैं।

       अरे वाह क्या बात है। तुमने एकदम सही उत्तर दिया है रुहान। तालीया हो जाए मिस्टर रुहान के लिए... संजयभाईने रुहान के उत्तर से संतुष्ट होकर कहा।

        पुरे होल में अभी रुहान उसके इस जवाब के कारण हिरो बन चुका था और जीज्ञा के मनमे भी उसके लिए कोलेज की शुरुआत मे ही अच्छी छाप बन चुकी थी।

        तुम बेठ सकते हो बेटा। (रुहान अपने स्थान पर फिरसे बेठ जाता है।) आप खुद एक किताब हो अगर आपने अपने आपको पढा और समझा नहीं तो आपके लिए इस दुनिया की किसी भी चीजो को समझना मुश्किल हो सक्ता है लेकिन आपने अपने आपको पढ लिया है और समझ लिया है तो आपको दुनिया की किसी भी चीजो में बडी आसानी से सफलता प्राप्त कर सकते है । अब मे अपनी वाणी को आराम दुंगा और आपको आपके आने वाले दीनो के लिए बहुत बहुत शुभेच्छाओ। धन्यवाद... इतना बोलकर संजयभाई अपनी जगह पर जाकर बेठ जाते हैं और सभा संचालक फिर से अपनी जगह संभाल लेता है ।

        बे रुहान तुने इतना ज्ञान कहा से प्राप्त किया... रवीने रुहान से सवाल करते हुए कहा ।

        है एक अपने जाडिया बाबा जिन्होंने आज सुबह ही मुझे यह ज्ञान वोट्स एप के थ्रु दिया था... महावीर की तरफ देखते हुए कहा।

        जाडिया मतलब तेरा और कोन सा दोस्त मोटा है... महावीरने रुहान से कहा।

        बे जाडिया आज का जो सवाल और उत्तर था ना वो दोनो तुने मुझे आज सुबह के गुड मोर्निग वाले मेसेज में लिखकर भेजा था... रुहानने महावीर से कहा।

        मेने। मे तो जो दोस्त मुझे भेजते है वो बिना पढे सभी को भेज देता हु मुझे क्या पता मेने आज तुम्हें क्या भेजा था... साला मेरे मोबाइल पर इतना अच्छा लिखा हुआ आता है मुझे आज पता चला... महावीर ने अपना शीर खुजाते हुए रुहान से कहा।

       बे जाडिया अगर तुन्हे इसको यह मेसेज नहीं भेजा होता ना तो आज इसका आत्मविश्वास वाला रॉकेट जरुर क्रेस होता... रवीने महावीर से कहा।

       ओह भाई ओह उत्तर जरुर उसका था लेकिन उसने मेसेज में साथ मे कही आत्मविश्वास नहीं भेजा था वो तो मेरा ही था और वो भी चांद तक जानेवाला ... रुहानने रवी को उत्तर देते हुए कहा।

       तो कुछ एसे सवालो और जवाबो के साथ आज की सभा समाप्त होती है और कॉलेज के लेक्चर की शुरुआत होती है । सभी विद्यार्थी आज पहला दिन होने के कारण वर्गखंड में ही थे। अब वो पढ रहे थे या क्या कर रहे थे वो तो मुझे नहीं पता लेकिन मे आज आपको बी. एस. सी के क्लासरुम की हालत जरुर बताउंगा । बी. एस. सी के वर्गखंड की स्थिति कुछ एसी थी।

       आगे प्रोफेसर पढा रहे थे की आनेवाले दिनो में वो कोन कोनसे विषय पढाने वाले हैं और विद्यार्थीओ की स्थिति कुछ एसी थी की पहेली बेंच से लेकर लास्ट बेंच तक अगर आप जाएगे तो पहली दो बेंच पे आपको पढने वाले विद्यार्थी मिलेंगे । जो प्रोफेसरो के साथ साथ प्रोफेसर जो बोर्ड पे लिखाते है वो लिखते हुए मिलेंगे और दो लाईने आप पीछे जाओगे तो आप को कही विद्यार्थी अपनी पुस्तको के लेखको के चहरो के साथ छेडखानी करते हुए मिलेंगे और अगर आप बेंच कि लास्ट दो लाईनो के विद्यार्थीओ को देखोगे तो आप को वहा तीन चार विद्यार्थीओ के अलावा कोई भी पढता हुआ नजर नही आएगा बल्की ज्यादातर विद्यार्थी सोते हुए ही दीखेंगे। तो कुछ एसी थी बी. एस. सी के क्लासरुम की स्थिति। अब इन स्थिति में रुहान, महावीर, रवी, जीज्ञा और पुर्वी की क्या स्थिति थी वो मे आपको बताता हुं ।

        क्लासरुम के दरवाजे के पास वाला जो बेंचो का पार्ट था उसमे लास्ट तक लडके बेठते थे और बिचवाला जो पार्ट था उसमे अंत की दो बेंचो को छोडकर सभी मे लडके बेठते थे और अंत की दो बेंचो में लडकिया बेठती थी। तीसरे पार्ट मे सभी लडकीया बेठती थी। रवी पहले पार्ट की सेकंड लास्ट बेंच मे बेठा था और वो जो प्रोफेसर लिखवा रहे थे वो लिख रहा था। उसके बाद पहले पार्ट में लास्ट बेंच में महावीर और रुहान की जगह थी और उनकी बेंच के पास एक खीडकी थी जीसे खोलकर दोनो गहरी नींद में सो रहे थे। अब रही बात जीज्ञा और पुर्वी की तो वो दोनो बिच वाले दुसरे पार्ट की अंतवाली बेंच पे बेठे थे जो रुहान के पासवाली बेंच है। पुर्वी को बी.एस.सी पढने मे दिलचस्पी थी इसीलिए वो भी प्रोफेसर जो अपकमींग टोपीक लिखवा रहे थे वो लीख रही थी लेकिन बाजु में रुहान की तरफ बेठी हुई जीज्ञा को पढाई मे बिलकुल दिलचस्पी नहीं थी। उसका ध्यान तो बस अपने पेर के पास पडे रुहान के शुझ और सोते हुए रुहान के मोबाइल के कवर पर था जीसमे रुहान और उसकी मा का फोटो था और निचे लिखा था A RUHAN FILM जीससे जीज्ञा को रुहान का सपना साफ समझ में आ रहा था और उसको यह भी पता था कि अगर वो जेसा सोच रही है वेसा रुहान का लाइफटाइम सपना है तो उसे इस संघर्ष के लिए एक साथी मिल जाएगा लेकिन जीज्ञा कभीभी एसे ही रुहान के साथ दोस्ती नहीं करेंगी । जीज्ञा बहुत ही समझदार थी वो किसी के साथ बगैर भरोसे दोस्ती नहीं करेंगी फिर चाहे उस व्यक्ति से जिज्ञा को कितना भी स्वार्थ क्यु ना हो । जीज्ञा हर वक्त एक ही सोच मे डुबी रहती और वो सोच यानी उसका सपना। अब यह देखना बहुत ही रसप्रद होगा की केसे जीज्ञा और रुहान की दोस्ती होगी और केसे सभी दोस्त मिलकर जीज्ञा का सपना पुरा करने की कोशिश करेंगे और इस बीच दोनो की जो प्रेमकथा आपको देखने को मिलेंगी वो भी बहुत रसप्रद और रहस्यमय होनेवाली है।

        आगे। बी.एस.सी के काफी विद्यार्थी अब पढ पढ के बोरींग हो चुके थे और वो लोग पढाई के अलावा कोई दुसरा काम कर के क्लास का समय पसार कर रहे थे जेसे की अपनी बुको मे छपे हुए लेखको के फोटो मे दाढी बनाना, प्रोफेसर से छुपकर मोबाइल मे लुडो गेम खेलना, प्रोफेसर को दिखाने के लिए जानबूझकर अपनी नोटबुक मे बंद पेन से लिखना जीससे प्रोफेसर को लगे की विद्यार्थी लिख रहे हैं और लास्ट में अपने आगे बेठे हुए विद्यार्थीओ की पीठ पीछे सोना मतलब आगेवाली बेंच के विद्यार्थीओ के पीछे ऐसे छुपकर सो जाना जेसे आगे से प्रोफेसर को एसा लगे कि पीछे की बेंच खाली है। तो कुछ एसा हाल था बी. एस. सी के क्लासरुम का। अब कहानी मे ट्वीस्ट यह था कि कोलेज के प्रिन्सीपल सर अपनी केबीन से बहार आते हैं और सभी क्लासरुम के पास से गुजरते हुए देखते जाते हैं कि साल के पहले दिन कोलेज के लेक्चर केसे चल रहे हैं। अब सवाल यह था कि प्रिन्सीपल सर धीरे धीरे बी. एस. सी के क्लासरुम की तरफ आ रहे थे और इधर रुहान और महावीर लोबी की तरफवाली खीडकी खोलकर सो रहे थे अगर दोनो को सोते हुए प्रिन्सीपल सरने देख लिया तो माहोल काफी दिलचस्प होनेवाला था । अगर प्रिन्सीपल सर की बात करे तो प्रिन्सीपल सर बहुत ही डिसीप्लीन वाले थे। उनकी डिसीप्लीन सीर्फ कोलेज तीसरे साल मे पढ रहे गुंडे संजयसिह के सामने ही नहीं चलती थी। (अब आपको यह प्रश्न होगा की संजयसिह कोन है और क्या है तो वो आपको अगले अंक मे पता चलेगा। )

        इस तरफ क्लासरुम मे रुहान और महावीर अभीभी सो रहे थे और उस तरफ से प्रिन्सीपल सर धीरे धीरे अपने दोनो हाथ पीछे की तरफ जोडकर आगे बढ रहे थे। क्लासरुम मे किसीको भी अंदाजा नहीं था की प्रिन्सीपल सर उनकी और आ रहे हैं सब अपनी अपनी धुन में व्यस्त थे। अब प्रिन्सीपल सर बी. एस. सी के आगे वाले क्लासरुम को आधा पसार कर चुके थे जीससे बी. एस. सी के आगेवाली बेंच वाला विद्यार्थी प्रिन्सीपल को देख लेता है और वो फटाफट से अपने सभी दोस्तो को बताने लगता है और आगे से जेसे जेसे प्रिन्सीपल आ रहे हैं एसे समाचार पीछे की तरफ बढ रहे थे वेसे वेसे सभी विद्यार्थीओ का ध्यान प्रिन्सीपल के आने के डर के कारण पढाई मे लगरहा था। लेकिन अभी भी यह खतरनाक समाचार रुहान और महावीर के पास नहीं पहुचे थे। जेसे प्रिन्सीपल सर क्लासरुम के दरवाजे की तरफ पहुचते है और उन्हें जीज्ञा और रवी देख लेते है । रवी पीछे बेठे अपने दोस्तों को जगाने के लिए पीछे मुडता है और वो रुहान को जगाए उससे पहले जीज्ञा अपने पेर के पास पडे रुहान के जुते को अपने पेरो के बल पर रुहान के पेर के तरफ फेकती है और रुहान के पेरो में वो जुता लगता है जीससे रुहान को रवी जागाए उससे पहले रुहान जाग जाता है और जीज्ञा के तरफ देखने लगता है।

        बे उसके तरफ बाद में देखना पहले जाड्या को जगा प्रिन्सीपल सर आ रहे हैं... रवीने रुहान को फटाफट से कहा और आगे देखकर अपनी नोटबुक में लिखने लगा।

        इस तरफ जीज्ञाभी रुहान को जुता मारने के बाद अपनी बुक निकालकर जो आगे प्रोफेसर लिखा रहे थे वो लिखने लगती है। अब जेसे रुहान सोते हुए महावीर को जगाने के लिए उसकी तरफ मुडता है तो उसे महावीर के पास वाली खीडकी पर चार आखे निकालकर खडे हुए प्रिन्सीपल नझर आते हैं और उन्हें देखकर रुहान एकदम से महावीर को बिना जगाए अपनी बुक मे लिखने का ढोंग करना शुरू कर देता है।

       प्रिन्सीपल सर इशारा करके रुहान और महावीर के पास बेठे हुए सभी विद्यार्थीओ को महावीर को जगाने के लिए मना करते है और अंदर आने के लिए दरवाजे की तरफ जाते हैं।

       साला मोटा तो गया चांद पे... फटाफट बोर्ड पे जो लिखा था वो लिखते हुए रुहान ने धीरे से महावीर के लिए कहा।

       अब प्रिन्सीपल सर अपने गुस्से के साथ क्लासरुम मे प्रवेश करते हैं । उन्हें देखकर प्रोफेसर अपना पढाने का कार्यक्रम थोडे समय के लिए रोक देते हैं। प्रिन्सीपल सर सीधा रुहान और महावीर की बेंच के पास आते हैं। महावीर अभीभी सो रहा था। प्रिन्सीपल सर आगे की बेंच से भरी हुई पानी की बोटल लेते हैं और पुरी बोटल महावीर के उपर खाली कर देते हैं और वही बोटल से महावीर की पीठ पर मारने लगते हैं। अब जेसे ही पानी और मार की वजह से महावीर जगकर एकदम से अपनी जगह पर खडा होता है और जोर से बोलता है।

      बे कोन है उसकी मा का... इतना बोलते ही उसके सामने खडे प्रिन्सीपल सर उसे नजर आते हैं और वो बडी शांति से समज जाता है कि उसे उसके दोस्तो ने नहीं बल्की प्रिन्सीपल सरने जगाया है तो वो जो लाइन बोला था कि बे कोन है उसकी मा का वो वाक्य कुछ और ढंग से महावीर बोलनेवाला था वो अब महावीर कुछ एसे संस्कारी ढंग से पुरा करता है। बे कोन है उसकी मा का बेटा सर... स... सोरी सर... वो मे आज कल बिमार हुना तो उसके लिए टेबलेट लेता हु तो उसके कारण थोडी नींद आ जाती है... महावीरने प्रिन्सीपल सर को बहाना बताते हुए कहा।

            अच्छा तो यह ले और अपने फाधर को बुला तेरी टेबलेट लेकर... प्रिन्सीपलने महावीर को उल्टा उसीकी चाल मे फसाते हुए महावीर को अपना फोन देते हुए कहा।

      सोरी सर गलती हो गई माफ करदो आगे से एसा कभी नहीं होगा... माफी मांगते हुए महावीरने कहा।

      चल ठीक है पहला दिन है इसलिए तेरे फाधर को नहीं बुलाता लेकिन तेरी सजा यह है कि तु अभी से कोलेज छुटने के बाद तीन घंटे तक मेरी ओफिस मे बेठेगा... प्रिन्सीपल सरने कहा ।

        जी सर... महावीरने कहा।

        अगर अब मुझे कोई क्लासरुम मे सोते हुए दिखा तो मे आगे से उसके पिता के बिना कोलेज मे एन्ट्री नहीं दुंगा । चल... क्लास के सभी स्टुडन्टस और महावीर को कडक स्वर मे सुचना देने के बाद प्रिन्सीपल सर महावीर को लेकर चले जाते हैं।

        जाते जाते महावीर जोर से रुहान के पेर के उपर अपना पेर और ताना दोनो मारते हुए जाता है ।

        साले विभीषण मुझे जगाया नहीं... महावीरने रुहान को अपना पेर मारते हुए कहा।

        तो कुछ एसे बिता पहले दिन के क्लासरुम का पहला पीरियड। अब पीरियड पुरा होने के बाद जीज्ञा और पुर्वी कोलेज कि लोबी से होकर केन्टिंग की तरफ जा रहे थे। जाते जाते जीज्ञा को रुहान पीछे से चिल्लाते हुए बुलाता है।

        Hello excuse me जीज्ञा जी... रुहानने पीछे से आवाज लगाते हुए कहा।

        जी बोलिए ...पीछे मुडकर रुहान और रवी को देखकर जीज्ञाने कहा ।

        ओह हाई मे रुहान... अपना हाथ मीलाने के लिए आगे करते हुए रुहानने कहा ।

        आई नो... बिना हाथ मिलाए जीज्ञाने कहा।

        जीज्ञा हाथ नहीं मीलाती है इसलिए रुहान अपना भी हाथ पीछे करलेता है।

        Buy the way thank you मेरी मदद करने के लिए वो जुता मार के मुझे जगाने के लिए... रुहानने जीज्ञा से कहा।

        अगर चाहु तो मे इसका क्रेडिट ले शक्ति हु लेकिन मे एसा नहीं करुंगी। वो जुता मेरी तरफ पडा था इसीलिए मेने उसे आपके पेर के तरफ फेका और उसी समय प्रिन्सीपल सर आए और आप जाग गए तो यह बस एक संजोग था कोई मदद नहीं थी । तो आपको इसके लिए मुझे धन्यवाद बोलने की कोई जरुर नहीं है और आप से मिलकर अच्छा लगा। और हा वो जवाब काफी अच्छा था... इतना बोलकर जीज्ञा आगे चलने लगती है।

         ओह जीज्ञा । क्या तुम्हारा भी सेम जवाब था... जीज्ञा को फिरसे टोकते हुए रुहानने कहा।

         पता नहीं... इतना बोलकर जीज्ञा और पुर्वी दोनो चले जाते है।

         भाई काफी strong है यह लड़की। अहमदाबादी जो है... रवीने कहा।

         जो बहार से strong होती है ना वही अंदर से ज्यादा नरम होती है। तु चिंता ना कर इसके साथ तो मेने फ्रेन्डसीप करनी ही है चाहे उसके लिए मुझे किसीसे भी भीडना क्यु न पडे... रुहानने जाती हुई जीज्ञा की तरफ देखते हुए रवी को कहा।

         तो कुछ एसी थी रुहान और जीज्ञा की मुलाकात। पहली ही मुलाकात मे रुहानने दोस्ती करने की कोशिश जरुर की लेकिन वो नाकाम रहा । अगले अंक मे देखना जरुरी होगा की रुहान जीज्ञा से केसे दोस्ती करता है । अगले अंक मे हमारी कहानी के विलेन का भी प्रवेश होने जा रहा है तो पढना मत भुलना अगले अंक मे रुहान, जीज्ञा और बरोडा के सबसे बड़े माफिया के बेटे यानी संजयसिह के बिच की घमासान।

          अगर आपको मेरी नवलकथा पसंद आ रही हो तो शेर करे अपने दोस्तों के साथ । अगर आपको इस कहानी मे कुछ भी अच्छा लगा हो या कहीं पे आपको कोई शाब्दिक भुल दीखी हो तो आप मुझे कमेन्ट बोक्स मे कमेन्ट करके बता सकते हो।

TO BE CONTINUED NEXT PART ...

|| जय श्री कृष्णा ||

|| जय कष्टभंजन दादा ||

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