अपना घर, सबसे अच्छा ! zeba Praveen द्वारा बाल कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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अपना घर, सबसे अच्छा !

बहुत समय पहले की बात हैं, मानसरोवर जंगल में चंम्पू नाम का एक छोटा बंदर अपने माता -पिता के साथ रहता था | उस जंगल में किसी भी चीज़ की कमी नहीं थी, सभी जानवर मिल-जुल कर रहते थे, एक दिन चंम्पू अपने माता पिता से दूसरे जंगल में जाने के लिए ज़िद करने लगा, उसके माता-पिता जानते थे अगर वो किसी दूसरे जंगल में गए तो वहां के जानवर उन्हें रहने नहीं देंगे और जाएँ भी क्यूँ मानसरोवर में किसी चीज़ की कमी थोड़ी थी, दूर -दूर से यहाँ जानवर घूमने आते थे लेकिन यह बात चंम्पू नहीं समझता था, चंम्पू कहता था की हम इसी जंगल में काफी सालो से रहे है और अब मैं ऊब गया हूँ इसलिए हमें अब दूसरे जंगल में जाकर रहना चाहिए |

चंम्पू बहुत ज़िद्दी था, अपने आगे तो वह अपने माँ-बाप की भी नहीं सुनता था, उसके माता-पिता दूसरे जंगल में जाने से इंकार कर देते हैं |

एक दिन जब चंम्पू के माता-पिता घर पर नहीं थे तब वो चुपके से दूसरे जंगल की ओर चला गया, जब चंम्पू के माता-पिता आये तो वो उन्हें हर जगह ढूंढने लगे, तब उनको चंम्पू का एक छोटा लेटर मिला जिसमे उसने लिखा था की अब वो दूसरे जंगल में रहने जा रहा हैं, चम्पू की माँ बहुत रोने लगी तब चंम्पू के पापा उसे समझाते हुए कहते हैं ”जब वो बाहर की दुनिया से परिचित हो जायेगा तब खुद व् खुद घर पास आ जायेगा"

चंम्पू की माँ बहुत मुश्किल से खुद को संभालती हैं, उधर चंम्पू दूसरे जंगल की तलाश में चल पड़ा था, सबसे पहले उसे एक शहर मिला, शहर के बीच में एक पार्क बना हुआ था जिसमे कई सारे बच्चे खेल रहे थे, यह सब देख कर चंम्पू बहुत खुश हुआ और मन ही मन सोचने लगा की अगर वो जंगल से बाहर नहीं निकलता तो यह सब कभी नहीं देख पाता, उतने में एक गाड़ी वाला उसके नज़दीक आकर जोर से ब्रेक मारता हैं, चंम्पू के डर के मारे सारे रुए खड़े हो गए थे, वो डर कर एक ओर भागा, उसने आज से पहले कभी गाड़ी नहीं देखा था, चंम्पू डर के मारे कांप रहा था, चँम्पू के कानो में बच्चो के चिल्लाने का शोर आ रहा था, पार्क में खेल रहे बच्चे उसे देख कर बहुत खुश हो रहे थे और उसको पकड़ने के लिए उसके पास आ रहे थे, चंम्पू बच्चो की भीड़ को अपनी तरफ आते देख डर के मारे दूसरी तरफ भागा, शहर के दूसरी ओर बंजर जंगल था लेकिन वहां चंम्पू के आलावा कोई दूसरा जानवर नहीं था, सिर्फ कुछ शहरी आवारा कुत्ते जो चंम्पू को देख कर ज़ोर-ज़ोर से भोकने लगे थे, चम्पू डर के मारे पेड़ पर चढ़ गया और एक पेड़ से दूसरे पेड़ पर कूदक-कूदक कर वहां से बाहर निकल गया ।

वहां से निकलने के बाद चंम्पू की जान में जान आयी, काफी दूर तक जाने के बाद उसे एक और जंगल मिला जहाँ हिरन के बच्चे कुदक-फुदक रहे थे, उसे लगा जैसे उसको उसकी मंजिल मिल गयी हो, वो ख़ुशी के मारे उछलने लगा और उन हिरन के बच्चो के बीच चला गया, सारे बच्चे उससे डर कर अपनी मां के पास भाग गए, हिरन की माँ चंम्पू को अकेला देखकर उसे समझाने लगी "बच्चे यहाँ अकेले मत घूमो, यहाँ बहुत खतरनाक-खतरनाक जानवर रहते हैं, जाओ अपने माता-पिता के साथ रहना" चंम्पू को उसकी बातें बुरी लगी वो उनको अनदेखा कर के जंगल के अंदर चला गया, जंगल के अंदर उसे खाने के लिए बहुत सारे फल मिले, वो इस ख़ुशी में उस हिरनी कि बाते भूल गया था और बेख़ौफ़ मौज मस्ती किये जा रहा था, देखते-देखते दिन ढल गया, चम्पू बहुत थक चुका था अब उसे एक ऐसे जगह कि तलाश थी जहाँ वो आराम से सो सके, चंम्पू जगह की तलाश में इधर-उधर भटक रहा था और सोच रहा था की उस हिरनी ने उससे झूठ बोला इस जंगल में कोई खतरनाक जानवर नहीं हैं, वो मन ही मन यह सोच कर गदगदा रहा था तभी उसे बहुत विशाल अजगर दिखा वो चीख कर एक पेड़ पर चढ़ गया ।
अँधेरा हो रहा था और उस दिन की रात काली रात थी, जंगल में जुगनुओ कि वहज से रौशनी फ़ैलीं हुई थी, चम्पू को कभी शेर की आवाज तो कभी लोमड़ी की आवाजे सुनाई पड़ रही थी, वो डर के मारे पूरी रात सो नहीं पाया और अपने-माता पिता को याद करके रोता रहा।
वो पूरी रात सुबह होने का इंतज़ार कर रहा था, जब सुबह की किरणे उस पर पड़ी तो वह ख़ुशी के मारे उछलने लगा, चंम्पू ने आसपास देखा तो उसे जानवरो के कंकाल और कही-कही खून के धब्बे दिख रहे थे, तभी एक शेर अपना शिकार वहां लाकर खाने लगा, चंम्पू डर के मारे पेड़ पर ही चढ़ा रहा और शेर के जाने का इंतज़ार करने लगा, शेर अपना शिकार खा कर चला गया लेकिन उसके जाने के बाद भेड़िया आकर उस बचे हुए मास को खाने लगा, चंम्पू को बहुत डर लग रहा था और उसे अपने माता पिता की भी बहुत याद आ रही थी जब सारा मास ख़त्म हो गया तो वो भेड़िया भी वहां से चला गया, चँम्पू फटाफट उतरा और बिना पीछे देखे अपने घर की ओर भागने लगा, वो इतनी तेज़ी से भाग रहा था जैसे कोई शिकारी उसका पीछा कर रहा हो, चंम्पू फिर से वहां पंहुचा जहाँ उस हिरनी के बच्चे खेल रहे थे, चंम्पू उनको देख कर रुक गया और फिर से उस हिरनी के बच्चे चंम्पू को देख कर डर के अपनी माँ के पास भाग गए, चम्पू वहां से चला गया और फिर उसी शहर से होकर गुज़रा, चंम्पू को देखकर एक शरारती बच्चे ने पत्थर फेंक कर मारा, वो घायल हो गया और वहां से भागने लगा।
अंत में जाकर चंम्पू घर पंहुचा, उसके माता-पिता भोजन लेकर कुछ ही देर पहले घर आये हुए थे, वो उनसे लिपट कर रोने लगा, उसकी माता उसको प्यार से पुचकारने लगी, चम्पू खुश हो रहा था यह सोच कर की उसके माता-पिता उससे गुस्सा नहीं थे, वो उन्हें अपनी चोटे दिखाने लगा, उसके पिता ने उसके चोट पर मरहम लगाया और उसे खाने को दिया, चम्पू रात से भूखा था इसलिए जल्दी-जल्दी खाने लगा ।
खाने के बाद जाकर अपनी माँ की गोद में सो गया और कहे लगा "अपना घर सबसे अच्छा"
उसके माँ-बाप एक दूसरे को मुस्कुरा कर देखने लगे ।
The End