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सच्चे प्यार की कहानी

सच्चे प्यार की कहानी

ये कहानी एक ऐसी लड़की की है जो बचपन से ही एक आत्मा के कैद में रहती है, इसकी पैदाइश एक रहस्मय जगह पर हुई थी, दरअसल वो जगह रहस्मय इस लिए था क्युकि वहा पर किसी की अधूरी मोहब्बत दफ़न हुई थी|

बात उस समय की है जब प्रिया नाम की लड़की का जन्म हुआ था, एक ऐसे घर में जहाँ लोग जाने से डरते थे, उस घर को वहाँ के लोग भूत बंगला कहते थे, उस गाँव के लोगो का कहना था कि बहुत साल पहले उसी गाँव में एक ज़मीदार रहा करता था, उसकी एक बेटी थी मीनाक्षी, जो एक लड़के से प्यार करती थी, जब ज़मीदार को पता चला तो उसने अपनी बेटी को जहर देकर मार डाला, ये बात ज़्यादा दिन तक छुप न सकी, जब उस लड़की के प्रेमी को ये पता चला तो उसने भी अपने आप को फांसी लगा कर मार डाला, उस लड़के की आत्मा उसी घर में थी जिस घर में प्रिया का जन्म हुआ था, कहते है कि अगर कोई भी उस घर के आस पास जाता है तो उस लड़के की आत्मा उसे मार देती है|

खैर प्रिया के माँ-बाप कमलपुर में रहते थे, जहा मुलभुत आवश्यकताओ की कमी थी जैसे, अस्पताल, स्कुल, बैंक आदि | कमलपुर के पास वाले गाँव पालमपुर, पालमपुर में एक अस्पताल था जहा दूर-दूर से लोग आते थे, कहने को तो पालमपुर, कमलपुर के पास में ही था लेकिन रास्ता न होने की वजह से लगभग छह घंटे लग जाता था वहाँ पहुंचने में| अब वो दिन आ चुका था, प्रिया की पैदाइश होने वाली थी, सभी ने यही आशा लगा रखी थी कि उनके घर में बेटी आये, क्युकि उनके परिवार में दूर २ तक लड़कियों कि संख्या कम थी, खैर प्रिया कि माँ की तबियत ख़राब होने लगती है तो कुछ लोग ये राय देते है कि उन्हें अस्पताल ले जाया जाये क्यूकि घर पर माँ और बच्चे दोनों कि जान ख़तरे में हो सकती है, कमलपुर गाँव में अस्पताल न होने की वजह से प्रिया के पापा, अपनी पत्नी को पालमपुर गांव के अस्पताल में लेकर जाते है, उनके साथ प्रिया के चाचा-चाची और गांव के कुछ लोग होते है, रास्ता लम्बा होने की वजह से उन्हें एक घर में रुकना पड़ा जो एक भूत बंगला था, उसी घर के एक कमरे में प्रिया का जन्म होता है, उन लोगो को ये नहीं पता था कि उनके बीच एक आत्मा भी है, सब लोग बहुत खुश थे इस ख़ुशी को ज़ाहिर करने के लिए प्रिया के चाचा मिठाई लेने पास के दुकान पर जाते है, जब वो वापस लौटते है तब वह आत्मा उसे मार देती है, ये सुनने के बाद सब लोग बहुत डर जाते है, वह आत्मा प्रिया को भी मारने जाता है लेकिन जब वह उसे देखता है तो उसे लगता है कि उसकी मीनाक्षी उसके लिए फिर से जन्म लेकर आयी है,

बस उसी दिन से वो प्रिया के पीछे पड़ जाता है, वह उसके बड़े होने का इंतज़ार करता, जब वो बीस साल की हो जाएगी तब वह उसे ले जायेगा, वह एक बॉडी गॉर्ड की तरह उसकी रक्षा करता और हर मुसीबत से उसे बचता था | प्रिया के जन्म के दिन ही उसके चाचा की मौत सभी को दहला देती है, प्रिया के जन्म के कुछ दिनों बाद ही प्रिया के माँ-बाप शहर में शिफ्ट हो जाते है |

उन्नीस साल बाद {after nineteen years }

प्रिया की पढाई-लिखाई शहर में ही चल रही थी, प्रिया अब उन्नीस साल की हो चुकी थी, वह कॉलेज जाती थी, लेकिन प्रिया के साथ कोई और भी रहता था, वह आत्मा जो उसे मीनाक्षी समझता था |खैर प्रिया के कॉलेज में एक दोस्त था रोहन, जिससे वो प्यार करती थी, रोहन भी उससे प्यार करता था, लेकिन अभी तक एक दूसरे ने इज़हार नहीं किया | वेलेंटाइन डे के दिन कॉलेज में रोहन प्रिया के सामने अपने प्यार का इज़हार करता है, जो शायद किसी को पसंद नहीं आया वो था वह “आत्मा” | कॉलेज के बाद रोहन सीधा घर जाता है, वहां कोई उसका पहले से ही इंतज़ार कर रहा था, रोहन की माँ घर पर नहीं थी, रोहन जैसे ही घर में प्रवेश करता है वैसे ही सामने से एक शीशे का गिलास उसके सिर पर गिरता है, रोहन के सिर से खून बहने लगता है, और भी कई चीजे उड़ कर रोहन को मारने आती है, रोहन अपने घर से बाहर जाने का सोचता है, लेकिन तभी अचानक से दरवाज़ा बंद हो जाता है, रोहन अपना बचाओ करते हुए अपने कमरे में जाता है, उसके कमरे में जाते ही दरवाज़ा बंद हो जाता है, वह बहुत कोशिश करता है दरवाज़ा खोलने के लिए, लेकिन दरवाज़ा नहीं खुलता, वह आत्मा रोहन को फिर से मारती है लेकिन इस बार रोहन बहुत ज़्यादा घायल हो जाता है, वह बेहोश हो जाता है, उसके बाद वह भूत वह से चला जाता है, और उसके शीशे पर लिख जाता है “मेरी मीनाक्षी से दूर रहना”|रोहन अगले दिन कॉलेज नहीं जाता तो प्रिया उससे मिलने के लिए उसके घर पर आती है, उस समय रोहन की माँ पूजा कर रही थी, जैसे ही प्रिया ने बेल बजाई उनका दिया बुझ गया, वो थोड़ा घबरा गयी, उनके दिमाग में अजीब सा ख्याल आता है कि शायद कुछ बुरा होने वाला है|

रोहन की माँ ने दरवाजा खोला, प्रिया ने बताया की वो रोहन की दोस्त है, रोहन की माँ प्रिया को रोहन से मिलवाने के लिए उसके के कमरे में ले जाती है और फिर वह प्रिया के लिए चाय बनाने चली जाती है, रोहन ने प्रिया को वो सारी बाते बताई कि किस तरह एक साया ने उसे पीटा था, प्रिया तो पहले हसने लगी लेकिन जब उसने सुना की उसके शीशे पर मीनाक्षी लिखा हुआ था, तब वो थोड़ा सिहम गयी, रोहन ने जब पूछा कि उसे क्या हुआ तो उसने रोहन से बहाना बनाया कि उसकी तबियत ख़राब हो रही है इसलिए वो घर जाना चाहती है, प्रिया उस आत्मा के बारे में कुछ भी नहीं जानती थी लेकिन कभी २ उसने महसूस किया था कि कोई उसके साथ-साथ रह रहा है | खैर रोहन ने प्रिया से कहा कि वो उसे घर छोड़ देगा लेकिन प्रिया ने इसका विरोध किया फिर भी रोहन नहीं माना,वो उसे घर छोड़ने चला गया, साथ में उस लड़के की आत्मा भी थी | दोनों गाड़ी में बैठ गए, आधे रास्ते में पहुंचते ही अचानक रोहन कि नज़र गाड़ी के शीशे पर पड़ी उसने उस आत्मा का चेहरा देख लिया, उसने अचानक से ब्रेक मारी, प्रिया ने रोहन से इसका कारण पूछा कि क्यू उसने गाड़ी रोक दी, रोहन प्रिया से बताता है कि शायद गाड़ी ख़राब हो गयी है इसलिए हमें उतर कर देखना चाहिए, रोहन कि नज़र बार २ शीशे पर जा रही थी, प्रिया रोहन से पहले ही गाड़ी से उतर गयी, रोहन अब भी थोड़ी २ देर पर उस आत्मा को देख रहा था, प्रिया के साथ वो आत्मा भी बाहर निकल गया, रोहन भी उतर गया, और गाड़ी को ठीक करके फिर चलाने लगता है, दुबारा प्रिया और वह आत्मा आकर बैठ गए |

इस बार रोहन की नज़र उस आत्मा से मिल गयी, रोहन प्रिया को घर छोड़ कर वापस आ ही रहा था कि उस आत्मा ने रोहन का एक्सीडेंट करवा दिया, रोहन मौत की मुँह से तो बच गया लेकिन वो कुछ दिनों के लिए कोमा में चला गया, प्रिया कभी २ रोहन से मिलने जाया करती थी लेकिन जैसे २ उसका उन्नीस साल पूरा होने वाला था वह ज्यादातर अपने कमरे से बाहर नहीं निकलती थी, उसके माता -पिता भी परेशान होने लगे थे |

कुछ महीनो बाद जब रोहन होश में आया तो उसने सबसे पहले प्रिया को ही पुकारा, रोहन की माँ उससे पूछती है की प्रिया कौन है, रोहन अपनी माँ से बताता है की उसकी जान खतरे में है, "मैंने खुद उस आत्मा को देखा था जो प्रिया के पीछे बैठा था, माँ वो वही लड़की है जो मुझसे मिलने घर पर आयी थी"|रोहन की माँ उसे बताती है की उसने अपना नाम मीनाक्षी बताया था, रोहन सोचने लगा कि मैंने ये नाम पहले कही सुना है और फिर तभी बोल पड़ता है -"हाँ याद आया ये तो वही नाम है जो मेरे शीशे पर लिखा हुआ था, माँ हो न हो ये वही आत्मा है जिसने मुझे मारा था, दरअसल उस दिन माँ मैं शिढ़ियो से नहीं गिरा था बल्कि एक अनजान साया ने मुझे मारा था, मुझे माफ़ करना माँ मैंने ये बात आप से छुपाई |" रोहन कि माँ गुस्से से कहने लगती है कि मुझे तो उस लड़की पर उसी दिन शक हुआ था जब वो हमारे घर पर आई थी तब मेरा दिया भी बुझ गया था, हो न हो उसी ने तेरा एक्सीडेंट करवाया होगा, रोहन की माँ उसे कसम देती है कि वह उससे कभी न मिले, फिर भी रोहन माँ कि बात टालते हुए प्रिया से मिलने के लिए बेताब हो रहा था, रोहन को अब ये यक़ीन हो गया था कि प्रिया ही मीनाक्षी है |रोहन माँ के मना करने के बावजूद भी प्रिया से मिलने चला जाता है, रोहन को घर में देख कर प्रिया के परिवार वाले घबरा जाते है, और पूछने लगते है कि वह कौन है ?, रोहन जाते ही सभी को यह विश्वाश दिलाने की कोशिश करता है कि प्रिया की जान खतरे में है, और उसे प्रिया से मिलना है, प्रिया के पापा उसका यक़ीन नहीं करते है और गुस्से से उसे जाने को कहते है, तभी प्रिया के कमरे में से एक चीख आती है, सभी दौर कर उसके कमरे के पास जाते है, रोहन भी जाता है, प्रिया के पापा फिर उसे जाने को कहते है लेकिन उसे अनदेखा कर के प्रिया को आवाज़ देने लगते है, गेट ना खोलने पर प्रिया के पापा दरवाज़ा तोड़ देते है सभी प्रिया के कमरे में जाते है लेकिन प्रिया कमरे में नहीं थी, सभी लोग घर के कोने-कोने में प्रिया को ढूंढने लगते है, अचानक से एक और चीखने की आवाज़ आती है इस बार ये आवाज़ प्रिया की मम्मी की थी, सभी दौर कर उसके पास जाते है वो छत पर होती है, सभी छत पर जाते है, प्रिया छत के कोने पर खड़ी होती है, सभी दौर कर प्रिया के पास जाते है, प्रिया के पापा और रोहन दोनों प्रिया को छत्त के दीवार से निचे उतारते है, प्रिया के लम्बे २ बाल खुले हुए थे और उसके चेहरे पर चोट की निशाने भी थी, उसकी आँखों के निचे गहरी डार्कसर्कल्स थी, प्रिया की आँखे बहुत लाल थी, प्रिया अपनी निगाहे ऊपर कर के सिर्फ रोहन को देखती है मानो जैसे कुछ कहना चाहती हो ...., वह वही पर बेहोश हो जाती है|

रोहन प्रिया को उठा कर हॉल में ले जाता है, प्रिया के पापा डॉक्टर को बुलाते है, डॉक्टर प्रिया को देखने के बाद कहता है कि 'इसे कोई बीमारी नहीं है लेकिन इसे देखने से लगता है कि यह बहुत बीमार है लेकिन फिर भी मैं इसे ताकत की दवाइयाँ दे देता हूँ आप लोग इसे टाइम पर खिला देना'

प्रिया के पापा को रोहन की बातो पर थोड़ा विश्वाश होने लगता है क्युकि कुछ बाते उन्हें भी अजीब लगती थी प्रिया से जुड़ी |

सभी लोग हॉल में बैठे हुए थे, रोहन भी वही था, प्रिया की माँ रो-रो कर कह रही थी कि "हम कब तक ऐसा देखते रहेंगे, हमें कुछ करना चाहिए अगर मेरी बेटी को कुछ हो गया तो मै नहीं जी पाऊँगी",

प्रिया के पापा उन्हें समझाने लगते है कि " वो जितना तुम्हारी बेटी है उतनी ही मेरी, मुझे भी उसकी बहुत फ़िक्र हो रही है, अब हम उसे और परेशान नहीं देख सकते"|

तभी रोहन कहता है"हमे ऐसे इंसान से मिलना चाहिए जो आत्माओ के बारे में जानता हो, हो न हो वह आत्मा प्रिया को नुकसान भी पंहुचा सकता है" प्रिया के माँ-बाप रोहन कि बातो पर विश्वाश तो नहीं करते लेकिन आज प्रिया कि हालत देख कर उन्हें भी शक होता है कि वह नॉर्मल नहीं है, प्रिया के पापा रोहन के साथ एक बुजुर्ग बाबा के पास जाते है जो उनके घर से कुछ ही दुरी पर रहते थे, उन दोनों को देखते ही बुजुर्ग बाबा कहने लगते है कि :-

"तुम लोग आ गए, कितना समय लगा दिया, पता नहीं वह बच्ची किस कैफियत से गुज़र रही होगी, मैं उसकी तकलीफ़ हर रोज़ सुबह होने से पहले सुनता था जब मैं नमाज़ पढ़ने के लिए उठता था, मैं इस काबिल तो नहीं कि अपने पैरो से खुद चल कर तुम्हारे घर तक जाऊँ, लेकिन तुम लोगो ने बहुत देर लगा दी है आने में .....बहुत देर ......|"

प्रिया के पापा पूछने लगते है कि "क्या आप हमें जानते है ?" और मेरी बेटी को क्या हुआ है वह ऐसा बर्ताव क्यूँ करती है |

तब बाबा कहते है कि" तुम्हारी बेटी कि आत्मा एक शैतान के कब्ज़े में है, जो उसे अपने साथ लेकर जाने वाला है क्यूँकि वो तेरी बेटी से मोहब्बत करता है, वो शैतान एक आत्मा है"

रोहन बाबा से पूछने लगता है कि उस आत्मा को कैसे रोका जाये है, तब बाबा कहते है कि उसे रोकना इतना आसान नहीं है, वह उसे तब से चाहता है जब से वह बच्ची पैदा हुई है, वो उसे अपनी प्रेमिका मीनाक्षी समझता है, वह उसे अपने साथ ले जायेगा जब वो बीस साल की हो जाएगी, रोहन जल्दी से बोल पड़ता है, लेकिन प्रिया का जन्मदिन तो कल ही है, तब बाबा कहते है, हाँ वो उसे कल ही लेकर जाने वाला है| रोहन पूछने लगता है कि उस आत्मा को रोकने का कोई तो तरीका होगा, तब बाबा कहते है कि उसको रोकना आसान तो नहीं है, लेकिन हर जीवित या मरे हुए इंसान का अंत होता है, और उसका अंत उसी गाँव पालमपुर में छिपा हुआ है, पालमपुर का नाम सुनते ही प्रिया के पापा बोल पड़ते है कि वह इस गाँव के बारे में कैसे जानते है, बाबा कहते है कि वह सब कुछ जानते है, उस बच्ची कि पैदाइश भी उसी के घर में हुई है ‘मैंने जब तुम लोगो को उसके घर में जाते देखा तभी मैं समझ गया कि कुछ अनहोनी होने वाला है, मैं तुमलोगो को उसी दिन रोकता लेकिन मुझे कुछ ज़रूरी काम से शहर जाना था, मैं वहाँ से चला गया, रोहन की तरफ देखते हुए बाबा कहते है, "तुझे उस लड़की को बचाना है तो जा वही इसका जवाब मिलेगा कि उस आत्मा का अंत कैसे होगा’|

प्रिया के पापा भी जाने के लिए तैयार हो जाते है लेकिन बाबा उसे मना कर देते है और कहते है कि तुम उसका सामना नहीं कर सकते, उसका सामना सिर्फ ये लड़का कर सकता है क्युकि वह इसे पहले भी मारने कि कोशिश कर चुका है लेकिन वह इसे जान से नहीं मार सकता क्यूकि दोनों ही उस लड़की से सच्चा प्यार करते है और वह आत्मा इसे जिन्दा छोड़ कर एक चुनौती दे रहा है कि प्रिया को कौन पा सकता है, एक चालीस साल पहले मरा इंसान या एक जीवित इंसान, तू उससे प्यार करता है न तो जा बचाले उसे, जा उसी घर में उसका अंत छुपा है.… |

रोहन जाने के लिए तैयार हो जाता है, बाबा उसे एक ताबीज़ देते है जो उसकी हिफाज़त करेगी, रोहन जब जाता है तब वो आत्मा उसकी रुकावटे बनती है लेकिन ताबीज़ होने कि वजह से वह उसके हर वार से बच जाता है | रोहन अब उस घर में पहुंच चुका था, अब भी वो आत्मा रोहन पर वार करे जा रही थी, रोहन उस घर के कोने-कोने में देखने लगा ताकि उसका अंत ढूंढ सके, रोहन कि नज़र एक कमरे में लटक रही कंकाल पर पड़ी, रोहन सोचने लगता है कि हो न हो ये कंकाल उसी आत्मा कि ही होगी, वो एक कमरे में से एक कुर्सी लेकर आता है तब तक वो आत्मा उसे हराने कि पूरी कोशिश करता है, रोहन थोड़ा घायल भी हो जाता है, लेकिन वह बच जाता है उस ताबीज़ की वजह से, रोहन उस कंकाल को निचे उतारता है, उसे अपनी माँ कि बात याद आती है “अगर किसी इंसान का अंतिम संस्कार नहीं होता है तो उसकी आत्मा भटकती रहती है इसलिए वो ये सोचता है कि अगर वो उसे जला दे तो शायद उसकी आत्मा शांत हो जाये, रोहन अपनी गाड़ी से पेट्रोल लेकर आता है लेकिन उसके पास माचिस नहीं थी, रोहन जब पेट्रोल लेकर आ रहा होता है तब उसका ताबीज़ कही गिर जाता है, रोहन पेट्रोल लेकर उस कंकाल के ऊपर छिड़क देता है, वो माचिस लेने के लिए उस घर के किचन में जाता है, वो घर इतना पुराना होता है कि उसके अंदर सांप –बिच्छू भी होता है, रोहन बहुत मुश्किल से उस किचन में से माचिस ढूंढ पाता है, वो लेकर उस कंकाल के पास जाता है लेकिन इस बार रोहन उस आत्मा के वार से बच नहीं पाता है, वो बुरी तरह घायल हो जाता है, जब रोहन माचिस जलाता है तब माचिस जलता ही नहीं क्युकि वह बहुत पुराना होता है |

उधर प्रिया अब भी बेहोश थी, सभी उसके आस-पास बैठे थे, इधर ये आत्मा रोहन पर ऐसा वार करती है कि वो बेहोश होने लगता है तभी उसे प्रिया का ख्याल आता है, माचिश रोहन के हाथो से दूर गिर जाती है जिसमे अपने आप ही आग लग जाती है, रोहन हार नहीं मानता वह फिर बहुत मुश्किल से उठने की कोशिश करता है तभी रोहन को लगता है कि उसके हाथो के निचे कुछ है, वह एक माचिस की तिल्ली थी, रोहन उसे जोर से ज़मीन पर रगड़ता है जिससे उस में आग लग जाती है, रोहन उस तिल्ली को कंकाल के ऊपर फेंक देता है, कंकाल पूरी तरह जल जाती है, उस लड़के की आत्मा हमेशा के लिए आज़ाद हो जाती है, उधर प्रिया को भी होश आने लगता है, वह होश में आते ही रोहन को ढूंढ़ती है, रोहन घर पहुंच जाता है, प्रिया के पापा रोहन को गले लगा लेते है, कुछ दिनों बाद रोहन और प्रिया की शादी हो जाती है और दोनों ख़ुशी-ख़ुशी रहने लगते है |

THE END

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