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हमारी आख़री कैम्पिंग !

मुख्य पात्र

नैना

रौशनी

नेहा

रोहन

सुमित

अलीना

नए कैंपर्स - जुली, रॉनी

बात उस समय की है जब मैं, सुमित, नेहा, रोहन, रौशनी, अलीना सब कैम्पेन पर गए थे, हम सब बहुत अच्छे दोस्त थे और अलीना तो मेरे बचपन की फ्रेंड थी हम हमेशा साथ रहते थे।

इस बार हम सब बहुत खुश थे क्यूंकि हमें हिमाचल के दिल यानी पालमपुर ले जाया जा रहा था मेरे सभी दोस्तों का ये सपना था पालमपुर जाना, और आज फाइनली हमें मौका मिल ही गया, इस समय हमारी टीम राजस्थान के चित्तौड़गढ़ के एक होटल में थी, हमारा पिछला टास्क अच्छा नहीं गया था दरअसल हमारे कोच से गलती हो गयी थी उन्होंने गर्मी के समय में राजस्थान का चयन किया था, इस बार तो राजस्थान की गर्मी ने हद्द पार कर दी थी कुछ प्लेयर्स तो चलते-चलते बेहोश भी गए थे उन में से एक मैं भी थी इसलिए इस बार हमारे कोच ने हिमाचल को चुना, हम सब वहां से पालमपुर रवाना होने कि तैयारी कर रहे थे।कुछ देर बाद हमारी बस आयी और हम लोग होटल को छोड़ कर बस में बैठ गए, रास्ते में सभी लोग बहुत मस्ती करते हुए जा रहे थे, फिर थोड़ी देर बाद हमारे कोच आये और उन्होंने बताया कि पालमपुर में हमें दो नए दोस्त मिलने वाले है, हम लोग नए दोस्तों से मिलने के लिए बहुत उत्सुक्त थे, हमारे कोच बस में ही अपनी निति समझाने लगे थे, उन्होंने बताया हमें जो इलाका मिला है वहां लोगो का आवाजाही बिलकुल न के बराबर है लेकिन उसके आसपास के लोग बता रहे थे कि वहां एक अजीब सी शक्ति अपनी ओर खींचती है हलाकि ऐसा कुछ है नहीं क्यूंकि हमारे टीम के कुछ लोग इस पर काम कर रहे है और उन्हें अभी तक ऐसा कुछ भी महसुस नहीं हुआ है, वो जगह हमारे लिए बिलकुल सेफ है इसलिए चिंता करने कि कोई बात नहीं है, तभी रोहन बोल पड़ा"सर अगर गांव वालो कि बात सच निकली तो, आई ऍम स्योर डेफ्फिनेटली मज़ा आने वाला है"

सभी रोहन को देखने लगे, फिर अलीना का सवाल आया "सर ये भी तो हो सकता है न गांव वाले अपना एक्सपीरियन्स शेयर कर रहे हो, आई मीन सच में ऐसी कोई ऐसी शक्ति हो"

उसके चुप होने के बाद ही सुमित बोल पड़ा"अरे ये तो बिलकुल डरपोक है, आज कल के ज़माने में भी ये बात सच हो सकती है क्या, और गांव वालो के बाद तुहि होगी जो इन सब बातो पर विश्वाश करती होगी"सभी लोग हसने लगे अब कोच क़े बोलने की बारी थी, साइलेन्स गायस अब सब मेरी बातो को ध्यान से सुनेंगे उस जगह पर ऐसा कुछ भी नहीं है अगर होता तो वहां की सरकार हमें उस जगह पर जाने कि इज़ाज़त नहीं देती, लेकिन अगर आप लोग मना करे तो हम ये निति रद्द कर सकते है, तो बोलो क्या कहते हो"

तभी नेहा बोल पड़ी, "सर आप भी किसकी बात सुन रहे हो, आज कल थोड़ी न ऐसा कुछ होता है हम सब जाने को तैयार है (सभी को देखते हुए) यार तुम लोग भी तो बोलो, फिर हम सब ने एक साथ बोला लेकिन अलीना चुपचाप हम सब को देख रही थी" हाँ सर हम सब जाएंगे "सभी की बाते सुनते हुए सर हमें वहां ले जाने को तैयार हो गए "ठीक है हम सब जाएंगे लेकिन अगर किसी को भी ज़रा सी कुछ भी भनक लगे तो एक दूसरे को बताएँगे ज़रूर और हाँ सब साथ ही रहेंगे"सर की नज़र अलीना पर पड़ी, उन्होंने अलीना को बुलाया और उसे समझाने लगे, सर से बात करने के बाद अलीना मेरे पास आकर बैठ गयी, मैंने उससे पूछा" अलीना क्या हुआ तुम्हे, तुम जाना तो चाहती हो न "अलीना थोड़ा सोचते हुए मुझे जवाब देती है" अरे नहीं यार दरअसल मैंने अपने गांव की कई सारी हॉरर स्टोरीज सुन रखी है, तो बस उसका ख्याल आ गया था"तुम इन सब बातो को मानती हो, यार अब कहा होते है भूत प्रेत अब तो ये सब सिर्फ कहानी/किताबो में ही पायी जाती है, हम दोनों ऐसे ही बाते करते जा रहे थे |

एक लम्बा सफर तय करने के बाद हमारी बस एक रिसोर्ट के सामने रुकी, कुछ ही मिनट में पूरी बस खाली हो गयी हम सब पालमपुर के भीड़-भाड़ इलाक़े में थे हमें वहां पर नाश्ता दिया गया और हमारे कोच फिर से हमें समझाने लगे, कुछ देर वहां रुकने के बाद हम लोग अपने मंज़िल के लिए रवाना हो गए, इतनी गर्मी के समय भी यहाँ ठण्ड थी, हम लोगो को गर्म कपडे पहनने पड़े थे हमारे आलावा दो नए लोग भी थे हम सब आपस में बाते करते हुए जा रहे थे, लगभग शाम के चार बज गए थे हम सब चल-चल के थक चुके थे हमने थोड़ी देर बैठने का सोचा, उस समय तक तो मौसम ठीक ही था लेकिन जैसे-जैसे हमलोग आगे बढ़ रहे थे अचनाक से ठण्ड बढ़ते जा रही थी हम सभी बढ़ते ठण्ड को महसूस कर पा रहे थे, हमलोग थोड़ा ही आगे बड़े थे कि, अलीना बोल पड़ी "गायस हमें ये नेचर इन्फॉर्म कर रही है, आई थिंक हमें और आगे नहीं जानी चाहिए" हम सभी रुक कर उसकी बाते सुनने लगे थे, मैंने उससे पूछा "क्या हुआ अलिना, तुम हमें क्या बताना चाहती हो" फिर मोहित बोल पड़ा "अरे यार हम लोग इस डरपोक कि बात क्यूँ सुन रहे है, चलो हमें अभी और आगे चलना है"

अलिना गुस्से से बोल पड़ी"मोहित तेरा दिमाग ख़राब हो गया है क्या, तुम लोगो को ये अचानक से बढ़ रही ठण्ड महसूस नहीं हो रही..."मैं उसके नज़दीक गयी और उसे समझाने लगी"अलिना, ये ठंड तो मैं भी महसूस कर रही हूँ बट हम ये नहीं भूल सकते है कि हमलोग अभी नेचर की गोद में है और यहां चारो तरफ इतनी हरयाली है कि ठंडी तो बढ़ेगी ही"

अलिना- "ऍम सॉरी मैं और आगे नहीं चल सकती"

अलिना गुस्से से वही बैठ गयी

जो नए कैंपर्स थे उन्होंने भी अलिना को समझाया -"अलिना, कोच ने हमें साथ रहने को कहा है, चाहे कोई भी प्रॉब्लम क्यूँ न हो, हमें रिसोर्ट से निकले तो चार घंटे ही हुए है, कोच अगर हम से पूछेंगे तो हम क्या जवाब देंगे, चाहे कोई प्रॉब्लम क्यूँ न आये हम सब को हर हालात में साथ रहना है, (अपना दाहिना हाथ आगे बढ़ाते हुए) गायस सब प्रॉमिस करो, हम सब साथ रहेंगे"सब ने अपना-अपना हाथ बढ़ाया, अलिना ने भी अपना हाथ बढ़ाया और फिर हम सब चलने लगे|

लगभग छह बजे तक हम लोग चलते रहे, हम सब लोगो ने एक जगह ढूंढा रात गुज़ारने के लिए क्यूंकि अँधेरा होता जा रहा था|

सामने पहाड़ के निचे से झरने निकल रहे थे हम लोगो ने उसी के आसपास ठहरने को सोचा क्यूंकि झरने का पानी मीठा होता है जिसे हम आसानी से पी भी सकते थे और हमें पानी लेने के लिए कहीं दूर भी नहीं जाना पड़ेगा, सामने जो पहाड़ थी उस पर बर्फ़ की मोटी परत जमी हुई थी, जिसकी वजह से ठण्ड बहुत अधिक लग रही थी, हम सब लोग आधे-आधे बट गए दरअसल हमलोगो ने ऐसा इसलिए किया ताकि आधे लोग टेंट बना सके और आधे लोग पास वाले जंगल से लकड़ियाँ ला सके मुझे लकड़ियां लाने का काम मिला था, मेरे साथ तीन और लोग थे, अलीना टेंट बनाने के लिए रुकी थी|

चांदनी रात होने की वजह से जंगल हमें बहुत आकर्षित कर रहा था, चाँद की मीठी-मीठी रौशनी चारों तरफ फ़ैली हुई थी, हम सब मस्ती करते हुए और गाना गाते हुए लकड़ियाँ उठा रहे थे, हम चारो की नज़र एक लटक रही सूखी डाल पर पड़ी, हम सब ने आपस में विचार किया कि अगर हम ये डाल तोड़ ले तो हमें ज़्यादा लकड़ी ढूढ़ने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी इसलिए हम उस डाल को तोड़ने में लग गए, लगभग एक मिनट ही हुआ होगा एक तेज़ हवा का झोंका हम से हो कर गुज़री जिसमें एक लड़की की आवाज़ मिश्रित थी जो सुनने में बहुत दर्द भरी लग रही थी, हम एका एक चौंक गए, हम सब ने आपस में पूछा तो उस आवाज़ को हम सभी ने महसूस किया था, हमने हवा का झोंका समझ कर उस बात को भुला दिया, हमने उस सुखी हुई टहनी को पेड़ से अलग कर दिया था, अब हम सब उस टहनी को घसीटते हुए अपने कैम्प तक ल जा रहे थे, चलते समय फिर से वो हवा हमसे होकर गुज़री, हम लोगो ने अचानक से उस टहनी को छोड़ दिया, सभी के चेहरे पर पसीने थे एक दूसरे का चेहरा देखते हुए जुली ने कहा "हमें शायद यहां नहीं आनी चाहिए था"

मैंने कहा -"हम सब को एक साथ रहना है चलो जल्दी कैम्प पर चलते है"

हमने उस टहनी को वही छोड़ा और कैंप पर पहुंच गए, इस बीच हमें दुबारा कोई आवाज़ सुनाई नहीं दिया, जब हम लोग वहा पहुंचे तो सब खड़े होकर हमें आते हुए देख रहे थे, हम लोग तो पहले से ही डरे हुए थे और उनके चेहरे देख कर हमें और भी डर लगने लगा था, हमने जब पूछा तो उनलोगो ने कहा कि हमारी चीखने की आवाज़ आ रही थी, हमलोग समझ गए थे कि यहां कुछ और देर रहना सही नहीं है, हमारा कैंप लगभग तैयार हो गया था, जो लोग मेरे साथ गए थे वो लोग अपना सामान लेकर आ गये, उनलोगो ने कहा "हमें यहां एक मिनट भी नहीं रुकना चाहिए, गांव वाले सही कह रहे थे यहां कुछ तो अजीब है, चलो सब चलते है"

अलीना - क्या हुआ है ?

रोहन - "तुम सब को हो क्या गया है, सब-कैसी कैसी बाते कर रहे है, तुम लोग ये बताओ चीख़ क्यूँ रहे थे"

मैंने एक धीमी आवाज़ में कहां "ये लोग सही कह रहे है, हमें यहां नहीं रुकनी चाहिए, चलो सब यहां से"

रोहन-"यार तुम भी ऐसी बात करने लगी, तुम लोगो को हो क्या गया है, कैसी बाते कर रहे है सब, बताओगे कुछ "

"रोहन हम सब सही कह रहे है क्यूंकि हम में से किसी ने भी चीखने की आवाज़ नहीं निकाली थी, और हम ने भी जंगल में किसी के होने का महसूस किया था और एक बार नहीं बल्कि दो बार"

रौशनी - आई थिंक हमें कोच से बात करनी चाहिए, मैं उन्हें कॉल लगाती हूँ(कॉल लगाते हुए) यार यहां नेटवर्क भी नहीं आ रहा, मैं आगे जाकर देखती हूँ (मन में बड़बड़ाते हुए) नेटवर्क क्यूँ नहीं आ रहा"

जंगल की तरफ से फिर से चीखने की आवाज़ आती है, रौशनी रुक कर कहती है"ये आवाज़ किसने निकाली है अभी"

सभी वहा से पहाड़ी की तरफ भागने लगे, रौशनी भी दौड़ने लगी, कुछ लोगो के पास उनका सामान भी था लेकिन कुछ लोग बिना सामान के दौड़ रहे थे, हमलोग घंटो पहाड़ी पर चलते रहे लेकिन हमें रुकने के लिए ज़मीन नहीं मिली, चारो तरफ पहाड़ ही पहाड़ दिख रही थी, एका एक पहाड़ पर ज़ोर से हवा चलने लगी और पहाड़ पर जो बर्फ की परत थी वो भी पिघलने लगी, हमसब बहुत डर गए थे, वज़न कम करने के लिए कुछ लोगो ने अपना बैग उतार दिया और वहां से भागने लगे लगभग पांच मिनट बाद सब कुछ शांत हो गया, हमलोग बहुत थक गए थे, हम सब निचली पहाड़ी पर पहुंच गए और वही पर बैठ गए कुछ देर बाद हम सब को वही पर नींद आ गयी थी, सुबह की किरण के निकलने से पहले ही हमारी आँखे खुल गयी थी हमें आस पास एक भी घर नहीं दिख रहा था, हम सब रात के हादसे से बहुत डरे हुए थे, रोहन कहने लगा-"अगर मैं यहां से जिन्दा बच गया तो दुबारा कभी कैंपिंग पर नहीं आऊंगा "

अलीना -"मैंने कहां था तब किसी ने मेरी बात नहीं सुनी अब भुगतो सब के सब, हम सब मारे जायेंगे (तभी अलीना अपने हाथ को ज़मीन पर टिकाती है)

ये क्या है (अलीना जहा बैठी हुई थी वहा पर बर्फ के अंदर से एक ऊँगली जैसा निकला हुआ था जब हमने बर्फ़ को हटा कर देखा तो सच में वह एक ऊँगली थी, हम लोग पहले से ही डरे हुए थे और अब ये ऊँगली देख कर हम सब और भी ज़्यादा डर गए, हम में से कुछ लोगो ने सोचा कि हमें पुलिस के को बतानी चाहिए लेकिन इस बात से सब लोग सहमत नहीं थे उन में से एक थी अलीना उसका कहना था कि ये सब कोई आत्मा कर रही थी और वो हम सब को मारना चाहती है, नेहा ने एक सवाल के उद्देश्य कहा - आत्मा?

अलीना - "हाँ आत्मा, तुम लोगो को क्या लग रहा है ये जो हम लोगो के साथ अभी तक हुआ है वो कोई आम हादसा है, नहीं ये सब आत्मा का काम है, आई ऍम स्योर ये ऊँगली भी उसी की है और हो न हो इस बर्फ के अंदर उसकी लाश भी होगी, मैं यहाँ से जा रही हूँ क्यूंकि मैं उसके हाथो मरना नहीं चाहती "

अलीना इन सब मामलो में हमेशा नेगेटिव रहती थी, मैंने उसे फिर समझाया....

मैंने कहा- "लेकिन अलीना ये भी तो हो सकता है न कि वो ये चाहती हो कि हम उसकी मदद करे"

मोहित -"ऐसा नहीं हो सकता क्यूंकि हम यहां ख़ुद को बचाते हुए अपनी मर्ज़ी से पहुंचे है, अगर कोई है जो ये चाहता तो हमें कोई क्लु देता, मैं अलीना के बातो से सहमत हूँ, मैं भी जा रहा हूँ और आई थिंक हम सब को यहां से चलनी चाहिए"

रोहन - "अगर हम इस बात को पुलिस को नहीं बताये तो शायद ये राज बाहर नहीं आ पायेगा, हमें पुलिस के पास चलना चाहिए"

अलीना - जिसे जो करना है वो करो, मैं यह से जा रही हूँ(अलीना वहा से जाने लगती है उसके साथ मोहित और रौशनी भी जाते है, वो मुझे भी कहती है जाने को लेकिन मझे लगता था अगर हम इस सच्चाई से दूर भागे तो हम भी गुनहगार कहलायेंगे, मेरे साथ बाकी सब लोग रुके थे हम सब उन लोगो को जाते हुए देख रहे थे, कुछ देर बाद वो हमारे आँख से ओझल हो गए, हमने बर्फ़ को हटाना शुरू कर दिया बर्फ के निचे एक लाश दबी हुई थी जो एक औरत की थी, हमने उस लाश को आधा ही निकाला था और देखते ही सभी के आँखो में आँसू आ गए थे हम लोग ही नहीं बल्कि जो भी उस लाश को देखता तो उसके आँखे भी नम हो जाये, कितने बुरे तरीके से इस बेचारी को किसी ने मारा था ज़रूर कोई हैवान ही रहा होगा जिसने आज फिर से मानवता को शर्मसार किया है|

उस औरत के पेट में एक छुरा घुपा हुआ था और गले में एक मोटी रस्सी बंधी हुई थी, खून के धब्बे बर्फ़ की वज़ह से जमे हुए थे और चेहरे पर काफ़ी चोट के निशाने भी थी, हमने उसके शरीर को एक पिले रंग की चुन्नी से ढक दिया जोकि नेहा की थी और एक छोर को उसके हाथो से बांध दिया ताकि वो चुन्नी उड़ ना सके और जब हम दुबारा आये तो आसानी से उसके पास पहुंच सके,

हम सब गांव के तलाश में निकल पड़े, बहुत देर तक चलने के बाद हमें एक घर मिला जहा एक औरत अपने दो बच्चे के साथ रहती थी, हम उनके घर के पास गए उसने हमको पानी के लिए पूछा और कहने लगी हम यहां के नहीं लग रहे थे |

हमने पानी पिने के बाद उससे पुलिस स्टेशन के बारे में पूछा, वो हम सब को वहा ले जाने के लिए तैयार हो गयी, हमें बस कुछ देर ही चलना था, पुलिस स्टेशन आते ही वो हमें अंदर जाने के लिए कहने लगी और वो वापस अपने घर चली गयी, हम सब अंदर गए और पूरी बात इंस्पेक्टर को बताने लगे, हमारी बात सुनने के बाद पुलिस इंस्पेक्टर हमें भी साथ चलने के लिए कहा, उससे पहले हमने अपने कोच से बात किया और उन्हें हमने पूरी घटना के बारे में बताया, हमारी टीम हमें पहले से ही ढूंढने में लगी थी क्यूंकि वो हम से कॉन्टैक्ट नहीं कर पा रहे थे |

पुलिस के साथ हम सब भी उस पहाड़ी के पास गए और चुन्नी के सहारे हम जल्द ही उस लाश तक पहुंच गए, पुलिस ने हमारी बहादुरी की तारीफ भी की और हमें सही सलामत हमारे कोच तक पहुंचाया, हम सब उसी दिन अपने-अपने घर लौट गए लेकिन हमारे जो दोस्त पहले ही आ गए थे वो अभी तक घर नहीं पहुंचे थे, पुलिस उनकी तलाश में अब तक जुटी हुई है |

उस लाश के बारे में पता लगाने पर पता चला कि उस औरत को उसके पति ने मारा था जोकि पागल था और शराब पीने का आदि भी था |

हमारी इस कैंपिंग ने हमें डराया भी और ज़िन्दगी की अहमियत सिखाया भी, उस लड़की की मौत को देख कर शायद उन पहाड़ो को भी उस पर तरस आ गया होगा इसलिए उसने उसे छुपा लिया था, इस घटना के बाद शायद हम लोग कैम्पिंग पर ना जा पाए लेकिन हम उस औरत के चेहरे को कभी भूल नहीं सकते !

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