शैतान बच्चा paresh barai द्वारा हास्य कथाएं में हिंदी पीडीएफ

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शैतान बच्चा

बाला : दादी नमस्ते, कैसी हो सब ठीक ?

दादी : यह शैतान साधू कब से बन गया ? आज सूरज पश्चिम से उगा है क्या ?

बाला : वह सब छोड़ो मंदिर की बात बताओ ? आज नहीं जाना सैल सपाटे को !

दादी : वहां दर्शन करने जाते हैं, सैल सपाटे को नहीं “नासपिटे”

बाला : अच्छा तो ऐसा है ! तो फिर वहां बैठ कर मेरी माँ की चुगली क्यूँ करती हो ?

दादी : आ गया ना... लाइन पर, पता था, तूं नहीं सुधरेगा | अब भाग वरना छड़ी उठाऊ |

पापा : बाला क्या है ? क्यूँ दादी को तंग कर रहा है ?

बाला : वोह दादी मेरी है | आप की तो अम्मा है | खैर अब बता ही देता हूँ वह क्या बोली |

पापा : हाँ बता क्या बोली तेरी दादी !

बाला : दादी बोली कैसा कजूस बेटा मिला है, न स्वादिस्ट पकवान खिलाता है और ना ही यात्रा पर भेजता है | खामखा एक कपूत के लिए मैंने अपना फिगर ख़राब कर लिया |

दादी : ये देखो, कितना जूठा है | मैं तो ऐसा कुछ ना बोली | यहाँ तो मंदिर की बात हो रही थी | रुक शैतान अभी मज़ा चखाती हूँ तुझे !

मम्मी : क्या हुआ... किस बात का शोर है यहाँ...

दादी : इसे क्या खा कर पैदा किया है बहु ? हर पल घर में जगड़े लगवाता है तेरा बेटा |

मम्मी : आप का बेटा कौनसा साधू सचिन तेंदुलकर है ! खानदान ही राक्षशी है पूरा | फस गई में तो |

पापा : ए... बच्चे के चक्कर में तुम सांस बहूँ अब मत शुरू हो जाओ | ममता नाश्ता बना |

मम्मी : गैस पर में बैठ जाती हूँ | खा लो मुझे पका कर | राशन खतम हो गया है कल रात ही तो बताया था | गजनीछाप पतिदेव को याद तो कुछ रहता नहीं !

बाला : मम्मी में बाहर खेलने जाऊ ? घर में बैठे बैठे बोर हो गया |

मम्मी : संडास में 12 घंटे कैद होना है तो जा... | “पैर मत रखना बाहर” | पढाई कर |

दादी : बच्चे खेलेंगे नहीं तो आगे कैसे बढ़ेंगे |

मम्मी : आप जाओ, बहार खेलो... बढ़ लो आगे |

दादी : अरे मेरी तो उम्र हो गई...

मम्मी : जवानी में तो जैसे बड़ी पीटी उषा लगी थीं आप | फ़ोकट का ड्रामा !

पप्पा : मुझे क्या करना है बताओ ? राशन लेने जाऊ ! या बहार नाश्ता करूँ |

दादी : तूं ना... मुजरा कर | कव्वाली गा,,, तेरे से कुछ और नहीं होना... तेरी बीबी की ज़बान तो काबू रख नहीं सकता तूं... और तुझसे से क्या होगा बेटा... ?

बाला : दादी मेरे पापा को ऐसा मत बोलो... माँ को बुरा लगेगा तो जमालघोटा दे देगी आप को,,,

मम्मी : नहीं... बोलो बोलो सासु माँ.. मेरा कोई इसके साथ अमर प्रेम नहीं... 7 साल में एक साड़ी तो ला के दी नहीं ! घुमने ले कर गया नहीं | ऐसा पति किस काम का मेरे |

दादी : देखो कितनी स्वार्थी पत्नी मिली है बेटा तुझे... तेरा तो जीवन ही बरबाद किया इस नेवली नें...

पापा : तो क्यूँ गले बांधा इसको... में तो बोल रहा था... शर्मा जी की बेटी ला दो | आप ही अड गईं थी इस हथनी को लाने को..

मम्मी : मैं हथनी...? तुम कोनसे टाइगर श्रोफ या सलमान खान दीखते हो, भालू जैसी शकल, फुटबॉल जैसी तोंद, मुह में बदबू दार गुठका.. न पैसा न नाम... “किस्मत झंड फिर भी घमंड” !

बाला : पापा यह शर्मा जी की बेटी कौन थी ? आप फील्डिंग लगाते थे क्या उसके लिए ? बहुत ज्यादा पसंद थी !

दादी : दे अब इस छोटे राक्षश को जवाब... हाहाहा

पापा : अरे कुछ नहीं... तूं इन बातों को नहीं समझेगा... छोड़ इन बातों को | जा होम वर्क कर |

बाला : ये तो होना ही था... शर्मा जी की बेटी के आशिक की दुखती रग पकड़ ली तो उसने मेरी दुखती रग पकड़ी |

पापा : ए ममता ये तेरे बेटे की ज़बान कुछ ज्यादा ही लंबी हो गई है... डांट फटकार नहीं लगाती क्या इसे...?

मम्मी (ममता) : में तो बेटे के बाप को भी डंडे से पेलना चाहती हूँ.. और बेटे के बाप की अम्मा के भी कान खींचना चाहती हूँ... पर मेरी इस घर में चलती कहाँ है ?

दादी : देखो देखो... इस चुड़ैल के दिमाग में क्या क्या चल रहा है.... में तो अब भी कहती हूँ... बेटा इस अधिक-वजन वाली नागिन को छोड़ दे... तुझे परी जैसी दुल्हन ला दूंगी |

मम्मी : अच्छा... इस भालू गैंडे के लिए परी ? हाहाहा.. और फिर हमने जो ये इंटरनेशनल लेवल का नमूना (बाला) आविष्कार कर के रक्खा है उसका क्या करेंगी ?

दादी : उसे मैं पालूंगी |

मम्मी : बत्तीसी पहननी हो तो मुह का पता मिलता नहीं, बाथरूम जाना हो तो, हुसैन बोल्ट जितना दम लगाना पड़ता है | ऐसे में आप से ज़बान ही चलेगी अम्मा... बाकि सब ठुस्स है |

बाला : कोई बात नहीं मम्मी... में नई मम्मी बर्दाश्त कर लूँगा... तुम छोड़ तो मेरे पापा को... जी लो अपनी जिंदगी... अच्छा दादी वोह परी छाप लड़की का एड्रेस बताना ज़रा... !

पापा : बाल्या आज पिटेगा तूं... चुप रे... और ममता मुझे तूं ही चाहिए | ए अम्मा तुम ममता को और ना तपा |

दादी : सस्ते नशे करने की आदत पड़ी, उसे विस्की और रम कहाँ पसंद आती | "गधी पे दिल आया तो परी क्या चीज़ है" | तेरे लिए यह मोटी ममता ही सही है | “भुगत बेटा, भुगत”

बाला : दादी एक बात बताओ... आप मेंरी माँ को बुरी भली बोल रहे हो... आप जवानी में कैसे दिखती थीं बताओ !

दादी : अरे चुटके... में तो बोम्ब दिखती थी | गली के आशिक पागल थे मेरे पीछे |

बाला : अच्छा ! इतना फूटेज ? तो फिर आप नें मेरे मुंगेरीलाल टाइप दादा के साथ किस्मत क्यूँ फोड़ ली ? बताओ !

मम्मी : हाहाहा... बाउंसर पड़ा बुढिया को... अरे अरे... बेटा में बताती हूँ.. दरअसल तेरे दादा के पास थी ज़मीन, मकान और अच्छी वाली नौकरी... फिर तेरी चालक लोमड़ीछाप दादी गली के आशिकों को क्यूँ दाना डाले बताओ !

दादी : ये जूठी है... बहू... तूं क्या उधर देखने आई थी !

बाला : तो आप ही बता दो दादी... आप नें दादा को क्यूँ लपका ? आजीवन खर्चेपानी के लिए !

दादा : क्या चल रहा है यहाँ.... मेरी बात हो रही है क्या ?

बाला : आइये दादा.. ये देखो दादी क्या बोल रही है आप के बारे में | बोल रही है की, बंदर कितना भी बुड्ढा हो गुलाटी मारना नहीं भूलता |

दादा : मतलब ?

बाला : आप मंदिर और सब्जी मंडी गए थे ना ? तो दादी बोली आप वहां बुड्ढीओं को ताड़ने जाते हो | और नदी पार जंगलों में जा कर नशेडीओं के साथ गांजा फूंकते हो... !

दादी : ए ममता अपने बेटे को पकड़... आज इसे उल्टा टांग के धोउंगी... ये इस उमर में तलाक कराएगा मेरा !

पापा : चल बाला टीवी देखते हैं | यहाँ तू पिटेगा |

बाला : आप कैसे बाप हो, बेटे को पढाई करने की सलाह देने की वजाए बिगाड़ रहे हो ! आज मुझे समझ आया आप बड़े आदमी क्यूँ नहीं बने पापा |

पापा : अच्छा तो पढाई कर ! चल

बाला : माँ तुम ठीक कहती थी, बड़ा निर्दय कठोर और कंजूस पति मिला है तुजे... न तुम्हे साडी दिलाता है, न दादी को यात्रा पे भेजता है और अब मुझे भूखे पेट पढाई करने जाने को बोलता है | घोर कलयुग...

दादी : हाहाहा... नहीं सुधरेगा ये... कोरोना वाइरस का इलाज मिल भी जाए, पर शैतान बाला को ठीक करना नामुमकिन है |

दादा : अब जगडा बंद करो सारे... जलेबी लाया हूँ... खा लो |

बाला : अरे दादी... ये तो नंदू हलवाई की जलेबी है... वहां तो उसकी जवान बेटी गल्ले पर बैठती है | दादा आप का टारगेट कहीं वह कटीली हलवायन तो नहीं...?

दादा... किधर गई मेरी लाठी... रुक छोटे शैनता... !