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हसीन प्रेम-रोगी चुड़ैल

हसीन प्रेम-रोगी चुड़ैल

मेरा नाम नरेन चौहान है। और में छत्तीसगढ़ का रहने वाला हूँ। मेरा परिवार सरदार पटेल मार्ग के पास रहेता है। अभी मेरी कॉलेज की पढ़ाई शुरू ही हुई थी, पर सच कहूँ तो मेरा पढ़ने मेँ रत्ती भर मन नहीं था। चूँकि मेरी आँख एक माधवी नाम की सुंदर लड़की के साथ लड़ गयी थी। अब बस मुझे जल्दी से पैसा कमाना था। और माधवी के साथ जिंदगी बितानी थी। जब मैनें कॉलेज के पहले साल मेँ कदम रखा था तब माधवी फ़ाइनल यर में थी। वह मुझ से दो साल बड़ी थी। पर प्यार में कोन यह सब देखता है। मैंने पापा से साफ बोल भी दिया की मुझे काम करना है, झट से शादी करनी है। पापा भी समझ गए के इसे बड़ी आग लगी है अब यह निकम्मा पढ़ेगा नहीं।

उन्होने फौरन मेरे लिए काम ढूंढ दिया। और मे पैसे कमाने लगा। मेरे माँ-बाप उस लड़की के घर रिश्ता ले कर भी गए। पर माधवी के माता पिता नें मना कर दिया। उन्होने कहा की एक तो आप का बेटा कम पढ़ा लिखा है, ऊपर से वह उम्र में भी माधवी से दो साल छोटा है। और हमारी बेटी के लिए अच्छे अच्छे घर के लड़के लाइन लगा कर तैयार है तो आप हमे माफ करें। मैंने माधवी से भी बात की, पर उसने भी वही तर्क दिये जो उसके माता-पिता नें दिये थे। कुछ ही दिनों में माधवी शादी कर के किसी करोड़पति के घर सेट हो गयी और में फटे-हाल मझनु बन कर देवदास टाइप जिंदगी बिताने लगा।

एक दिन की बात है। जब में अकेला उदास, नशे मेँ धुत, एक बैंच पर बैठा था। और उस जगह कई सारे कपल घूम रहे थे। उन्हे साथ-साथ खुस देख कर मुझे बहूंत जलन हो रही थी। मैंने ऊपर आकाश की और देख कर कहा की, है भगवान तूने सब को खुशी दी,,, सिर्फ मेरी ही बैंड क्यूँ बजाई,,,,? अगर भगवान फ्री नहीं है,,, तो शेतान, चुड़ैल, प्रेत, आत्मा, पिशाच कोई तो मेरी मदद करो,,,, बड़ा दुखी हूँ मै यार,,,,

तभी अचानक मेरे कानों में पायल की आवाज़ पड़ी। मैंने फौरन मूड कर देखा तो एक भरी-पूरी जवान औरत मेरे पीछे आ खड़ी थी। मेरे पास आ कर वह बोली की,,, क्या मदद चाहिए,,,? पहले तो मुझे समज नहीं आया की उसे क्या बोलू। पर दिल में बड़ा गुस्सा भरा था तों बोल दिया की,,, शादी करने की खुजली चड़ी है, जो लड़की पसंद थी वह टांग दिखा कर दूसरे अमीर गधे के साथ सेट हो गयी है,,, अब कहो तुम फ्री हो,,,? गर्ल फ्रेंड बनोगी,,,? शादी करोगी,,,? वैसे भी मुझे खुद से बड़ी लड़कीया ही पसंद आती है,,,, पता नहीं मुझ में क्या डिफ़ेक्ट है।

उस नें कहा की,,, यह काम हो जाएगा। और कुछ मदद चाहिए। मे तो शोक में आ गया,,,, मुझे तो लगा की अभी यह मुझे लाफा मार कर आगे बढ़ जाएगी। फिर मैंने गौर से उसकी और देखा तो पता चला की,,, वह कुछ अजीब नजरों से मुझे देख रही थी। जैसे की मुझ में कुछ ढूंढ रही हों,,,

मैने कहा की हां,,,, उस माधवी की बच्ची का तलाक करवा दे। फिर तेरे बाप के घर मेरे माँ-बाप रिश्ता ले कर आ जाएंगे। उसने हस्ते हुए,,, जवाब में कहा की,,,, तुम्हारा काम तीन दिन में कर दूँगी। पर तुम अपना वादा भूल गए तो मै तुम्हारा खून पी जाऊँगी।

इतना बोल कर वह झाड़ियों के पीछे कहाँ गायब हो गयी, मुझे समझ नहीं आया की वह सब हो क्या गया। पता नहीं पर उस दिन मुझे काफी डर लग रहा था। वोह अनजान औरत दिखने में तो खूब-सूरत थी पर उसकी नज़र कुछ पारलौकिक तत्वों जैसी थी। और उसनें मुझे जो धम्की दी थी, वह बार बार मेरे कानों में गूंज रही थी। घर पर भी बार बार मुझे उसकी पायल की आवाज़े सुनाये देने लगी थी।

दूसरे ही दिन चौंका देने वाली खबर आई की,,, माधवी के साथ उसके पति नें मार-पीट की है, और उसे बुरी तरह चौट आई है। मुझ से रहा नहीं गया। मै अपने पापा और माँ के साथ उसे देखने अस्पताल चला गया। माधवी का एक पैर तोड़ दिया गया था। और उसके गले पर, छाती पर, और कमर पर गहरे मार के निशान थे। यह घटना रात तीन बझे हुई थी तो यह साबित हो गया की यह सब उसके पति नें ही किया है।

माधवी की हालत देख कर मेरे आँसू निकल आए। और मुझे दहेशत भी थी। की कहीं उस रहस्यमय औरत नें ही यह सब ना किया हो। तीसरे ही दिन माधवी के पिता नें माधवी की सहमति से उसका तलाक फ़ाइल करा दिया। और जब उसके पिता कोने में खड़े रो रहे थे। तब मेरे पापा नें उनके कंधे पर हाथ रख कर कहा की आप दुखी मत होइए,,, मेरा बेटा आज भी आप की बेटी से दीवानों की तरह प्यार करता है। आप को कबुल हो तो मै अब भी माधवी को अपनें घर की बहू बनाना चाहता हु।

माधवी के पिता नें मेरे पापा को गले लगा लिया और रोते रोते कहने लगे की हम से बड़ी भूल हो गयी,,, शायद आप से रिश्ता जोड़ा होता तो यह दिन ना देखना पड़ता। यह सब देख कर मेरी तो खुशी का ठिकाना नहीं रहा। ज़िंदगी में फिर से बहार आ चुकी थी। मै नए नए सपनें बुन नें लगा था। माधवी भी अब मेरे सच्चे प्यार को अपना कर मुझसे प्यार करने लगी।

एक महीने तक माधवी अस्पताल में रही, और मेंने जी जान से उसकी सेवा की। और तब तक माधवी का तलाक का प्रोसैस भी पूरा हो गया। वैसे तो कोर्ट पति-पत्नी को तलाक लेने से पहले सोचने के लिए 6 महीने का वक्त देता है। पर माधवी के पति पर मार पीट के क्रिमिनल चार्ज लगे थे तो,,, तलाक देने में उन्होने भी कोई आनाकानी नहीं की। और आसानी से तलाक हो गया।

करीब तीन महीने बाद अब धीरे धीरे माधवी नें चलना शुरू कर दिया था। और उसकी सेहत तेज़ी से ठीक होने लगी थी। मौका देख कर हमारे माँ-बाप नें हमारी सगाई करा दी। फिर मै और माधवी हर सप्ताह दो से तीन बार घूमने जाने लगे। मेरी तो ज़िंदगी जैसे जन्नत बन गयी थी। भगवान में मेरा विश्वास फिर से जाग उठा था।

एक दिन मै और माधवी उस जगह घूमने गए जहां कभी में माधवी की याद में नशे में धुत हो कर बैठा करता था। मैने माधवी से कहा की देखो जब तुम मेरी लाइफ से गयी थी,,, तब मै इसी बैंच पर नशे में धुत बैठा रहता था। और कुदरत को कौसता रहता था।

हम बाते करते करते उस बैंच पर बैठ गए। और तभी अचानक पायल की जानकार की आवाज़ आई। मेरे तो रोंगटे खड़े हो गए। मुझको फौरन समझ आ गया की यह आहट उसी खतरनाक औरत की है। मैने माधवी से कहा की यहाँ से फौरन चलो, यह जगह अब सैफ नहीं है। हम अभी उठ कर वहाँ से जा ही रहे थे,,, की किसी नें पीछे से मेरे कंधे पर हाथ रखा। जैसे ही मैने मूड कर देखा तो मेरे हौश उड़ गए। मेरे पीछे वही danger औरत खड़ी थी। उसकी खून भरी आँखों में काफी गुस्सा था। उसे देख कर मेरे पसीने छूट रहे थे।

उसने वहीं मुझे मेरा वादा याद दिलाया,,, मेरे पास कोई जवाब नहीं था। और माधवी तो शोक में ही आ गयी थी। चूँकि अंदर ही अंदर अब वह यह समझ गयी थी की उसके और उसके पति के साथ जो कुछ भी हुआ उसमें कहीं ना कहीं मै ज़िम्मेदार हूँ। फौरन माधवी मेरा हाथ छुड़ा कर रोते हुए घर चली गयी। अब उस जगह पर मै और वह भयानक इरादों वाली औरत थी।

अब उस औरत के और मेरे बीछ जो भी बात हुई वह कुछ इस प्रकार थी

मै : देखो मै एक मामूली इन्सान हूँ।

वह : और में के खतरनाक चुड़ैल हूँ। जिसने तेरी तकलीफ दूर कर के तुझसे वादा लिया था की तू मेरा बनेगा।

मै : (काँप ते हुए) भूल हो गयी माफ कर दो,,, मै माधवी से प्यार करता हूँ,,, हमें साथ हो जाने दो,,,

वह : तेरी माधवी के पति के शरीर में घुस कर मैने ही उन दोनों को अलग कराया है। अब तू अगर अपने वादे से मुकर गया तो मै तेरी हालत तो बिगाड़ ही दूँगी। पर उस से पहले तेरी माधवी के शरीर में घुसुंगी और किसी गहरे कुए में छलांग लगा दूँगी। समझा,,,? अब घर जा,,, और तेरे माँ-बाप को बोल,,, की अपने होने वाले चुड़ैल समधी के घर रिश्ता ले कर फौरन आ जाए। वरना भयानक त्रांडव होगा।

मै : मेरी बात समझने की कौशीस तो करो,,,,?

वह : मीटिंग बरखास्त हुई,,, अब निकल,,, वरना,,, सगाई, शादी, सुहाग रात, और आठ दस भयानक बच्चे यहीं हो जाएंगे। इस लिए जट,,, से जा,,, और फट से,,, घरवालों को रिश्ता ले कर भेज,,, तुझे यहीं आना है,,, यहाँ से कहा जाना है वह में बता दूँगी।

इतना बोल कर वह चुड़ैल फिर से जाड़ियों में घुस गयी। मुझे समज नहीं आ रहा था की रोउ हसू या क्या करूँ। ऐसा फिल हो रहा था जैसे की ऊंट पर बैठा हूँ और किसी पोमेडियन कुत्ते नें उछल कर काट लिया हो,,,,। 100 तरह के लज़ीज़ पकवान सामने पड़ें हों और पेट खराब हो गया हों,,,। लाल रंग की चड्डी भी ना पहन रखी हो फिर भी कोई पागल सांढ पीछे पड़ गया हो। सिर मुंडवा रखा हों फिर भी औले पड़ गये हों।

जैसे तैसे कर के मै अपने घर पहुंचा,,, वहाँ गया तो पता चला की माधवी को ले कर उसके माता पिता मेरे घर पर आए हैं। सब मुझ पर टूट पड़े जैसे की में कोई पंचिंग बैग हूँ। मुझे पता था की मेरी गलती तो है,,, पर इरादतन मैने कुछ भी नहीं किया था। जो भी हुआ मैने एक एक बात उन लोगों को सच सच बताई।

तभी उतने में खबर आई की जिस आदमी से माधवी का तलाक हुआ था उसने दूसरी शादी की है और उन लोगों का चक्कर उस वक्त भी चल रहा था जब माधवी उसके घर अपने ससुराल में थी। इस लिए उस शादी के टूटने का उन्हे कोई गम नहीं था। पर हाँ अब सब लोग इस चिंता में ज़रूर थे की आगे क्या किया जाए,,,

सब समझ नें के बाद माधवी भी शांत हो गयी और उसने समझा की मैने जो कुछ भी किया वह उसे पाने के लिए किया था तो उसने मुझे दिल से माफ कर दिया। और मेरे और माधवी के माता-पीता एक तो हो गए। पर अब प्रोबलेम वह चुड़ैल थी। जो मेरे साथ दिल लगा बैठी थी और मेरी पटरानी बन नें की ज़िद पकड़ के बैठी थी।

मेरे होने वाले ससुर नें हमे एक ज्ञानी पंडित-तांत्रिक के पास जाने का सुजाव दिया। हम सब (छे) मिल कर वहाँ गए। और अपनी पूरी समस्या उन्हे बता दी। उस पंडित-तांत्रिक नें कहा की,,, चुड़ैल, प्रेत, पिशाच यह सब अतृप्त, श्रापित और क्रोधी तत्व होते हैं। इन का स्वभाव ही हिंसक और क्रूर होता है। पर अगर इनकी इच्छा पूर्ति हो जाए तो यह अपना रास्ता अलग कर के दूर चले भी जाते हैं।

मेरे पिता नें उस तांत्रिक को कहा की आप मज़ाक कर रहे हो? मै उस चुड़ैल की शादी अपने जवान बेटे के साथ करा लूँ,,,? ताकि गुस्सा आने पर वह इसका सारा खून चूस कर इसे फैंक दे? और इन लोगों का क्या करूँ जिनसे मैंने रिश्ता तै किया है,,, सगाई तक करा दी है।

तब तांत्रिक नें समजाया की रास्ता तो येही है,,, उस चुड़ैल की ज़िद पूरी कर दो फिर आगे क्या क्या वचन उस से लेने हैं उसकी लिस्ट मै तैयार कर देता हूं। और हाँ,,, ऐसा नहीं करना है तो जाओ,,, थाने,,, और करो पुलिस में रिपोर्ट की,,, चुड़ैल जबरदस्ती बहू बनने पर तुली है,,,, और फिर हो जाओ सारे पागल-खाने में भर्ती।

चूँकि यह सब साबित तो कभी होना नहीं है। इस लिए या तो मेरे कहे मुताबिक चलो,,,, अथवा अपनी मति अनुसार कोई और रास्ता ढूंदों।

काफी सोचने के बाद हमने उस पंडित-तांत्रिक की सलाह पर चलने का निश्चय किया। मेरे पापा और माँ रिश्ता ले कर चुड़ैल के घर गए। और मै भी साथ गया। हम तीन ठीक उसी जगह पर पहुंचे जहां उस चुड़ैल नें हमे बुलाया था। कुछ ही देर में पायल की जनकार सुनाये दी। और वह मुसीबत भी हाजिर हो गयी। आते ही उसने मेरे पापा और माँ को नमस्ते कहा।

मेरे पापा नें उसे कहा की बेटा,,, तुम्हें नहीं लगता की हमारा बेटा तुमसे काफी छोटा है। और मेरा बेटा कमाता भी कम है,,, और सच कहूँ तो मेरी बीवी काफी किच किच करती रहती है। हमारा घर भी तो पुराना है। क्या तुम नहीं चाहोगी की तुम्हें कोई अच्छा खुखार शुशील राक्षश टाइप काबिल वर मिले,,,? मेरा मतलब की मेरे बेटे से ज़्यादा योग्य वर,,,,

तभी वह चुड़ैल हस्ते हुए बोली,,,, मेरे होने वाले भोले-भाले ससुर जी,,, आप चिंता ना करें,,, मुझे बड़े और बूढ़े लटठों में कोई इन्टरेस्ट नहीं। मै अपनी ज़रूरत अनुसार आप के बेटे को ठोक-पीट कर अपने लायक बना दूँगी। और रही बात कमाने की,,, तो हमारा काम तो खून और मांस से ही चल जाता है। कपड़े गहने यह सब तो छिन कर हासिल किए जा सकते हैं। और घर छोटा है तो उसकी चिंता आप ना करो,,, आप जिस बंगले पर उंगली रखोंगे,,, उस घर के रहने वालों को ताबड़-तोब एक रात मे डरा धमका कर वह मकान हासिल कर लूँगी। मै सिर्फ दिखती ही सीधी-साधी चुड़ैल हूं,,,, पर काफी टेलेंटेड हूं। अब चलिये मेरे बनाये हुए माँ बाप आप का इंतज़ार कर रहे हैं।

इतना बोल कर उसने हमें झड़ियों में अंदर आने का इशारा किया। हम उसके पीछे पीछे डरते हुए चलने लगे। कुछ ही देर में हमारे सामने एक डरावना काला बड़ा सा दरवाज़ा आया। जिसे उस चुड़ैल नें मंत्रोचार से खोला। और हमें अंदर आने को कहा।

हम वहीं खड़े रहे। चूँकि डर था की कहीं यह अंदर ले जा कर हम तीनों को मार ही ना डाले। हमारी गभराहट वह फौरन जान गयी। और वापिस हमारे पास आ कर बोली की,,,

डरिये मत,,, आप सब अब मेरे सगे होने वाले हैं,,, इस लिए ना तो मै आप को नुकसान करूंगी और ना ही किसी को आप का बाल बांका करने दूँगी। बे फिकर हो कर अंदर आइये।

इतना बोल कर वह अंदर जाने लगी,,, और हम भी उसके पीछे पीछे अंदर गए,,, मेरे पापा नें धीरे से कहा की,,, वाह बेटा क्या जोरावर दबंग बहूँ ढूँढी है। इस से रिश्ता जोड़ कर तो मै अमरीका से भी लड़ जाऊ। मैने पापा से कहा की यहाँ मेरी बैंड बजी पड़ी है और आप को मज़ाक सूझ रहा है,,,,?

थोड़ी ही देर में हम एक आलीशान कमरे में आ पहुंचे। वहाँ हमे बैठाया गया। बैठते ही हमारे सामने लाल-लाल शरबत के गिलास रख दिये गए। उसे देख कर मेरी माँ बोल उठी,,, हाय माँ,,, यह क्या खून है,,,,? तभी मेरी ज़बरदस्ती होने वाली चुड़ैल मंगेतर बोली,,,, नहीं नहीं यह सादा शरबत ही है। मुझे पता है की आप शुद्ध साकाहारी हैं।

कुछ ही देर में दो और भयानक जीव वहाँ आ पहुंचे। मेरे पापा और माँ को उन्होने नमस्ते किया और हमारे सामने आ कर बैठ गये। तभी वह चुड़ैल बोल उठी की अभी अभी कुछ दिनों पहले ही यह दोनों पिछले रोड पर accident में मरे हैं। पास ही में दोनों भटक रहे थे तो मैने इन्हे माँ बाप की पोस्ट पर हायर कर लिया है। आप चिंता ना करें। मै रातों मेँ लगातार भटक-भटक कर एक भाई भी जोड़ लूँगी। फिर भरा-पूरा परिवार बना कर धूम-धड़ाके से शादी करेंगे।

हम तीनों एक दूसरे की और देखे जा रहे थे। की क्या बोले,,, पर फिर भी मेरे बहादुर पापा नें बोल ही दिया, की बेटा तुम्हें खाना पकाना आता है? घर तो ठीक से संभाल लोगी ना,,,? और साथ में मेरी माँ भी फॉर्म में आ गयी,,, और बोल उठी की,,, हमारी सेवा भी करोगी ना,,,?

मेरी तो समझ में नहीं आ रहा था की मेरे पापा और माँ को शरबत का नशा चड़ गया है की क्या,,,,? जिस काम के लिए आए थे वह तो यह लोग बोल ही नहीं रहे थे। मैंने फिर पापा को धीरे से कहा की आप मेरी बलि,,, चड़ानें आए हो या मुझे इस मुसीबत से छुटकारा दिलाने आए हो,,,,? पापा नें मुझे कहा की तूँ चुप मर,,, सब हो जाएगा। यहाँ पर इन्हे नाराज़ किया तो यह लोग हम तीनों का कचूमबर निकाल कर बिना डकारे खा जाएंगे।

कुछ देर बातें करने के बाद,,, पापा नें कहा की हमे रिश्ता मंजूर है। पर हमारी कुछ शर्ते हैं। जो आप तीनों को कबुल करनी होंगी। और खास कर होने वाली बहू,,,, तुम्हे,,, अपने गुरु की सौगंद उठा कर शर्ते माननी होंगी। तुम हाँ कहो और मै अपने बेटे का रिश्ता पक्का कर दूंगा।

उस चुड़ैल नें थोड़ी देर सोचा और अपने गुरु की सौगंद उठा कर शर्तें मान लेने का वचन दिया। और फिर मेरे पापा नें जेब से एक लंबा लिस्ट निकाला। और पापा नें शर्ते सुनना शुरू किया।

पंडित-तांत्रिक के द्वारा लिखी गयी - शर्ते

1 तुम इन दोनों भटकती मृतक आत्मा ओं को अभी इसी वक्त आज़ाद करोगी। यह तुम्हारे माँ-बाप नहीं है, इस लिए इन्हे इनकी मुक्ति की और जानें देना होगा।

2 तुम आगे से किसी निर्दोष इन्सान या पशु का भक्षण नहीं करोगी। उन्हे त्रस्त नहीं करोगी, उन्हे काबू नहीं करोगी। और तामसी वृति का भी त्याग करोगी। और आज से ही तुम्हें मुक्ति पाने के लिए परमात्मा का ध्यान करना होगा।

3 तुम एक चुड़ैल हो और मेरा बेटा एक मनुष्य है, इस लिए तुमहें हमेशा मेरे बेटे से 30 फीट की दूरी पर रहना होगा।

4 मेरा बेटा और माधवी एक दूसरे को पसंद करते हैं। उनकी सगाई हुई है, इस लिए भले ही मेरा बेटा तुम्हारा पति बन जाए,,, पर तुम्हें उसकी शादी माधवी से होने देनी होगी। चूँकि हमें मानव समाज में रहना है। तुम सदा यहीं रहोगी और मेरा बेटा माधवी के साथ सांसारिक जीवन व्यथित करेगा।

5 अब तुमने एक इन्सान से अपना दिल लगाया है तो,,, इन्सानों की ही तरह तुम्हें भी,,, (मेरे बेटे की आयु खतम होने के समय) अपनी चुड़ैल योनि से मुक्त हो कर, मर कर,,,, नाश हो कर मौक्ष की और जाना होगा।

6 मेरा बेटा वर्ष में केवल एक बार तुम्हारे भटकने की जगह पर आएगा। और तुम्हें अपनी शकल दिखाएगा। उसे तुम 30 फीट की दूरी से सिर्फ देख सकती हो। और फिर अगले एक साल तक तुम्हें फिर से इंतज़ार करना होगा।

7 यह सारे वचन तुम्हारे गुरु की सौगंद पर लिए गये हैं। इस लिए तुम अपना वादा नहीं तोड़ पाओगी।

मेरे पापा नें उस पंडित-तांत्रिक के कहे अनुसार पूरी किले-बंदी का इंतज़ाम कर दिया। उस चुड़ैल नें हम सब की और हंस कर देखा,,, और बोली की,,,, आज समझ में आ गया की,,, इन्सान से खतरनाक जीव इस पृथ्वी पर कोई नहीं। गुरु के वचन से बंधी हूँ इस लिए सारे वचन कबुल,,,, और तुम तीनों की हिम्मत की भी दाद देती हूँ की यहाँ मौत के मुह में बहादुरी से चले आए। चलिये शादी का भयानक महूरत चल ही रहा है,,, शादी अभी होगी। और उसी जगह होगी जहां पर मुझे इस से प्यार हुआ था। (यानि वह जगह जहां मै नशे में धुत हो कर बैंच पर बैठता था)।

उसी रात 3 बजे खोपड़ीयों की माला से हमारा विवाह हुआ। शादी में आशीर्वाद देने के लिए ना जाने कैसे कैसे भयानक चंड मुंड, भूत-प्रेत और चुड़ैल जाती के महेमान फौरन हाज़िर हुए थे। आनन-फानन मेँ हम नें भी अपनी और से माधवी और उसके माता-पिता को हाज़री देने बुला ही लिया।

उस चुड़ैल नें बड़े प्यार से माधवी को गले लगाया,,, और बोली की,,,

मेरे पति की अच्छे से सेवा करना और उसे सुखी रखना। मुझे तुम से कोई शिकायत नहीं। तुम दोनों हमारी शादी के बाद धूम धाम से शादी करना और प्रति वर्ष यहाँ मुझ से मिलने भी आना। तीस फीट दूर से ही सही,,,, “तुम सब को खुश देख कर मै खुश होती रहूँगी।“ मेरी जो इच्छा थी वह पूरी हो चुकी है,,, अब मुझे अपने सारे वचन निभानें हैं।

उस दिन उस चुड़ैल की बात सुन कर हम “छे” ओ की आँखों में आँसू थे। चूँकि आज तक पूरी दुनियाँ में भूत प्रेत और अन्य पारलौकिक शक्तियों का बुरा चित्रण ही किया गया है। उस घटना के बाद हम जान चुके थे की,,, मानवी हों या जानवर,,, भूत प्रेत हों या चुड़ैल सब प्यार के ही भूखे होते हैं। और हालात ही उन्हे वेहशी बना देते हैं। इच्छा पूरी हो जाने पर “जीव-आत्मा” के दुख, संताप, रोष और जलन का नाश हो जाता है और प्राणी मुक्ति की और चला जाता है।

भीगी आँखों के साथ माधवी के माता पिता, मेरे माता पिता, माधवी और मै, वहाँ से घर की और चल दिये,,, दूर पहुँच कर एक बार मैने मूड कर उस की और देखा,,, वह चुड़ैल (अब मेरी पत्नी) खुशी के आँसू अपनी आँखों में लिए,,, हमे जाता देख रही थी,,, और संतुष्ट हो कर, हस भी रही थी।

मेरा और माधवी का विवाह हुआ। हम हंसी-खुशी साथ जीने लगे। और वादे के मुताबिक हम हर साल उस के पास उस जगह पर मुह दिखाने जाने लगे। समय बीतने लगा,,,, और हमारे दो बच्चे हुए,,, (मेरे और माधवी के)। फिर हम चारो वहाँ हर साल जाने लगे। करीब दस साल यह सिलसिला जारी रहा। और एक दिन उस चुड़ैल नें हमें पास आने को कहा,,,

माधवी और में डरे बिना अपने बच्चों के साथ उसके पास गए,,, चूँकि हमें पता था की वह हमे कोई नुकसान नहीं करेगी।,,,, पास पहुंचते ही उसने भीगी आँखों से मेरी और देखा और पूछा की,,, आप कैसे हैं,,,,? खुश तो हैं ना,,,,? उसका जवाब देने की वजाय मैंने उस से सवाल किया,,, की तुम कैसी हो,,,,? गुरु के वचन के नाम पर कही हमनें तुम्हारे साथ कुछ ज़्यादा तो ज़्यादती नहीं कर दी है ना,,,,? वह बोली,,, की नहीं,,, तुम लोगों नें जो किया था उस से मेरा भला ही हुआ है।

वचनबद्ध होने पर मेरे पाप कम होनें लगे। निर्दोष प्राणीयों, और मनुष्यों का भक्षण ना करने पर मेरे मुक्ति के द्वार खुल गए हैं। अब इच्छा अनुसार मै इस चुड़ैल योनि को त्याग कर के मौक्ष की और जा सकती हूँ। तुम्हें पाने की इच्छा भी पूरी कर ली है। तो अब यहाँ रुकने का कोई मकसद नहीं रहा। इसी लिए मै हमेशा के लिए मुक्त होने जा रही हूँ। और अब तुम लोगों को मै इस धरती पर फिर नहीं मिलूँगी। येही बात बताने तुम लोगों को पास बुलाया है।

इतना बोल कर उसने मेरे दोनों बच्चों को गले लगा कर प्यार दिया। और माधवी को भी गले लगा कर उसे अखंड-सौभाग्य वती रहने का आशीष दिया। फिर अंत में उसने मेरी और देखा और वही खड़े रह कर हस्ती रही। तब मैने आगे जा कर उसे प्यार से गले लगा लिया। और उसे कहा की मुझे गर्व है की तुम मेरी पहली पत्नी हो। मेरी यह बात सुन कर उसकी आंखे खुसी के आंसुओं से छलक उठी। और फिर खुशी खुशी उसने हमें वहाँ से विदा किया।

जाने से पहले फिर एक बार मैंने मूड कर देखा,,, इस बार मैंने देखा की वह हस्ती हुई खुशी के आंसुओं के साथ सफ़ेद धुए में तब्दील हो गयी। और वह धुवा आकाश की और उड़ गया।

सच कहूँ तो अब तक मेरी जिंदगी काफी रोचक रही। सच्चा प्यार जिंदगी से चले जाने के बाद भी लौट कर आया। कम लडकीयां पसंद करती हों ऐसे मुझ इन्सान से एक दबंग चुड़ैल को प्यार हुआ, फिर उसने ज़बरन मुझ से शादी भी की। उसी नें मेरा खोया हुआ प्यार भी दिलाया। एक ज्ञानी पंडित-तांत्रिक की कृपा से हमारे माता-पिता को मुझे बचाने का रास्ता मिला। हमारे कारण एक चुड़ैल की मुक्ति हुई। और आज तमाम परेशानीयों का अंत हो चुका है, और मै माधवी के साथ हूँ। ज़िंदगी नें बहुत गम तो दिये पर अंत में खुशियाँ भी उस से हज़ार गुनी दे दी। येही है मेरी प्रेम-कहानी। - “नरेन चौहान”

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