मे और मेरे अह्सास - 9 Darshita Babubhai Shah द्वारा कविता में हिंदी पीडीएफ

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मे और मेरे अह्सास - 9

मे और मेरे अह्सास

भाग - ९

बहाना ना बनाना दूर जाने के लिये l
चले जाना गर जाना चाहो शोख से ll

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चले जाना था तो बताकर जाते l
फिरसे प्यार थोड़ा जताकर जाते ll

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सितारे थे यहाँ के, वो सितारे आसमाँ के बन गये l
नजारे थे यहाँ के, वो नजारे आसमाँ के बन गये ll

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माँ

पूरी दुनिया मे एक इन्सां है l
जो कभी ना बुरा बोलेगी l
ना मेरा बूरा सोचेंगी l
ना मेरे बारे में बूरा सुन सकेगी l
मेरे लिए हमेशा दुआ करेगी l
मेरे लिए ही हसेगी, रोयेगी, जीएगी l
वो इन्सां है मेरी प्यारी प्यारी l
"माँ "

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वो लम्हे आज भी दिल को बहला जाते हैं l
घंटों तुम्हारा पहलू मे बैठे रहेना l
एक पल भी तन्हा ना छोड़ना l
आंख मे नमी तक ना सह सकना l
बहोत याद आते हैं वो लम्हे l
खुदाया एक बार फिर से जी ले वो पल l
उनके साथ, सारे जहां की खुशियो से l
उनका दामन भरना चाहते हैं l
इतनी रहमत कर देना खुदा तेरे बंदे पे ll

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कहने से बात ग़र दिल हल्का हो सकता l
पीने से जाम ग़र दिल हल्का हो सकता ll

ना कोई घुट घुट के जीता l
ना कोई खून के अश्क पिता l
रोने से आज ग़र दिल हल्का हो सकता ll

ना कोई दिल वीरा होता l
ना कोई चमन उजड़ता l
सहने से दर्द ग़र दिल हल्का हो सकता ll

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जमनोजन्म के साथी है हम l
यह सिर्फ भावनात्मक प्यास है।

हिचके पे जो झूलते है पक्षी l
यह सिर्फ आँगन मे एक साल है।।

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चहेरे पे बनावटी हसी बनाए,
रखना भी एक तरह की कला है l

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आंख से छलकती हुई बारिस पीनी है मुजे l
साथ से छलकती हुई बारिस पीनी है मुजे ll

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हस्ते खेलते बिताए हुई मनमोहन पलों की l
याद से छलकती हुई बारिस पीनी है मुजे ll

चांदनी छलक रही हो आकाश से हरतरफ उस l
रात से छलकती हुई बारिस पीनी है मुजे ll

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कुदरत की हर शै खूबसूरत हैं l
उसे महसूस करो, लुफ्त उठाओ l

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आकर्षित हास्य सभी के दिल जीत लेती है l
आकर्षित व्यक्ति सभी के दिल जीत लेती है ll

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बेहद - बेपनाह मुहब्बत करने l
वाले कभी रूठा नहीं करते ll
जानम पे जाँ निशाँ करने ल
वाले कभी रूठा नहीं करते ll

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गर जानते हो खुशी का ठिकाना l
हमे व्हाट्सप्प कर देना खुदाया ll
रूठ कर बहोत उसने है सताया l
रहम थोड़ी कर देना खुदाया ll

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जिंदगी ब्रेकडाउन मे गुजरेगी क्या?
बंदगी लोकडाउन मे गुजरेगी क्या?

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इश्क हाथ की लकीरों से संबधित है l
तो इश्क की लकीर का टेटू बनादु ll

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जिंदगी से संबधित कोई सवाल ना करना हमे l
जिंदगी खुद एक सवाल बन के रह गई है ll

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बात जन्म-जन्म के साथ निभाने की थी l
तुम तो अब ख्वाबो मे भी तरसाने लगे हो ll

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भाग्य में लिखा हुआ समाने आया है l
जो भी बहोत नायाब तोहफा पाया है ll

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हमसे मत पूछो वजह अश्कोंकी तुम l
इस का वजह है तुम्हारी बेरुखी ll

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जिंदगी को खेल ना मानो तुम l
बंदगी को खेल ना मानो तुम ll

यू बसर होती नहीं ये उम्र भी l
सादगी को खेल ना मानो तुम ll

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सार जिंदगी का समज लो l
बात इतनी सी तुम समज लो ll

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ख्वाब तुम्हारा सोने नहीं देता है l
ख्वाब तुम्हारा रोने नहीं देता है ll

तेजस्वी लगती है हर अदा तुम्हारी l
ख्वाब तुम्हारा नहीं खोने देता है ll

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