मे और मेरे अह्सास - 9 (9) 433 1.1k 2 मे और मेरे अह्सास भाग - ९ बहाना ना बनाना दूर जाने के लिये lचले जाना गर जाना चाहो शोख से ll ******** चले जाना था तो बताकर जाते lफिरसे प्यार थोड़ा जताकर जाते ll ******** सितारे थे यहाँ के, वो सितारे आसमाँ के बन गये lनजारे थे यहाँ के, वो नजारे आसमाँ के बन गये ll ******** माँ पूरी दुनिया मे एक इन्सां है lजो कभी ना बुरा बोलेगी lना मेरा बूरा सोचेंगी lना मेरे बारे में बूरा सुन सकेगी lमेरे लिए हमेशा दुआ करेगी lमेरे लिए ही हसेगी, रोयेगी, जीएगी lवो इन्सां है मेरी प्यारी प्यारी l "माँ " ******** वो लम्हे आज भी दिल को बहला जाते हैं lघंटों तुम्हारा पहलू मे बैठे रहेना lएक पल भी तन्हा ना छोड़ना lआंख मे नमी तक ना सह सकना lबहोत याद आते हैं वो लम्हे lखुदाया एक बार फिर से जी ले वो पल lउनके साथ, सारे जहां की खुशियो से lउनका दामन भरना चाहते हैं lइतनी रहमत कर देना खुदा तेरे बंदे पे ll ******** कहने से बात ग़र दिल हल्का हो सकता lपीने से जाम ग़र दिल हल्का हो सकता ll ना कोई घुट घुट के जीता lना कोई खून के अश्क पिता lरोने से आज ग़र दिल हल्का हो सकता ll ना कोई दिल वीरा होता lना कोई चमन उजड़ता lसहने से दर्द ग़र दिल हल्का हो सकता ll ******** जमनोजन्म के साथी है हम lयह सिर्फ भावनात्मक प्यास है। हिचके पे जो झूलते है पक्षी lयह सिर्फ आँगन मे एक साल है।। ******** चहेरे पे बनावटी हसी बनाए,रखना भी एक तरह की कला है l ********आंख से छलकती हुई बारिस पीनी है मुजे lसाथ से छलकती हुई बारिस पीनी है मुजे ll ******** हस्ते खेलते बिताए हुई मनमोहन पलों की lयाद से छलकती हुई बारिस पीनी है मुजे ll चांदनी छलक रही हो आकाश से हरतरफ उस lरात से छलकती हुई बारिस पीनी है मुजे ll ******** कुदरत की हर शै खूबसूरत हैं lउसे महसूस करो, लुफ्त उठाओ l ******** आकर्षित हास्य सभी के दिल जीत लेती है lआकर्षित व्यक्ति सभी के दिल जीत लेती है ll ******** बेहद - बेपनाह मुहब्बत करने lवाले कभी रूठा नहीं करते llजानम पे जाँ निशाँ करने लवाले कभी रूठा नहीं करते ll ******** गर जानते हो खुशी का ठिकाना lहमे व्हाट्सप्प कर देना खुदाया llरूठ कर बहोत उसने है सताया lरहम थोड़ी कर देना खुदाया ll ******** जिंदगी ब्रेकडाउन मे गुजरेगी क्या?बंदगी लोकडाउन मे गुजरेगी क्या? ******** इश्क हाथ की लकीरों से संबधित है lतो इश्क की लकीर का टेटू बनादु ll ******** जिंदगी से संबधित कोई सवाल ना करना हमे lजिंदगी खुद एक सवाल बन के रह गई है ll ******** बात जन्म-जन्म के साथ निभाने की थी lतुम तो अब ख्वाबो मे भी तरसाने लगे हो ll ******** भाग्य में लिखा हुआ समाने आया है lजो भी बहोत नायाब तोहफा पाया है ll ******** हमसे मत पूछो वजह अश्कोंकी तुम lइस का वजह है तुम्हारी बेरुखी ll ******** जिंदगी को खेल ना मानो तुम lबंदगी को खेल ना मानो तुम ll यू बसर होती नहीं ये उम्र भी lसादगी को खेल ना मानो तुम ll ******** सार जिंदगी का समज लो lबात इतनी सी तुम समज लो ll ******** ख्वाब तुम्हारा सोने नहीं देता है lख्वाब तुम्हारा रोने नहीं देता है ll तेजस्वी लगती है हर अदा तुम्हारी lख्वाब तुम्हारा नहीं खोने देता है ll ******** ‹ पिछला प्रकरण मे और मेरे अह्सास - 8 › अगला प्रकरण मे और मेरे अह्सास - 10 Download Our App रेट व् टिपण्णी करें टिपण्णी भेजें Vandan Patel 8 महीना पहले મુકેશ રાઠોડ 8 महीना पहले Meera Soneji 8 महीना पहले pradeep Kumar Tripathi 8 महीना पहले Het Bhatt Mahek 8 महीना पहले अन्य रसप्रद विकल्प लघुकथा आध्यात्मिक कथा उपन्यास प्रकरण प्रेरक कथा क्लासिक कहानियां बाल कथाएँ हास्य कथाएं पत्रिका कविता यात्रा विशेष महिला विशेष नाटक प्रेम कथाएँ जासूसी कहानी सामाजिक कहानियां रोमांचक कहानियाँ मानवीय विज्ञान मनोविज्ञान स्वास्थ्य जीवनी पकाने की विधि पत्र डरावनी कहानी फिल्म समीक्षा पौराणिक कथा पुस्तक समीक्षाएं थ्रिलर कल्पित-विज्ञान व्यापार खेल जानवरों ज्योतिष शास्त्र विज्ञान કંઈપણ Darshita Babubhai Shah फॉलो उपन्यास Darshita Babubhai Shah द्वारा हिंदी कविता कुल प्रकरण : 31 शेयर करे आपको पसंद आएंगी Gule Guljar द्वारा Darshita Babubhai Shah कशिश द्वारा Darshita Babubhai Shah आरजू द्वारा Darshita Babubhai Shah चांदनी रात द्वारा Darshita Babubhai Shah में और मेरे अहसास द्वारा Darshita Babubhai Shah में और मेरे अहसास - 2 द्वारा Darshita Babubhai Shah मे और मेरे अह्सास - 3 द्वारा Darshita Babubhai Shah मे और मेरे अह्सास - 4 द्वारा Darshita Babubhai Shah मे और मेरे अह्सास - 5 द्वारा Darshita Babubhai Shah मे और मेरे अह्सास - 6 द्वारा Darshita Babubhai Shah