नन्हे हाथी Udita Mishra द्वारा बाल कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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नन्हे हाथी

नन्हे हाथी

एक जंगल था जहाँ बहुत से हाथियों का एक झुंड रहता था और और भी तमाम जानवर रहते थे। उस जंगल का नियम था कि हर दस साल में मुखिया का चुनाव होता था और जंगल के उम्र में सबसे बड़े जीव को मुखिया चुना जाता था । इसीके चलते चार साल पहले ही एक हाथी को मुखिया चुना गया था। वहां के सभी पशु-पक्षी खुशी-खुशी रहते थे । वैसे तो वहां भोजन और पीने के पानी की कभी कोई कमी नहीं होती पर इस साल वर्षा बहुत कम होने के कारण पूरे जंगल में सूखा पड़ गया था और भोजन की भी बहुत जरूरत थी और भोजन और पीने के पानी न मिलने से जंगल के सभी जानवरों की हालत खराब होने लगी। ये देखकर जंगल के मुखिया हाथी ने जंगल के सभी जानवरों से कहा "अब हमें ये जंगल छोड़कर नये जंगल में रहने के लिए जाना होगा"

यह कहकर मुखिया हाथी ने उस जंगल के सबसे तेज उड़ने वाले पक्षी चील के जोड़े को नये जंगल की तलाश करने को बोला और कहा "हम सभी तुम्हारे पीछे आते हैं जब तुम दोनों को हरा भरा जंगल मिल जाएं तो तुम में से एक वहीं रुककर हमारा इतजार करना और एक हमें लेने आ जाना"

इसपर उनमें से एक चील बोला "जो आज्ञा महाराज" ये कहकर वो दोनों चील यानि चीलों का जोड़ा नये जंगल की तलाश करने के लिए नि‍कल गए, और जंगल के बाकी सभी जानवर उन चीलों के पीछे-पीछे चलने लगे कुछ दिन उड़ने के बाद उन चीलों को एक हरा भरा जंगल मिल गया पर रास्ते उन्होंने देखा एक शहर था। शहर को देखकर मादा चील ने कहा "पता नहीं यहां के इनसान मन से कैसे होंगे कठोर या नरम"

इस पर नर चील बोला "आशा है इस शहर में नेक इनसान रहते हों"

नर चील ने मादा चील से कहा "अब मैं महाराजा और सभी को लेकर आता हूँ"

ये कहकर वो बाकी जानवरों को लेने गया । जो अब शहर से कुछ ही दूर थे चील उड़कर महाराजा हाथी के पास गया और बोला "महाराज की जय हो। यहाँ से कुछ ही दूर पर एक शहर है जिसको पार करने पर अपनी मंजिल मतलब हरा भरा जंगल आ जाएगा।"

ये सुनकर सभी जानवर बहुत खुश हुए थोड़ी ही देर में उन जानवरों ने शहर में प्रवेश किया पर कुछ दूर चलने पर अचानक हाथी के चार बच्‍चे एक गड्ढे में गिर गए। ये देखकर सभी जानवर सोच में पड़ गए थे कि अब बच्चों को गड्ढे से कैसे निकाला जाए एक हाथी ने उन बच्चों को गड्ढे से निकालने की कोशिश की पर वो खुद ही उस गड्ढे में गिर गया।

बहुत सोचने के बाद उन बच्चों की मां आई और अपनी सूंड और पैरों से गड्ढे में मिट्टी डालने लगी उसे देखकर ओर समझकर बाकी हाथी और सब जानवर भी अपने पैरों से खुरों से मिट्टी डालने लगे। जिस कारण कुछ ही देर में वो चारों बच्चे गड्ढे में ऊपर उठ आए, और बाहर निकल आए पर बड़ा हाथी बाहर नहीं आ पा रहा था। वह जोर जोर से चिंघाड़ रहा था उसकी आवाज सुनकर शहर के कुछ आदमी आए और उन्‍होने ये सब देखा तो मोटे मोटे रस्से लाए और उस हाथी को उसकी पीठ के बल रस्‍सों से खीचकर बाहर निकाला। बाकी हाथियों ने भी मिलकर रस्सा अपनी सूंड से पकड़ कर खींचा।

इसी बीच नर चील ने मादा चील से कहा "मैंने बोला था ना हो सकता है कि इस शहर में नेक इनसान रहते हों"

मादा चील ने कहा "हाँ बिल्‍कुल सही कहा था।"

हाथी के गड्ढे से बाहर आने पर हाथियों का झुंड और सभी जानवर खुशी-खुशी जंगल की ओर चले गए जानवरो के जाने के बाद शहर के सभी लोगों ने पूरे शहर के गड्ढे मिट्टी और सीमेंट से भर दिए ताकि आगे से कोई बेजुबान जानवर गड्ढों में न गिरे।

इस तरह हाथियों की सूझबूझ और शहरवासियों के सहयोग से हाथी और उनके बच्चों की जान बची और सारे जानवर जंगल में मजे से रहने लगे।

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