नन्हीं बया Udita Mishra द्वारा बाल कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

नन्हीं बया

नन्हीं बया

कीनू का एक नियम था कि वह रोज अलसुबह उठकर अपने घर की छत पर जाकर अपने पापा के साथ मिलकर पक्षियों (कबूतर, नीले रंग की बडी़ चोंच वाली चिड़िया, तीतर, कोयल, बया, गोरैया आदि )के लिए ज्वार, बाज़रा , टूटे चावल जो पक्षी का पसंदीदा खाना है और पानी रखती थी शुरू शुरू के दो चार दिनों में एक दो पक्षी ही आकर ज्वार, बाज़रा, टूटे चावल चुगते पानी के कसोरे में पानी पीते थे । पर कुछ ही दिनों में अनगिनत कबूतर, नीले रंग की बडी़ चोंच वाली चिड़िया, तीतर, कोयल, बया, गोरैया और कभी कभी चील, उल्लू भी ज्वार, बाज़रा, टूटे चावल खाने और पानी पीने आते यह सब देखकर कीनू को बहुत मजा आता था।

इसलिए उसने अपनी मम्मी से कहा वो उसकी खिड़की पर एक डलिया टांगकर उसमें पक्षी के लिए खाना रख दे । कीनू की मम्मी ने उसकी खिड़की के बाहर एक सुंदर सी डलिया टांगकर उसमें पक्षी के लिए खाना रख दिया । अब अगले दिन से पक्षी उस डलिया में से भी दाने चुगने आने लगे थे । अलसुबह से लेकर जब तक सूरज अस्त नहीं होता तब तक ये पक्षी अपनी चहचहाहट के साथ दाना पानी खाते पीते रहते और सूरज के अस्त होते ही सारे पक्षी अपने अपने घोंसले की ओर उड़ जाते। और अगले दिन सुबह फिर से दाने चुगने और पानी पीने आते ।

कुछ ही दिनों में कीनू की छत पर इतने सारे कबूतर और अनेक पक्षी आ जाते कि सुबह के समय छत पर पैर रखने की जगह न होती । कभी- कभी उनमें से कुछ पक्षी दाने, पानी के लिए आपस में लड़ते थे और उनमें से सबसे बड़े कबूतर आकर पानी के सकोरे के चारों ओर घूम घूम कर ये दर्शाता था कि वह इलाका उसका है और ये सकोरे का पानी , दाने उसके हैं और यह संकेत समझकर बाकी पक्षी उस कबूतर के इलाके में नहीं जाते पर कभी-कभी गोरैया आकर उस कबूतर के दाने खा लेती उसका पानी पी लेती मगर वो बड़ा कबूतर आकर अपने पंख फड़फड़ाकर गोरैया को डराता था। गोरैया थी कि कुछ देर इधर उधर होती लेकिन जब तक गोरैया का छोटा सा पेट नहीं भरता तब तक वो फिर फिर आ कर दाने खाती रहती और कहीं नहीं जाती

ये सिलसिला कई दिनों तक चलता रहा पर एक दिन कहीं से छ: बया आ गई पहले तो कुछ देर उन्होंने उस सबसे बड़े कबूतर के जाने की राह देखी पर जब वह बहुत देर तक नहीं गया तब वह बया का झुंड आकर उस सकोरे के पानी में फुदक फुदक कर खेलने और नहाने लगीं। इस पर वह बड़ा सा कबूतर गुटूर गूं की आवाज़ करता हुआ गोल गोल घूम कर उन बयाओं को डराने लगा। ये सब कीनू और उसके पापा देख रहे थे।

कीनू ने अपने पापा से पूछा कि "मैं इस कबूतर को भगा दूं क्या ?"

उसके पापा ने कहा "नहीं बेटा यह चिडियाएँ ही इस कबूतर से निपट लेगीं" और सच में कुछ ही देर में उन चिड़ियों ने चींचीं करके चिल्लाना शुरू कर दिया और जब तक वह कबूतर वहाँ से नहीं गया तब तक वह बया का झुंड चिल्लाता रहा और जब वह कबूतर वहाँ से चला गया, तब बिजली के तार पर बैठी सब बयाओं ने देखा और वे सब नीचे उतर आईं और वे बड़े मजे से बहुत देर तक उस सकोरे के पानी में फुदक फुदक चहक चहक कर जीत का जश्न मनाती नहातीं रहीं ।

******