घर वापसी Udita Mishra द्वारा बाल कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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घर वापसी

घर वापसी

बहुत समय पहले की बात हैं एक शहर में मीरा अपने पिता जी के साथ रहती थी । वह कक्षा सात पढ़ती थी उसके पिता एक अच्छे पुलिस आफिसर थे । वैसे तो उनका व्यवहार बहुत अच्छा था पर उन्हें शिकार करने का शौक था । जो मीरा को बिल्कुल पसंद नहीं था क्योंकि वह सोचती थी कि संसार में हर जीव को उसका पूरा जीवन जीने का मौका मिलना चाहिए और किसी इनसान को कोई अधिकार नहीं हैं कि वे अपने आनंद के लिए निर्दोष जीव का जीवन छीने । एक दिन जब मीरा स्कूल से लौट रहीं थीं तभी उसने देखा कि एक हिरण का बच्चा रास्ते में बुरी तरह घायल पड़ा था मीरा को उस पर दया आ गई । वह उसे उठाकर अपने घर ले आई उस समय ने यह नहीं सोचा कि पापा को पता चला तो क्या होगा वह हिरण के बच्चे को मार भी सकते है । मीरा ने घर पहुँच कर जानवरों के डाॅक्टर अंकल को फोन किया जो उसके पापा के पुराने मित्र थे थोड़ी देर में वह आ गए मीरा ने उनसे कहा "अंकल मै अपनी पौकेट मनी से आपकी फीस दे दूंगी पर आप पापा को मत बताना कि आप मेरे बुलाने पर किसी जानवर का इलाज करने आए" इस पर डाॅक्टर अंकल ने कहा "बेटा फीस देने की कोई जरूरत नहीं है और चिन्ता मत करो मैं तुम्हारे पापा से कुछ नहीं बोलूँगा और अब जब तुम स्कूल जाना तो इसे मेरे घर पर छोड़कर जाना और स्कूल से लौटते वक्त अपने साथ अपने घर ले जाना इससे इस हिरण के बच्चे की अच्छी देखभाल होगी"

यह सुनकर मीरा ने कहा "जी अंकल मै ऐसा ही करूंगी ।" मीरा ने उस हिरण के बच्चे का नाम हीरू रखा । कुछ ही समय में हीरू ठीक हो गया पर इतने समय से मीरा को एक ही डर था कि कभी पापा और हीरू का आमना.सामना होगा तो पापा उसे गोली मार देगें क्क्योंकि पापा हमेशा अपने पास एक बंदूक रखते थे इसलिए मीरा उस हिरण के बच्चे को अपने पंलग के नीचे छुपा देती कभी अपनी अलमारी में या दूसरे कमरे में छुपा देती थी पर एक दिन मीरा के पापा ने उसे हीरू के साथ खेलते हुए देख लिया उन्होंने कहा "मीरा इस हिरण से दूर रहो यह तुम को नुकसान पहुंचा सकता है" इस पर मीरा ने कहा "नहीं पापा यह हिरण का बच्चा हैं और मेरा अच्छा दोस्त बन चुका हैं । ये मुझे कभी कोई नुकसान नहीं पहुँचाएगा" इसपर उसके पापा ने कहा "ठीक है बेटा पर ये जंगली हिरण है इसका घर जंगल है शहर नहीं" ये कहकर वह उस हिरण को जंगल छोड़ आए उस दिन के बाद मीरा के पापा ने शिकार पर जाना बंद कर दिया बल्कि अब तो यदि उनकी छत पर या कहीं भी कोई भी जानवर या पक्षी घायल अवस्था में मिलता तो वो वन विभाग को सूचना दे देते तो वन विभाग के अधिकारी आते और उस जानवर या पक्षी को ले जाते इस कारण उस जानवर या पक्षी की जान बच जाती ।

अब मीरा अपने पापा में इतना बदलाव देख कर खुश थी पर एक दिन जब मीरा अपने घर के बाहर खेल रही थी तभी एक हिरण उसके पास आ कर खड़ा हो गया। उसने भगाने की कोशिश की तो वह वैसे ही बैठ गया जैसे हीरू बैठता था अब मीरा की खुशी का ठिकाना नहीं रहा क्योंकि उसका हीरू वापस आ गया उसने उसे घर के अंदर लिया।

जब उसके पापा ने भी यह देखा तो बकायदा वन विभाग से अनुमति ले कर उसे अपने पास रख लिया। अब वे चारों मीरा उसके पापा, मम्मी और हीरू साथ रहने लगे ।

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