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कर्तव्य

कर्तव्य

एक गरीब महिला अपने बेटे के साथ नदी से लगी हुई रेल्वे लाइन के ब्रिज के पास झोपड़े में रहती थी। एक दिन रात में दो बजे के आसपास तेज आवाज हुई जिससे उसकी नींद खुल गई वह देखने के लिए उठ बैठी कि यह अजीब सी आवाज किस बात की है। उस समय वर्षा ऋतु का मौसम था और तेज बरसात हो रही थी। वह यह देखकर चौक गई कि नदी पर बना रेल्वे का ब्रिज नदी के प्रवाह के कारण आधा झुककर टूट गया था। यह देखते ही उसकी नींद गायब हो गई और उसके होश उड़ गये क्योंकि आधा घंटे के बाद एक ट्रेन को वहाँ से गुजरना था। उसने तुरंत अपने बेटे को उठाया और इस घटना के बारे में बताया अब दोनो के मन में यह चिंता हो रही थी कि बीस पच्चीस मिनिट के बाद वहाँ से निकलने वाली गाड़ी को कैसे रोका जाए अन्यथा वह गंभीर हादसे की शिकार हो जायेगी और सैकडों लोगो को जान माल से हाथ धोना पड़ेगा।

ट्रेन को रोकने का एक ही उपाय था कि लाल रोशनी इस प्रकार से बताई जाए ताकि ड्राइवर सचेत होकर गाड़ी को रोक दे, परंतु यह कैसे हो वे मन ही मन सोच रहे थे। वृद्धा के मन में आया कि उनकी जो खटिया है उसको जलाकर उसकी जो लाल रंग की साड़ी है उसको हिला हिला कर दिखाया जाए उस रेल्वे लाइन के पास एक टीला था और वे दोनो बिना समय गंवाए अपनी खटिया को खींचकर टीले पर ले जाते है। उसमें आग लगाकर उसको ऊँचा करके उसकी रोशनी में एक डंडे में साडी लपेटकर इस प्रकार हिलाना शुरू किया कि ड्राइवर को वह नजर आ जाये और वह सावधान हो जाए।

रात के अंधेरे में गाडी अपनी दु्त गति चल रही थी तभी ड्राइवर और उसका सह चालक दोनो ने यह दृश्य देखा और सह चालक ने ड्राइवर से कहा कि लगता है कोई डाकुओ का गिरोह यहाँ पर क्रियाशील है और रात्रि का लाभ उठाकर ट्रेन को रोकना चाहते है। ट्रेन का ड्राइवर उससे सहमत नही था उसने स्वविवेक से ट्रेन को रोकने का निर्णय लेकर इमरजेंसी ब्रेक लगाकर ट्रेन को रोक दिया। ट्रेन रूकते ही वह महिला और उसका बेटा खुशी से पागल होकर दौडते हुए जाकर ट्रेन के ड्राइवर को आगे होने वाली संभावित दुर्घटना से अवगत कराते है।

अब चालक दल यह सुनकर ट्रेन से उतरकर नीचे आता है, और दस फीट आगे जाने के बाद ही टूटे हुये पुल को देखता है तो उनके होशोहवास गायब हो जाते है और वो महिला और उसके बेटे के प्रति उनके चरणों में प्रणाम करते हुए आभार व्यक्त करते है। ट्रेन में सवार यात्रियों को जब यह पता चलता है कि इन दो लोगो के कारण आज उनकी जान बच गई तो उन्हें अकल्पनीय खुशी होती है और वे सच्चे दिल से माँ बेटे के प्रति आभार व्यक्त करते हुए अपनी दुआएँ देते है। जब इस घटना की खबर रेलमंत्री को मिलती है तो वे अभिभूत होकर उन दोनो का सम्मान करते हुए लड़के को रेल्वे में नौकरी प्रदान कर देते है।

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