स्टॉकर - 38 Ashish Kumar Trivedi द्वारा जासूसी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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स्टॉकर - 38





स्टॉकर
(38)




मेघना रॉबिन से मिलती तो थी पर वह यह तय नहीं कर पाई थी कि उससे रिश्ता आगे बढ़ाना है या खत्म करना है। वह जैसा भी फायदेमंद हो वैसा करना चाहती थी। इसलिए शिव की हत्या में रॉबिन को शामिल नहीं करना चाहती थी।
मेघना जानती थी कि रॉबिन यह समझता है कि अंकित शिव की हत्या करने के लिए तैयार नहीं हुआ है। उसने उसकी यह गलतफहमी दूर करने का प्रयास भी नहीं किया।
शिव टंडन का ड्राइवर छुट्टी पर था। इस दौरान वह खुद अपनी कार चलाने वाला था। मेघना ने अंकित को इस बात की जानकारी दे दी।
अंकित ने यह सूचना रॉबिन को दे दी। रॉबिन को भी यह मौका सही लगा। उसने निशांत और पूरन सिंह को बुला कर एक प्लान बनाया।
रॉबिन ने पुलिस को बताया था कि मेघना से पहले उसने शिव को फोन किया था। उसने शिव को चेतन द्वारा की जा रही गड़बड़ियों के बारे में बताने के लिए फोन किया था। रॉबिन ने पूरी तरह झूठ नहीं बोला था।
उसने शिव को पूरी बात बताई कि किस तरह चेतन ने उसके, शिव के और अन्य लोगों के पैसे झांसा देकर अपने लाभ के लिए इस्तेमाल किए हैं। यदि वह उसकी बताई हुई जगह पर पहुँच जाए तो वह चेतन के खिलाफ सारे सबूत दे सकता है।
शिव को फोन करने से पहले रॉबिन ने चेतन को फोन कर उसी जगह बुलाया था। चेतन बार बार रॉबिन और मेघना के रिश्ते को लेकर उसे ब्लैकमेल कर पैसे वसूल करता था। उसने चेतन को पैसे देने के बहाने ही बुलाया था।
जिस जगह पर शिव और चेतन को बुलाया गया था वह बंसल टावर नामक बिल्डिंग से कुछ आगे दाईं तरफ जो लेन जाती थी उसमें स्थित एक मकान था।
दूसरा सीसीटीवी कैमरा बंसल टावर नामक बिल्डिंग के बाहर लगा था। उस सीसीटीवी कैमरा में शिव टंडन की पर्ल ब्लू हांडा एकॉर्ड कार गुज़रती दिखी थी। पर उसके आगे जाने के बाद शिव बंसल टावर के दाईं ओर की लेन में उस मकान पर पहुँचा।
लेन सुनसान थी। स्ट्रीट लाइट भी नहीं जल रही थी। शिव ने उस मकान के सामने जाकर कार रोक दी। रॉबिन उसकी राह देख रहा था। उसने गेट खोल दिया। शिव ने कार मकान के अंदर पार्क कर दी। वह रॉबिन के साथ अंदर चला गया।
रॉबिन शिव को मकान के अंदर लिविंग रूम में ले गया। शिव ने पूँछा।
"यहाँ बुलाने का क्या मतलब था ?"
"ये मेरे एक जानने वाले का घर है। चेतन ने उससे भी पैसे ऐंठे थे। ये मकान तुम्हारे दफ्तर के पास था इसलिए यहाँ बुला लिया।"
"तो घर का मालिक कहाँ है ?"
"उसे कहीं बाहर जाना था इसलिए वह घर मेरी निगरानी में छोड़ गया है। मैं यहीं था। सोंचा कि तुम्हें भी यहीं बुला लूँ।"
"ठीक है बताओ क्या कहना था तुम्हें ?"
रॉबिन शिव को चेतन के घपले के बारे में समझाने लगा।
रॉबिन के कहे अनुसार चेतन शिव से पहले उस मकान में पहुँचा था। पूरन सिंह रॉबिन के साथ पहले से ही वहाँ था। वह चेतन की हत्या के लिए तैयार था।
जब चेतन रॉबिन से पैसों की मांग कर रहा था तब पूरन सिंह अचानक दूसरे कमरे से निकल कर सामने आ गया। उसके हाथ में साइलेंसर लगी गन थी। उसने पास से दो गोलियां चलाईं। चेतन वहीं ढेर हो गया।
रॉबिन और शिव लिविंग रूम में थे। चेतन की लाश ड्राइंग रूम में पड़ी थी। जिस समय रॉबिन शिव को चेतन के घपले के बारे में समझा रहा था तब पूरन सिंह तेजी से अपना काम कर रहा था। उसने चेतन की लाश ले जाकर शिव की कार की डिक्की में छिपा दी। खुद कार की पिछली सीट के नीचे छिप गया।
कुछ समय के बाद शिव बाहर आया। वह बहुत गुस्से में था। उसने रॉबिन से कहा कि वह अभी चेतन के पास जाकर उससे इस सब का जवाब लेगा।
वहाँ से निकल कर वह सीधा जन्नत अपार्टमेंट्स गया। नौ बज कर पैंतीस मिनट पर उसकी कार जन्नत अपार्टमेंट्स के भीतर दाखिल हुई। वह लिफ्ट से पाँचवे फ्लोर पर गया। फिफ्त फ्लोर पर चेतन का फ्लैट था। उस फ्लोर पर दूसरा फ्लैट खाली था।
चेतन के फ्लैट का दरवाज़ा नहीं खुला। शिव लौट रहा था तभी सामने वाले फ्लैट का दरवाज़ा खोल कर निशांत ने उसे पुकारा।
निशांत को वहाँ देख कर शिव को आश्चर्य हुआ।
"तुम यहाँ कैसे ?"
"इस फ्लैट के मालिक अपनी बेटी के पास सिंगापुर चले गए। जाने से पहले मुझे फ्लैट बेंच गए।"
"मेरे दिए पैसों का इस तरह इस्तेमाल हो रहा है।"
"भीतर आओ भइया फिर बात करते हैं।"
शिव निशांत के फ्लैट में चला गया।
"बोलो क्या कह रहे थे ?"
"आप मुझे ये पैसों का ताना ना दिया कीजिए। मेरे पापा की जायदाद में जो मेरा हिस्सा था वह आपके पास है।"
"तुम भूल रहे हो कि पापा ने तुम्हें उससे बेदखल कर सब मुझे दिया था। इसलिए तुम्हारा कोई हिस्सा नहीं था।"
निशांत को शिव की बात अच्छी नहीं लगी। शिव ने आगे कहा।
"मैंने तुम्हें अब तक जितना दिया है वह पापा की जायदाद में तुम्हारे हिस्से से बहुत अधिक है। तुमने उस चेतन की तरह मुझे ठगा है। मैं तुम दोनों को नहीं छोड़ूंगा।"
निशांत हंसने लगा। उसे इस तरह हंसते देख कर शिव बोला।
"पागल हो गए हो ? ऐसे हंस क्यों रहे हो ?"
"पागलों जैसी बात तो आप कर रहे हैं। आप चेतन या मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकते हैं ?"
"क्यों ?"
"चेतन मर चुका है। उसकी लाश आपकी गाड़ी की डिक्की में है।"
"क्या बकवास है ?"
"आइए नीचे चलते हैं। आपको सब पता चल जाएगा।"
शिव निशांत के साथ नीचे आया। पूरन सिंह कार से बाहर निकल कर उनकी राह देख रहा था। कार के पास पहुँच कर निशांत ने कहा।
"डिक्की खोल कर देख लीजिए।"
शिव ने डिक्की खोली तो हैरान रह गया। चेतन की लाश डिक्की में थी। शिव सब समझ गया।
"तो तुम और रॉबिन मिले हुए हो। जब मैं रॉबिन से बात कर रहा था तब यह लाश किसी ने डिक्की में छिपा दी होगी।"
शिव ने अपना मोबाइल निकालने के लिए जैकेट की पॉकेट में हाथ डाला। मोबाइल नहीं था। उसने पैंट की जेब में देखा। वहाँ भी नहीं था। उसे याद आया कि रॉबिन जब उसे चेतन के बारे में बता रहा था तब उसने फोन मेज़ पर रखा था। उसके बाद वह इतने गुस्से में था कि फोन भूल गया।
"फोन नहीं मिला। मिल भी जाता तो क्या होता। अगर आप सोंच रहे हैं कि पुलिस को सब बताएंगे तो बेकार है। कैसे समझाएंगे कि लाश डिक्की में कैसे आई।"
शिव को बात सही लगी। पुलिस को यह समझाना कठिन होगा कि किसी ने उसकी कार में लाश छिपाई और उसे पता भी नहीं चला।
निशांत ने शिव से कहा।
"कार में बैठिए।"
"क्यों ?"
"अब मैं जो कहूँ वही करिए। इसीमें आपकी भलाई है।"
शिव चुपचाप कार में बैठ गया। निशांत उसकी बगल में बैठ गया। दरवाज़ा खोल कर पूरन सिंह भी पिछली सीट पर बैठ गया।
"ये यहाँ क्या कर रहा है।"
"इसी ने तो चेतन की लाश आपकी डिक्की में डाली है। अब जहाँ हम कहें चलिए।"
शिव की कार दस बज कर चौदह मिनट पर जन्नत अपार्टमेंट्स के बाहर निकली। पर तब शिव के साथ निशांत और पूरन सिंह भी थे।