स्टॉकर - 10 Ashish Kumar Trivedi द्वारा जासूसी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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स्टॉकर - 10



स्टॉकर
(10)


अंकित ने अभी घर वापस ना लौटने का मन बना लिया था। वह अब कुछ बन कर ही वापस जाना चाहता था। पर उसने मेघना के प्रस्ताव को भी मन से निकाल दिया था। वह अब नए सिरे से नई शुरुआत करना चाहता था।
अंकित ने नई नौकरी तलाशने के लिए कोशिश करना शुरू कर दिया। पहले वह स्टेफिट जिम के समकक्ष दो जिम में गया। पर वहाँ उसे निराशा ही हाथ लगी। उसके बाद उसने अन्य जगह नौकरी के लिए किस्मत आज़माई। पर वहाँ भी वही परिणाम रहा। उसके बाद तो अंकित गली मोहल्ले में खुले जिम में भी नौकरी के लिए भटकने लगा। अंततः एक छोटे से जिम में उसे काम मिल गया।
जिम छोटा था। तनख्वाह भी कम थी। पहले जैसे रह पाना कठिन हो रहा था। पहले की कुछ बचत थी जिसकी वजह से काम चल रहा था। पर वह भी अधिक समय तक ठहरने वाली नहीं थी।
अंकित परेशान था कि उसने वापस ना जाने का फैसला इसलिए किया था कि कुछ बड़ा करके लोगों का मुंह बंद कर देगा। किंतु यहाँ स्थिति ये आ गई थी कि आगे बढ़ना तो दूर वह अपने स्थान पर नहीं टिक सका। उसे नीचे आना पड़ा। वह अपने भविष्य को लेकर बहुत चिंतित था।
एक दिन जब वह काम से लौटा तो मेघना ने उसे फोन किया।
"इतने दिन हो गए। तुमने अपना फैसला नहीं बताया।"
"जब मैंने फोन नहीं किया तो समझ लेना चाहिए था कि मैं तुम्हारे साथ कोई वास्ता नहीं रखना चाहता हूँ।"
"बहुत अच्छी बात है अंकित। पर एक बात याद रखो। अगर तुम सोंचते हो कि गर्ज़ मेरी है तो तुम गलत हो। मैं तो शिव की बीवी रहते हुए भी सब पा सकती हूँ। तुम अपनी सोंचो। मुझे पता है कि तुम किन हालातों में रह रहे हो।"
अपनी बात कह कर मेघना ने फोन काट दिया। अंकित उसकी बात पर विचार करने लगा। कैसे वह इस तरह अपना सपना पूरा कर पाएगा। मान लो कि उसे किसी बड़े जिम में नौकरी मिल भी जाती है तो भी उससे उसका मकसद पूरा नहीं होगा। अगर उसे एक अच्छा जिम खोलना है तो कम से कम तीस चालीस लाख रुपयों की आवश्यक्ता होगी। इतने पैसे इकठ्ठे करने में तो उसे बहुत समय लग जाएगा।
उसने बैंक से लोन लेने का विचार किया था। इस विषय में उसने बैंक से जानकारी भी ली थी। पर इतने बड़े लोन के लिए उसके पास सिक्योरिटी में रखने के लिए कुछ भी नहीं था।
अपना सपना पूरा करने के लिए उसे पैसा केवल एक ही व्यक्ति से मिल सकता था। वह थी मेघना। एक बार फिर वह सही और गलत के बीच भटकने लगा। आखिरकार भटक कर गलत की तरफ चला गया।
उसने मेघना को फोन करके कहा कि वह तैयार है।

मेघना ने अंकित को उसी रेस्टोरेंट में मिलने बुलाया। पिछली बार की तरह इस बार भी उसका पहनावा बदला हुआ था। इस बार भी वह अपनी कार की जगह टैक्सी से आई थी। वेटर अंकित को उसी केबिन बॉक्स में ले गया जहाँ वो पहले मिले थे।
उसके बैठने के बाद मेघना ने कहा।
"तुमने ठीक से अपना मन पक्का कर लिया है ना। बाद में मुकर तो नहीं जाओगे।"
"देखो मेघना मैं सिर्फ पैसों के लिए ही तुम्हारा साथ देने को तैयार हुआ हूँ। तुम्हें मुझे जिम खुलवा कर देना होगा।"
मेघना ने पहले ही कॉफी और ब्रैन मफिन्स का आर्डर दे दिया था। वेटर उनका आर्डर सर्व करके चला गया तब मेघना ने कहा।
"मैं पहले ही कह चुकी हूँ। तुम मेरा साथ दो तो मैं तुम्हारे सपने को पूरा करने में मदद करूँगी।"
"मैं कोई प्रोफेशनल किलर नहीं हूँ। गन चलाना भी नहीं जानता हूँ। इसलिए तुम्हें सोंच समझ कर प्लान बनाना पड़ेगा।"
"मैं तुम्हारी हामी की राह देख रही थी। अब तुम तैयार हो तो जल्द ही एक प्लान के साथ तुमसे मिलती हूँ।"
अंकित के मन में एक प्रश्न हलचल मचा रहा था। उसने मेघना से पूँछा।
"मैं अब तुम्हारे साथ रहना नहीं चाहता हूँ। फिर भी तुम शिव टंडन की हत्या के बदले में मुझे जिम खुलवा कर देने को तैयार हो। उसमें कम से कम चालीस लाख खर्च होगा। जबकी अगर तुम यही काम किसी सुपारी किलर से करवाओगी तो कम पैसे लगेंगे। फिर तुम मुझ पर इतना खर्च क्यों कर रही हो ?"
मेघना ने कुछ सोंच कर कहा।
"बात तुम्हारी सही है अंकित। अगर मैं किसी सुपारी किलर से यह काम करवाऊँ तो कम पैसों में हो जाएगा। पर मैंने कई केस को स्टडी किया है। सुपारी किलिंग के मामले अधिकांश तौर पर पकड़े जाते हैं। मैं कोई खतरा मोल नहीं लेना चाहती हूँ। शिव की हत्या के प्लान में सिर्फ मैं और तुम होंगे। अपने हिसाब से प्लान बनाएंगे। उसे अपने तक रखेंगे।"
"तुमको लगता है कि मैं यह काम सही से कर पाऊँगा।"
"मैं सोंच समझ कर प्लान बनाऊँगी। जिसमें खतरा कम हो। फिर थोड़ा बहुत खतरा तो हर चीज़ में होता है। फायदा तुम्हारा भी है। तो तुम भी पूरी एहतियात बरतोगे।"



अंकित के राज़ी हो जाने के बाद मेघना शिव की हत्या का प्लान बनाने लगी। वह भी समझती थी कि प्लान ऐसा हो जिसमें गलती की संभावना ना के बराबर हो। इसलिए उसने शिव की दिनचर्या के हर बिंदु पर ध्यान देना शुरू किया।
शिव रोज़ सुबह जल्दी उठ जाता था। वह अपनी कार से बंगले से कुछ दूर पर स्थित जॉगर्स पार्क में जाता था। वहाँ करीब एक घंटा वह जॉगिंग तथा योग करता था। शिव को जिम में वर्कआउट करना उतना पसंद नहीं था। उसका कहना था कि व्यायाम खुले में होना चाहिए ना कि बंद जगह पर।
जब वह जॉगिंग पर जाता था तब वह अपने ड्राइवर को साथ नहीं रखता था। जॉगर्स पार्क में कार पार्किंग की सुविधा थी। मेघना ने सोंचा कि काम को अंजाम देने के लिए यह एक सही समय हो सकता है। जब शिव कार पार्क कर जॉगिंग के लिए भीतर जा रहा हो या व्यायाम के बाद वापस कार में बैठने जा रहा हो तब पास से उस पर गोली चलाना आसान होगा।
मेघना अंकित से मिली और उसे अपना प्लान बताया। सुनने में तो प्लान अंकित को भी ठीक लगा। पर वह कोई जल्दबाज़ी नहीं करना चाहता था। उसने कहा कि पहले वह उस जगह का मुआयना करेगा। फिर निर्णय लेगा।
अंकित ने दो दिन तक जॉगर्स पार्क पर नज़र रखी। उसने गौर किया कि उस पार्क में जॉगिंग के लिए आने वाले अधिकतर बड़े लोग थे अतः पार्क के गेट पर सिक्योरिटी का बंदोबस्त था। वहाँ एक गार्ड रहता था। अंकित ने ध्यान दिया कि जब कोई नियमित रूप से आने लगता था तो वह उसे बिना रोक टोक अंदर जाने देता था। पार्किंग लॉट में सीसीटीवी कैमरा लगे हुए थे।
अंकित ने सारी बात आकर मेघना को बताई। मेघना ने अंकित को बताया कि शिव जॉगिंग के बाद कुछ देर योग करता है। उसने बातों बातों में शिव से पता कर लिया कि योग करते समय वह पार्क के एकांत कोने में चला जाता है।
जॉगर्स पार्क में जाने के लिए पास बनवाना पड़ता था। मेघना ने अपनी जान पहचान का प्रयोग कर उसके लिए एक पास बनवा दिया।
अंकित ने सावधानी के साथ कुछ दिनों तक जॉगर्स पार्क में शिव टंडन की गतिविधियों पर नज़र रखा। जॉगिंग के बाद शिव पार्क के कोने में बैठ कर योग करता था। उस समय उसके आसपास ज्यादातर एकांत रहता था।
अंकित ने यह भी देखा कि यदि वह शिव की हत्या करके वहाँ से जाना चाहेगा तो कौन कौन सी बाधाओं से उसे बचना पड़ेगा।
जब अंकित को इस बात का यकीन हो गया कि वह अपने काम को अंजाम दे पाएगा तब उसने मेघना से बता दिया कि वह अब तैयार है।
मेघना ने उसके लिए साइलेंसर वाली एक गन का इंतजाम करवा दिया। अंकित ने अपना मन पक्का कर लिया था।
लेकिन जिस दिन उसे अपने काम को अंजाम देना था शिव टंडन तबीयत बिगड़ जाने के कारण जॉगर्स पार्क नहीं गया।

अपनी कहानी सुनाते हुए अंकित चुप हो गया। सब इंस्पेक्टर गीता ने पूँछा।
"तुम मिस्टर टंडन को मारने को तैयार थे। पर पहले तुमने हमें बताया था कि तुमने मिस्टर टंडन को मारने का इरादा बदल दिया था।"
"हाँ मैम....सही कह रहा हूँ। उस समय मुझ पर किसी भी तरह सफल होने का भूत सवार था। इसलिए मैं शिव टंडन की हत्या करने को तैयार हो गया था। पर बाद में मेरा इरादा बदल गया।"
एसपी गुरुनूर ने कहा।
"तुम्हारा इरादा अचानक कैसे बदल गया ?"
"मैम बताता हूँ।"
कह कर अंकित ने कहानी आगे बढ़ाई।

उसके बाद तीन दिन तक शिव टंडन जॉगिंग के लिए नहीं गया। अंकित ने पैसों के लालच में अपराध करना स्वीकार तो कर लिया था। पर उसका मन अभी भी पूरी तरह से पक्का नहीं हो पाया था। अतः जो व्यवधान सामने आया उसने उसके निश्चय को फिर से डांवाडोल कर दिया।
अंकित के मन में यह लालच तो था कि यदि सब ठीक रहा तो आसानी से उसे इतनी रकम मिल जाएगी। पर यह विचार आते ही उसका इरादा कमज़ोर पड़ जाता कि यदि भागते हुए वह पकड़ा गया तो कानून उसे कड़ी सज़ा देगा। तब उसके माता पिता पर क्या बीतेगी।
वह कुछ बड़ा कर अपने माता पिता का सम्मान बढ़ाना चाहता है। पर जब वह कत्ल के इल्जाम में पकड़ा जाएगा तब सभी उसके किए के लिए उसके माता पिता को दोष देंगे। समाज में उनका रहना कठिन हो जाएगा।
शिव टंडन ने दोबारा जॉगर्स पार्क जाना शुरू कर दिया था। जब दो तीन दिन वह लगातार जॉगिंग करने गया तो मेघना ने अंकित को फोन कर कहा कि अब सब सही है। वह मौका देख कर अपना काम कर दे।
अंकित यह सोंच कर जॉगर्स पार्क पहुँचता था कि आज शिव की हत्या कर देगा। पर रोज़ ही उसकी हिम्मत जवाब दे जाती। मेघना पूँछती तो कोई ना कोई बहाना कर देता था।
जब चार दिन तक अंकित कुछ नहीं कर सका तो मेघना ने उसे मिलने के लिए उसी रेस्टोरेंट में बुलाया।
अपना डर लेकर वह मेघना के पास चला गया।