स्टॉकर - 39 Ashish Kumar Trivedi द्वारा जासूसी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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स्टॉकर - 39




स्टॉकर
(39)



निशांत ने शिव से कहा कि वह कार को नेशनल हाइवे के पास वाले जंगल में ले चले। वहाँ वो लोग चेतन की लाश को जंगल में फेंक देंगे।
शिव का दिमाग कम नहीं कर रहा था। उसने वही किया जो निशांत कह रहा था। वह कार को लेकर नेशनल हाइवे वाले जंगल में गया। वहाँ पहुँच कर निशांत ने शिव से बाहर निकलने को कहा। पूरन सिंह भी बाहर आ गया। निशांत ने कहा कि वो लोग चेतन की लाश को ठिकाने लगाने के लिए जगह खोजते हैं। सही जगह की तलाश में वो लोग जंगल में कुछ अंदर तक चले गए।
निशांत और पूरन सिंह सही मौके की तलाश में थे। एक जगह पेड़ों के झुरमुट के पास एक गढ्ढा था। यह सही जगह थी। पूरन सिंह ने सही मौका देख कर उसी साइलेंसर लगी गन से शिव को भी मार दिया। उसकी लाश गढ्ढे में फेंक दी।

सभी बड़े ध्यान से शिव की हत्या की कहानी सुन रहे थे। एसपी गुरुनूर ने रॉबिन से पूँछा।
"सब तुम्हारे प्लान के हिसाब से था। फिर शिव की कार चेतन की लाश के साथ तुम्हारे फार्म हाउस पर कैसे पहुँची ?"
"मैम यहाँ तक तो सब तय प्लान के हिसाब से ही था। उसके बाद निशांत और पूरन सिंह को चेतन की लाश भी वहीं ठिकाने लगा कर शिव की कार जंगल में ही कहीं छिपानी थी। पर उन्होंने ऐसा नहीं किया।"
"तुमने इसका कारण जानने की कोशिश नहीं की। उनसे पूँछा नहीं कि चेतन की लाश के साथ शिव की कार उन लोगों ने तुम्हारे फार्म हाउस पर क्यों छिपाई ?"
"मैंने उन लोगों पर पूरा भरोसा किया था। इसलिए तय हुआ था कि मैं कुछ दिनों तक अपने फार्म हाउस पर नहीं जाऊँगा। क्योंकी मेरा शिव के साथ संबंध सबको पता था। जबकी निशांत और पूरन सिंह के बारे में लोग नहीं जानते थे। सबको लगता कि हत्या के समय मैं शहर में नहीं था। अतः मुझ पर कोई शक ना करता।"
"तो तुम कहाँ छिपे थे ?"
"शिव के जगदंबापुर वाले फार्म हाउस में।"
"तुम वहाँ कैसे पहुँच गए ?"
"मैम मैं पहले मेघना से मिलने उस फार्म हाउस पर जाता रहता था। मैं अक्सर वहाँ काम करने वाले नौकर को पैसे या कोई गिफ्ट देकर खुश रखता था। मैंने उसे पैसे देकर कहा कि मेरे वहाँ होने की किसी को खबर नहीं होनी चाहिए। मैं शिव के फार्म हाउस में जाकर छिप गया। मुझे पूरी उम्मीद थी कि वहाँ मुझे ढूंढ़ने कोई नहीं आ सकता है। मेघना तो कुछ दिन शिव की हत्या के मामले में ही उलझी रहेगी। वहाँ पहुँच कर मैंने निशांत से बात की तो उसने कहा कि सब कुछ प्लान के मुताबिक ही हुआ है। मैं निश्चिंत हो गया।"
"तुम्हें कब पता चला कि शिव की कार तुम्हारे फार्म हाउस में है ? मेघना को तुम्हारे वहाँ होने का पता कैसे चला ?"

रॉबिन ने आगे की कहानी सुनाई।

रॉबिन शिव के फार्म हाउस में छिपा था पर अखबार और टीवी न्यूज़ के ज़रिए शिव की हत्या के केस पर उसकी नज़र बनी हुई थी। उसे जब खबर मिली कि शिव की कार जिसमें चेतन की लाश थी उसके फार्म हाउस में मिली तो वह परेशान हो गया। उसने अपना पुराना नंबर बंद कर दिया था। वह एक नए नंबर से निशांत और पूरन सिंह से संपर्क करता था। उसने खबर मिलते ही पहले निशांत से संपर्क करने की कोशिश की। पर संपर्क हो नहीं पाया। फिर उसने पूरन सिंह से संपर्क की कोशिश की। उसका भी नंबर पहुँच से बाहर बता रहा था।
रॉबिन ने सोंचा था कि कुछ दिन बाद वह वापस अपने फार्म हाउस चला जाएगा। इसलिए वह बिना किसी खास तैयारी के आ गया था। पर अब उसके फार्म हाउस पर शिव की कार में चेतन की लाश मिलने से उसका वापस जाना मुश्किल हो गया था। उसके लिए वहाँ छिप कर रहना आवश्यक हो गया था।
उसके पास सही कपड़े नहीं थे। इसके अलावा उसे और भी सामान चाहिए था। पर सबसे बड़ी बात थी कि वह निशांत और पूरन सिंह से मिल कर उनसे पूँछना चाहता था कि उन्होंने उसे धोखा क्यों दिया। उसकी मदद केवल मेघना ही कर सकती थी।
रॉबिन ने मेघना को फोन कर उससे मिलने बुलाया। रॉबिन का फोन मिलने पर मेघना सही मौका देख कर उससे मिलने गई। उसने रॉबिन से पूँछा।
"तुम मेरे फार्म हाउस पर क्यों छिपे हो ?"
रॉबिन ने उसे उतनी ही बात बताई जो उसके फायदे में थी।
"मेघना पूँछना तो मुझे तुमसे है कि अंकित से शिव की हत्या करवाने के बाद शिव की कार मेरे फार्म हाउस पर क्यों खड़ी करवा दी। उसमें चेतन की लाश मिली है।"
"मैं कुछ नहीं जानती हूँ। मैंने अंकित को शिव और चेतन की हत्या करने को कहा था। पर चेतन की लाश तुम्हारे फार्म हाउस पर क्यों मिलीं मैं नहीं जानती हूँ।"
"तो फिर अंकित से पूँछो।"
"जिस दिन शिव की हत्या हुई उस दिन शाम से मेरा उससे कोई संपर्क नहीं हुआ।"
"मेघना मैंने कुछ नहीं किया पर फिर भी मैं इस सबमें फंस गया। मैं तो शहर के बाहर था। न्यूज़ में सुना कि शिव की हत्या हो गई। मैं समझ गया कि तुमने ही अंकित से यह काम कराया होगा। पर जब मैं शहर वापस आया तो पता चला कि चेतन की लाश के साथ शिव की कार मेरे फार्म हाउस पर मिली। मैं डर गया। यहाँ आकर छिप गया। मेरी मदद करो प्लीज़।"
मेघना भी परेशान थी। सूरज सिंह नामक एक जासूस के पास सबूत थे जिसमें वह रॉबिन और अंकित से मिलती दिखाई दे रही थी।
उसने सारी बात रॉबिन को बता दी। उसकी बात सुन कर रॉबिन बोला।
"देखो मेघना इस मुश्किल समय में हम दोनों ही एक दूसरे का साथ दे सकते हैं। मैं तो यही कहूँगा कि जितनी जल्दी हो सके सब समेट कर हम कहीं दूर चले जाएं। हम दोनों पति पत्नी है। कहीं और जाकर नया जीवन शुरू करेंगे।"
"रॉबिन यह सब इतना आसान नहीं होगा। सब कुछ समेटने में वक्त लगेगा।"
"तो मैं कब तुमसे आज या कल में चलने को कह रहा हूँ। मैं यहाँ छिपा रहूँगा। तुम बस मेरी ज़रूरत का सामान पहुँचाती रहना। तुम अपनी कोशिश करती रहो। जब भी मतलब भर का हाथ लग जाए चले चलेंगे। अधिक लालच हमें फंसा देगा। ये सूरज सिंह खतरनाक आदमी मालूम पड़ता है।"
मेघना को उसकी बात सही लगी। वह यह कह कर चली गई कि उसका ज़रूरी सामान लेकर वह उससे मिलने जल्दी आएगी।