आधा मुद्दा (सबसे बड़ा मुद्दा) - अध्याय १२. - १३ DILIP UTTAM द्वारा महिला विशेष में हिंदी पीडीएफ

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आधा मुद्दा (सबसे बड़ा मुद्दा) - अध्याय १२. - १३

-----अध्याय १२."अब मन नहीं |"-----

जितनी भी स्त्रियों की आत्महत्याएं होती हैं, वह अधिकतर पुरुषों के उकसाने के कारण ही होती हैं या उनके सताने के कारण ही होती है, स्त्री को सताया जाता है, रुलाया जाता है और इतना तड़पाया जाता है कि उसे आत्महत्या के अलावा कोई और विकल्प नजर न आता है और मायके में भी उसे तोह नजर न आती है तो पति के यहां मौत से बुरी जिंदगी जी रही होती है तो ऐसे में वह कैसे जियेगी? रोज के तानों से, रोज के वाणों से तंग आकर आत्महत्या कर लेती है क्यों कि न तो उसके मायके में कुछ सम्पति है, न ही पति के यहां ऐसे में जब उसे अपना कोई न लगता है तो दुनिया खत्म लगती है, सब खत्म लगता है तो इस तरफ उसके कदम बढ़ जाते हैं|

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" मत सताओ इतना नारी को|

मत रुलाओ इतना नारी को|

कि वो दुर्गा मां बन जाए|

कि वो चंडी मां बन जाए|

उसमें भी मन है|

उसमें भी तन है|

उसमें भी दिल है|

उसमें भी प्रेम है|

हर उसकी भावना को मत, तोड़ तू पुरुष |

हर उसकी भावना को मत, तोड़ तू पुरुष |

इतना मत सताओ उसको|

इतना मत रुलाओ उसको|

कि वह भवानी मां बन जाए|

कि वह काली मां बन जाए|

मत सताओ उसको इतना, मत रुलाओ उसको इतना |

मत तड़पाओ उसको इतना, मत बहकाओ उसको इतना |

की सब्र का बांध टूट जाये, पानी की धार छूट जाये |

तब तबाही के सिवा कुछ न मिलेगा |

तब तबाही के सिवा कुछ न बचेगा |

न परिवार की इज्जत बचेगी |

न परिवार में खुशियां बचेगी |

न परिवार तरक्की करेगा |

और न परिवार, आपको समझ सकेगा |"

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-----अध्याय १३."अपना मन कहां-अपना तन कहां?"-----

पुरुष नारियों को उसके कपड़ों को लेकर घूरता रहता है, कमेंट करता रहता है, दोष देता रहता है कि नारी खराब कपड़े पहनती है/छोटे-छोटे कपड़े पहनती है, जिसके कारण उसके साथ छेड़छाड़ होता है, यह होता है, वह होता है |ईश्वर ने सब को बनाया है और ऐसे में किसी की स्वतंत्रता को रोकना कहाँ तक सही है और फिर हम कौन होते हैं नारी को,उसके कपड़ों पर बोलने वाले?, हम कौन होते हैं? हम ऐसा इसलिए करते है की हमारा माइंड दूषित है, हमारा मन दूषित है, हम कहते है की हमारे(पुरुष) हिसाब से कपड़े पहने ताकि उनके साथ छेड़छाड़ न हो, रेप न हो परन्तु रेप, छेड़छाड़ या और तरीको से नारी का शोषण पुरुष अपनी गन्दी मानसिकता के कारण करता है,अपनी दुष्ट आंखों के कारण करता है, गंदी सोच के कारण करता है,उसके अंदर नैतिकता नहीं बची, वह अनैतिक हो गया है इस कारण करता है ,उसका जमीर मर गया है, इस कारण करता है,उसको ऐसा करने में मजा आता है, कोई शर्म नहीं आती इस कारण करता है, ऐसा करते समय वह भूल जाता है कि उसके घर में भी नारियां है, इस कारण वह करता है, अधिकतर मामलों में नारियां चुप रह जाती हैं, इस कारण वह करता है, समाज में उसके(पुरुष) ऐसा करने के बाद भी बहिष्कार नहीं किया जाता, इस कारण वो करता है , सबसे बड़ी चीज की जब घर वालों को भी पता चलता है कि मेरे बेट-पति ने ऐसा किया हुआ है तो भी हम उसको जबरदस्त सबक नहीं सिखाते, इस कारण वो ऐसा करते रहते है ,ऐसे पुरुषों में मानवता खत्म हो चुकी है ,दूसरों का दर्द खत्म हो चुका है ,सही क्या है, गलत क्या है का भाव खत्म हो चुका है , आनंद के लिए , अपनी खुशी के लिए वह गलत रास्तों पर, गलत विचारों पर, गलत सोचो पर और गलत तर्कों पर चलने लगते हैं यही है कारण, कोई और कारण नहीं |

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"ढक़ोसले वादों से देश नहीं चलता|

ढक़ोसले विचारों से देश नहीं बदलता|

ढक़ोसले विचारों से सत्य नहीं बदलता |

ढक़ोसली आदतों से इंसान नहीं बदलता |"

{ढक़ोसले=कहो कुछ, करो कुछ }

जब तक मन न साफ होगा|

जब तक तन न साफ होगा |

अच्छे विचार न आएंगे |

सच्चे विचार न आएंगे|"

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"नारी को उसकी मर्जी से कपड़े पहनने दे, ये उसके आराम का मामला है, ये उसके फैशन का मामला है, ये उसकी स्टाइल का मामला है और तो और ये उसकी पसंद का मामला है, उसके हक का मामला है, उसकी स्वतंत्रता का मामला है और तो और यह उसके स्वाभिमान का मामला है |पुरुषों को इसमें एलर्जी क्यों है? यह सदियों से एलर्जी बनी हुई है और यह अब नासूर बन गई है, जिसे खत्म करना बहुत जरूरी हो गया है, जिसे पुरुष ही कर सकते हैं, न कि स्त्री |"

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"कपड़ों से ऊपर उठिये, पुरुष जी |

सोच बदलिए, विचार बदल जायेगें|

दृस्टि बदलिए, सब बदल जाएगा|

सब संवर जाएगा, सब बदल जाएगा|

सत्य को स्वीकार करिए, सब बदल जाएगा|

खुद की गलतियों को स्वीकार करिए, सब समझ जाएगा|

सब संवर जाएगा,सब बदल जाएगा|"

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"क्या पुरुष ये वादा कर पायेगा कि नारियाँ उनके हिसाब से कपड़े पहनेंगीं तो रेप , छेड़छाड़, घूरना, कमेंट आदि करना पूरी तरीके से बंद हो जायेगा? मैं पक्के तौर पर कहता हूँ ये सब कपड़ो से नहीं रुकेगा बल्कि पुरुष की सोच बदलने से रुकेगा और पुरुष के द्वारा रुकेगा |अब समय आ गया है कि सही बात की बात कि जाये, यूँ ही बातो को न घुमाया जाये, यूँ ही बातो को न टाला जाये और सही बात/कारण पर ध्यान देकर, इस समस्या से निकलना होगा तभी अच्छे परिणाम आएंगे, तभी हम सुधरेंगे, तभी समाज सुधरेगा, तभी देश सुधरेगा, तभी खुशहाली आएंगी, तभी हमारा देश महान बनेगा, तभी हम महान बनेंगे क्यों कि देश सही सोच से, सही विचारों से, सही आदतों से, सही नेताओं से तो,सही लोगों से(जनता से) महान बनता है और यह सब करने के लिए ,यह सब होने के लिए, हमें खुद को सुधारना होगा/खुद को बदलना होगा, दूसरे पर उंगली उठाने से पहले खुद को बदलना होगा, दूसरों को गाली देने से पहले, खुद को बदलना होगा, दूसरों के कामों में कमियां निकालने से पहले खुद की कमियों को देखना होगा, दूसरे को भ्रष्टाचारी कहने से पहले खुद को भ्रष्टाचारी से दूर करना होगा ,दूसरे को घूसखोर कहने से पहले, खुद को बिना घूस वाला बनाना होगा (चाहे घूस देते हो या चाहे लेते हो दोनों ही तरह से पहले खुद को बिना घूस वाला बनाना होगा क्यों कि जब तक आप चाहे रेलवे के टिकट की बुकिंग के लिए दलालो से ब्लैक में टिकट ख़रीदेंगे, तब तक आपको किसी और घूसखोर पर ऊँगली उठाने का हक़ नहीं है या जब तक आप अपनी दिनचर्या में ऐसी घूसखोरी करते रहेंगे तब तक देश न बदलेगा, लोग न बदलेंगे और ऐसे में आपको हक़ नहीं बनता की किसी और पर ऊँगली उठाये क्योंकि चोरी तो चोरी होती है चाहे वह एक रुपये की चोरी हो या फिर एक करोड़ की चोरी हो|)|

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किताब/ बुक-----आधा मुद्दा (सबसे बड़ा मुद्दा)
"नारी में बारे में बातें, नारी के नजरिये से |"
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