Adha Mudda -Sabse Bada Mudda - 2 books and stories free download online pdf in Hindi

आधा मुद्दा (सबसे बड़ा मुद्दा) - अध्याय २

-----अध्याय २."जीवनदायिनी"-----

सच्चे अर्थों में क्या है नारी?

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"नारी को जानना है तो अपनी मां को जानिए, माँ को समझिये, माँ के प्यार को, अहसास को, कर्मठता को , सच्चाई को,अच्छाई को, सब्र को, लगाव को, धीरज को, सहनशीलता को, खुश रहने की कला को, परिवार जोड़ने की कला को, हर माहौल में ढ़लने की कला को, हर मुसीबत को डटकर सामना करने की कला को ,ऐसी हजारों बातें हैं जिनका हमें विश्लेषण करना ही होगा, उन्हें खुद के अंदर समाना ही होगा, उन्हें मानना ही होगा, जिन्हें हमें हर समय ध्यान रखना ही होगा, तभी हम नारी के प्रति विनम्र रह सकते हैं| "

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"माँ ही नारी की परिभाषा है|

माँ ही स्त्रियों की आशा है|

माँ से ही संसार है|

माँ से ही आसार है|

माँ नहीं तो कुछ भी तो नहीं|

माँ नहीं तो कुछ भी तो नहीं|

माँ से बड़ा न होवे कोई|

माँ से न्यारा होवे न कोई|

माँ से प्यारा होवे न कोई|

माँ नहीं तो कुछ भी तो नहीं|

माँ नहीं तो कुछ भी तो नहीं|"

क्यों की -----

कहने का मतलब एक मां द्वारा ही बेटी की, बहू की सही से परवरिश की जा सकती है या सही से संबंध रखे जा सकते हैं | मां से ही संसार है, मां से ही आसार हैं (आशा है) क्योंकि मां से प्यारा और कोई नहीं होता, मां से सहनशील, निर्मल प्रेमवाली, खामोश रहने वाली, जानते हुए भी खामोश रहती है, प्यार करने वाली, सुनने वाली, आशीर्वाद देने वाली , दर्द सहने वाली ,बिना बताए आप का दर्द समझने वाली, महसूस करने वाली और मां से ज्यादा आपका इंतजार करने वाली और कोई भी दुनिया में नहीं होता है| मां की सब कुछ है, नारी व पुरुष दोनों की ही सर्वे-सर्वा मां ही है |

----चंद लाइने मां के लिए-----

"मां है संतोषी माता|

मां है दुर्गा माता|

मां है सरस्वती माता|

मां है लक्ष्मी माता|

मां है सब देवों का रूप |

मां है सब देवों का रूप |

मां है सब लोगों का रूप|" (माँ है तो किसी और की कमी कम खलती है|)

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9 माह बच्चे को पेट में रखती है फिर भी बच्चे बुढ़ापे में छोड़ देते हैं तो भी वह कभी बच्चों का बुरा नहीं चाहती, ऐसी होती है मां, जो कभी किसी भी हालत पर अपने बच्चे का बुरा नहीं चाहती, बच्चा चाहे उसके साथ कितना ही बुरा क्यों न करें? ऐसी होती है मां, ऐसी होती है नारी |

नारी की प्रकृति के बारे में कुछ और बात करें तो -----

१. प्रभु ने नारी को प्रेम करने वाला बनाया है उस प्रेम को आपको अनुभव/महसूस करना है, उस प्रेम को आपको प्राप्त करना है, चाहे वह मां से मिलने वाला प्रेम हो, चाहे वह बहन से मिलने वाला प्रेम हो, चाहे वह बुआ से मिलने वाला प्रेम हो, चाहे वह मौसी से मिलने वाला प्रेम हो, इस प्रेम को महसूस करिए, महसूस करिए, प्रेम बना कर रखिये क्यों की आप इसे खरीद नहीं सकते| कुछ भी कर कर आप खरीद नहीं सकते हैं, यह आत्मा से आता है, यह परमात्मा से आता है और ये नसीब वालो को ही मिलता है, इसको स्वीकार करिए और इसकी अवहेलना मत करिए|

२. नारी की प्रकृति यह है कि वह विश्वास में जल्दी पड़ जाती है क्यों की वो प्रकृति/स्वभाव से सीधी होती है और इसी का फायदा उठाकर पुरुष जाति उसका शोषण करते है|

३. नारी की प्रकृति यह है कि वह प्रेम में इतना पागल हो जाती है जिससे करती है निस्वार्थ भाव से करती है, एक मां अपने बच्चे से इतना प्रेम करती है उसके लिए जान भी दे सकती है वह भी खुशी-खुशी |एक प्रेमिका अपने प्रेमी से इतना प्रेम करती है कि वह अपनी जान उसके लिए खुशी-खुशी दे देती है |

४.नारी की प्रकृति है कि वह आप में इतनी ज्यादा समर्पित हो जाती है, उसके लिए आप ही सब कुछ होते हैं, आप से बढ़कर कोई कुछ नहीं होता यह गुण केवल व केवल नारी में ही होती है जब वह अपने मायके में होती है तो उसके मां बाप भाई से ज्यादा सगा दुनिया में कोई नहीं होता, जब वही नारी अपने पति के घर आती है तो उसके पति के सिवा कोई नहीं होता वह सबसे ज्यादा अपने पति को चाहने लगती है ,सबसे ज्यादा वह प्यार करने लगती हैं ऐसी होती है नारी ,ऐसी महान होती है नारी |

५.नारी प्रकृति से इतनी सीधी होती है, इतनी सज्जन होती है की पुरुषों की गंदी सोच को समझ ही नहीं पाती है, पुरुषों की चाल को वह समझ ही नहीं पाती, उसे इतना विश्वास होता है अपने रिश्तो में, अपने प्रेम में की वो सोच भी नहीं सकती की उसके सामने वाला व्यक्ति उसको धोखा दे रहा है, उसका शोषण कर रहा है|

६.नारी की प्रकृति ऐसी होती है कि पति की, बेटे की या प्रेमी की हजार गलतियों को भी नजरअंदाज करती रहती है, वो जानती है कि उसका पति, उसका प्रेमी या उसका बेटा गलत है फिर भी वह इग्नोर करती रहती है, उनसे नफरत नहीं करते हुवे उनको मौके पर मौके देती रहती है की वह सुधर जाए पर यह दुष्ट पुरुष उस मौके का गलत फायदा उठाता है और कभी नहीं सुधरने की कोशिश करता है|

७.नारी की प्रकृति ऐसी होती है की वह जहां होती है खुशियां ही खुशियां होती है, वह पुरुषों को तो सुकून पैदा करती है | यदि घर में मां न मिले आपको तो घर सूना -सूना लगता है, वह 2 घंटे को भी कहीं चली जाती है तो घर सूना-सूना लगता है ऐसी होती है महान नारी की आभा ,ऐसी होती है महान नारी की महिमा, ऐसी होती है नारी |

८.नारी की सबसे निराली प्रकृति में आती है उसकी भावुकता, बहुत ही ज्यादा भावुक होती है, बहुत ही ज्यादा इमोशनल/सवेंदनशील होती है और यही उसकी सबसे बड़ी अच्छाई आज कलयुग में उसकी सबसे बड़ी बुराई बन गई है, इसी भावुकता के चलते पुरुष जाति उसको सताते हैं, उसको रुलाते हैं, उसका शोषण करते हैं तो नरियों से कहूंगा की वो अनावश्यक भावुकता में मत जाएँ |

----- सच्चे अर्थों में नारी क्या है?-----

"नारी देवी स्वरूपा|

नारी अर्धांगिनी स्वरूपा|

नारी मां का रूप|

नारी हवा का स्वरूप|

नारी मान का रूप|

नारी अभिमान का रूप|

नारी खुशियों का रूप|

नारी ख्वाबों का रूप|"

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फिर भी दुख होता है कि इतना सब होने के बावजूद, इतनी महान होने के बावजूद आज भी नारी शोषित है, दुखी है जबकि वास्तव में जिस घर में नारी का मान नहीं होता ,वह घर कभी खुश नहीं रह सकता |

कहने का मतलब:-

१.नारी का मान ∝ खुशियों का परिवार

२.पुरुष का गुस्सा - नारी का शांत रहना= खुशियों का परिवार

या नारी का गुस्सा - पुरुष का शांत रहना = खुशियों का परिवार

(कहने का मतलब यही है कि जब जरूरत पड़े तो पुरुष भी झुके, क्योंकि नारी तो हमेशा झुकती रहती है तो परिवार आपका खुशियों से भरा रहेगा, खुशियों के साथ चलता रहेगा|)

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किताब/ बुक-----आधा मुद्दा (सबसे बड़ा मुद्दा)
"नारी में बारे में बातें, नारी के नजरिये से |"
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