ADHA MUDDA-SABSE BADA MUDDA - 11 books and stories free download online pdf in Hindi

आधा मुद्दा (सबसे बड़ा मुद्दा) - अध्याय ११.

-----अध्याय ११."प्रेम कहाँ?"-----

प्यार में प्राय: पुरुष ही नारी को धोखा देते हैं, क्यों?

बहुत से पुरुष भाई यह कहते हैं कि शादी वह घर वालों की मर्जी से ही करेंगे, अरे भाई आप तो यह जानते हैं तो फिर प्रेम क्यों किया? धोखा देने के लिए प्रेम किया क्या? आप तो पहले से ही जानते हैं/थे कि ऐसा होगा तो आपने पूरी प्लानिंग के साथ ऐसा किया है, अब आप यह नहीं कह सकते कि आपने धोखा नहीं दिया है?

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पुरुष का ही मन भर जाता है/ ऊब जाता है या प्यार करने वाली से शादी नहीं कर सकते क्योंकि उसकी नजर में वो संस्कारी नहीं होती (और ऐसे विचार आते ही पुरुषों के संस्कार नजर आने लगते हैं कि वह कितना बड़ा संस्कारी है और वह कितने बड़े संस्कारी घर से है|)|शादी वह घर वालों की मर्जी से करेंगे, घरवाले संस्कारी लड़की ढूंढेंगे, ऐसी बातें हमारे पुरुष करते हैं, ऐसी सोच हमारे पुरुष रखते हैं और बड़ी-बड़ी बातें करते हैं, बड़े-बड़े वादे करते हैं, चाँद-तारे तोड़ने के सपने दिखाते हैं, जब की असलियत में पुरुष कुछ और ही होता है|

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सब जानता है पुरुष, ऐसे पुरुष से कुटिल कोई और हो ही नहीं सकता, वह केवल अपना भला चाहता हैं, आनंद चाहता है बस इसके चलते सब करता है |जब गर्लफ्रेंड से मन भर जाता है तो मारपीट, गाली-गलौज इतनी ज्यादा करता है कि गर्लफ्रेंड उसे खुद ही छोड़कर चली जाती है और ऐसा अगर होता है तो उसे न किसी की भावनाओं की कद्र है, न उसे किसी की सोच की पड़ी हुई है, न ही उसे किसी के प्रेम की पड़ी हुई है |प्यार में आज भी प्राय: पुरुष ही धोखा देते हैं, जबकि स्त्रियों की संख्या धोखा देने में बहुत कम हैं और स्त्रियां धोखा भी देती हैं तो पुरुषों के बदलते व्यवहार के कारण ही देती है, तो ये सोच, आनंद की सोच, जब तक न बदलेगी, जब तक ऐसा ही चलता ही रहेगा| पुरुषों को सोच बदलनी ही होगी, पुरुषों को यह सोचना बंद करना ही होगा, जिससे वह प्रेम करते हैं वह उसके साथ घर नहीं बसा सकती, एक और चीज पुरुषों की कॉमन चीज है(जो ये की/प्रेम)/कॉमन सोच ये हैं की जब वो उससे प्रेम कर सकती हैं तो वो फिर से किसी और से प्रेम कर सकती है, यह सोच भी पुरुषों की दुष्टता/नीचता/पागलपन/साइकोपन/स्वार्थीपन का ही प्रतीक है|

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"प्यार के नाम पर धोखा देते, प्यार के नाम पर छलते हैं |

प्यार के नाम पर ब्लैकमेल करते, प्यार के नाम पर ठगते हैं |

फिर भी दोषी नारी होती, फिर भी दोषी नारी होती |

क्यों भला? क्यों भला? क्यों भला? क्यों भला?

ऐसा पाप क्यों होता है?

ऐसा धिक्कार क्यों होता है?

ऐसा अत्याचार क्यों होता है?

ऐसा भ्रष्टाचार क्यों होता है?

सोचना होगा, समझना होगा|

परखना होगा, मानना होगा |

अधिकार देना ही होगा |

सम्मान देना ही होगा |

प्यार देना ही होगा |

यार देना ही होगा | "

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"नारी में बारे में बातें, नारी के नजरिये से |"
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