आधा मुद्दा (सबसे बड़ा मुद्दा) - अध्याय ८ DILIP UTTAM द्वारा महिला विशेष में हिंदी पीडीएफ

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आधा मुद्दा (सबसे बड़ा मुद्दा) - अध्याय ८

आधा मुद्दा (सबसे बड़ा मुद्दा)-अध्याय ८.

पति का सर दर्द ,पैर दर्द ,शरीर दर्द हो तो पत्नी दबाये कुछ लोगों की इतनी आदत पड़ जाती है कि बिना दर्द के भी पत्नियों से रोज पैर दबवाते हैं क्यों की उन्हें इसमें मजा आता/आराम मिलता हैं और वही पत्नी भयंकर बीमार हो अथाह दर्द में हो तो भी, उसकी सोच के चलते/रूढ़िवादिता के चलते उसका सर भी नहीं दबाते, यह रूढ़िवादिता अहंकार, मैं ही मालिक हूँ,सोच के चलते है|

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क्या पुरुष का दर्द दर्द होता है?

क्या पत्नी का दर्द पर दर्द नहीं होता है?

पुरुष चाहता हैं की उसकी पत्नी- मां -बहन उसके दर्द को बिना बताए महसूस कर ले, वही पुरुष पत्नी का, मां का, बहन का कोई भी दर्द बताने पर भी न तो महसूस करता है, न समझता है, न सुनता है, न ही मानता हैं क्यों? ऐसा होता है पुरुष|

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"किसने बनाया है, इतना बेदर्द पुरुष?

ये बेइंसानियत किसने बनाया हैं?

जिसे वो अपनी प्रियतमा कहता हैं |

जो उसकी अर्धांगिनी हैं |

जो उसकी सुख-दुख की साथी हैं |

और जब वो दर्द में होती है |

और वह परेशान होती है |

तो भी मर्द उसके दर्द को, क्यों न समझता हैं?

अपने आराम का बड़ा ध्यान रखता है पुरुष |

अपने मान-सम्मान का बड़ा ध्यान रखता है पुरुष |

खुद पर बड़ा गर्व करता है पुरुष |

खुद को मर्द कहता है पुरुष |

पर बता पुरुष तू मुझे |

नारी का अपमान है जहां, तेरा मान कहाँ |

नारी शोषित है जहां, तेरी शान कहाँ |

नारी अपेक्षित है जहां, तेरी भक्ति कहाँ |

नारी खामोश है जहां, तेरी हँसी कहाँ | "

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----अध्याय ९."जरा सी गलती माफ नहीं |"-----

जरा सी बात पर पत्नी पर हाथ उठाना, गाली देना, क्रोध करना कहां तक जायज है?

सब्जी में मिर्च ज्यादा हो गया या नमक ज्यादा हो गया है, इस बात के लिए न जाने कितनी महिलाएं रोज पिटती है/ डांट खाती हैं? वहीँ पति के क्रोध की ज्वाला तब बढ़ जाती है, यदि पत्नी किसी रिश्तेदार से ज्यादा हंसकर बोलकर बात कर ले/या थोड़ा सा ज्यादा भी फ्रेंडली होकर बात कर ले |इसके लिए भी न जाने कितनी पत्नियां अपने पति के क्रोध को और मार-पीट को सहती हैं?

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पीटने का अधिकार पुरुष को किसने दिया, जरा सी बात पर पति, पत्नी को पीट देता है वही शाम को रोज पति शराब पीकर आता है तो कुछ नहीं, रोज आकर बिना मतलब के गाली गलौज करता है तो कुछ नहीं, ऐसी सोच किसने बनाई, ऐसा भेदभाव किसने बनाया, पुरुषों से गलतियां नहीं होती क्या? पुरुष परफेक्शन के साथ ही कार्य करते हैं क्या? पुरुषों के लिए कोई नियम नहीं है क्या? वो कुछ भी कर सकता है क्या?

वहीँ एक शराबी पति को कैसे सहती है नारी?

साधारण सी बात है कि शराबी नारी को क्या पुरुष, पत्नी के रूप में देख सकता है?

जैसे वह पीने के बाद जो गुस्ताखियां करता है, क्या उसकी पत्नी करे तो क्या वह सह पाएगा? नहीं केवल मैं शराब पी सकता हूं नारी नहीं, ऐसी सोच किसी निष्कर्ष तक नहीं ले जाएगी, ऐसी सोच से किसी का भला नहीं होगा, पत्नी को दासी मानना/ नौकरानी समझना जब तक ये चलेगा परिवार खुश न रहेगा|

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नारी की हालत कुछ ऐसी है :-----

"उसको सहना है, सहना है, सहना हैं |

फिर भी उसको रहना है, रहना है, रहना हैं |

ऐसे घर में रहना है -

जहां कभी भी तोड़ा जाता |

जहां कभी भी मोड़ा जाता |

हर पल उसका अपना न हैं |

हर पल उसका अपना न हैं |

ऐसी है महान नारी |

ऐसी है महान नारी |

इतनी सहनशील है, इतनी आशावादी है |

कि इक दिन पति सुधरेगा |

कि इक दिन पति सुधरेगा|

इसी आस में जीती रहती|

इसी आस में जीती रहती|

उसकी मार में प्यार ढूंढती |

उसकी मार में प्यार ढूंढती |

उसकी मार को भी न समझती|

ऐसी है नारी भाई|

ऐसी है नारी भाई |

फिर भी न समझता ये पुरुष |

फिर भी न समझता ये पुरुष |

ऐसा नादान है पुरुष, ऐसा बदमाश है पुरुष |

ऐसा नादान है पुरुष, ऐसा बदमाश है पुरुष |

क्रोधी तू ,अभिमानी तू ,स्वार्थी तू ,अहंकारी तू |

फिर भी मार खाये नारी |

फिर भी मार खाये नारी |

ये अत्याचार क्यों है?

ये दोहरापन क्यों है?

जवाब चाहिए नारी को, अब ऐसे न चलेगा |

अधिकार चाहिए नारी को, अब ऐसे न चलेगा |

स्वतंत्रता चाहिए नारी को, अब ऐसे न चलेगा |

सच्चा प्यार चाहिए नारी को, अब ऐसे न चलेगा | "

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"नारी में बारे में बातें, नारी के नजरिये से |"
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लेखक परिचय :-----

नाम-दिलीप उत्तम