सत्या - 15 KAMAL KANT LAL द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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सत्या - 15

सत्या 15

20 वर्ष की अनिता सुबह आठ बजे अपने काम पर निकली थी. रास्ते में उसकी सविता से भेंट हो गई, जो अपने घर के आगे गेट पर खड़ी थी. उसने रुककर पूछा, “मीरा दीदी फिर से पढ़ाई शुरू की है, ये बात सच है दीदी?”

सविता ने उसका उत्साह बढ़ाते हुए कहा, “यू आर नेवर टू ओल्ड टू लर्न. मतलब, तुम किसी भी उमर में पढ़ाई शुरू कर सकती हो. बोलो पढ़ोगी?”

अनिता, “पढ़ने का हमको फुर्सत ही कहाँ है दीदी. हम काम करते हैं, तभी तो घर का खर्चा चलता है. आप तो जानती हैं, ये कोई काम करते नहीं हैं. आप बस हमको अपने जैसा अंगरेजी बोलना सिखा दीजिए.”

“क्या करेगी अंगरेजी सीखकर?”

“एक हरामी हर रोज काम पर जाने बखत कुछ-कुछ बोलके हमको छेड़ता है. साले को अंगरेजी में ऐसा गाली देंगे कि दुबारा मेरे सामने आने का हिम्मत नहीं करेगा.”

“कौन सी गाली देना चाहती है? बता, हम उसकी अंगरेजी तुमको सिखाते हैं.”

अनिता हाथ लहराकर ज़ोर से बोली, जैसे वह उस लड़के को गाली दे रही हो, “साला हरामी, तेरे घर में माँ-बहन नहीं है क्या?” फिर फस्स से हँसी.

सविता ने मुस्कुराकर उसकी कही बात को अंगरेजी में दोहराई, “बोलो, यू बास्टर्ड, डोन्ट यू हैव मदर ऐंड सिस्टर इन यॉर हाऊस?”

अनिता, “यू बासटेड.”

सविता, “बासटेड नहीं रे, बास्..ट..र्ड.. बास्टर्ड”

“बास..टरड”

“बास्..ट..र्ड.. बास्टर्ड...जैसे बर्ड होता है, वैसे ही टर्ड...बास्टर्ड”

“बास..ट्रड”

“चलेगा. बोलो यू बास्टर्ड.”

सत्या आभी-अभी वहाँ पहुँचा था. उनको गाली देते हुए सुनकर वह बोला, “किसको गाली दे रही हो? गंदी बात है.”

सविता और अनिता झेंप गए. अनिता ने सच्चाई बताई, “एक हरामी हमको रोज

छेड़ता है. उसको अंगरेजी में गाली देना है. वही सबिता जी से सीख रहे हैं.”

सत्या ज़ोर से हँस पड़ा, “अरे सीखना है तो कुछ अच्छी बातें सीखिए जो काम आएँ. अच्छा, कहाँ काम करती हैं आप?”

अनिता, “एक लेडिस कपड़ा का दुकान पर.”

सत्या, “तो सविता, इनको कस्टमर से बात करना सिखाओ. जैसे गुड मॉर्निंग सर, गुड मॉर्निंग मैम, थैंक यू सर वगैरह. इस बात का कस्टमर पर अच्छा प्रभाव पड़ेगा. मालिक इनकी तन्ख्वाह भी बढ़ा देगा.”

सविता ने हामी भरी, “बात तो पते की है. क्यों, सीखेगी न अनिता?”

“हाँ-हाँ, सीखेंगे. साला मेरा मालिक 2 साल से 2 हजार में खटा रहा है. अंगरेजी बोलने से अगर पैसा बढ़ाएगा तो जरूर सीखेंगे.”

सविता, “एक बार अंगरेजी में कस्टमर से बात करना आ गया न तुझे, तो ज़्यादा पैसा देकर दुकान पर रखने के लिए दसियों मालिक तैयार हो जाएँगे.”

“सबीता सच बोल रही है सत्ता बाबू?”

सत्या, “बस कुल दस वाक्य सही से बोलना सीख जाईये. फिर देखिएगा, लोग आपकी कितनी इज्ज़त करते हैं. और सबसे पहले सविता बोलना सीखिये ... सविता...सबिता नहीं, स..वि..ता, सविता.”

अनिता, “स..बी..ता, सबीता..”

सविता, “बी नहीं वि..वि..वि स..वि..ता”

“बाप रे बाप, तुमरा नाम इतना मुस्किल है?”

उस दिन अनिता ने सीखने में बहुत मेहनत की. लेकिन वो लड़का उस दिन नहीं आया. कहीं भूल न जाए, इस डर से अनिता सारा दिन होठों-ही-होठों में गाली दोहराती रही. वह लड़का तीसरे दिन दिखाई दिया. रतन सेठ की दुकान के आगे कुछ लोग खड़े थे जब अनिता गली से निकली. वह लड़का साईकिल से उसका पीछा करते हुए गुनगुनाने लगा, “आजा मेरी साईकिल में बैठ जा...आजा मेरी साईकिल में बैठ जा.... बोल पिक्चर देखने चलती क्या?”

चलते-चलते अनिता रुक गई. उसने घूर कर लड़के को देखा. मन-ही-मन गाली को

दोहराया. इधर शुभ संकेत समझकर लड़का मुस्कुराया. दूर खड़े लोग भी उनमें रुची लेने लगे. अचानक अनिता गला फाड़ कर चिल्लाई, “यू बास्ट्रेड, डोन्ट यू हैव... मदर ऐंड ...सिस्टर... इन योर... हाऊस?”

लड़का साईकिल से गिरते-गिरते बचा. दो क्षण उसे घूरने के बाद वह आगे बढ़ गई. दुकान पर खड़े लोगों के चेहरों पर घोर आश्चर्य के भाव थे. रतन सेठ ने इशारे से लड़के को पास बुलाया, “क्यों बेटा, दिमाग ठिकाने लगा कि नहीं? बोल और छेड़ेगा कभी?”

लड़का पानी-पानी हो गया था. बोला, “अरे बाप रे, ये तो अंगरेजी बोलती है.”

वह अपनी साईकिल पर उल्टी दिशा में भाग गया. सब ठठाकर हँस पड़े.

सविता के घर पर औरतों का जमघट लगा था. कई औरतों के ज़ोर से हँसने की आवाज़ें आ रही थीं. अनिता पूरे उत्साह से बता रही थी, “साले का मुँह देखती तुम लोग... ऐसे भागा जैसे भूत दिख गया हो.”

एक बार फिर सभी औरतें खिलखिलाकर हँसीं. मीरा ने सबको चुप कराते हुए मज़ाक किया, “बेचारा लड़का. तुमलोग ऐसे किसी की बैंड मत बजाया करो.”

गोमती थोड़ी नाराज़गी से बोली, “बैंड तो बजाना ही पड़ेगा. कुछ लोगुन को और कोई बात समझ में नेहीं आता है.”

सविता, “क्या बात है गोमती मौसी, आज बहुत गुस्से में हो?”

गोमती, “मेरा बहू निर्मला जौन घर में काम करता है, उसका मालिक अकेले में बोलता है सादी करेगा. साला हराम का जना, बिधबा देख के चारा डालता है.”

सविता, “अच्छा ऐसा? क्यों निर्मला, बजाएँ उसकी बैंड? देख ले तेरा काम छूट जाएगा.”

निर्मला भी बिफरी हुई थी. बोली, “बजा दो दीदी. एक काम छूटेगा, दस मिलेगा.”

सविता, “उसके घर का फोन नंबर है तुम्हारे पास?”

“है न.”

सविता सबको लेकर रतन सेठ की दुकान पर आई और वहाँ के फोन से उसने फोन

लगाया. दूसरी तरफ से जवाब मिलने पर वह धारा प्रवाह अंगरेजी में बोलने लगी,

“गुड ईवनिंग मैम....आई एम निर्मलाज़ फ्रेंड सविता स्पीकिंग. (शुभ संध्या मैडम..मैं निर्मला की दोस्त सविता बोल रही हूँ.)

“ऐक्चुअली वी वानटेड टू टेल यॉर हसबैंड दैट निर्मला हैज़ ऐग्रीड टू ऐक्सेप्ट हिज़ मैरीज प्रोपोज़ल. (दरअसल हम आपके पति को बताना चाहते थे कि निर्मला उनकी शादी की पेशकश को स्वीकार करने के लिए राज़ी हो गई है.)

“....सो व्हेन आर यू कमिंग विद द बारात? (तो आपलोग बारात लेकर कब आ रहे हैं?)

“....नो-नो, यॉर हसबैंड हैज़ प्रॉमिस्ड निर्मला दैट ही विल मैरी हर (नहीं-नहीं, आपके पति ने निर्मला से यह वादा किया है कि वह उससे शादी करेगा.)

“....... हूँ ...... याह-याह ...... हूँ ...... याह, आई कैन अंडरस्टैंड (मैं समझ सकती हूँ) ......... याह, आई विल डेफिनिट्ली टेल हर (मैं उसे ज़रूर कहूँगी)................ आई होप यू डिड नॉट माईंड (आशा करती हूँ कि आपको बुरा नहीं लगा होगा).

“...... याह, वी थॉट यू शुड नो व्हाट इज़ हैपेनिंग बिहाईंड यॉर बैक इन द हाऊस (हमने सोचा आपको जानना चाहिए कि आपके पीछे आपके घर में क्या चल रहा है).

“...... बाई मैम ...... ओह श्योर. डेफिनिट्ली, व्हेन यू आर देयर, शी शुड नॉट हैव एनी प्रॉबलम (निश्चय ही, जब आप हैं तो उसको कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए)...बाई, बाई..थैंक यू मैम.”

सविता फोन बंद करके ज़ोर से खिलखिलाई. रतन सेठ सहित सारे लोग मंत्रमुग्ध होकर टकटकी लगाए सविता को अंगरेजी बोलते हुए सुन रहे थे. सविता ने जब उनकी आँखों के आगे चुटकी बजाई तब जाकर उनकी तंद्रा टूटी.

सविता, “ये लो हो गया काम. आज उसकी ऐसी ख़बर लेगी उसकी पत्नी कि उसके होश ठिकाने लग जाएँगे.”

निर्मला, “क्या बोल रही थी मेम साहब?”

“चलो घर चलकर बताते हैं,” कहकर सविता घर की ओर चली. रास्ते में वह बताने लगी, “थैंक यू, थैंक यू बोले जा रही थी. बोली मेरे पति की तरफ से आई ऐम सॉरी. आप तो जानती हैं इन मर्दों को. हम आगे से ख़्याल रखेंगे. निर्मला को कहिए बेखौ़फ होकर काम पर आए. वह बहुत ही हिम्मत वाली लड़की है. अरे निर्मला, तुम्हारी

बहुत तारीफ कर रही थी तुम्हारी मेम साब.”

निर्मला, “इस सब के बाद हमको कल काम पर जाना चाहिए?”

सविता, “हम तो कहते हैं ज़रूर जाना चाहिए. अब वो तुमको आँख उठाकर भी देखने की हिम्मत नहीं करेगा. और फिर तुम्हारी मेम साहब की भी सोचो. बेचारी अच्छी औरत है. तुम्हारी जगह कोई और कामवाली उसके पति के जाल में फंस गई तो? ......तुम रहोगी तो वो निश्चिंत रहेगी.”

बड़ी देर से बातें सुन रही सरस्वती बोली, “सचमुच, अंगरेजी बोलने वाला का सभी इज्जत करता है.”

जानकी, “सबिता, हम लोग को भी अंगरेजी में दो-चार गाली सिखाओ. हिंदी में गाली देने का कोई असर नहीं होता है. अंगरेजी में गाली देना बहुत जरूरी है.”

सविता हँसते हुए बोली, “तो बताओ कौन-कौन सी गाली तुमलोगों को सिखाएँ? वो अनिता वाली गाली तुम सब भी सीख लो न.”

सब सम्मिलित रूप से हँसे.

बस में कोई खास भीड़ नहीं थी. फिर भी एक शख़्स एक मज़दूर जैसी दिखने वाली महिला से सटकर खड़ा था और बस के झटकों के बहाने और भी सट जाता था. काफी देर से महिला यह सब चुप-चाप सह रही थी. अंत में वह चिल्लाई, “यू बास्टेर्ड, डोन्ट यू हैव मदर ऐंड सिस्टर इन योर हाऊस?”

अचानक वहाँ ख़ामोशी छा गई. सारे यात्री उसका चेहरा देखने लगे. वह शख़्स बुरी तरह झेंप गया. एक यात्री उठकर खड़ा हुआ और उसने उस शख़्स को डपटा, “चलो उधर जाकर खड़ा हो जाओ.... आईये मैडम यहाँ बैठ जाईये..... कहाँ तक जाएँगी आप?”

महिला ने शालीनता से जवाब दिया, “जी आपका धन्यवाद, मॉडर्न बस्ती के पास उतरेंगे. नजदीक ही है. आप बैठ जाइये.”

बाज़ार में चाय के एक खोखे के आगे से जैसे ही तुलसी गुज़री, एक आदमी ने उसे देख कर सीटी बजाई और धीरे से गुनगुनाने लगा, “चढ़ती जवानी, तेरी चाल मस्तानी.”

तुलसी ने पलटकर जवाब दिया, “यू बास्टेड, डोन्ट यू हैव मदर ऐंड सिस्टर इन योर

हाऊस?”

वह आदमी हक्का-बक्का रह गया. तुलसी बोल कर दनदनाती हुई चली गई. होश संभलने पर उसने चाय वाले से पूछा, “ये कौन है बाप. अंगरेजी में गाली देती है?”

“मॉर्डन बस्ती की है. यहाँ की औरतों से भूल कर भी मत उलझना. ऐसी-ऐसी गालियाँ देंगी जो तुम्हारी समझ में भी नहीं आएँगी,” चाय वाले ने हँस कर जवाब दिया.