सबरीना
(21)
बर्फ पर खून की लंबी लकीर खिंच गई
सबरीना लगातार चीख रही थी और दौड़कर खाई की ओर जाने की कोशिश करने लगी ताकि नीचे गिर रहे प्रोफेसर तारीकबी को बचा ले, सब लोग बदहवाश थे। सुशांत ने बमुश्किल सबरीना को पकड़ा, वरना वो गहरी खाई में कूद जाती। उसे पकड़कर रखना काफी मुश्किल हो रहा था, लेकिन जारीना ने खुद के नीचे गिरने की परवाह किए बिना सबरीना को प्लेटफार्म की ओर खींचा। सबरीना किसी भी कीमत पर प्रोफेसर तारीकबी को बचाना चाह रही थी, भले ही उसकी जान क्यों न चली जाए। कुछ ही पलों में दानिश और प्रोफेसर तारीकबी गहरी खाई में जा गिरे। ऊपर से देखने पर वे दो छोटे बिंदुओं की तरह लग रहे थे। दानिश पैरों के बल गिरा और कमर तक बर्फ में धंस गया, प्रोफेसर तारीकबी का सिर नीचे टकराया और केवल उनकी टांगे ही बर्फ के बाहर दिख रही थी। तार टूटने के बावजूद केबल कार की चक्करघन्नी अभी घूम रही थी, उसे बंद नहीं किया जा सका था। डाॅ. मिर्जाएव जिस केबल कार पर लटके हुए थे वो भी नीचे खाई की ओर जा रही थी, वो तब तक आगे जाती रही, जब तक कि खाई के चैड़े हिस्से पर पहुंचकर रूक नहीं गई। डा. मिर्जाएव बदहवास लग रहे थे, जब उन्होंने खुद को केबल कार से घसीटकर बाहर आने की कोशिश की तो घुटनों तक उनका पैर बर्फ में धंस गया। उन्होंने साफ महसूस किया कि केबल कार नीचे बर्फ में धंस रही है, यदि इसमें बैठे रहे तो वे भी बर्फ में धंस सकते हैं। उन्होंने खुद को केबल कार से बाहर की ओर खींचा और पीठ के बल बर्फ पर लेट गए। उन्हें यही एक तरीका समझ में आया, जिससे वे बर्फ में दबने से बच सकते थे। उनसे काफी दूरी पर दानिश और प्रोफेसर तारीकबी पड़े हुए थे, डाॅ. मिर्जाएव उन्हें देख पा रहे थे, लेकिन वे वहां तक चलकर जाने की स्थिति में नहंी थे।
खाई गहरी होने के साथ नीचे काफी चैड़ी भी थी, जिस हिस्से में दुर्घटना हुई थी वो हिस्सा ग्लेशियर तो नहीं था, लेकिन उसका एक हिस्सा चरवक झील से मिला हुआ था, उसका पहाड़ की तलहटी की ओर गहरा ढलान था। किसी को यह अनुमान भी नहीं था कि इस हिस्से में कितनी गहराई तक बर्फ मौजूद है। झील और खाई के जु़ड़े होने की बात को जारीना ने पकड़ा और वो जोर से चिल्लाई, झील की ओर से स्नो-बोर्ड, स्लेज लेकर आओ, स्नो बोर्ड लेकर आओ।’ उसे खुद भी नहीं पता कि उसने स्नो बोर्ड और स्लेज लाने के लिए किसे कहा, लेकिन कई स्टूडैंट झील की ओर दौड़े ताकि वहां झील पर मौजूद लोगों से मदद मांग सकेें। स्टूडेंट्स जल्दी ही कुछ स्लेज और बर्फ पर चलने वाले स्कूटर ले आए। जारीना दौड़ी और एक साथ दो स्लेज पर तीन स्टूडेंट डाॅ. मिर्जाएव के पास पहुंच गए, वहां पहुंचकर समझ में आया कि नीचे की ओर आना तो आसान है, लेकिन यहां से बाहर निकलना मुश्किल है। मनुष्य की ये खूबी है कि जब वो किसी मुसीबत में होता है तो उसका मस्तिष्क बहुत तेजी से समाधान ढूंढता है। जारीना ने स्लेज को रस्से के जरिये स्नो-स्कूटर के साथ बांध दिया। जरीना और तीनों अन्य स्टूडैंट एक स्लेज पर आ गए और उन्होंने डाॅ. मिर्जाएव को दूसरी स्लेज पर लेटा दिया। स्कूटर ने उन्हें पूरी ताकत से खींचा और वो उन्हें झील तक ले जाने में कामयाब हो गया, वहां मौजूद लोगों ने डाॅ. मिर्जाएव को सुरक्षित बाहर निकाल लिया। अब असली चुनौती दानिश और प्रोफेसर तारीकबी को बचाने की थी।
सुशांत सबरीना को डाॅ. मिर्जाएव के पास ले आया और खुद बचाव अभियान में जुट गया। छोटा चारी उसके साथ था। वो जरूरत से ज्यादा दुबला-पतला और कद में ठिगना था। इस पूरे अभियान में आज उसकी उपयोगिता साबित होने वाली थी। छोटा चारी इन्हीं पहाड़ी इलाके में पैदा हुआ था, बर्फ को देखने का उसका नजरिया शहरी लोगों से अलग था। वो सुशांत को लेकर झील से होता हुआ खाई की ओर गया और उसने स्लेज को थोड़ा टेढ़े कोण में रखा और पैरों का सहारा लेकर खाई की ओर बढ़ गया, जब तक सुशांत समझ पाता तब तक वो दानिश के पास पहुंच गया था। दानिश बेहोश था, छोटा चारी ने अपना लबादा बर्फ पर बिछाया और स्लेज से नीचे उतरा। उसके कम वजन और नीचे बिछे हुए लबादे ने उसे बर्फ में धंसने से रोका। उसने दानिश को बर्फ से बाहर की ओर खींचा और स्लेज पर लेटा दिया। एक बार फिर पुराना प्रयोग दोहराया गया और दानिश को स्नो-स्कूटर के जरिये पहले झील तक और फिर सुरक्षित जगह तक ले जाया गया।
अब असली चुनौती प्रोफेसर तारीकबी को बचाने की थी, जारीना ने खुद आगे जाने की पहल की। इस बार भी छोटा चारी उसके साथ था। दोनों को प्रोफेसर तारीकबी के पास पहुंचने के बाद अहसास हुआ कि उनकी स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। जारीना और छोटा चारी ने प्रोफेसर तारीकबी को बर्फ से बाहर निकालने की कोशिश की, लेकिन वे सफल नहीं हुए। छोटा चारी को उपाय सूझा, उसने जारीना के गम बूटे पहने जो उसके घुटनों से भी ऊपर तक पहुंच रहे थे। वो बर्फ में खड़ा हुआ और थोड़ा नीचे तक जाकर उसके बूटों को मजबूत बर्फ का आधार मिल गया। उसने प्रोफेसर तारीकबी के आसपास से बर्फ हटानी शुरू की, काफी हद तक वो सफल रहा, लेकिन उसने जो कुछ देखा, वो डर से कांपने लगा। प्रोफेसर तारीकबी का सिर बर्फ के नीचे मौजूद पत्थर से टकराया था और उनके सिर के आसपास मौजूद बर्फ खून से सनी हुई थी। स्लेज में बैठे-बैठे ही जारीना ने प्रोफेसर तारीकबी को टांगों की ओर से पकड़कर खींचा तो वे बाहर निकल गए। उनकी गर्दन एक तरफ लटकी हुई थी और बर्फ के गड्ढे से स्लेज लाते हुए बर्फ पर खून की लकीर ख्ंिाच गई थी। जारीना ने प्रोफेसर तारीकबी को देखा और दहाड़े मारकर रो पड़ी। उसकी आवाज खाई के कोनों से टकराकर झील के विस्तार तक फैल गई।
***