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सबरीना - 2

सबरीना

(2)

‘तरबूज की एक फांक के लिए 700 डाॅलर......’

पुलिस अंदर आ गई और सीधे सबरीना से मुखातिब हुई। सबरीना घुटनों के बल बैठ गई और हाथ ऊपर कर लिए। सुशांत कुछ भी समझने की स्थिति में नहीं था। उसने भी सबरीना को दोहराया और इंतजार करने लगा कि आगे क्या होगा ? दो पुलिस वालों ने सबरीना और सुशांत की तलाशी ली और दीवार की ओर मुंह करके खड़ा होने को कहा। पुलिस टीम को लीड कर रहे अधिकारी ने सबरीना से पूछताछ शुरू की। ऐसा लग रहा था, जैसे रशियन में बात हो रही है। उसे सबरीना, जोदेफ, हंगरी, स्लोवाकिया, मजलिस, उल्फीत्सरोवा जैसे शब्द समझ में आए, लेकिन इन शब्दों से कुछ भी साफ नहीं हुआ।

काफी देर तक सवाल-जवाब का सिलसिला चलता रहा। सुशांत का धैर्य जवाब दे गया।

‘सबरीना, ये लोग क्या कह रहे हैं, क्या मामला हुआ है ?’

सबरीना जवाब दे पाती, इससे पहले ही पुलिस वाले ने चीखने के अंदाज में रशियन में कुछ कहा। शायद चुप रहने के लिए धमकाया।

सुशांत को कुछ साल पहले की घटना याद आ गई और वो डर से कांपने लगा।

शंघाई में नानजिंग रोड पर टहलते हुए जू हुआ होटल के बाहर से निकला तो किसी ने आवाज दी।

‘इंडू’

पीछे मुड़कर देखा तो एक युवा चीनी जोड़े ने हाथ हिलाया। सुशांत ने मुस्कुराकर जवाब दिया तो वे पास आ गए। दोनों ने ही एक स्वर कहा-‘नि हाओ‘

सुशांत ने जवाब दिया -‘निन हाओ’

उन्होंने फिर पूछा- इंडू ?

सुशांत ने सहमति में सिर हिलाया। दोनों काफी खुश हुए, साथ में फोटो खिंचवाया। इससे ज्यादा कुछ बात नहीं हो सकती थी क्योंकि उस जोड़े को सुशांत की भाषा नहीं आती थी और सुशांत को मंडारिन के दो-चार वाक्यों की ही जानकारी थी। उन्होंने जू हुआ होटल की ओर इशारा किया और साथ बैठकर कुछ पीने का आग्रह किया। सब कुछ संकेतों में ही था इसलिए पता नहीं था कि चाय-काॅफी पीनी है या ड्रिंक लेना है ? चीन की भीतरी तहों को जानने की उत्सकुता सुशांत को होटल के डाइनिंग हाॅल तक ले गई।

वेटर अंग्रेजी जानता था। उसने दुभाषिये की भूमिका भी निभाई। चीनी जोड़ा बेहद खूबसूरत था-जिन फिया और ची जिन्ताओ। दोनों के नाम भी खूबसूरत थे। नामों के उच्चारण में ज्यादा परेशानी नहीं हुई। दोनों मैग्लाॅव ट्रेन कार्पाेरेशन में काम करते हैं। कुछ ही देर में डाइनिंग में भीड़ बढ़ गई। वेटर ने कहा कि यदि ज्यादा देर बातचीत करना चाहते हैं तो ऊपर लाॅबी में जा सकते हैं। वेटर ने जिन फिया और ची जिन्ताओ से मंडारिन में बात की और हम तीनों लाॅबी में चले गए। कुछ देर बाद ची जिन्ताओ वाॅशरूम चला गया। जिन फिया और ज्यादा खूबसूरत लगने लगी। काफी देर तक ची जिन्ताओ लौटकर नहीं आया। वो वेटर भी दिखाई नहीं दिया। सुशांत ने उठने की कोशिश की तो जिन फिया ने रोक लिया। कुछ देर में वेटर आया और बिल थमा गया। सुशांत ने बिल देखे बिना वेटर से कहा, ये हमारा नहीं है।

‘ये आपका का ही है।‘

‘अभी तक कुछ सर्व भी नहीं किया गया है।’

‘सर्व किया गया है, आप डाइनिंग में बैठे हुए थे।‘

‘वो एक गिलास पानी और वेलकम फ्रूट्स थे।’

‘जी, ये बिल है, आप चाहें तो काउंटर पर पे कर सकते हैं।’

‘ 700 डाॅलर का बिल ?’

‘700 डाॅलर ?’

‘जी’

‘तरबूज की एक फांक के लिए 700 डाॅलर......’

हालात ऐसे थे कि लंबी सांस लेकर भी खुद को संतुलन में नहीं रखा जा सकता था। सुशांत समझ गया कि वो ट्रैप हो गया है। जेब टटोली तो 500 डाॅलर भी नहीं निकले। मोबाइल फोन और घड़ी पर रखवा ली गई। कोट उतरवा लिया गया। डर चरम पर था। लग रहा था कि जूते और शर्ट भी निकलवा लेंगे।

जिन फिया वैसी ही मोहक मुस्कान के साथ वहां से निकल गई और सुशांत को भी धकिया कर गेट से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। काफी देर होटल के बाहर खड़ा रहा। जेब टटोली तो राहत की सांस ली, जेब में होटल का कार्ड मौजूद था। नानजिंग रोड के किनारे पर टैक्सी मिल गई, उसे होटल का कार्ड दिखाया, वो चलने का तैयार हो गया। होटल लौटकर पूरी घटना बताई, पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराने के बारे में सोचा, पर एक नया डर पैदा हो गया।

होटल मैनेजर ने कहा, ‘आप ऐसे इलाके में थे, जहां विदेशियों का जाना गैरकानूनी है। पुलिस आएगी तो आप के खिलाफ कार्रवाई होगी।’

पांच साल पुरानी ये घटना नए रूप में सामने है। सुशांत का पूरा शरीर पसीने से भीग गया। इस बीच पुलिस ने सबरीना से कुछ कागजों पर साइन कराए और फिर ये कागज सुशांत के आगे कर दिए। सब कुछ रशियन में लिखा था।

सबरीना ने कहा, ‘ कोई बात नहीं, पुलिस को संदेह था कि मेरे डाक्यूमेंट गलत हैं, वो जांच करने आई थी, लेकिन सब सही पाया गया है। आपके सामने जांच हुई, इसकी पुष्टि के लिए साइन करने हैं।‘

‘सच में ये ही लिखा है ?’

‘हां, बिल्कुल। आप साइन कर दीजिए।’

सुशांत ने साइन किए और पुलिस चली गई। सबरीना को भी साथ ले गई। उनके जाने के बाद सुशांत ने राहत की सांस ली। तभी रिसेप्शन से फोन आया-‘पुलिस की अनुमति के बिना आप होटल नहीं छोड़ेंगे और अपना फोन रिसेप्शन पर जमा करा दीजिए। जहां भी बात करनी होगी, होटल के फोन से कराई जाएगी।‘

‘पर, मुझे अपने दूतावास बात करनी है!’

‘नहीं, अभी नहीं कर सकते।’

‘क्यों नहीं कर सकता ?’

‘पुलिस ने रोका है, आप होटल से बाहर नहीं जाएंगे।’

रिसेप्शन से बात कर रही लड़की का स्वर तल्ख हो गया और उसने फोन रख दिया।

***

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