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ऐ हवा सुन जरा..



1. ऐ हवा सुन जरा....

ऐ हवा सुन जरा आ इधर से चलें।
रास्ते में खड़ा एक शक्स है जरा आ इधर से चलें।।
ऐ हवा सुन जरा....
हांथ में है लिये वो प्रेम का दिया आ इधर से चलें।
बुझ न जाए प्रेम के उसके ये दिया आ इधर से चलें।।
ऐ हवा सुन.....
दोनों हांथ से पकड़ रखा है उसने दिया आ इधर से चलें।
सिर से उसके चुनरी को ना हटा ए हवा आ इधर से चलें।।
ऐ हवा सुन जरा........
है नहीं डर मुझे कि बुझ जाए गा दिया हवा आ इधर से चलें।
सिर से चुनरी हटी तो शर्म से बुझ न जाए दिया आ इधर से चलें।।
ऐ हवा सुन जरा.......
चुनरी हटी तो रूप उसका देख जीना हो जयेगा गवार आ इधर से चलें।।
ऐ हवा क्यों करे किसी का जीना इश्क में खुदा गवार आ इधर से चलें।।
ऐ हवा सुन जरा......
ये आहटे है या हैं उनकी धड़कने हवा आ इधर से चलें।
ये धड़कनें तो खींचती हैं मुझको अपनी ओर हवा आ यहीं से लौट चलें।।
ऐ हवा सुन जरा......
धडकनों का ये नशा कि दिल मेरा हुआ हवा आ यहीं से लौट चलें।।
रूप उनका देख कर हो न जाऊं दर गवार आ यहीं से लौट चलें।।
ऐ हवा सुन जरा.......
ऐ हवा तू क्यों झूम रही धडकनों का है नशा ये बता आ यहीं से लौट चलें।
या तो तूने रूप उनका चुपके से देख लिया है बता आ यहीं से लौट चलें।।
ऐ हवा सुन जरा.....
ऐ हवा उनका पता तुझे पता हमें पता है बता आ यहीं से लौट चलें।
ऐ हवा उनका पता किसी को तू न बता आ यहीं से लौट चलें।।
ऐ हवा सुन जरा........
उनके रूप को जो देखेगा वो भूल जाएगा खुदा को आ यहीं से लौट चलें।
खुदा भी खुद देख उन्हें हो रहा प्रेम प्रवाह आ यहीं से लौट चलें।।
ऐ हवा सुन जरा.......
ऐ हवा प्रदीप भी पाने को उसे जा है अडा आ इधर से चलें।
अब खुदा भी खुद मिलेगा जो मैं उनसे मिला आ इधर से चलें।।
ऐ हवा सुन जरा आ इधर से चलें।
रास्ते में खड़ा एक शक्स है जरा आ इधर से चलें।।

1.
आइना देखने से भी वो डरने लगा है प्रदीप।
जबसे सुना है अब कीरदर भी दीखने लगे हैं परछाइयों में।।
2.
वो चेहरे से मासूम बड़ा खुशमिजाज नजर आता है।
कभी अन्दर से झांक कर देखो तो पता चले की टूटा हुआ साज नजर आता है।।

3.
उनसे दोस्ती करना हमें अब दिल्लगी लगता है।
जिससे दिल लगी लगता है उनसे ना दिल लगी लगता है।।
देख ली है इन आंखों ने कोई अनमोल सी सूरत।
दिल कहीं नहीं मेरा वहीं पर ही दिल लगी लगता है।।

4.
हमको पिलाने ले गए मैखने में वो जाम।
थोड़ी और थोड़ी और में मयखाना पी गया।।
होता नहीं नशा इसे थोड़ा भी क्यों ए जाम।
जो उसके नशे में हो प्रदीप उसे खाक नशा दे जाम।।
5.
हर दिल की दास्तां होती है अब वही।
दिल का हाल सुना के उन्हें सरेआम क्यों करे।।
हर सक्स को तो चाहिए पारियों सी बस वही।
प्रदीप मेरे गांव की हर गुड़िया है पारियों से कम नहीं।।

प्रदीप कुमार त्रिपाठी
वार्ड नंबर 3 गांव- गोपला
पोस्ट- पांती था. त. हनुमना
जिला रीवा (म.प्र.)

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