हे मधुकर... pradeep Kumar Tripathi द्वारा कविता में हिंदी पीडीएफ

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हे मधुकर...

1. हे मधुकर
हे मधुकर थारो चरण पकड़ी के झुलहुँ।
या चरनन के भगति बहुत हैं जो वा चरनन को छूलौ।।
हे मधुकर थारो चरन पकड़ी के झुलहुँ...
हे मधुकर थारो रंग म्हारे दिल को ले हैं छुलहुँ।
या रंग के तो भगति बहुत हैं जो वा रंग वा कू दीखहुँ।।
हे मधुकर थारो.......
हे मधुकर थारो मोहड़ो म्हारे दिल को छलहूँ।
या मोहड़े की तो भगति बहुत है जो चरण पराग लै उड़िहहूँ।
हे मधुकर थारो......
हे मधुकर थारी आँखन पे बलि बलि जावहुँ।
या आँखन कि तो भगति बहुत है जो दुर्लभ दरसन किनहुँ।।
हे मधुकर थारो........
हे मधुकर थारे कानन पे तो मैं बलिहारी हो जावहुँ।
या कानन की तो भगति बहुत है जो दुर्लभ वंशी रश पीलहुँ।।
हे मधुकर थारो.......
हे मधुकर थारो नाकन पे मैं अपनो जीवन वारहूँ।
या नाकन कि तो भगति बहुत है जो वैजयंती रस शुघहुँ।।
हे मधुकर थारो.......
हे मधुकर थारो पंखनी पे कोटि भगत को वारहूँ।
या पंखन की तो भगति बहुत है जो उड़ी के प्रभू पद जावहुँ।।
हे मधुकर थारो......
हे मधुकर थारो जनम पे कोटि काम को वारहूँ।
या जनमन की तो भगति बहुत है जो प्रभू पद जनम बिताबहुँ।।
हे मधुकर थारो ........
हे मधुकर थारो पग पर जीवन ढारहूँ।।
या पग ते मैं विनती करतु हैं वा चरणन तक पहुँचावहुँ।।
हे मधुकर थारो चरण पकड़ी के झुलहुँ।।
या चरनन के भगति बहुत हैं जो वा चरनन को छूलौहूँ।।
2. मेरा भारत देश
मेरे देश के वीर जवान चलो,
मेरे देश के वीर किसान चलो।
तुम हो धरती के रखवाले,
तुम धरती के भगवान चलो।1। मेरे देश..
तुम धरती के कण कण में हो,
वाणी में और विधान चलो।2। मेरे देश..
तुम निडरता कट्टरता में हो,
हिन्दु मुस्लिम मिल साथ चलो।3। मेरे देश..
तुम योगी में हो अनादि में हो,
तुम इति में आरंभ में साथ चलो।4। मेरे देश..
तुम हर घर में हर गाँव में हो,
तुम धूप ठंड से छांव चलो।5। मेरे देश..
तुम हर उत्सव का धूमधाम हो,
मन्दिर मस्जिद गुरुद्वार चलो।6। मेरे देश..
तुम कश्मीर में हो कन्या में हो,
पूरा अपने राष्ट्र का मान चलो।7। मेरे देश..
तुम सूरज की लालिमा में हो,
दोपहर सुबह और शाम चलो।8। मेरे देश..
तुम चाँद कि उस ऊँचाई में हो,
अब बहुत हुआ बिश्रामा चलो।9। मेरे देश..
तुम हर दिल की गहराई में हो,
थाम के हाँथ अब साथ चलो।10। मेरे देश..
तुम पृथ्वी के गहराई में हो,
हर नदी समंदर साथ चलो।11। मेरे देश..
तुम माँ में हो तुम बीबी में हो,
करो चरण सेवा सम्मान चलो ।12। मेरे देश..
तुम हर आशा और मान में हो,
अब तुमको करूँ प्रणाम चलो।13। मेरे देश..
तुम सरहद में हो गाँव में हो,
तुम हर आशाओं की सुबह चलो।14। मेरे देश..
तुम हरियाली तिरंगे में हो,
तुमको अब करूँ सलाम चलो।15। मेरे देश..
तुम दिवाली हो रमजान में हो,
तुम को अर्पित शौर्य सम्मान चलो।16। मेरे देश..
तुम हर गरीब की कुटिया में हो,
तुम्हें महलों में नहीं बिश्राम चलो।17। मेरे देश..
तुम हर भूंखे के भूंख में हो,
तुम ले फकीर की झोली थाम चलो।18। मेरे देश..

3. सूरदास
हे सूरदास तेरे चरण थाम लूँ दीन जानि मोहि लेहू
तुम्हारे पास वो सँवार उसकी चरण रेणु मोहि देहू
तुम्हरी आँख वृन्दावन सम जा में विचरत मोहन दिन रैनू
तुम्हारो हृदय सुधा समुद्र सम जा में दीन बंधु करें सैनू
हस्त तुम्हारे सरस्वती जा में मधुर चरण पद नेहुँ
वाँणी तुम्हारी हरी वेणु सम जा में श्वर देत मदनमोहनहूँ

प्रदीप कुमार त्रिपाठी