पत्तियाँ ALOK SHARMA द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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पत्तियाँ

आकाश अपने माता पिता का इकलौता पुत्र था। उसके माता पिता उसे दुनिया में बहुत ही प्रिय थे । यही कुछ 6- 7 वर्ष उम्र होगी उसकी, परंतु उसने अपनी माँ को फोटो में ही देखा था। क्योंकि उसकी माँ बचपन में ही उसे छोड़ गई थी। पिता रवि बहुत ही बुरा इंसान था, वह इंसानों को बेवजह ही परेशान किया करता परंतु फिर भी वह अपने बेटे से अच्छा व्यवहार करता । रवि अपने बेटे को बहुत प्रेम करता था । आकाश गांव के ही विद्यालय में पढ़ाई करता था ।
आकाश अपने माता-पिता में सदैव अच्छाई ही देखता था किंतु रवि की क्रूरता से ग्रामवासी भलीभांति परिचित थे। नशा जुआ, मारपीट, गाली-गलौज आदि उसके लिए सामान्य हो चुका था । इससे गांव के अन्य लोग भी प्रभावित हो रहे थे पूरा गांव उससे घृणा करता और उसे निकारता रहता । रवि धन दौलत प्राप्त करने के लिए नए-नए षड्यंत्र रचता और लोगों को ठगता रहता है इसी से उसका जीवन चलता । उसकी पत्नी उसे प्रिय थी जिस का देहांत हो जाने के बाद वह दुनिया में अकेला हो गया शायद यही उसके बुरे होने का कारण था । उसके जाने का मात्र एक सहारा उसका बेटा था इसलिए रवि आकाश को बेहतर शिक्षा देने के लिए गांव से शहर आ गया और आकाश का एक अच्छे विद्यालय में दाखिला करा दिया ।
आकाश बुद्धिमान और पढ़ाई में तेज था वह किसी भी विषय का गहराई से अवलोकन करता फिर उसे शीघ्रता से समझकर पढ़ता इसीलिए वह विद्यालय में प्रथम स्थान पर रहता जिससे उसके पिता को अपने बेटे पर बड़ा गर्व होता धीरे धीरे जीवन अच्छा व्यतीत होने लगा रवि अपने बेटे के कारण समाज में सम्मान प्राप्त करने लगा उसने सारे बुरे कर्म छोड़ दीये और अच्छाई के रास्ते पर चलने लगा तथा पेड़ के पत्तों पत्तियों से बनने वाले दोने पत्तल के व्यवसाय में मेहनत करने लगा ताकि वह और उसका पुत्र शहर में और बेहतर जीवन जी सके । रवि ने इतनी मेहनत की 7- 8 सालों में जिससे उसके पास घर गाड़ी सब कुछ हो गया और दोनों इतने प्रसन्न थे कि पिछली जिंदगी को भूल ही गए थे।
आकाश अब 15 वर्ष का हो गया था मैट्रिक्स की पढ़ाई चल रही थी तथा पहले से ही काफी समझदार भी हो गया था उसने अपनी शिक्षा के साथ साथ अपने पिता को भी थोड़ा बहुत पढ़ा लिया । रवी शहर आकर पूर्ण रूप से बदल गया था दोनों की जिंदगी बेहतर चल रही थी
एक दिन रवि अपने पुत्र के साथ कार से गाँव घूमने गया गाँव पहूँचने पर वहाँ का विहंगम दृश्य देखने लायक था सारे ग्रामवासी उन दोनों को चारों तरफ से ऐसे घेरा मानो कोई मंत्री आ गया हो और पहली नजर में तो रवि को उन लोगों ने पहचान ही न सके । जब रवि ने अपना परिचय दिया और सभी से नम्रता पूर्वक प्रणाम किया तो सभी लोग चकित रह गए सभी यही सोच रहे थे कि आखिर यह कैसे हुआ इतना बुरा व्यक्ति अच्छा कैसे हो गया ग्राम वासियों के लिए यह वास्तव में अकल्पनीय था जो गाँव रवि को निकारता था आज वही उसको सम्मान पूर्वक अपने अपने घर ले जाना चाहता था। रवि को यह सब देख कर बड़ा ही आश्चर्य और हर्ष हो रहा था उसको अंदाजा ही नहीं था कि अच्छाई में इतनी शक्ति होती है । उसे अपने आप पर गर्व हो रहा था कि उसने अपने बेटे को सही राह दिखाई क्योंकि यह एक बुरे व्यक्ति के लिए बहुत ही कठिन था । सभी ग्रामवासी बहुत प्रसन्न थे दो-तीन दिन कैसे गुजरे पता ही नहीं चला लगभग शाम के 3:00 बजे थे मौसम साफ था रवि प्रकाश ने शहर जाने की तैयारी कर ली ग्राम वासियों ने रोकना चाहा परंतु वह न रुका
रवि को कार चलाते हुए लगभग एक घंटा ही बीता था कि अप्रत्याशित नतीजे सामने आने लगे संभावित रूप से तेज आंधी और धूल भरा तूफान उमड़ने लगा ऐसे बिगड़ते मौसम की कल्पना भी न थी । कार अनियंत्रित हो रही थी आसमान में काले बादलों के आ जाने से अंधेरा होने लगा था। सुनसान सड़क पर रवि और आकाश भयभीत हो रहे थे तूफान इतना प्रबलता था कि कुछ भी सामने दिखाई नहीं दे रहा था। रवि ने थोड़ा कार धीमी की अचानक हवा का एक तगड़ा झोंका आया और कार को बीहड़ घनघोर जंगल की ओर धकेल ले गया रवि ने अपने पुत्र को पीछे की सीट पर धकेल दिया आकाश डर के मारे कांपने लगा, रवि ने थोड़ा गाड़ी संभालने की कोशिश की , तभी आकाश बड़ी जोर से चिल्लाया "पिताजी" और अचानक एक पेड़ आंधी में टूट कर सीधे कार के अगले भाग पर आ गिरा , रवि ने आकाश को एक हाथ से जैसे ही सीट के नीचे दबाया तभी पेंड कार के शीशे की तोड़ते हुए सीधे रवि के सिर पर लग गया और उसका सिर फट गया चेहरा पूर्ण रूप से लहूलुहान हो गया जिससे उसकी अचानक मृत्यु हो गई आंधी का कहर जारी था और कार रुक गई
कुछ देर में तूफान कमजोर हुआ और आकाश के सिर पर से जब पिता का हाथ नहीं उठा तो वह उसके हाथ को जबरन हटाकर पिता को देखने लगा एक छड़ तो आकाश को समझ ही नहीं आया आखिर हुआ क्या । रात हो चुकी थी चारों तरफ सन्नाटा छा गया आकाश जानवरों की डरावनी आवाजो से भय प्रतीत हो रहा था । आकाश को लगा शायद चोट लगने के कारण पिताजी बेहोश हो गए इसलिए सहमा हुआ आकाश पिता को होश में लाने की बहुत कोशिश की परंतु रवि नहीं उठा। रात का विहंगम दृश्य देखा नही जा रहा था , धूल और पत्तियों ने कार को ढक लिया था इससे बाहर कुछ भी स्पष्ट नहीं दिख रहा था। आकाश डर के मारे पिता की गोद में शहम कर बैठ गया उसको अंदाज़ा ही नही था कि उसके पिता की मृत्यु हो चुकी है जो उसने अभी तक स्वीकार ही नहीं किया था। और पिता की गोद में बैठ कर सीने से लिपट गया थोड़ी राहत मिलने पर उसकी आँख लग गई और वह सो गया। सुबह आकाश कि जब आंख खुली तो देखा रवि उसी हालत में पड़ा था कार पर धूल और पत्तियों के कारण बाहर कुछ भी नज़र नहीं आ रहा था आकाश ने जैसे ही कार का दरवाजा खोला वैसे ही रवि का आधा शरीर कार से बाहर झूल गया । किसी तरह आकाश अपने पिता को कार से बाहर कर पास के खाई में लिटा दिया और कार से पानी की बॉटल निकालकर पानी के छींटे अपने पिता के चेहरे पर दिए परंतु रवि जब नहीं उठा तो आकाश के आंखों में आँसूओ का सैलाब उमड़ पड़ा, वह फूट-फूट कर रोने लगा । दूर-दूर तक किसी मदद की उम्मीद नहीं की जा सकती थी। आकाश अपने पिता को इस घने जंगल में छोड़ कर कहीं जाना भी नहीं चाहता था आख़िर पिता के सिवा और कौन था ही दुनिया में। चार-पांच दिन बीत गए उसी हालत में पिता-पुत्र को उस खाई में , अब तक आकाश की आँखों से आँसूओ का भंडार भी खत्म हो चुका था आकाश ने अपनी भूख मिटाने के लिए फूल पत्तियां खाना शुरु कर दिया ताकि अपने आप को जिंदा रख सके इसी उम्मीद में कि हो सकता है उसका पिता उठ जाए और दोनों साथ अपने घर चले क्योंकि वह यह मान ही नहीं रहा था कि उसके पिता मर चुके परंतु वह हार गया और कमजोरी के कारण अपने पिता के मृत शरीर पर सिर रखकर लेट गया, धूल मिट्टी के कारण और जंगल की पत्तियों ने उन दोनों प्राणियों को वहीं पर प्राकृतिक चादर से ढक दिया । शायद आकाश भी अपने पिता के साथ चला गया था