नाटक-बहूधन ALOK SHARMA द्वारा नाटक में हिंदी पीडीएफ

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नाटक-बहूधन





नाटक- बहूधन
लेखक- आलोक कुमार शर्मा

दृश्य-1

(सेठ जी के घर पर एक व्यक्ति कमल अपनी पत्नी के साथ अपनी बेटी का रिस्ता लेकर आया है सभी बैठक रूम मे बैठै है।)


कमल - प्रणाम सेठ जी ,पंडित जी ने जैसा बताया था उससे कही ज्यादा आपका घर अच्छा है।
सेठ जी - फोटो लाये हो बेटी का
कमल - हाँ हाँ ये लिजिये ।

(सेठ जी फोटो देखते हुये सेठानी जी को दे देते है।)

सेठानी जी - बिटिया तो बहुत सुन्दर है आपकी।
कमल की पत्नी - आपके घर मे आकर तो राजकुमारी हो जायेगी।
सेठ जी - आप क्या करते है कमल जी
कमल जी- जी मै एक प्राईमरी विघालय मे अघ्यापक हूँ।
सेठानी जी- कितना पढ़ी है आपकी बेटी
कमल- जी 12वी पास हुयी है इस साल आब स्नातक कराने की सोंच रहे है ।
कमल की पत्नी- वैसे आपका बेटा क्या करता है
सेठानी जी - मेरा बेटा अभय (सेठ जी बीच मे बात काट कर)
सेठ जी- जी अभी तो वो कुछ नही करता है और जरूरत भी नही है उसे कुछ करने की।
कमल- जी जी सो तो है।
सेठ जी- देखो भई बेटी तो तुम्हारी ठीक है पर बात लेन देन की हो जाये
कमल- हाँ सेठ जी विल्कुल वो तो आपका अधिकार है
सेठ जी- कम से कम 1 चार पहिया वाहन 10 लाख नक़द और बरातीयों का उच्च स्तरीय खानपान के साथ स्वागत आदि ।
( कमल थोड़ी देर सोंच मे पड़ जाता है )
कमल- अब इतनी औक़ात है नही सेठ जी मैं ग़रीब आदमी 2, 3 लाख बैंक से लोन लिया है उसी मे सोंचा था।
सेठ जी- मैने जितना बोला उतना यदि होता है तो ठीक वर्ना चाय नाश्ता करिये और चले जाईये।
कमल की पत्नी- भाई साहब अब 15 20 हज़ार की नौकरी मे ये इतना कहाँ से कर पायेंगे ।
सेठ जी- कुछ भी हो मेरी भी समाज मे एक पहचान है इज्जत है उसका क्या
सेठानी जी- हम आपकी भावनाओ को समझ सकते है बहन जी।
कमल जी- अगर मै अपना घर भी बेंच दू तो इतने पैसे नही जुटा सकता । देख लीजिये सेठ जी।
सेठ जी- मेरे को इससे कोई लेना देना नही, मुझे जो कहना था सो कह दिया बाकी नही समझ मे आ रहा है तो रास्ता उधर है।

(कमल की पत्नी और कमल दानो प्रणाम करते हुये चले जाते है।)

सूत्रधार- सेठ जी बहुत ही अमीर थे जो अपने बेटे के लिये बहू तलाश रहे थे लेकिन सेठ जी को एक अच्छी सुन्दर सुशील बहू के साथ साथ लम्बा चौड़ा दहेज भी चाहिये था ताकी वो अपने जानने वालो मे दिखा सके अपनी अमीरी के औदे को । पर सेठानी जी को सिर्फ बहू चाहिये थी उन्हे बाकी चीजो से कोई लेना देना नही था। इसलिये जो भी रिस्ते आते उसको लेकर दोनो मे विपरीत सोंच होने के कारण आये दिन बहस होती रहती ।


दृश्य-2

(सेठ जी और सेठानी जी के बीच मे उस रिस्ते को लेकर बहस होती है)


सेठानी जी- वैसे लड़की और उसके घर वाले ठीक लग रहे थे।
सेठ जी- तुमको क्या ठीक लगा उसमे अरे शहर मे रहते हुये भी देहाती है जरा सा भी मार्डन  नही है वो लोग और पढ़ी कितना है 12 वी इतना तो आजकल गाँव मे रहने वाली बेटिया पढ़ लेती है । कहा अपना बेटा अभय विजनेस मे पोस्ट ग्रेजुवेट और वो...
सेठानी जी- अरे तो क्या हुआ हमे तो ऐसी बहू चाहिये जो अच्छे से घर सम्भाल सके और मेरे अभय का ख्याल रखे।
सेठ जी- तुम्हे तो हर बेटी मे अपनी बहु नज़र आने लगी है अरे उनका स्टेटस और हमारा स्टेटस भी तो मेल नही खाता । तुम्हारा भाई भी तो इसी तरह था।
सेठानी जी- देखो जी मेरे भाई पर मत जाऔ
सेठ जी- ठीक ही तो कह रहा हूँ अरे दहेज के नाम पर केवल बेटी ही मिलेगी फिर सारी रिस्ते दारी मे नाक कटवाती फिरना।
सेठानी जी- अरे आप और आपका खानदान दहेज के पीछे ज्यादा ही पड़ा रहता है।
सेठ जी - तो फिर चार औरतो के बीच मे क्यों कहती फिरती हो कि वर्मा जी के बेटे को दहेज मे कार मिली पड़ोस की चाची के पोते को 5 लाख नकद मिले।
सेठानी जी- अरे वो तो बस ऐसे ही बोल देती हूँ
सेठ जी- बाते तो बड़ी चटकारा लेकर करती हो चार औरतो के बीच मे
सेठानी जी- क्यों फालतू की बहस मे पड़ रहे है मुझे तो एक सुन्दर सी बहू चाहिये
सेठ जी- पर मुझे बहु ऐसी चाहिये जो मेरे बेटे से भी मार्डन हो और अमीर घराने की हो ताकी हमारी विरादरी मे नाम हो ।
सेठानी जी- ज्यादा मार्डन होगी तो बुढ़ापे मे हम दोनो मार्डन हो जायेगें
सेठ जी- उसकी चिन्ता छोड़ो जो होगा देखा जायेगा मेरे पास इतना पैसा है कि हम किसी के महोताज नही है।
सेठानी जी- कौन समझाये आपको ............
( अभय आ जाता है )
अभय - माँ माँ रोज की तरह आज फिर उसी बात पर चर्चा
सेठानी जी- क्या करूँ बेटा....... मुझे तो एक बहू चाहिये इस घर मे बस
अभय- माँ मुझे बहुत जोरो की भूख लगी है जल्दी से खाने को ला ये सब चलता रहेगा।
सेठ जी - हाँ मै तो भूल ही गया था तेरी माँ की बातो मे आकर चलो हाथ पैर धुल कर आते है।


( दृश्य-3)
बाजार का दृश्य


( 2 4 लड़के लड़किया एक साथ खड़े होके बात कर रहे हैं कोई कुछ कोई कुछ अपने काम मे सभी व्यस्त है महिलाये और बच्चे भी है मार्केट में )

सेठ जी - क्या जमाना है आज कल के लड़के लड़किया शादी से पहले एक साथ घूमने फिरने लगें हैं । ।

(सेठ जी बाजार मे प्रवेश करते है और इधर उधर देखते हुये सब्जी वाले के पास जाते है तभी उधर से शुक्ला जी आ जाते है)

सेठ जी- अरे आप ........ नमस्कार शुक्ला जी
शुक्ला जी- प्रणाम सेठ जी और क्या हाल हैं जनाब आज कल आपके
सेठ जी- हाल चाल मत पूछो हमे तो अपने बेटे की शादी की चिंता हो रही है
शुक्ला जी- अरे क्या हुआ कोई अच्छा सा रिस्ता देखो और कर दो शादी
सेठ जी- अरे मिले तो सही कोई , आपके बेटे की तो हो गयी इसलिये आप मस्त है
शुक्ला जी- भई मेरा समधी सिरोमणि तो बढिया निकला पूरे 30 लाख रूपये खर्च किये
सेठजी- जहाँ तक मै जानता हूँ उनकी तो हैसियत नही थी इतनी और आप तो कह रहे थे कि उनकी बेटी भी आपको ठीक नही लगी।
शुक्ला जी- बेटी सभी ठीक ही होती है लेकिन दहेज मे ठीक ठाक हो गया सो कर लिया
सेठ जी- अच्छा ...... क्या मिला ?
शुक्ला जी- अरे मिलता तो कुछ नही वो तो मैने दबाव डाला तब मिला । 15 लाख की कार और 5 लाख नकद डिमांड थी मेरी बाकी जो उनकी इच्छा
सेठ जी- कैसे हुआ भई
शुक्ला जी- अब ये सब मै नही सोंचता बस यू समझो पूरे मोहल्ले मे और रिस्तेदारी मे चार चांद लग गये।

सेठजी सोंच मे पड़ जाते है।


दृश्य-4


(सेठ जी और सेठानी जी के बीच मे वर्तालाप हो रही है

सेठ जी- अपने पड़ोस के मोहल्ले के शुक्ला जी से मुलाकात हुयी आज
सेठानी जी- जिन्होने अभी जल्दी ही अपने बेटे का विवाह किया था।
सेठ जी - हाँ हाँ वही । बहुत ज्यादा दहेज मे मिला है उनको और बहू भी बहुत सून्दर मिली है
सेठानी जी- किसी दिन हम भी देखे, कैसी बहू है उनकी। लेकिन पहले अपने बेटे के लिये सोंचिये
सेठ जी- वही तो बड़ी चिंता हो रही है सबकुछ ठीक ठाक के चक्कर मे समय निकला जा रहा है

(दरवाजा खट खटाने की आवाज आती है)

सेठ जी- देखो तो कौन है बाहर
सेठानी जी- जी अभी देखती हूँ

(सेठानी जी दरवाजा खोलने के लिये जाती है)

पंडित जी- प्रणाम प्रणाम सेठानी जी
सेठानी जी - प्रणाम प्रणाम आईये बहुत अच्छे समय पर आये है।
(पंडित जी आकर सेठ जी से प्रणाम करते है)
सेठ जी- अरे पंडित जी आईये आईये अच्छा हुआ आप आ गये
पंडित जी- अरे हम तो आते जाते ही रहेंगे पहले खुशखबरी तो सुन लीजिये
सेठ जी- हाँ हाँ विल्कुल लेकिन पहले कुछ चाय पानी हो जाये
सेठानी जी - आप लोग बात करिये तब तक मै कुछ लाती हूँ

(सेठानी जी चली जाती है)

सेठ जी- बताईये क्या है खुशखबरी
पंडित जी- अजी बात ये है कि जैसा रिस्ता आप चाह रहे थे वैसा हमे मिल गया है
सेठ जी- क्या बात है आप ने तो हमारी चिंता ही दूर कर दी
पंडित जी- बिटिया बहुत पढ़ी लिखी मार्डन जमाने से है और बहुत अमीर खानदान से है
सेठजी-हमसे भी ज्यादा अमीर
पंडित जी- हाँ हाँ आपसे भी ज्यादा बस उनको लड़का समझ मे आ जाये
सेठ जी- अरे लड़का तो यू समझ मे आ जायेगा आप तो अभय को अच्छी तरह से जानते ही है ।

(सेठानी जी आती है चाय नाश्ता लेकर)

सेठानी जी - ये लीजिये पिंंडत जी
सेठ जी- अरे तो जल्दी बताईये कब देखने चले उनके घर
पंडित जी- अजी परसों का बोला है उन्होने हमसे क्योंकि उनके पास टाईम तो रहता नही ।
सेठ जी- हम तैयार हैं ।
सेठानी जी- फोटो लाये है क्या लड़की का
सेठ जी- अरे फोटो की क्या जरूरत है पंडित जी ने देखा ही होगा।
पंडित जी- हाँ हाँ बिटिया बहुत ही सुन्दर है फिर परसों चलकर आप लोग खुद ही देख लीजियेगा
सेठ जी- हाँ पंडित जी
पंडित जी - अच्छा अब हमको इजाजत दीजिये....... प्रणाम।
सेठ जी- अच्छा प्रणाम


दृश्य-5


(कुछ लड़के और लड़किया बैठे बियर सिगरेट आदि का सेवन कर रहे है साथ मे मौज मस्ती भी चल रही है तब तक अभय आ जाता है)

एक दोस्त- अरे अभय आ तेरा ही इन्तजार था
अभय- सालो तुम लोग अकेले अकेले पार्टी एन्जाव कर रहे हो किस खुशी मे भई
दूसरा- अरे मिनाक्षी की शादी तय हो गयी इसी खुशी मे
अभय- सही मे तू शादी कर रही है क्या
मिनाक्षी - हाँ यार ले तू भी एन्जाव कर ( वियर की बाटल देते हुये)
अभय- तब तो ठीक है ( बियर पीता है ) आह मजा आ गया
एक दोस्त- अबे साले तेरी भी तो शादी की बात चीत चल रही है
अभय- हाँ बे बाप पीछे पड़े है आये दिन बहस होती रहती है
मिनाक्षी- अरे तो तूझे काहे की टेन्शन इतना पैसा है तेरे बाप के पास
अभय- वो तो है लेकिन कंजूश है पिता जी मेरे
दूसरा दोस्त - तेरी तो ऐश है यार अगर तु कुछ भी नही करेगा तब भी तेरा जीवन कट जायेगा।
एक दोस्त- अबे तू कब पार्टी दे रहा है
अभय- पार्टी............ कल शाम मे चलो क्लब पार्टी एन्जाव करते है
मिनाक्षी- सही मे ....मुझे बहुत पसन्द है क्लब जाना
एक दोस्त- (मिनाक्षी से) शादी के बाद क्लब जा नही पाओगी याद रखना । सभी हँसते है।
मिनाक्षी- ज्यादा ज्ञान मत दे मेरे को पता है कैसे मैनेज करना है
एक दोस्त- लेकिन अभय खर्चा बहुत होगा कैसे करेगा तू तेरे पिता जी तो देने से रहे।
अभय- अरे उसका कुछ न कुछ इन्तजाम बना ही लूंगा। डोन्ट वरी
दूसरा दोस्त- अभय साले तू तो नम्बर एक छिछोरा है लेकिन घर वाले तेरे को बहूत सीधा मानते है कैसे कर लेता है
अभय - एक्टिंग भाई जबरजस्त वाली
एक दोस्त- अबे अब हमको चलना चाहिये देर हो रही है लेकिन कल का याद रखियो क्लब पार्टी अभय की तरफ से
अभय- अबे हाँ पक्का जो बोल दिया सो कर दिया। बाकी दोस्तो को भी बोल देना
सभी -चलो चलो बॉय बॉय सी यू टूमारो।


दृश्य-6


(सेठ सेठानी तैयार हो रहे लड़की देखने जाने के लिये तभी अभय आता है )

अभय- माँ मुझे 20 हजार रूपये चाहिये
सेठ जी- क्या करेगा उन रूपयों का वैसे भी हम सब आज लड़की देखने चल रहे है
सेठानी जी- हाँ बेटा तूझे मेरे साथ चलना है
अभय- नही आज मै बिजी हूँ पैसे दे दो
सेठ जी- लेकिन करेगा क्या ये तो बता पैसो का
अभय- (सोंचते हुये) अरे हाँ मै तो आपको बताना ही भूल गया
सेठ जी- क्या ?
अभय- अरे मै हार्डवेयर की पढ़ाई करने के लिये बोला था न उसी का रजिस्ट्रेशन कराना है ,लास्ट डेट है
सेठ जी- इतना लग जाता है रजिस्ट्रेशन मे ?
अभय- हाँ पिता जी बहुत अच्छा सेन्टर है न इसलिये
सेठ जी- तो ठीक है मै भी चलता हूँ तुम्हारे साथ देखने
अभय- अरे अरे अब आप क्यों कष्ट कर रहे है मै कर लूंगा भरोसा रखिये
सेठानी जी- और क्या तू जा बेटा हम लोग जा रहे तेरे लिये बहू देखने
अभय- हाँ माँ

(कुछ दूर आने के बाद)

अभय- यस............


दृश्य-7


(बैठक रूम मे सेठ जी और सेठानी जी बैठे है पंडित जी भी साथ मे है लड़की देखने के लिये रामचरन के घर आये है । सेठ जी चारो तरफ बड़ी ही उत्सुकता से देख रहे हैं )

रामचरन- सेठ जी वैसे क्या करता है आपका बेटा
सेठ जी- अरे उसने अभी हाल ही मे ग्रेजवेशन किया और अब कम्पूयटर हार्डवेयर का कोर्स भी कर रहा है।
सेठानी जी- मेरा बेटा बहुत ही सीधा है कोई भी अवगुण नही है उसके अन्दर।
रामचरन- अच्छा.........इनकम के लिये क्या करता है।
सेठ जी- अरे अब हमारे पास इतना है कि अभी उसकी जरूरत ही नही पड़ी ।
रामचरन- फिर भी कब तक आपके सहारे रहेगा।
सेठ जी- वो तो सही है अरे कोई कोई न व्यवसाय करा दिया जायेगा बस ।
सेठानी जी- भाई साहब आपके घर मे कौन कौन है
रामचरन- मेरी पत्नी तो बहुत साल पहले गुजर गयी अब सिर्फ एकलौती बेटी ही बची है ।
सेठ जी- तो उसके जाने के बाद कैसे जीवन कटेगा।
रामचरन- अब आगे तो मै नही सोंचता ख़ैर वो सब छोडि़ये आप की क्या डिमांड है
सेठ जी- अब आप तो समझदार है आपको क्या बताना फिर इकलौती बेटी है आपकी जो है उसका ही होगा
रामचरन- देखो भई कम से कम करोड़ रूपये तो मै ख़र्च ही करूंगा बाकी आप जो बोले (सेठ जी बड़े खुश )
सेठ जी- वाह क्या बात है आप कितने नेक दिल है।
सेठानी जी- वैसे आपकी बेटी नही आयी अभी तक
राम चरन- अरे हाँ अभी बुलाता हूँ

(रामचरन अपनी बेटी को बुलाता है।)

बेटी- यस डैड
रामचरन - बेटा इनसे मिलो तुम्हे देखने के लिये आये है और तुम वैसे ही घर के कपड़ो मे घूम रही हो
बेटी- जस्ट चिल डैड इटस फ़ैसन , हेलो अंकल जी हेलो आंटी जी।
रामचरन- असल मे माँ है नही तो इसे कौन बताने वाला है आजकल मार्डन जमाना है तो आप लोग समझ ही रहे होगें
सेठ जी- जी हाँ हाँ कोई बात नही
सेठानी जी - वैसे बेटी क्या क्या कर लेती हो
बेटी- मै........ दोस्तो के साथ घूमना एन्ज्वाय करना शॉपिंग करना बस यही सब
सेठानी जी- और कुछ जैसे घर मे
रामचरन- अरे इतने नौकर चाकर है ये घर मे क्या करेगी
बेटी- और हाँ डान्स भी करना है आता है दिखाऊँ
सेठानी जी - अरे नही नही
बेटी- नही बहुत अच्छा कर लेती हूँ प्लीज एक बार देखिये न म्यूजिक

(बेटी डान्स करती है हिन्दी गीत पर, और करती रहती है ये देख कर सेठ सेठानी उठकर चले जाते हैं।)


दृश्य-8


(सेठानी जी अपने आप मे बडबड़ा रही है)

सेठानी जी- देखे लो मार्डन बहू । मुझे तो नही समझ आयी ये लड़की भला जरा सी भी लाज हो दूसरो के सामने कैसे मटक मटक कर नाच रही थी
सेठ जी- अरे क्या हुआ काहे भुनभुना रही हो
सेठानी जी- देखो मुझे ऐसी मार्डन बहु नही चाहिये
सेठ जी- अरे क्या करना कितने अमीर है वो तो देखो।
सेठानी जी- बुढ़ापे मे यही धन दौलत शोहरत तुम्हारी सेवा करेगी एक ही बेटा है मेरा उसको भी बिगाड़ कर रख देगी।
सेठ जी- अरे तो उसको सिखा देना तुम अपने हिसाब से, भई मुझे तो ये रिस्ता समझ मे आ रहा है । आज कल बहुत कम ऐसे मिलते है
सेठानी जी- क्या सिखा देना उल्टा मुझे वो डान्स करना सिखा देगी जिससे पेट नही भरने वाला
सेठ जी- वो हो कैसे समझाऊँ ...एक करोड़ की शादी, मैने सोंचा भी नही था
सेठानी जी- आप की आँखो पर पर्दा पड़ा है धन के आगे कुछ दिखाई नही दे रहा है
सेठ जी- क्या बताऊँ तुम्हारी अक्ल तो घास चरने चली गयी है
सेठानी जी- मै मर गयी तो बुढ़ापे मे तुम्हारी जि़न्दगी नर्क बन जायेगी ।
सेठ जी- इतनी मुश्किल से मेरे मुताबिक रिस्ता मिला है और तुम हो कि
सेठानी जी- कुछ भी हो मुझे समझ मे नही आ रहा है बस
सेठ जी- तुम्हारी जो इच्छा वो करो मेरा तो मूड ख़राब कर दिया मै चला
सेठानी जी - हाँ जाओ पर सुन लो मुझे नही करना ऐसी लड़की से शादी अपने बेटे की।


दृश्य-9


(सेठ जी शुक्ला जी के घर जाते है जहाँ शुक्ला जी झाडू लगा रहे है)

सेठ जी- अरे शुक्ला जी क्या हाल चाल है और ये क्या ?
शुक्ला जी- अरे अरे सेठ जी आप दरवाजा तो खटखटा लेते कम से कम (झाड़ू किनारे करते हुये)
सेठ जी- अरे आप घर की सफाई कर रहे है क्या बात है बहू कहाँ है
शुक्ला जी- क्या मै घर की सफाई नही कर सकता हूँ
सेठ जी- बात कुछ समझ मे नही आयी अब ये उमर आपकी थोड़ी है साफ सफाई की
शुक्ला जी- नही नही ऐसी बात नही कभी कभी कर लेते है
सेठ जी- अरे भाई बैठने को नही कहोगे
शुक्ला जी- बैठिये बैठिये आप का ही घर है मैं तो भूल ही गया था
सेठ जी- वैसे हमने सोंचा आज समय था तो बहू के हाथ की चाय पीने चले
शुक्ला जी- हाँ हाँ क्यों नही लेकिन बहू तो कुछ काम से बाहर गयी है
सेठ जी- कोई बात नही हम इन्तजार कर लेंगे लेकिन चाय तो पीकर ही जायेंगे
शुक्ला जी- अच्छा ठीक है मै फोन कर लेता हूँ

(शुक्ला जी फोन करते है बेल जाती है)

बहू की वाइस- क्या है क्यो डिस्टर्ब किया आपने
शुक्ला जी- बेटा घर कब तक आ रही हो

(सेठ जी धीरे धीरे घुसे चले आते है शुक्ला जी के मोबाईल मे)

बहू- अरे अभी तो मार्केट मे निकली हूँ और आप ने फोन कर दिया
शुक्ला जी- घर पर मेरे ख़ास मेहमान आये हुये थे तो थोड़ा जल्दी आ जाओ बेटा
बहू- मेहमान से याद आया आपकी सफाई हो गयी मेरी कुछ सहेलिया चाय पर आ रही है
शुक्ला- हाँ हाँ हो गयी बस अभी हुयी है तुम कितनी देर मे आओगी बेटा
बहू- मै अभी नही आ पाऊँगी देर लगेगी। ( शुक्ला जी दूर होते हुये)
शुक्ला जी- ठीक है ......
सेठ जी- क्या हुआ शुक्ला जी हमे ऐसा क्यों लग रहा था कि बहू आपको डांट रही थी।
शुक्ला- ये कैसी बात कर रहे है भला उसकी ये मजाल
सेठ जी- अरे आप तो बुरा मान गये मै तो मजाक कर रहा था।
शुक्ला जी- उसको आने मे टाईम लग जायेगा मै ही चाय बना लेता हूँ

(सेठ जी इधर उधर देखते हुए हाथ मे अखबार उठाकर पढ़ने लगे कुछ देर में शुक्ला जी चाय लेकर आते है )

सेठ जी- कुछ तो छिपा रहे है शुक्ला जी आप हमसे
शुक्ला जी-नही नही ऐसा तो नही
सेठ जी - वो बात नज़र नही आ रही जो आप मे थी , अगर कोई दर्द है तो बता दीजिये आख़िर मै तो आपका दोस्त हूँ और आपका मन भी हल्का हो जायेगा।

(शुक्ला जी का मन भारी हो जाता है वो आँखे भर आती है)

शुक्ला जी- क्या बताएं यार दहेज के लालज मे आकर फंस गया
सेठ जी- क्यो क्या हुआ बहू ठीक नही मिली
शुक्ला जी- अब क्या बताये यार मुझे क्या पता था ये होगा मेरी बहूँ आये दिन ताना मार मार कर मुझे परेशान कर रखा है
सेठ जी- अच्छा इसका मतलब वो आपको नौकरो की तरह रखती है
शुक्ला जी- ये ही समझ लो बात सही भी है उसके पिता ने अपना घर बेंच कर मेरे कहे अनुसार शादी की थी मुझे क्या पता इतना ग़रीब होगा उसका बाप
सेठ जी- तो उसमे तुम्हारी क्या गलती भई दहेज लेना कोई बुरी बात नही है
शुक्ला जी- है भई है भई मगर तुम इस धन के लालच मे न पड़ना वर्ना तुम्हारी भी जिन्दगी नर्क बन जायेगी।
सेठ जी - समझ गया यानी तेरी बहू तेरे और तेरे बेटे पर हक जमा रही है
शुक्ला जी - हाँ यार हाँ अब और नही कह पाऊँगा तुम खुद ही समझ लो।
सेठ जी- समझ गया सब, अच्छा अब चलता हूँ


दृश्य-9


( सेठ जी बाजार से गुजरते है चाय की दुकान पर बैठकर चाय पीते पीते सोंच मे पड़ जाते है उधर से दो लड़किया बाते करती हुयी सब्जी के ठेले पर रूक जाती है।)

पहली लड़की- यार हम बेटियों के लिये हमारे माता पिता कितना सहन करते है
दूसरी लड़की- बात तो सही है तेरी ,भैया आलू दे देना एक किलो
पहली लड़की - पहले पाल-पोस कर बड़ा करते है फिर शादी के लिये दूसरो के सामने झुकते है
दूसरी लड़की - अब क्या कर सकते है समाज ने ऐसा नियम ही बना रखा है
पहली लड़की - अरे ये लड़के वालो को समझ मे नही आता बस दहेज ज्यादा चाहिये भले ही कुछ हो
दूसरी लड़की - ऐसा पूरा सच तो नही है क्योंकि कुछ लोग ऐसे भी होते है जो अच्छे होते है
पहली लड़की - लेकिन ऐसे बहुत कम ही लोग होते है।

(सेठ जी उनकी बाते बड़े ध्यान से सुनते है)

दूसरी लड़की- अरे रानी की तो अभी शादी हुयी है उसके सास ससूर तो दहेज लेने की बजाये उल्टा उसके पिता की बहुत मदद करी है तुम तो जानती हो कितने ग़रीब थे
पहली- हाँ बात तो तेरी भी ठीक है पर ऐसे लोग मिले तब न

(सेठ जी उठकर चले जाते है।)


दृश्य-11


(सेठ जी अपने घर मे इधर से उधर चहल कदमी कर रहे है )

सेठानी जी - क्या बात है जब से आप शुक्ला जी के वहाँ से आये तब से परेशान है
सेठ जी - कुछ नही बस ऐसे है (पंडित जी का प्रवेश)
पंडित जी-राम राम सेठ जी
सेठ जी- आईये आईये पंडित जी
पंडित जी- क्या हुआ आप ने कुछ बात चीत आगे बढ़ाई
सेठ जी- मेरा मन कुछ घबरा रहा है सेठानी जी को वो लड़की समझ मे ही नही आयी।
पंडित जी- तो फिर
सेठ जी- वही तो समझ मे नही आ रहा कि क्या करूँ
पंडित जी- लेकिन मुझे समझ आ रहा है आपके माथे की लकीरे देख कर
सेठ जी- तो फिर आप ही बताईये क्या किया जाये।
पंडित जी- मै जानता हूँ आपकी चिंता का कारण लेकिन उससे पहले आपको कुछ मजबूत फैसला लेना होगा।
सेठ जी- कैसा फैसला
पंडित जी- अगर आप से मै पूछूँ कि आपको अपने घर के लिये एक सुन्दर सुशील गुणवान बहू चाहिये या धन तो आपका क्या उत्तर है

(सेठ जी सोंच मे पड़ जाते है)

सेठ जी- वैसे धन-दौलत की तो कमी है नही मेरे पास जो है बस एक बहू की ही कमी।
पंडित जी- यानी आपको अपने घर मे ऐसी बहू चाहिये जो घर को स्वर्ग जैसा बनाये रखे और आपके परिवार की देखभाल भी करे
सेठ जी- हाँ हाँ विल्कुल यही चाहता हूँ
पंडित जी- तो फिर परेशानी खत्म
सेठ जी- पर कैसे पंडित जी
सेठ जी- याद करिये एक कमल नाम का व्यक्ति आया था आपने सिर्फ उसकी बेटी की फोटो ही देखी थी लेकिन वो वाकई मे किसी राजकुमारी से कम नही भले ही ग़रीब है
सेठ जी- अरे नही नही वो तो मेरे एक कोने के बराबर नही है मेरी तो नाक ही कट जायेगी। समाज मे लोग हसी उड़ायेंगे कि लड़के की शादी नही हो रही थी तो उठा लाये झोपड़पट्टी से ।
पंडित जी- यही तो आपके लिये उचित अवसर है आपको धन से ज्यादा बहूधन की आवश्यकता है जो उस अध्यापक की बेटी है
सेठ जी- पर
पंडित जी- पर वर कुछ नही एक बार सामने से देखिये तो चल कर बात तो करिये और याद रखिये जितनी इज्जत सम्मान आपको उस ईमानदार से मिलेगा उतना रामचरन से नही मिलेगा क्योंकि वो आपसे भी ज्यादा अमीर है
सेठ जी- अच्छा आप जाईये अभी मैं कुछ सोंचता हूँ

मंच पर मध्यम लाईट जल रही है सेठ जी चहलकदमी कर रहे है और सोंच रहे है । (माइमिंग)

सूत्रधार- सेठ जी शुक्ला जी की हालत देख कर बहुत ही दुखी थे वो ये तय नही कर पा रहे थे कि आखिर करे तो क्या करे । उधर राम चरन बहुत ही अमीर आदमी था और एक तरफ कमल एक बहुत ही इमानदार और ग़रीब था । दोनो की बेटिया तो सही थी पर एक सेठ जी को पसन्द थी दूसरी सेठानी जी को पसन्द थी एक सेठ जी से गरीब था और एक सेठ जी से अमीर था इसी मे सेठ जी उलझ गये ।उन्हे खुद ये समझ नही आ रहा था कि बहू चाहिये या दहेज मे धन या फिर बहूधन यही सब सोंच सोंच कर परेशान थे आखिर मे उन्होने एक फैसला किया और अगले दिन कमल के घर जाने को तैयार हो गये।


दृश्य-12


(कमल अपने घर मे कुछ काम कर रहा है और उसकी बेटी सरिता कुछ फाईल को लेकर बहस करती है।)

सरिता- पापा आपने इतना लोन लिया बैंक से किस लिये
कमल - बेटा वो तेरी शादी के लिये
सरिता- पर बहुत ज्यादा है पापा ये पैसा आप कैसे इसे चुकता करेगें
कमल - बेटा तू उसकी चिंता क्यों कर रही है मै हूँ न तू अपनी पढ़ाई पर ध्यान दे।
दरवाजा खटखटाने की आवाज आती है
कमलृृ- देख तो कौन आया है
सरिता- ठीक है

(सरिता जाकर दरवाजा खोलती है और अन्दर आकर पिता को बताती है)

सरिता - पापा कोई अंकल और आंटी जी आये हुये है ।

(तब तक सेठ जी अन्दर आ जाते है। कमल उन्हे देखकर अचम्भित होता है)।

कमल- अरे सेठ जी आप आप लोग , बताया होता तो मै चला आता आपने कष्ट क्यों किया
सेठ जी- नमस्ते कमल जी
कमल - अरे सरिता की मम्मी कहाँ हो भाई जल्दी से बाहर आओ सेठ जी आये हुये है हमारे घर
सेठ जी- कमल भाई उस दिन के लिय क्षमा चाहता हूँ मै आपसे
कमल - अरे नही नही सेठ जी कोई बात नही आईये आईये बैठिये आप लोग ,सरिता बेटा प्रणाम करो अंकल आंटी जी से और जल्दी से चाय नाश्ते का प्रबन्ध करो जाकर

(सरिता दोनो के चरण स्पर्श करती है और चली जाती है कमल की पत्नि आती है और प्रणाम करती है

सरिता - जी पिता जी
सेठ जी- कमल जी कुछ बात चीत करनी थी आपसे
कमल जी- जी बोलिये। आप हमारे घर आये इससे अच्छी और क्या बात हो सकती है।
सेठ जी- आपको अपनी बेटी की शादी करनी है हमारी बेटे से
कमल - जी वो तो मै चाहता ही था पर मेरी मजबूरी ये है कि मै इतना कहाँ से कर पाऊँगा।
सेठ जी - देखिये हमे आपकी बेटी पसन्द है पर जो मैने बोला था मुझे चाहिये भी उतना ही।
कमल जी- पर मै ..........
सेठ जी - मेरे पास एक उपाय है जो मै बताता हूँ
कमल - कैसा उपाय।
सेठ जी- आप अपनी नौकरी पर लोन ले लिजिये और ये टूटा फूटा घर बेंच दीजिये और जो कम पड़े वो हमसे उधार ले लीजिये।
कमल - ये आप क्या कह रहे है कोई कमी रह गयी थी उस दिन जो आज पूरी करने आये हैं

सेठ जी ज़ोर से हँसते हैं

सेठ जी - अरे कमल जी आपको अब चिंता करने की कोई जरूरत नही कोइ लोन नही लेना कोई घर भी नही बेचना मै आज बहुत सोंच समझ कर यहाँ आया हूँ
कमल- पर मेरी तो कुछ समझ मे नही आ रहा है
सेठ जी - ये लिजिये ( नोटो का बैग देते हुये) पैसे और शादी की तैयारी करिये।
कमल - पर ये मेरी औक़ात से बाहर है मै कैसे दे पाऊँगा आपको
सेठ जी- कोई ज़रूरत नही मुझे देने की बस मेरी जो इज्ज़त है समाज मे वो बनी रहे, और किसी को कोई जरूरत भी नही बताने की ।
कमल जी -सेठ जी मुझे तो कुछ समझ मे नही आ रहा है
सेठ जी-देखो भई मेरी पत्नी को आपकी बेटी पसन्द है और हमे आपकी बेटी जैसी ही बहू चाहिये थी लेकिन मै नही चाहता कि कोई ये जाने कि मेरा समधी बहुत ग़रीब है इसलिये ये पैसे मै आपको दे रहा जिससे आप अपना घर मेन्टेन करवा लीजिये और शादी की तैयारी शुरू करिये। किसी को पता भी नही चलेगा। और मेरा मान सम्मान भी बचा रहेगा। 20 लाख की कार मैने बुक कर दी है जो आपके घर पर आ जायेगी ।
कमल-वह सेठ जी वह, कोइ शब्द नही है आपकी महानता बताने के लिये मेरे पास सच मे भगवान यहीं है इसी धरती पर आपके रूप में। क्या किस्मत है मेरी जिन्दगी भर एहसान रहेगा आपका हम पर
सेठ जी- अरे कोई ऐहसान नही कर रहा हूँ तुम्हारे ऊपर । बल्की तुम मेरे ऊपर एहसान कर रहे हो अपनी बेटीधन को देकर जो मेरे लिये बहूधन है ।

कमल उसके पैर पकड़ने लगता है दोनो गले मिलते हैं

कमल - सेठ जी............

सूत्रधार - सेठ जी को आखिर समझ मे आ ही गया कि जो बेटी अपने पिता के लिये बेटीधन होती है वही दूसरे के घर जाकर बहूधन हो जाती है और हम सभी जानते है धन की इज्जत और सम्मान कितना होता है और उसकी वैल्यू कितनी होती है समाज मे मै केवल धन की बात कर रहा हूँ लेकिन सेठ जी की नज़र मे धन से ज्यादा बहूधन का महत्व समझ मे आया जिससे उन्होने कमल की तफर से पूरी सहायता की और बड़ी धूम धाम से शादी की किसी को कुछ भी पता भी नही चला । आज भी समाज मे कुछ ऐसे लोग है जो इस प्रकार की गुप्त सहायता करते रहते है लेकिन किसी को कुछ नही पता चलपाता । इस संसार मे सबसे बड़ा धन है जिसकी सभी को आवश्यकता है । पर इसी संसार मे बेटीधन भी है जो एक बहन ,पित्नी ,माँ भाभी, सास,आदि कई रिस्तो को निभाती है लेकिन ये सभी रिस्ते बेटीधन से बहुधन बनने के बाद होते है इसलिये बेटीधन से भी कही ज्यादा बहुधन का महत्व होता है ।


समाप्त