अच्छाईयां – २२ Dr Vishnu Prajapati द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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अच्छाईयां – २२

भाग – २२

सूरज कोलेज से दूर निकल गया था और उसके पास सभी दोस्तों के नंबर थे | सूरज अब उनसे बात करने के लिये बेताब था | सूरज सबके नाम और नंबर देख रहा था उसकी आँखे आखीरमें लिखी गई लाइन पर रुक गई | सरगमने खुद वहां अपना नंबर लिखा था और उसके सामने ये भी लिखा था की , ‘आज रात ग्यारह बजे के बाद इस नंबर पे फोन करना | मैं तुम्हारा इंतज़ार करूंगी|’ ये पढ़ते ही सूरज की आँखों की चमक बढ़ गई | सरगम भी कुछ बात करना चाहती है यही सूरज के लिए काफी था |

अभी तो सुबह के ग्यारह बजे थे रात होनेमें तो काफी वक्त बाकी था तो सूरजने सबसे पहले अपने अजीज दोस्त निहाल को फोन लगाया | वैसे तो सूरज झिलमिल को फोन लगाना चाहता था मगर उसको सबके बाद फोन करूँगा | सूरज ये भी नहीं जानता था की इनमे से कौन कौन दोस्त अभी भी मुझे अपनाएंगे, हो भी शकता है की वे भी सबकी तरह मेरी ओर नफ़रत करते हो मगर मुझे उनकी जरुरत है तो मैं ही उनको यहाँ बुलाऊंगा | ये सब सोचते सोचते आखीर सूरजने निहाल का नंबर सबसे पहले लगाया |

‘हेल्लो निहाल...!!’ सामने किसीने फोन रिसीव किया तो सूरज तुरंत बोला |

‘येस... निहाल स्पीकिंग....!! आप कौन...?’ सामने से आवाज आते ही सूरज कुछ देर रुक गया, अपने दोस्त की सालो बाद आवाज सुनते ही सूरज की आँखे भर आई | ‘ सून रे निहाल.... तेरे बिना मेरी जिन्दगी बेहाल...!’ सूरजने कोलेज के वक्त अपने दोस्तों पर एक गाना बनाया था और उसमे निहाल पर ये मुखड़ा बनाया था | ये सुनते ही सामने भी मानो खुशीया छा गई, ‘ अरे मेरे दोस्त, सूरज....!! तु आ गया ? कब आया ? कहाँ है रे....!!’ निहाल बोले जा रहा था |

‘तु कल कोलेज आ जाना | मैं तेरा इंतज़ार करूँगा |’

‘कल क्यूँ... मैं तो अभी तुम्हे मिलने निकल रहा हु... कहाँ है तु ?’ निहाल उतावला हो रहा था |

‘कल.... सुबह... और हां कुछ दिन साथ रहेंगे...!’ सूरजने आदेश दिया |

‘कुछ दिन क्यूँ... तुम्हारे साथ तो जिंदगीभर रहने का इरादा है |’ निहाल आज खुश था और सालो बाद दोनों एकदूसरे की बाते करने लगे | सूरज खुद की कोई भी बात हो तो वो सबसे पहले निहाल को ही बताता था | निहाल और सूरज अच्छे दोस्त थे |

‘तुम कोलेज में आना, मैं और सरगम भी वहां मिलेंगे...!’

‘दोनों शादी कर रहे हो क्या ?’ निहालने मजाक में कहा |

सूरजने आगे कुछ नहीं कहा और निहाल को जल्द ही कोलेज आने को कहा |

सूरजने फिर दूसरा कोल रज्जू को लगाया | रज्जू तो सूरज से बात करते ही जैसे पागल हो गया | वे भी कल ही कोलेज आएगा और फिर से संगीत की दुनीया को सजाएगा ऐसा वादा किया | ऐसे ही पावन भी खुश था वो भी आएगा ऐसी बात हो गई |

सूरजने आखरी कोल झिलमिल को लगाया | इतने साल के बाद शायद अब झिलमिल कहाँ होगी वो भी उसे पता ही नहीं था | झिलमिल बेहद सुन्दर थी और वे सबसे अच्छा गाती थी | सूरजने जो नंबर लगाया वो सही था, सामने फोन बज रहा था, कुछ्देर बाद किसीने फोन उठाया तभी सूरज बोला, ‘क्या ये झिलमिल के घर का नंबर है ?’

सामने कोई औरत थी उसने कहा, ‘ हाँ’

‘तो क्या मैं झिलमिल से बात कर शकता हूँ |’

‘जी आप कौन बोल रहे हो ?’

‘मैं सूरज बोल रहा हूँ...!’

‘अरे बेटे, सूरज.... मैं झिलमिल की मम्मी बोल रही हूँ... तूम कैसे हो...? तेरे साथ जो हुआ वो अच्छा नहीं हुआ... अभी कहाँ से बोल रहे हो..?’ झिलमिल की मम्मी भी झिलमिल जैसी ही ज्यादा बाते करनेवाली लगी |

‘कोलेज में ही हूँ.... मुझे झिलमिल से बात करनी है..’

‘अच्छा मैं बुलाती हूँ....’ फोन अपने हाथमें ही रखकर वो झिलमिल को आवाज दे रही थी, ‘झिलमिल..... ओ झिल्लू.... तेरी कोलेज से सूरज का फोन...!’

कुछ ही देरमें झिलमिल फोन पर आई और बोली, ‘ सूरज.....!!’ वो फिर रुक गई थी |

‘झिलमिल तुम कैसी हो..?’ सूरजने जब ये पूछा तो सामने झिलमिल के रोने की आवाज आई |

‘क्या हुआ ? क्यु रो रही हो ?’ सूरज पूछने लगा |

झिलमिल कुछ देर तक रोती रही और फिर बोली, ‘ सूरज... तुम्हारे बिना कुछ भी अच्छा नहीं लगता था... मुझे तो अब ये लग गया था की तुम्हे फिर कभी मिल पाउंगी या नहीं... कोलेज पे मैंने फोन किये तो तुम्हारे बारे में कोई सच्चा जवाब ही नहीं मिलता था | अखबार में जब फिर सब पढ़ा तो तुम्हारे साथ क्या हुआ वो सब पता चला | मैं जानती हूँ तुम बेक़सूर हो मगर हालत ही कुछ ऐसे बन गए की हम कुछ नहीं कर पाए |’ झिलमिल अभी भी बीच बीच में रो रही थी |

‘अरे पगली, वो सब तो मैं भूल गया हूँ, तूम भी भूल जाओ.... और मुझे ये बताओ की शादी करी या नहीं ?’ सूरज झिलमिल को खुश करना चाहता था |

‘अभी तक तुम्हारा इंतज़ार कर रही हूँ, क्या करोगे मुजसे शादी...?’ झिलमिलने भी ऐसे जवाब दिया की सूरज भी सोच में पड़ गया की क्या जवाब दूं |

‘तूम आ जाओ कोलेज...!’ सूरजने बात बदलना चाहा |

‘क्यों शादी करने...?’ झिलमिल मजाक कर रही थी या सीरियस थी वो सूरज तय नहीं कर पा रहा था |

‘फिर से कोलेज को वर्ल्ड कोम्पीटीशन में अव्वल लाने के लिए... सब फिर से मिल रहे है... और तुम्हारे बिना हमारी सात सूरो की सरगम अधूरी है |’ हालाकि सरगम का नाम आया तो झिलमिल कुछ देर चुप हो गई |

‘केवल सरगम नहीं, झिलमिल भी अधूरी है...!’ झिलमिलने सालो बाद फिर से सूरज को बड़े प्यार से कहा |

‘तुम कुछ दिनों के लिए आ जाओ... सब मिलेंगे, और मुझे भी तुम्हारी जरुरत है |’ सूरजने आखिरमें फॉन रखते हुए कहा | झिलमिलने तो आज ही घर से निकलने का वादा किया |

जब झिलमिलने फोन रखा तो उसकी मम्मी उसके पास ही खडी थी | वो बोली, ‘ क्या फिरसे कोलेज जाओगी ?’

‘हाँ... सूरजने बुलाया है...!’

‘मगर... वो तो सरगम से प्यार करता है...!’ खुद झिलमिलने अपनी मम्मी को सारी बात बताई थी |

‘उससे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता... मैं आज भी उन्हें प्यार करती हूँ... और उसने कहा की उसको मेरी जरुरत है तो मैं रुक नहीं शकती |’ झिलमिल सूरज के प्यार में आज भी पागल थी |

‘मगर तुम्हारी मंगनी तय हो चुकी है, कुछ दिन में मूहूर्त निकलनेवाला है...!’ मम्मीने झिलमिल का हाथ पकड़कर कहा |

झिलमिलने तुरंत फोन लगाया और किसी से बात करने लगी, ‘ हेल्लो मनजीत... कल मुझे कुछ दिन के लिए बहार जाना है... हम मंगनी का मूहूर्त बादमें निकाले तो तुम्हे कोई एतराज तो नहीं ?’ झिलमिलने अपने मंगेतर को फोन लगाया था और स्पीकर ओन किया |

‘बिलकुल नहीं... तूम जीतनी मरजी हो जाओ... मगर ये वादा करके जाओ की शादी तो मुझसे ही करोगी...! चार साल के बाद तुम राजी हुई हो अपनी शादी को अब कुछ दिन और सही...! पर यूँ अचानक कहाँ जाना है ?’ मनजीतने हां की मगर पूछा भी |

‘मुझे कोलेज जाना है...’ झिलमिलने तुरंत कहा |

‘सूरज आ गया है क्या ?’ मनजीत भी सूरज के बारे में जानता था |

‘हाँ..., तुम्हे कोई तकलीफ तो नहीं ना..?’

‘नहीं.. नहीं.. पर वापस कब आओगी ?’ मनजीत प्यार से कह रहा था |

‘अभी फोन रखती हूँ... मुझे आज ही निकलना है..’ झिलमिलने इतना कहकर फॉन काट दिया |

उसके पास खडी झिलमिल की मम्मीने झिलमिल को कहा, ‘ बेटा, ऐसा मनजीत जैसा लड़का तुम्हे कभी नहीं मिलेगा...’

‘ओह... मम्मी... तुजे तो ये कहना चाहिए की मनजीत को मेरे जैसी लड़की कहा मिलेगी |’ इतना कहकर झिलमिल अपने रूम में चली गई |

झिलमिल के जाने के बाद उसकी मम्मी कुछ देर सोचती रही और कुछ तय करके उन्होंने उसी नंबर पे फोन लगाया जहा से सूरज का फोन आया था |

‘हेल्लो सूरज...!’ फोन उठाते ही झिलमिल की मम्मी बोली |

‘हां... बोल रहा हूँ..!’

‘देख बेटा, मैं झिलमिल की मम्मी बोल रही हूँ, मैं तुम्हे कुछ कहना चाहती हूँ...’ इतना कहकर वो रुक गई |

‘हां... कहो क्या बात है ?’

‘बेटा, तुम्हारे बारे में झिलमिलने मुझे सब बताया था | तुम्हारे जाने के बाद वो शादी भी करना नहीं चाहती थी, मगर सालो बाद वो अपनी मंगनी के लिए राजी हुई है ... लड़का मनजीत अच्छा लड़का है और वो झिलमिल को बेहद प्यार करता है | वो तुम्हारे बारे में भी सबकुछ जानता है | आज तुम्हारा फोन आते ही झिलमिल अपनी मंगनी रोककर तुम्हारे पास आ रही है, बेटा तुम्हे कैसे समजाऊ की....!!’ झिलमिल की मम्मी की बाते सूरज समझ रहा था |

‘मगर ये बात झिलमिलने मुझे क्यों नहीं बताई ? मैं अभी ही उनसे बात कर लेता हूँ... उसको फोन दो...’ सूरज सब समज चूका था |

‘नहीं... अभी तो उन्हें फोन नहीं दे शकती, तुम्हे तो पता है की एकबार वो ठान लेती है तो वो किसीका नहीं सुनती, वो केवल तुम्हारे लिए ही आ रही है, उसने अपने मंगेतर से भी बात कर ली है | बेटा, उसे संभालना...!’ झिलमिल की मम्मी रोने लगी |

सूरज भी उनको समजाने लगा, ‘ आप बिलकुल चिंता मत करो और मुझे मनजीत का नंबर भी दे दो, मै सब संभाल लूँगा, और झिलमिल की शादी मैं हमसब आयेंगे | आप हम सब को आशीर्वाद देना |’ सूरजने मनजीत का नंबर भी ले लिया |

‘हां बेटा... जरुर... भगवानने चाहा तो तुम्हे और सरगम को भी आशीर्वाद देने का मुझे सौभाग्य मिले |’ झिलमिल की मम्मी की ये बात सुनकर सूरज खुश हो गया |

फोन रखते ही सूरज झिलमिल की याद में खो गया, ‘सच्ची ये पागल लड़की है..!’

आखीर सूरजने मुस्ताक को फोन लगाया | मुस्ताक से बात भी हुई मगर सूरज को लगा की वे कुछ हैरान हो गया था | वो बारबार पूछ रहा था की तुम कैसे आये ? तुम्हारी सजा कितनी हुई ? क्या फिर पता चला की ये सब किसने करवाया था ? वो ड्रग्स का मामला शांत हो गया ?’

सूरजने इतना ही कहा, ‘ तुम सब चिंता मत करो, कल कोलेज आ जाओ.... वहां सब दिल खोलकर बाते करेंगे |’

मुस्ताक भी जल्द ही सबको मिलाने आ रहा था | सूरज भी सबसे बात करके काफी खुश था | रात को सरगम से बात करनी थी |

अभी वो छोटू से मिलने जाएगा ऐसा सोचकर छोटू जहाँ भीख मांगता था उस जगह की ओर जाने लगा | सूरज को पता नहीं था इसी वक्त ही शहर की एक बड़ी होटल में सारे ड्रग सप्लायर की मीटिंग होनेवाली थी....

क्रमश: .....