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अच्छाईयां - 6

भाग – ६

सूरज सुनने को बेताब था की कोलेज की ऐसी हालत किसने की...?

मगर दादाजी कुछ देर तक चुप रहे तो सूरज को दादाजी की खामोशी बैचेन करने लगी, उससे रहा न गया इसलिए वो बोला, ‘ मैंने देखा की मेरा नाम सुनते ही सारे स्टूडेंटस मुझे नफ़रत करने लगे.... मैंने देखा की कोलेज पहले जैसा नहीं है, यहाँ संगीत नहीं है... यहाँ पहले जैसी खुशीयाँ नहीं है... मुझे यहाँ सब बदलाबदला सा लगता है....! ऐसा क्यों...?’ सूरज फिर चुप हो गया |

दादाजी की आँखे अब सूरज पर थी, वो सूरज को अपने दिल की बाते सुनाना चाहते थे मगर लगता था की वो शब्द उनके होंठ तक नहीं आ रहे थे, उन्होंने फिरसे कहा, ‘ सूरज तुम यहाँ क्यों आये ?’

‘सरगम और श्रीधर कैसे है ? मेरी आँखे सबको देखने के लिए सालो से तरस रही है...!’ सूरजने अपनी बात का रुख बदला |

सरगम का नाम सूरज के मुंह से सुनते ही दादाजी नाखुश हुए और बोले, ‘ तुम सरगम का नाम भी मत लो, वो तुम्हे मिलना तो क्या देखना भी नहीं चाहती...!’

‘मगर क्यों....?’

‘ये कोलेज के बहार रखी वर्ल्ड चेम्पियनशिप की ट्रोफी के नीचे से सरगमने ही तुम्हारा नाम हटा दिया है.... वो नफ़रत करती है तुमसे...!!’

‘सरगमने...?’ सूरज ये सुनते ही मानो उनपे बिजली गिरी हो ऐसे चौंक गया |

‘अच्छा है की वो आज यहाँ नहीं है वरना.....’ दादाजी के शब्द रुक गए |

‘पर मेरा कसूर क्या है ? मुझे किस बात की सजा मिल रही है ?’

‘अच्छा तो तुम अभी भी जानना चाहते हो की मेरा कसूर क्या है ? तो सुनो....’ दादाजी सूरज से कुछ कदम दूर गए और पूराने जख्मो को याद करने लगे,

‘जब हमारी कोलेजने संगीत में विश्व प्रतियोगिता जीती तो हमारी खुशीयों का ठिकाना न रहा, ये कोलेज ही नही मगर सारा शहर खुशियों के मारे नाच रहा था, हम सब इंतज़ार कर रहे थे तुम्हारे आने का... हमें उसी वक्त सरकार से लाखो रुपये का पुरस्कार घोषित हुआ और बढ़िया कोलेज बनानेमें सहायता देगी ऐसा कहा... हमें लगा की अब हमारे लिए सुनहरे दिन आनेवाले है ... तुम्हारी इस जीत से कई युवाओ को संगीतमें आने के लिए मानो नया उत्साह मिला.... मगर....!!’ दादाजी कुछ देर रुके और फिर बोले,

‘यहाँ हमें पता नहीं था की तुम्हारे पास से काफी मात्रा में ड्रग्स मिला है... तुम्हे परदेश की जेल में ले जाया गया, तुम्हारी टीम पहले आ चुकी थी, वो सब तुम्हारा इंतज़ार कर रहे थे, मगर तुमने सबके साथ धोखा किया... हमने जो ख़ुशीयो के सपने देखे थे वो पलभर में टूट गए...हमारी कोलेज बदनाम हो गई... दो दिन के बाद सरकारने भी हमसे मुह मोड़ लिया, उन्होंने अपनी इनामी रकम भी नहीं देगी वैसा कह दिया... तुम्हारे रुम पर नारकोटिक्स डिपार्टमेंट के कुछ अधिकारी आये और सर्च किया तो उन्हें वहा से भी ड्रग्स मिला... वे तुम्हारे बारेमें कहने लगे की तुम्हारा ड्रग्स के सप्लायर्स साथ तालुकात थे और तुम बेईमानी का धंधा करते हो...! ये सुनकर हमें तो यकीन ही नहीं हुआ.... सूरज हमें तुमसे ये उम्मीद नहीं थी... हमने तो तुम्हारे लिए ख़ुशीयो के सपने देखे थे.. हमने तुम्हारी भलाई के लिए और तुम्हारी संगीत के प्रति गहराई को देख के मैंने चुना था... तुमको मैंने सड़क से उठाकर खुशिया देना चाहां था मगर तुम ही हमें सड़क पे ले आये...!’

‘दादाजी मैंने कुछ नहीं किया.... आप अपने दिल पर हाथ रखकर एकबार अपनी आवाज सुनो... आप और ये कोलेज मेरे लिए तो भगवान ही है... और मैं अपने भगवान को सड़क पर आना पड़े ऐसा काम कभी भी नहीं करूँगा....’ सूरज की इस बात का दादाजी पर कोई असर नहीं हुआ इसलिए वो अपनी सच्चाई बताने लगा,

‘दादाजी, मुझे नही पता की वो ड्रग्स मेरे पास कहाँ से आया ? सबको पता था की सरगम और दुसरे लोगो की टीम पहली फ्लाईटमें आ रही थी, मुझे कुछ सामान लेके बादमें दूसरी फ्लाईट में आना था | एरपोर्ट पर लगेज चेकिंग के समय तीन चार लोग मेरे आसपास बारबार घूम रहे थे, वो मुझ पर घुर रहे थे, मेरा लगेज चेकिंगमें गया तो उनमें से एक मेरे पास आया और बोला था की आज चेकिंग पर जो हमारे आदमी थे वो नहीं है, और ये नया ऑफिसर हमारी बात नहीं मान रहा है.... तुम अपना लगेज वापस ले लो और यहाँ से निकल जाओ | मुझे उसकी बाते समझमें नहीं आई, मैं तो समझा की उसने शायद आदमी पहचानने में गलती कर दी होगी.... मैं खड़ा ही रहा...!! वो आखिर में भाग गए.... थोड़ीदेर में वहा की पुलिस आई और मुझे पकड़ कर ले गई... मुझे तो पता भी नहीं था की क्या हो रहा है ? उन्होंने मेरे लगेज के बारे में काफी पूछताछ की और जब उन्होंने ड्रग्स के बारे में कहा तो मेरे होंश उड़ गए... मेरा पासपोर्ट जप्त कर लिया और फीर मुझे जेलमें काफी टॉर्चर किया गया... जब कोर्टमें पेश हुआ तो पता चला की इस देशमें तो ड्रग्स के साथ पकडे जाने की सजा लम्बी है... मैं अपनी सच्चाई को लेके चिल्लाता रहा... मगर वहां मेरी सुननेवाला कोई नहीं था...मुझे पांच साल की सजा हुई और इतने सालो तक मैं एक उम्मीद में था की मेरा कोई अपना आएगा और मेरी सच्चाई को सामने लाएगा... मगर मुझे न तो कोई छुडाने आया और न कोई मेरी हालत सुनने....!!’ अपनी बात कह के सूरज चुप हो गया |

सूरज की बाते ख़त्म होते ही दादाजी बोले, ‘सूरज हमें वे सारी बाते पता चली थी, हमें यकीन भी नही हो रहा था की तुम ऐसा कर शकते हो... मगर सरगम और सब के आ जाने के बाद तीसरे दिन यहाँ की पुलिस तुम्हारी तलाश में आई और उन्होंने तुम्हारे रूम की तलाशी ली और उनको वहां से भी ड्रग्स मिला... मैंने खुद अपने हाथो से तुम्हारा रूम खोला था... उस वक्त सरगम भी मेरे साथ थी, वो तो ये देखकर टूट चुकी थी...!! सूरज अब यहाँ तुम्हे प्यार करने वाला कोई नहीं है... तुम चले जाओ और छोड़ दो हमें इस हालमें... अच्छा है सरगम आज नहीं है वरना वो तुम्हे खुद यहाँ से धक्के मार के निकाल देती | सूरज तुम्हारे कारन आज हमारी बसी बसाई दुनिया उजड़ चुकी है... !!’ दादाजी के स्वर टूट चुके थे |

सूरज दादाजी के पास गया तो दादाजी दूर हो गए और बोले, ‘ शायद मेरी गलती थी के एक आवारा और सड़क पर पलनेवाले बच्चे से मैं ज्यादा उम्मीद करता था....!!’

दादाजी के मुंह से आज पहली बार सूरज के लिए आवारा और सड़क पर पलनेवाला शब्द निकला तो सूरज भी रो पड़ा और वो उनके कदमो में जा बैठा...! जब वो छोटा था तो जो सड़को पे गीत गाया करता था वो फिर से गाने लगा....

आज तेरा कोई न हो तो कल तेरा जहाँ होगा

तुझे बस अपनी अच्छाइयो के साथ चलना होगा.....

दुख का दर्पण तेरी आँखों को जब भी रुलाएगा

एक प्यारी सी मुश्कुराहट से उसे ठलना होगा

तुझे बस अपनी अच्छाइयो के साथ चलना होगा.....

दुःख देनेवाले भी तुम्हे सुख का तोफा देंगे

तेरी जिंदगी से वो भी कुछ नया शिखेंगे

तुम्हे परवरदिगार से प्यार करना होगा

तुझे बस अपनी अच्छाइयो के साथ चलना होगा....

सूरज आज फिरसे वैसा ही बालक बन गया जैसा वो सालो पहले सड़क पर अपने बाबा के साथ भीख मांग रहा था...

दादाजी सूरज से दूर चले गए.... वे सूरज के पास ही नही आना चाहते थे... वो अभी भी नाराज थे.... और उनको ये हक़ भी था क्युकी सूरज की वजह से तो उनकी सरगम संगीत कोलेज आज बेजान बन गई थी |

और इसी वक्त कोलेज केम्पस से जोर जोर से आवाज आने लगी, सूरज और दादाजी तुरंत बहार आये तो देखा की कुछ बदमाश लोग कोलेज की लड़कीओ के छेड़ रहे थे और बदमाशी कर रहे थे.....!!!

क्रमश:...

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