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अच्छाईयां – ८

भाग – ८

करीब छ घंटे पहले सूरज जब कोलेज आया था तो सालो के बाद फिर अपनो से मिलने और अपनी जिन्दगी सजाने के सपने उसके दिलमे उछल रहे थे, मगर अभी वो अपनी सारी उम्मीदे छोड़कर और अपने सपनो को तोड़कर उस कोलेज से दूर अनजान राहो पर चलने लगा |सरगम से वो मिल नहीं पाया, उसका तो उम्रभर साथ रहने का वादा था मगर वो भी साथ छोड़कर चली गई, दादाजी आज उन्हें कोलेजमे रखना भी नहीं चाहते थे | कोलेज के हालत बिगड़ चुके थे और इस सबका जिम्मेदार सूरज खुद था ऐसा सब मान चुके थे |

‘अब तो फिर से मुझे इस कोलेज को अच्छा बनाना है, इस कोलेजने ही मुझे नया जीवन दिया था तो मैं भी उसको फिरसे सजाऊंगा, इसमे कोई मेरा साथ दे या न दे...! मुझे पसंद करे या न करे...! मुझे वही अच्छाई और सच्चाई के रास्तो पर चलना है जो मुझे दादाजी और मेरे बाबाने शिखाये थे |’ सूरज अब कोई मंजिल के बिना धीरे धीरे शहर की सड़को पर चल रहा था, वे सालो बाद इसी फुटपाथ पर आ गया जहा वो जब छोटा था तब भीख मांगता था |

फुटपाथ के एक कोने में खड़े रहकर उसने अपनी ऊँगलिया गिटार के तारो पर लगाईं, सूरज सालो बाद फिर से संगीत बजाने लगा | सलाखों से पीछे कटी खामोश और दर्दनाक जिंदगी से वो अब जल्द से जल्द दूर होना चाहता था और आज के लगे सारे दर्द भी वो भूलाना चाहता था | गिटार से छेड़े गए सूरो से फिरसे उसको अच्छा लगने लगा... वो खो गया अपनी धून में, वे अपनी आँखे बंध करके जिंदगी का अपना बनाया गीत गा रहा था, उसे पता भी नहीं था की वहा पर उसको सुनने के लिए भीड़ जमा हो गई थी |

‘सुखमें चलेंगे, दुखमे रुकेंगे

तेरे दिखाए रास्तो पर हम सँभलते रहेंगे,

पता है की तु, रहेगा रूबरू

नजर न आये भले, पर है यही जरुर

घाव भी तु, मरहम भी तु

हम तो तुझे अपना दोस्त कहते रहेंगे |

हे इश्वर,

यकी है तु पास है खड़ा,

तुजसे नहीं कोई बड़ा

तुझे क्या कहेंगे, तेरी सुनेगे

तेरे वास्ते ही हम जीते रहेंगे |

सुखमें चलेंगे, दुखमे रुकेंगे

तेरे बताये रास्तो पर हम सँभलते रहेंगे....’

सूरज का ये गीत सबको काफी पसंद आया....वे मानो रुक से गए...

सूरज की आँखे खुली तो लगा की वहा सारे लोग उनके सूरोमें खो गए थे, सूरजने अपना गाना पूरा किया तो वहा खड़े लोगोने पैसे देना शुरू किया...., सूरज को लगा की शायद वो सब उसे भीख माँगनेवाला समझ रहे थे...! सूरज के सामने लोगोने अच्छे खासे पैसे रखे थे, सूरज उस पैसे की ओर देखने लगा, बाबा भी ऐसे ही गीत गाते थे और लोग उसे भीख देते थे, जिन्दगीने फिरसे उसे उसी मोड़ पर खड़ा कर दिया था | सब पैसे रखकर धीरे धीरे वहां से दूर जाने लगे... सूरज की नजर अभी भी जमीन पर रखे गए पैसो पर थी, जब सारे लोग वहां से चले गए तो एक छोटा लड़का जिसकी उम्र करीब आठ नौ साल की होगी वे सूरज की और तेजी से बढ़ने लगा |

उसके कपडे फटें हुए थे, देखके तो लगता था की कई दिनों से वो नहाता भी नहीं होगा | उसके बाल बिखरे हुए थे और दाहिने हाथमें पत्थर जैसा कुछ पकड़ा हुआ था, उसने वे पत्थर पायजामा की जेब में रखे और वहा जमीन पर पड़े कुछ सिक्के और रुपये उठाके अपनी शर्ट की जेबमें रखने लगा | वे ऐसे ले रहा था की वे पैसे उसके हो |

सूरज अब उसको घूरने लगा तो वे वहा से भागने के लिए खड़ा हुआ, सूरज को लगा की वो शायद पैसे लेकर भागना चाहता था | मगर सूरजके कदम उसके छोटे कदमो से तेज थे, वो भाग नहीं पाया और सूरजने उसको पकड़ लिया | उसकी चोरी पकड़ी गई मगर उसके चहेरे पर कोई शर्मिंदगी नहीं थी और ना वो अब भागने की कोशिश भी कर रहा था |

वो खड़ा रह गया तेज नजरो से सूरज को देखकर बोला, ‘ ये मेरी जगह है और उस्तादने मुझे ये जगह दी है | उस्तादने मुझे पूछे बिना तुमको ये जगह क्यों दी ? और मेरी जगह पे आ के मेरा धंधा बिगाड़ेगा तो मैं भी मेरा हिस्सा ले लूँगा |’ उसकी आवाज ऊँची थी और डरने की जगह वो लड़ने लगा, शायद उसको यही शिखाया गया होगा |

‘तुमने मेरे पैसे क्यों चुराए ?’ सूरज उसको कसके पकड़कर बोला |

‘देख, ये पैसे मेरे भी है... क्युकी ये मेरे भीख माँगने की जगह है... हाँ आज में थोडा देरी से आया तो तुम बैठ गए...!’ और वो सूरज के सामने घूरने लगा |

सूरज उसकी बाते समझ गया तो उसने अपनी पकड़ को ढीली की और कहा , ‘ तु यहाँ पर भीख मांगता है ?’

‘हां, मगर ऐसा तानपुरा बजाके भीख माँगने से ज्यादा पैसे मिलते है ऐसा उस्तादने मुझे कभी नहीं कहा |’ वो गिटार की तरफ देखकर बोला |

‘तु कहे तो ये मैं तुझे शिखाउंगा, मगर तूने ये पैसे चोरी करके क्यों लिए ? मुझे पूछकर भी ले शकता था |’ सूरज की ये बात सुनकर वे जोर से हँसने लगा, वो जब हसता था तो प्यारा लगता था, उसकी हंसी लम्बी चली और बीचमें रुक रुक कर बोला, ‘ क्या तुम भी मजाक करते हो ? इस धंधे में नए आये लगते हो... मैं मागता और तुम दे देते....!’ वो फिर से हंसने लगा |

‘हा दे देता, तुम मांगो तो सही...!’ सूरजने उसके करीब आ के कहा |

‘क्या तुम मजाक तो नहीं कर रहे’न...?’ वो अभी भरोसा नहीं कर रहा था |

‘नहीं, बिलकुल नहीं, मगर तुम तुम्हारी ये जेबमें रखे और चोरी से लिए पैसे वापस रख दो |’ सूरजने उसकी जेब की और नजर की |

वो दो कदम पीछे हट गया और अपनी जेबपर हाथरखकर बोला, ‘ ये भी ले लेना चाहते हो ?’

‘तुम मेरा विश्वास करो..!’

सूरज की आंखोमे उसको सच्चाई दिखी तो उसने अपनी जेब से सारे पैसे सामने रख दिए | सूरज सारे पैसे लेने लगा तो वो बोला, ‘ मुझे पता था की तु धोखा करेगा...!!’

‘पर तुने अभी तक पैसे मांगे भी नहीं |’ सूरज सारे पैसे अपने हाथमें रखकर सामने आया |

उस लडकेने अपने पायजामा की जेब से पत्थर निकाले और वो उसको बजाते हुए भीख माँगने की एक्टिंग करने लगा, ‘अच्छा साब, मुझे पैसे दे दो... मैं दो दिन से भूखा हूँ...साहब...!’ माँगने का यही तरीका उसे मालूम था और वो अच्छे सूरोमें गा भी रहा था, मगर उसकी आंखोमे भरोसा नहीं था की वे पैसा वापस देगा |

सूरजने सारे पैसे उसकी छोटी सी जेबमें रख दिए और उस लडके को अपनी बाहों में लेकर उसके दोनों गाल पर मीठी पप्पी दी |

वो लड़का अब तक अपने दोनों हाथ से अपनी जेब को संभालता था उसने अपने दोनों हाथ अपने गाल पर रख दिए और बोला, ‘ साब....! मैंने तो पैसे ही मांगे थे प्यार नही.....’ और उसकी आँखों से आंसू निकल आये |

‘अरे तु रो क्यूँ रहा है ? मैंने कुछ गलत किया ?’ सूरजने कहा |

उसने तुरंत अपने आंसू पोंछे और कहा, ‘ साब, पैसे देनेवाले तो बहोत मिलते है, मगर प्यार देनेवाला हमें कोई नहीं मिलता |’

ये सुनकर सूरजकी आँखे भी भर आई और वो उससे दूर जाने लगा | तभी उस लडकेने पीछे से आवाज लगाईं, ‘ ओ तानपुरेवाले साब, कभी कभी पैसे नहीं मगर प्यार देने आया करो अच्छा लगता है...!’ और वो सूरजके पास आकर कुछ पैसे वापस देने लगा |

सूरज मना करने लगा तो वो बोला, ‘ देखो साब, कभी इतना भी अच्छा नहीं बनना चाहिए की लोग हमारे सारे पैसे और सबकुछ ले जाए | ये लो तुम्हारी कमाई, तुम भी याद रखोगे की कोई अच्छा दोस्त मिला था | मैंने मेरी आजकी कमाई रख ली है, उससे ज्यादा मुझे नहीं चाहिए |’ वो लड़का अब बड़े लोग जैसी बाते करने लगा |

‘तुम मेरे दोस्त बनोगे?’ सूरजने उसके सामने अपना हाथ आगे बढ़ाया |

‘हां, मगर पहले मुझे ये कहो की तुम इस शहरमें नए लगते हो, मेरे उस्ताद के पास तो छोटे लडके ही होते हैं, तुम जैसे बड़े लोग भी वो रखने लगा ? और सच्ची कहू ये भीख मांगना अच्छा नहीं हैं.. तुम मेरे उस्ताद के चुंगल से दूर चले जाना, वो हरामी है....!!’ वो तेजी अपना मूड बदलने में माहिर था |

सूरजने फिरसे अपनी बात दोहराइ, ‘ क्यां तुम मेरे दोस्त बनोगे?’

‘हा, मगर तुम मेरी जगह पे हररोज मत आना ईससे मेरा नुकशान को जाएगा तो मेरा उस्ताद मुझे खाने भी नहीं देगा और हाँ फिर भी तुम मेरी जगह पे आये तो जो भी पैसे जमा करोगे या खर्चा करोगे उसमे हमारी फिफ्टी फिफ्टी हिस्सेदारी.....!!’ उसने बड़ी बड़ी बातो के साथ अपना छोटा हाथ सूरज के हाथोमें रख दिया |

सूरज भी आज अकेला था तो उसकी हर शर्त कबूल की और फिर कहा, ‘तुम्हारा नाम क्या है ?’

‘उस्ताद और दोस्तों के लिए छोटू.... गुलाबजामुन के लिए गोटू.... और रास्ते पर लोग भीख देने के लिए किसी भी नाम से बुला लेते है....!’ छोटू की बाते सूरज सून रहा था और उसकी छोटी छोटी उंगलिया और हथेलियो की दरारे सूरज महसूस भी कर रहा था |

‘और तुम्हारा ?’ वो बोला |

‘सूरज’

‘नाम तो अच्छा है और सुन दोस्ती की मेरी और शर्त है की गुलाब जामुन से तुम दूर रहना... उस्ताद से अपना फिफ्टी फिफ्टीवाला बताना नही...! और दोस्ती करनी है तो नो चीटिंग...!’ सूरज को लगा की भगवान ने अब उसके लिए नए रिश्ते देना शुरू किया है |

‘देखो मुझे कोई उस्तादने नहीं भेजा है, मेरा तो एक ही उस्ताद है, उपरवाला भगवान....! मगर ये गुलाब जामुन कौन है ?’ सूरजने ऐसे ही पूछ लिया, और तभी छोटू की आँखों और होठो पे अलग सी मुश्कान छा गई |

क्रमश: .....

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