अच्छाईयां – २१ Dr Vishnu Prajapati द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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अच्छाईयां – २१

भाग – २१

‘मुझे हमारे सारे दोस्तों के नंबर चाहिए |’ सूरजने सरगम से अपने सारे दोस्त के नंबर मंगवाए और वो क्लास की ओर जाने लगा |

‘तूम उधर कहाँ जा रहे हो ?’ सरगमने सूरज को कोलेज के अन्दर जाते देख के कहा |

‘मुझे देखना है की तुम्हारे शीखाये संगीतमें कितना दम है ? प्लीझ, तुम मेरे लिए उन दोस्तों के नंबर ले आओ जो पिछले साल जीत के आये थे...’ सूरजने चलते चलते जवाब दिया |

‘तुम चले जाओ... यहाँ कोई तुम्हे पसंद नहीं करता...!!’ सरगम सूरज को रोकने के लिए बोल रही थी मगर सूरज ने अब कुछ ठान ली थी इसलिए वो रुका नहीं और क्लास के अन्दर चला गया |

‘तूम नहीं मानोगे सूरज...!’ सरगम इतना कहके सबके नंबर लेने चली गई |

सूरज क्लास में गया तो वहां सब स्टूडेंट अलग अलग ग्रुपमें हंसी मजाक कर रहे थे | सूरज के आते ही वो उनकी तरफ देखने लगे |

‘मैं सूरज, अभी अभी आपकी मेम सरगमने मुझे बताया की आप लोग मुझे पसंद नहीं करते, मगर फिर भी मैं आपके बिच आया हूँ औरआपको संगीत शीखाना चाहता हूँ.... आप में से किसीको एतराज हो तो वो क्लास से बहार निकल जाए |’ सूरजने आते ही अपना परिचय कुछ ऐसे दिया की वे सब देखते ही रहे, वो कुछ इधर उधर हुए मगर कोई बहार निकला नहीं |

‘यानी की अब आप मेरे साथ हो... तो आपके हाथोमें जो भी म्जुझिक इंस्ट्रूमेंट हो वो बजाओ, मैं देखना चाहता हूँ की आप संगीत के बारे में क्या जानते हो ?’ सूरजने सबको चेलेन्ज दी |

‘क्या सब एकसाथ बजाये या एक एक अलग अलग...?’ एक लड़कीने पूछा |

‘एकसाथ... और शानदार धून बजनी चाहीये |’ सूरजने सबको कहा |

सूरज की बात सुनकर सब अपने अपने मनपसंद ट्यून बजाने लगे | सब के हाथ में अलग अलग इंस्ट्रूमेंटस थे तो सबका अलग अलग सूर मिलके बेसुरा संगीत बजने लगा | थोदीदेर में तो वे दूसरे को खुद के सूर के साथ ताल या ट्यून मिलाने के लिए घुर्राने लगे |

सूरज ये देखके हंस पड़ा और अपने दोनों हाथ ऊपर किये और सबको रुकने को कहा और कहने लगा, ‘देखो, संगीत सुरीला होना चाहीये, आप सुबहमें पंछीओ को सुनते हो, बारीश की बुँदे सुनते हो, नदी या समंदर के किनारे बैठे हो तो उसमें कई सारे सूर मिले हुए रहते है | सुबह का एक पंछी बोले और साथमें दूसरा फिर तीसरा या कोई बिच बिचमें बोले तो भी सब हमें उनका संगीत सूरीला लगता है | बारीश की छोटी बड़ी बुँदे, सागर की छोटी बडी लहरे सब सूरमें ही चलते थे | तुम सब अपनी खुद की दुनिया छोड़कर सबकी एक दुनिया बनाओ, खुद का संगीत भूल जाओ और सबका एक सूर मिलाओ तो ही आपके संगीतमें जान आयेगी | सबसे पहले ये लडकी एक ट्यून बजाएगी और बादमे सब उसके साथ उस ट्यून के साथ जुड़ने लगेंगे |’ सूरजने एक लड़की जो गिटार लेके खडी थी उसकी और ईशारा किया |

सूरज की ये बात सबके दिलो को छू गई | उस लड़कीने धीरे से सही बीट पे सूर दिया और धीरे धीरे सब अपने अपने ट्यून उसमे मिलाने लगे | अब जो सूर बहने लगे वो नदी के चलते पानी की तरह थे मानो लगे की सब उसमे बह रहे है | बजानेवाले सब मुश्कुराते हुए एकदूसरे की और देखने लगे | जब उनकी ट्यून खतम हुइ तो सूरजने सबको अपना अंगूठा ऊपर करके खुश होने का प्रमाण दिया | और सभी स्टूडेंट्स खुशी से पागल हो गए और तालीया बजाने लगे |

आज कोलेज में सालो के बाद ऐसा सुरीला संगीत बजा था जो सूनके सरगम भी क्लास के बहार ही खडी रह गई | वो बहार से ही सूरज की आवाज सून रही थी | उसके हाथमें सबके नाम और कोंटेक्ट नंबर की लिस्ट थी और सबके उपर का नाम झिलमिल का था उसीपे ही सरगम की निगाहें रुक सी गई थी |

सूरज फिर से सबको कहने लगा, ‘आपने महसूस किया होगा की पहलीबार जब आपने संगीत बजाया तो सब खुद में खोये हुए थे | सबको लगता था की मैं ही सही हूँ इसलिए खुद के सूर नहीं बदल रहे थे और दूसरो को सूर बदलने पे मजबूर कर रहे थे, नतीजा क्या हुआ ? बेसुरा संगीत और अपनो के प्रति नफ़रत....!! फिर जब आपने दूसरी बार संगीत बजाया तो क्या हुआ दूसरे के सूर के साथ खुद को जोड़ना चाहा तो हो गया शानदार संगीत....!! जिन्दगी हो या संगीत सबका एक ही नियम है की यदी आप अच्छा जीवन या सुरीला संगीत चाहते हो तो दूसरे के सूर पर अपना सूर मिला दो... अच्छा जीवन या अच्छा संगीत अपने आप बजने लगेगा |’

सूरज की इस बात पर सबने फिर से तालिया बजाई | सरगम भी सूरज की बाते सून रही थी |

‘अच्छा अब मैं ये देखना चाहता हूँ की आप सही में संगीत जानते हो या नहीं ?’ सूरज आगे और भी चेलेंज देना चाहता था |

‘यस सर, आप जो कहो....!!’ उस लड़कीने गिटार अपने हाथमें ली और बाकी स्टूडेंट्स भी तैयार हो गए | सूरज कुछ देर सबकी और देखने लगा और बोला, ‘ अच्छा तो अपने अपने इंस्ट्रूमेंट्स साइड पे रख दो |’

सबने सूरज ने जो कहा वैसा ही किया |

‘सब ऐसा समझ लो की आप कही खो गए हो... आपके पास संगीत का कोई भी इंस्ट्रूमेंट नहीं है... और आपको सूरीला संगीत बजाना है...!’ सूरज की इस बात पे तो वे सब एकदूसरे के सामने देखने लगे |

‘इट्स इम्पोसिबल...!’ एक लडकेने कहा |

‘आप संगीत जानते हो... मुझे आपसे किसी इंस्ट्रूमेंट्स के सहारे बिना ही संगीत की उम्मीद है | सच्चा संगीत जाननेवाले को इन सबकी क्या जरुरत...?’ सूरज सब की परीक्षा ले रहा था |

अब किसी के पास कोई उत्तर नहीं था सब खड़े के खड़े रह गए तो सूरज बोला, ‘देखो फिर से हमारी प्रकृति को.... वहां कही पर भी कोई साधन नहीं है फिर भी उसमे से आपको सरगम सुनाई देगी... हवासे, गिरते हुए पत्ते से, टूटती हुई लकड़ीसे, पशु पंछी की बोली से, सब जगह संगीत बहता है.... हमारी उंगलियों से भी... या हथेलियो को टकराने से भी संगीत हो सकता है...!’ सूरजने सामने पडी एक सुखी सी लकड़ी ली और उसको सामने रखे टेबल पर और फिर पुरे कक्षने अलग अलग जगहों पर ऐसे मारने लगा तो एक ट्यून अपने आप बन गई |

फिर तो सब समझ गए थे की सूरज क्या चाहता है, सबने अपने पास जो कुछ था उसमे से एक नया संगीत पेश किया और बन गई नई धून..... अब सूरज सबके पर्फोर्मन्स से खुश हुआ | सूरजने कहा, ‘अगली संगीत प्रतियोगिता में हमारी थीम है, ‘अच्छाइयां’ और हमारी टीम कोई भी म्युझिकल इंस्ट्रूमेंट के बिना विश्व को ऐसा संगीत देगी और पूरा विश्व देखेगा की संगीत कण कण में है | जैसे भगवानने सबके अन्दर अच्छाई दी है वैसे ही दुनिया के सभी वस्तुमें संगीत है और वो हमें सबको दिखलाना है....!!’

सरगम भी अब खुद को कक्षमें आने से खुद को रोक न पाई और खुशीसे तालिया बजाने लगी | फिर उस खुशीमे सब जुड़ गए | सरगम सूरज के सामने देखके अपने होठ हिलाके बोली, ‘ थेंक्यु सूरज...!!’

‘अच्छा तो कल फिर मिलेंगे.... आप तैयार रहना...!!’ सूरज निकलने लगा तो सरगमने वो लिस्ट सूरज के हाथो में दीया |

सूरज उस लिस्ट में सबके ऊपर लिखे नाम ‘झिलमिल’ पर कुछ देर देखता रहा और बोला, ‘यहाँ चाहे सब लोग मुझे पसंद न करे मगर झिलमिल तो मुझे आज भी इतना ही प्यार करती होगी... जितना....!!’ सूरज ये बात सरगम को सुनाई दे ऐसे बोला तो सरगम की आँखोंमें साफ़ नाराजगी उभर आई | कुछदेर तक सूरज और सरगम की आँखे एक हो गई | सालो बाद सूरजने सरगम की आंखोमे उस नाराजगी के पीछे बहता हुआ प्यार देख लिया और उधर से चला गया |

सरगम और सूरज को भी पता नहीं था की दूर खड़े दादाजीने उन दोनों की इस नजरो को अच्छी तरह से पढ़ लिया था |

क्रमश: .......