अच्छाईयां – २३ Dr Vishnu Prajapati द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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अच्छाईयां – २३

शहर से दूर एक होटलमें अनवरने सभी लोगो को बुलाया था | अनवरने पुलिस का रवैया देखकर शहर से दूर इस जगह को पसंद किया था की यहाँ उसके आदमी के अलावा कोई नहीं आ शकता |

अनवर टेंशनमें भी था की शहरमें ड्रग्स की सप्लाई में बाधा बढ़ती चली जाती थी | पुलिस भी अब अपने शहर को ड्रग्स के चुंगाल से बचाना चाहते हो ऐसे सबके अड्डे बंध करवा रही थी | पुलिस की इस सख्ती के कारन दुसरे गलत धंधो पर भी असर हो रहा था | आज अनवर, बच्चू और दूसरे बदमाश लोग इस उलझन को सुलझाने मिले थे | हालाकि अनवर ये भी जानता था की आज उन सबका बोस आनेवाला था इसलिए सबको मिलवाना भी जरुरी था | शराब और शबाब से सजाई हुई इस रंगीन शाम सजाने के लिए सब उत्सुक थे मगर अनवर किसी ओर का भी इंतज़ार था

‘क्यों अनवर आज शहर के सारे बदनाम लोग एकसाथ मिले है ? कुछ ख़ास है ?’ सुलेमान शराब- शबाब की शानदार तैयारी देख कर बोला |

‘हां, ऐसा ही समजो भाईजान’ अनवरने जवाब दिया |

‘मगर जश्न कैसा है वो तो बताया नहीं...!’ उसके पास बैठे बिल्लूने कहा |

‘आज समजो सबको सरप्राईज मिलने वाली है...!! कुछ ही देर में आप सब को हमारे आका को मिलने का अवसर मिलनेवाला है..!’ अनवरने आजकी मीटिंग का राज खोला |

‘क्या बात कर रहे हो अनवर..... बोस आ रहे है क्या ? और हमें पहले से बताया क्यों नहीं.... ये तो हमारे लिए सबसे बड़ा दिन होगा |’ सुलेमान को जैसे ये सही न लगता हो ऐसे बोला |

‘ये बात किसीको बतानी नहीं है और अभी पुलिस भी कुछ ज्यादा भाव खा रही है तो ये बात लिक न हो उसका ख्याल रखना है |’ अनवरने सबको कहा |

‘हमारे बोस पे कोई पुलिस नजर डालने की भी हैसियत नहीं रखते | हमारे जरीए पुलिस को जो मिलता है वो उनकी पगार से कई गुना ज्यादा है |’ बच्चू बिचमे बोल पड़ा |

‘देखो हरवक्त पैसो का जोर नहीं चलता | कभी कभी हमें भी चोकन्ना रहना पड़ता है | वो लड़की हमारे आदमी को मार कर चली गई उसका अभी तक कोई सुराग नहीं मिल रहा और उसकी जीप में हमारी बनाई हुई अश्लील वीडियो की सीडी की कई सारी कोपी और ड्रग्स भी मिला था, जब केस पब्लिक या प्रेसमें पहुँच जाता है तो जो पुलिसवाले हमारे तलवे चाटते है वो हमारे तलवे को तोड़ने पर उतर आते है | मिडिया का तो क्या है वो तो कुछ भी कह शकता है | वो ये कह रहा है की दुबई से सबका बोस ये सारा बिझनेस हेंडल कर रहा है.... आजकल ड्रग्स, शराब या किसी गेरकानूनी धंधे पे मोरचेवाले कही पर आके सारी बाते पब्लीक के सामने रख देते है, जब बात पुलिस तक ही रहती है तो हमें कोई डर नहीं रहता | ’ अनवर कुछ सख्त हुआ था |

‘देखो, सूरज का भी कुछ पता नहीं है और हमारे बोस को वो चाहिए | वो कोलेज आया था फिर कुछ दिन कहाँ चला गया कोई नहीं जानता | पांच साल हो गए उसके इंतज़ार में....!!’ बच्चू के कुछ दूर बैठे एक खड्डूस दिखनेवाले आदमीने सूरज की बात छेड़ी तो बिचमे ही बच्चूने उसे चुप रहने का ईशारा किया |

‘वो अब कोलेजमें है....! मुझे लगता नहीं की उसको कुछ मालूम है..’ सुलेमान के साथ खड़े एक शख्सने कहा,हालाकि अनवर की नजर उसपे नहीं थी |

बच्चू फिर से उसको भी चुप रहने को बोला और कहा, ‘ देखो, आज हम बोस को मिलेंगे और और वो जितना पूछे वही बताना है |’

तभी वहां कुछ बोडिगार्ड पहले आये और उनके पीछे चमचमाती एक महंगी कार दरवाजे पे खडी रही | अनवर बराबर उसके सामने ही खड़ा रहा | एक बोडिगार्डने दरवाजा खोला तो अन्दर से एक हेंडसम आदमी बहार आया | उसकी उम्र भले ज्यादा हो मगर वो स्फूर्तिला था... आँखोंपे काले चश्मे लगाए थे इसलिए वो किसके सामने देखता है वो किसीको पता नही चलता था, उसने अनवर को जल्दी अन्दर जाने को कहा | उसकी नजर कातिल थी | उसके साथ कोई औरत थी, उसने बुरखा पहना हुआ था |

अनवरने गुलदस्ता देना चाहा मगर उन्होंने उसको रोक लिया |

‘मीटिंग के लिए चले अनवर..’ वो काम से ही मतलब रखता हो ऐसे बोला |

‘आप पहलीबार आये हो तो कुछ...!’ अनवर कुछ कहने जा रहा था मगर उसने रोक लिया |

‘पहले काम....’ वो केवल दो शब्द कहते ही जहाँ सबको मिलन था उस जगह पे जाने को अनवर को ईशारा किया |

‘ये ही दुबई का बीग बोस है ?’ सुलेमान के पास खड़े उस शख्सने बोस के बारे में पूछा |

सुलेमान इस शहरका सबसे पुराना ड्रग्स का स्मगलर था | वो धीरे से बोला, ‘ इसका नाम देवराज था, मगर आज अब उसको बीग बोस के नाम से जानते है, ड्रग्स, किडनैप, शराब, लड़कियों को बेचना और हथियारों की स्मगलिंग करना उसके खून में है, उसका बाप भी इस शहर की गलिओ का गुंडा था... !’

उसने सामने पडी एक अच्छी ब्रांड की बोतल उठाई और सीधे ही अपने मुंह लगाईं | वो ऐसे ही पीने का शोखीन हो ऐसा लगा |

‘म्युझीक...!’ वो बोला और अनवरने उस म्युझीकवाले को ईशारा किया |

वो नाच रहा था और साथ वहां आई हुई नाचनेवाली भी उसके साथ नाचने लगी | ‘क्या हुआ सूरज का ?’ नाचते नाचते ही सबसे पहले सूरज का नाम आते ही सब चोकन्ने हो गए | शायद उसको ऐसे काम करने की आदत होगी |

‘सर, वो मिल जाएगा... ! आप नाचते अच्छा हो... ?’ सामने बैठे एक आदमीने बोस को खुश करने के लिए उसकी तारीफ़ की | अनवरने उसको चुप रहने का ईशारा किया |

‘मैंने पूछा क्या हुआ सूरजका...!’ उसने गुस्सेमे दुसरीबार वही प्रश्न दोहराया | फिर से उसी आदमीने मजाक में मुड में कहा, ‘क्या बोस आज हम बड़े धंधे की बात करने आये है या सूरजकी..?’

तभी बोसने अपनी जेब से पिस्तौल निकाली और इस आदमी के सर पर गोली चला के कहाँ, ‘मुझे मजाक या बिना काम की बाते पसंद नहीं है ... मेरे साथ नाचो और काम करो... बिना काम की कोई बात नहीं...’ उसने एक बोतल ख़तम की |

कोई नहीं समझ पाया की एक सेकेण्डमें ये क्या हुआ..! वो देखते देखते फर्श पर फडफडाते हुए मर गया |

‘एक तो इतने छोटे से शहरमें एक छोटा काम भी ठीक तरह से नहीं होता और सवाल ज्यादा करते हो....!! अनवर, मैं कुछ दिन इस देशमें हूँ... मुझे इस शहर की सब खबर चाहिए...! और ड्रग्स या हर नशीली चीजे तुम जीतनी मांगो उतनी मिलेगी... आप को बस इस शहर के लोगो तक पहुचाना है |’ उसने पिस्तौल उस नाचनेवाली के कमर पे लगा दी और फिर नाचता रहा .... अब किसमे भी उसको सवाल करने की हिंमत नहीं थी और न तो कोई उसके करीब जाना चाहता था |

दूसरो के लिए जश्न मानो ख़त्म हों गया... ! वो मजे से पीता रहा और नाचता रहा | बोस का काम करने का तरीका अजीब था | बुरखेआली औरत की नजर सुलेमान के पास खड़े उस शख्स पर थी | वो बोस के करीब जाने की कोशिश कर रहा था | वो नाचते नाचते बोस के करीब गया और बोला, ‘ मैं सूरज को आपके पास ला शकता हूँ....!’ ये सुनकर बोसने अनवर को नजदीक बुलाया और कानमें कुछ कहा |

तभी वो औरत भी उसके करीब आ चुकी थी और उसके करीब जाके बोली, ‘मुस्ताक....!!!’

‘हां... सर, मैं मुस्ताक.. सूरज का दोस्त...!’ उसी वक्त बोसने उस लड़की की कमर पे रखी पिस्तौल खींची और मुस्ताक के सर पर लगा दी |

‘मुझे किसी दोस्त या दुश्मन की जरुरत नहीं, मुझे काम करनेवालो की जरुरत है...!’ बोस नशे में था |

‘बोस... ये अच्छा काम करेगा... मेरी पहचानवाला है, यकीन करो मेरा...!’ सुलेमान तभी बोस के करीब आया और बोला |

बोस को लगा की इस लडके की आंखोमे कोई खौफ नहीं था, वो काम करके दिखाएगा ऐसा लगा तो बोसने सुलेमान को कहा, ‘ ये काम इसको दे रहा हूँ... काम हुआ तो वो जो मांगेगा वो मिलेगा...!’

‘सूरज की ईतनी जरुरत क्यों है ?’ मुस्ताकने पूछा तो उस लड़कीने इतना ही कहा, ‘अपने काम से मतलब रखो..!’

‘मैं अपनी दोस्ती दांव पे लगाने जा रहा हूँ तो मेरा इतना हक्क है की जान लू की सूरज आप को क्यूँ चाहिए...?’ मुस्ताकने बेख़ौफ़ सवाल किया तो बोसने ट्रिगर दबा दिया... उसी वक्त उस लड़कीने बोस का हाथ ऊपर खिंचा तो गोली ऊपर चली गई और मुस्ताक बच गया | अभी भी वो चुपचाप खड़ा था | उस लड़कीने सुलेमान को वहां से दूर ले जाने को कहा |

उस लड़की की ऐसी हरकत से बोसने उसको सबके बीच तमाचा लगाया और उसका बुरखा निकल गया | बच्चू तभी बोल पड़ा, ‘ गुलाबो... तुम...!’

क्रमश: ...