92 गर्लफ्रेंड्स भाग १० Rajesh Maheshwari द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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92 गर्लफ्रेंड्स भाग १०

शाम का समय हो गया था मैंने अपनी स्काच की बाटल निकालकर उस लडकी से भी औपचारिकतावश सेवन के लिए पूछा। उसकी सहमति के उपरांत मैंने दो पैग बनाए और एक उसे दे दिया। उसने बडी अदा के साथ वह पैग अपने हाथ में लिया और चीयर्स कहकर आँखों में आँखें डालकर मुस्कुराते हुए पीना शुरू किया। यह मेरी चीन की पहली यात्रा थी और मैंने बीजिंग में रूकने का इंतजाम नही करवाया था। उस लडकी ने मुझे बताया कि बीजिंग इतना व्यस्त शहर है कि वहाँ अच्छी होटलों में बिना बुकिंग के रूम मिलना बहुत मुश्किल है। यह कहकर उसने तुरंत मोबाइल से बीजिंग के एक होटल में बुकिंग करवा दी और मुझे पता व होटल फोन नंबर आदि दे दिया। हम लोग की आपस में बात करते करते काफी घनिष्ठता हो गई। उससे मुझे पता चला कि चीनियों को भारतीय वीजा मिलने में बहुत कठिनाई होती है। यात्रा के दौरान बातें बातें करते करते हम लोग सेक्स के विषय में भी वार्तालाप करने लगे। मैंने उससे पूछा कि चीन की संस्कृति में आज के समय में सेक्स का क्या स्थान है ? उसने मुस्कुराते हुए कहा कि जब रूपया आता है तो धर्म और संस्कृति भुला दी जाती हैं। आज की पीढी पाश्चात्य सभ्यता की दीवानी है और नशा और सेक्स में डूबती जा रही हैं। अधिकांश युवा शादी से पहले ही सेक्स संबंध बना रहे हैं। मैंने उससे पूछा कि इस संबंध में तुम्हारी व्यक्तिगत तौर पर क्या सोच हैं ? उसने मुस्कुराते हुए कहा कि मैं इन संबंधो को बुरा नही मानती हूँ और बात करते करते हमारे तीन चार पैग समाप्त हो चुके थे, वह भी नशे में झूम रही थी। ऐसी हालत में हम दोनो एक दूसरे का चुंबन लेने लगे और हमारे बीच की दूरियाँ कब खत्म हो गयी हमें पता ही नही चला कि हम एक दूसरे के आगोश में खो गये। सुबह होने पर उस लडकी ने कहा कि तुम होटल में ना रूककर मेरे साथ मेरे घर में रहो। मैंने उसे विनम्रतापूर्वक मना कर दिया और होटल में ही रूका। उस लडकी ने मुझे बीजिंग घूमने मे काफी मदद की और मेरे साथ शंघाई भी गई। जीवन की वो पाँच रातें अविस्मरणीय है। हम दिन भर घूमते और रात में एक दूसरे के आगोश में सो जाते। वह मुझे विदा देने के लिये शंघाई एयरपोर्ट तक आई और मुझे एक तोहफा दिया जो आज भी मेरी कलाई पर घडी के रूप में बंधा हुआ है। मैंने भी उसे एक हीरे अंगूठी अंगुली में पहनाते हुए भारत आने का आमंत्रण दिया।

एक और बहुत ही मजेदार घटना चीन के शेनजिंग शहर में घटी उसके विषय में बता रहा हूँ। एक बार मैं अपने मित्र हरीश रावत के साथ उसके किसी व्यापारिक कार्य से हांगकांग गया था। हमारे पास चीन का भी वीसा था। हांगकांग से 2 घंटे की दूरी पर शेनजिंग शहर बसा हुआ है। इस शहर की दास्तान यह है कि आज से 25 साल पूर्व, यह गरीबी की मार झेल रहा था। यहाँ के निवासी अपना पेट भरने के लिए समुद्री मार्ग से तैरकर हांगकांग आते थे। आज इस शहर की हालत यह है कि यह विश्व के धनाढ्य शहरों में से एक हैं। इतनी तब्दीली वहाँ के पूर्व मेयर की सोच के कारण हुई जिन्होंने इस शहर में निवेश के लिए अंतर्राष्ट्रीय निवेशकों के लिये समस्त टैक्स समाप्त कर दिये और इसे करमुक्त क्षेत्र घोषित कर दिया। इसका परिणाम यह हुआ कि दस वर्ष के भीतर ही विश्व की बडी बडी कंपनियाँ यहाँ पर उत्पादन हेतु कारखाने लगाने लगी। इस कारण बेरोजगारी खत्म हो गयी और हांगकांग के व्यापारी अपने व्यापार के संदर्भ में शेनजिंग आने लगे। धन के साथ साथ यहाँ पर वेश्यावृत्ति की भी प्रचुरता हो गयी है। एक बार हम लोग रात में शहर घूम कर थके मांदे होटल वापिस पहुँचे। मेरे साथी हरीश ने थकान उतारने के लिए मैनेजर से पूछा कि क्या आपके यहाँ मसाज की सुविधा इस समय उपलब्ध होगी। वह बोला जी हाँ हमारे यहाँ 24 घंटे यह सुविधा उपलब्ध है। हम लोग अपने कमरे में चले गये और हमारे पीछे पीछे 5 लडकियाँ मसाज सेवा हेतु आ गयी। उन्होंने कहा कि हम लोग में आप पसंद कर लीजिए कि आपको कौन चाहिए। हम लोगों उनमें से दो को पसंद कर लिया। उन्होंने मसाज शुरू की और उन्होने इतनी अच्छी तरह से मसाज की कि हम लोग कुछ ही देर पश्चात सो गये। रात में नींद खुलने पर देखा कि वे लडकियाँ हमारे पास ही सो रही थी। मैं हडबडाकर उठा और उन्हें भी उठाया। वे सारी कहकर उठ गयी और पुनः मसाज करने लगी। मैंने उन्हें इशारे से पुनः हम लोगों के पास सो जाने के लिए कहा और वे इसके लिए सहर्ष तैयार हो गयी परंतु उन्होंने अलग से रूपयों की माँग की जिसे हम लोगों ने स्वीकार कर लिया। अब रात भर हम लोग एक दूसरे के आगोश में इस तरह सोये कि सुबह उठने पर हमारी सारी थकान दूर हो चुकी थी और हम अपने आपको एकदम तरोताजा महसूस कर रहे थें। हमे अगले ही दिन वापिस हांगकांग पहुँचना था। यदि हमे इस प्रकार की सुविधा के बारे में पहले से पता होता हम जरूर वहाँ दो तीन दिन और रूककर जीवन का आनंद लेते।

आनंद और गौरव के बीच वार्तालाप चल ही रहा था तभी पल्लवी का आनंद के पास फोन आता है कि किसी जरूरी कार्य से वह उससे मिलना चाहती है। आनंद गौरव को बताता है और पल्लवी से मिलने के लिये हास्टल चला जाता हैं। वहाँ पर वह उसका इंतजार ही कर रही थी और वह उसकी कार में बैठकर कहीं शांत जगह जाने का अनुरोध करती है। आनंद कहता है कि तुम्हें जो भी बात कहनी है यही पर बता दो। पल्लवी कहती है कि मेरे माता पिता ने मेरा रिश्ता मेरी सहमति के बाद तय कर दिया है और दो माह बाद ही हमारा विवाह होने वाला है। आनंद पूछता है कि लडका क्या करता है। वह बताती है कि वह एक बहुत धनाढय परिवार से है और अमेरिका में अपनी पढाई कर रहा है। तुम बुरा मत मानना, तुम्हारे साथ मैंने बहुत अच्छे दिन मित्रता में बिताए हैं, इसकी यादें मुझे हमेशा रहेंगी। अब तुम भी किसी अच्छी लडकी को देखकर अपना विवाह करके व्यवस्थित जिंदगी बिताना प्रारंभ कर दो। आनंद को गहरा सदमा पहुँचता है। वह मन ही मन यह सोच रहा था कि पल्लवी के साथ ही उसका रिश्ता तय हो जाये परंतु यहाँ तो पूरा मामला ही बदल गया। वह पल्ल्वी को उसके सुखद भविष्य की शुभकामना देता हुआ उसे हास्टल छोडकर चला जाता हैं। आनंद वहाँ से सीधे गौरव के पास जाता है और उसे सारी बातें बताता है। यह सुनकर गौरव सोचता है कि मुझे भी आरती से साफ साफ बात कर लेना चाहिए। गौरव आनंद से कहता है कि तुम राकेश और मानसी को इससे अवगत करा दो और स्वयं आरती से मिलने चला जाता है।

गौरव आरती को हास्टल से लेकर एक रेस्टारेंट में जाता है और उसे पल्लवी और आनंद के बीच हुई बातचीत को बताता है। आरती कहती है कि मुझे सब मालूम हैं उसने यह रिश्ता तय होने के पहले मुझसे सलाह माँगी थी। यह सुनकर गौरव को बडा आश्चर्य होता है और वह कहता है कि तुमने यह बात मुझे क्यों नही बतायी ? आरती कहती है किसी की निजी बातों को सबको नही बताना चाहिए। गौरव उसे सीधा पूछता है कि तुम्हें मालूम है कि मै तुम्हें कितना चाहता हूँ और तुमसे शादी करने की इच्छा रखता हूँ। यह सुनकर आरती मुस्कुरा कर कहती है कि मेरे एक प्रश्न का सही सही उत्तर देना। मुझे तुम्हारी बीती हुयी जिंदगी के बारे में सब कुछ मालूम है। तुम्हारे किन किन के साथ शारीरिक संबंध रहे है इसकी भी मुझे जानकारी है। यदि मेरे संबंध भी तुम्हारे ही जैसे अन्य पुरूषों के साथ रहते तो क्या तुम मुझसे विवाह करते ? यह प्रश्न सुनकर गौरव चुप रह जाता है। आरती कहती है कि तुम्हारी चुप्पी बता रही है कि तुम मुझसे विवाह नही करते। गौरव चुपचाप सिर झुकाए सुनता रहता है। अब आरती साफ साफ कह देती है कि मित्रता और विवाह, ये दो अलग अलग बातें हैं। विवाह सारे जीवन का बंधन होता है। मैं तुम्हें साफ साफ बता देती हूँ कि मेरा तुम्हारा विवाह संभव नही हैं। बेहतर यही होगा कि तुम कहीं और प्रयास करो और विवाह के लिये मुझे भूल जाओ। तुम मेरे अच्छे मित्र रहे हो और आगे भी रहोगे ऐसी मुझे आशा है। यह सुनकर गौरव स्तब्ध रह जाता हैं और आरती को वापस छोडकर अपने घर चला जाता है। आनंद राकेश को फोन पर ही सारी बाते बताता है। राकेश आनंद को सांत्वना देता है और कुछ देर बाद मानसी को फोन करता हैं। मानसी कहती है कि मुझे यह सब कुछ पहले से पता था परंतु किसी की निजी जिंदगी में दखल देना उचित नही है इसलिये मैंने कुछ नही बताया।

मुझे मालूम था कि एक दिन ऐसा होना ही था। पल्लवी के दिमाग में एक बात बैठी हुयी है कि वो एक बहुत सुंदर लडकी है एवं उसका विवाह अरबपति खानदान में हो सकता है। उसको भौतिक सुखों की बहुत चाह है। वह चाहती है कि उसका ऐसे घर में विवाह हो जहाँ पर सभी सुख सुविधाएँ मौजूद हों और वह किसी रानी के समान राज करे। यह उसकी किस्मत है कि उसे ऐसा मनचाहा घर प्राप्त हो गया है। उसका मंगेतर बहुत धनाढय है एवं अपने परिवार का इकलौता बेटा है। अमेरिका में पढाई करते हुए भी वह बहुत शानो शौकत से रहता है। इन सब बातों के कारण पल्लवी ने आनंद को छोडकर वहाँ रिश्ता करना स्वीकार कर लिया है वरना दोनो खानदानों के बीच मे आर्थिक दृष्टिकोण से जमीन आसमान का अंतर है।

आरती एक सुलझी हुयी लडकी है परंतु उसकी निकटता मेरे से कही ज्यादा पल्लवी के साथ है। वे दोनो बचपन की सहेलियाँ हैं। वह अपनी महत्वपूर्ण निर्णयों में पल्लवी की राय हमेशा लेती है। उसने भी गौरव से शादी नही करने का फैसला लेने में पल्लवी से सलाह ली होगी। इतना सुनकर राकेश चौक जाता है और मानसी से पूछता है कि क्या आरती भी गौरव से शादी नही करेगी ? मानसी कहती है कि हाँ आरती भी किसी दूसरी जगह शादी करने की इच्छा रखती है। इसी समय गौरव का भी फोन आ जाता है और वह सब बातें राकेश को बता देता है। यह सुनकर राकेश को बहुत दुख होता है और वह सांत्वना देकर बाद में मिलने के लिए कहता है। मानसी, राकेश को समझाती है कि देखो हम इस गंभीर मामले में कुछ भी नही कर सकते है। आरती और पल्लवी दोनो समझदार है और अपने जीवन का निर्णय लेने में स्वतंत्र एवं सक्षम है।

कुछ दिनों के बाद आनंद और गौरव मिलते हैं और एक दूसरे को सांत्वना देते हुए अपनी व्यथा को भूलने का प्रयास करते है। आनंद कहता है कि गौरव छोडो इन सब बातों को हम दोनो के जीवन में बहुत लडकियाँ आई और चली गयी। अब हम इन घटनाओं को वापिस स्मरण करते हुए अपनी व्यथा को कम करने का प्रयास करें। गौरव कहता है कि हाँ ठीक है। आनंद तुम अपने जीवन में घटी चुनिंदा घटनाओं को बताओ।

आनंद कहता है कि गंगा और जमुना नाम की दो लडकियाँ बी.काम करने के लिये उसके कालेज में एडमिशन लेती है। वे चेहरे से तो साधारण भी परंतु उनका शारीरिक गठन बहुत सुडौल एवं आकर्षक था। वे हमारे कालेज में सबसे सुंदर लडकियों के रूप में मशहूर थी। वे प्रतिदिन कक्षा के एक लडके को देखकर मुस्कुराते हुए उनसे मित्रता करने के बाद उसके साथ रेस्टारेंट, सिनेमा आदि घूमकर कुछ खरीददारी भी करती थी। उनका यही काम था कि लडकों को फसाना और उनसे रूपये खर्च कराना। ऐसा वे कई लडको के साथ कर चुकी थी। एक दिन उन्होंने मेरे उपर भी जाल फेंका। मैंने उन्हें रेस्टारेंट में खाना खिलाया और पिक्चर दिखाने के बाद वे खरीददारी के लिये कहने लगी तो मैंने कहा कि पहले एक दोस्त के यहाँ चलते उसके बाद उसे साथ लेकर खरीददारी के लिय जायेंगे क्योंकि उसे बाजार का काफी अनुभव है। वे इसके लिए सहर्ष तैयार हो गई इसके बाद हम लोग अपने मित्र सौरभ के यहाँ चले गये। वहाँ बात करते करते मैंने जमुना को एक जरूरी बात बताने के लिये कहकर उसे दूसरे कमरे में ले गया। मैंने उससे कहा कि जमुना मैं तुम्हें बहुत चाहता हूँ और तुम्हारे साथ शादी करना चाहता हूँ। वह बोली कि क्या ऐसा हो सकता है ? मैंने कहा कि हाँ जरूर हो सकता है यदि तुम तैयार हो तो तुम्हारे माता पिता से अपने माता पिता की बात करवा देता हूँ। मेरी गंभीरता को देखते हुए वह शादी के सपनों में खो गई। मैंने उसका हाथ पकडकर उसे खींचकर अपने पास सोफे पर बैठा लिया और उसके होंठो पर अपने होंठ रख दियें। उसने कोई एतराज नही किया और खुद ही मेरे और नजदीक आ गई। यह देखकर मेरी हिम्मत बढ गई। मैं उसे खींचकर बिस्तर पर ले आया और हम दोनो एक दूसरे का प्यार करने लगे। प्यार करते करते स्वप्निल भविष्य की कामनाओं में खो गये। गंगा वहाँ बैठी हुयी बार बार सौरभ से पूछ रही थी कि ऐसी क्या बात है जो जमुना को इतना समय लग रहा है। सौरभ होशियार था उसने बातों बातों में गंगा को उलझाए रखा और उसपर धीरे धीरे डोरे भी डालने लगा। कुछ समय बाद हम लोग भी कमरे से बाहर आ गये। गंगा ने पूछा कि ऐसी क्या बात थी जिसको समझने में तुम्हे एक घंटा लग गया। जमुना ने तपाक से उत्तर दिया कि यह हम लोगों की निजी बातें है जिन्हे बताना मैं उचित नही समझती। इसके बाद हम लोगों की मुलाकाते होती रहीं व जीवन के इस आनंद का स्वाद हम लोग लेते रहे। कुछ समय पश्चात परीक्षाओ के कारण हमारा मिलना लगभग बंद हो गया था और बाद में पता चला कि उसका रिश्ता कही और पक्का हो गया है।

आनंद ने ताशकंद की घटना के बारे में बताया। वहाँ पर मैं अपने उद्योग से संबंधित कार्य हेतु पिछले माह ही गया था। मैं दिन भर कार्य करने के उपरांत शाम को एक बगीचे में बैठकर विश्राम कर रहा था। वहाँ पर मैंने देखा कि सभी उम्र के लोग अपनी एक एक महिला मित्र के साथ बैठकर गपशप मार रहे थे। मेरे लिए वह अंजाना शहर था परंतु मन में अभिलाषा जाग्रत हो गयी थी कि काश मेरी भी यहाँ कोई महिला मित्र होती तो मैं अपने आप को अकेला महसूस नही कर रहा होता। मैंने वापिस होटल पहुँचने पर एक भारतीय मूल के अस्सिटेंट मैनेजर के पद पर कार्यरत अधिकारी से अपनी मन की बात कही। वह तुरंत बोला कि यह कौन सी बडी बात है। मै आपको होटल की टैक्सी में एक नाइट क्लब में भिजवा देता हूँ वहाँ पर आपको काफी लडकियाँ मिलेंगी जो कि दूसरों से मित्रता में रूचि रखती है। आप चुपचाप अपनी टेबल पर बैठ जाइयेगा जिन लडकियों को भी आपसे मित्रता की रूचि होगी वे स्वयं आपके पास आकर बात करेंगी। इसके लिए आपको उन्हें रूपया देना होगा जो लगभग 100 अमेरिकी डालर होगा।

मैं वहाँ जब गया तो एक से एक सुंदर लडकियों ने आकर मुझसे बातचीत की उनमें से एक मुझे बहुत पसंद आयी। मैंने उसे 100 डालर का भुगतान कर दिया। उसके बाद हम लोग एक डेढ़ घंटे डिस्कोथेक में व्हिस्की पीते रहे और डांस का आनंद लेते रहे। रात के 12 बज चुके थे मुझे वापिस अपनी होटल जाना था। मैंने उसे यह बताकर उससे विदा लेने का अनुरोध किया। वह यह सुनकर बोली कि ऐसा कैसे हो सकता है आप तो पूरी रातभर मेरे मेहमान है उसने डिस्कोथेक के बाहर लाकर अपनी कार में अपने पास सामने बैठाया और वह कार चलाती हुयी लगभग आधे घंटे बाद एक अपार्टमेंट में आकर रूकी। उसने मुझे बताया कि यहाँ उसका घर है। हम उसके घर पर पहुँच गये। वहाँ हम लोगों ने एक एक पैग व्हिस्की और पी और उसने टी.वी पर सेक्स की फिल्म लगा दी और मुझे खीचते हुये बिस्तर पर ले गयी। हम दोनो ने रात भर जवानी का भरपूर आनंद लिया। सुबह उसने कहा कि नाश्ता करके जाइयेगा एवं आप जितने दिन भी ताशकंद में हैं शाम को अपना काम निपटाकर मुझे फोन कर दीजियेगा मैं आपको लेने आ जाऊँगी। जब मैंने उससे इस सेवा के भुगतान के लिय पूछा तो उसने विनम्रतापूर्वक कहा कि आप इसका भुगतान तो पहले ही 100 डालर के रूप में कर चुके हैं जिसमें आप तीन रातें मेरे साथ बिता सकते है। शाम को अपने कार्य निपटाकर मैंने उसे 6 बजे फोन किया और वह अपने वादे के मुताबिक मुझे लेने आ गई। इस प्रकार तीन रातें उसके साथ मैंने बितायी और वह हसीन पल आज भी याद है। मैंने वापिस आते समय उसे एक सोने की अंगूठी उपहार के रूप में दी जिसे देखकर उसकी आँखों में मेरे लिये असीम प्रेम उमड आया और वह मुझे एयर पोर्ट तक छोडने आयी।

आनंद कहता है कि एक बार मैं अपने व्यापारिक कार्य से बाली (इंडोनेशिया) गया हुआ था। बाली उस देश का एकमात्र हिंदू आबादी वाला क्षेत्र है। यहाँ पर बहुत से प्राचीन हिंदू मंदिर स्थित है जिनका इतिहास काफी प्राचीन है। मैं दोपहर को भोजन करने के लिए एक रेस्टारेंट में गया था जहाँ एक सुंदर सी महिला मैनेजर थी। मैंने उससे पूछा कि यहाँ पर खरीदने के लिये सबसे बढिया वस्तु कौन सी है ? उसने कहा कि यहाँ पर कपडा काफी सस्ता और अच्छी गुणवत्ता का है। आपको पास ही के मार्केट में कपडे की काफी दुकाने मिल जायेंगी। उसने मुझसे पूछा कि आप कौन है एवं कहाँ से आये है ? मैंने कहा कि मेरा नाम आनंद हैं एवं मै भारत से हूँ और व्यापारिक सिलसिले में यहाँ आया हूँ। भारत का नाम सुनते ही उसका चेहरा प्रसन्नता से भर गया और उसने मुझसे पूछा कि क्या आपके पास गंगाजल है ? मेरे हाँ कहते ही वह काफी प्रसन्न हो गयी और मुझसे बोली की क्या आप मुझे थोडा सा गंगाजल देंगे। मैने उसका नाम पूछा तो उसने अपना नाम रत्ना बताया। मैंने उसे कहा कि गंगाजल तो होटल में रखा हुआ है आपको मेरे साथ वहाँ चलना होगा। वह इसके तुरंत तैयार हो गई और कहा कि क्या आप मेरे साथ स्कूटर पर बैठना पसंद करेगें। मैंने उसे हाँ कह दिया। थोडी देर पश्चात हम लोग होटल पहुँच चुके थे। मैंने गंगाजल निकालकर उसे दे दिया, वह खुशी से झूम उठी और कहा कि आज मेरे परिवार की वर्षों की इच्छा पूरी हो जायेगी। मैंने उसे कुछ रूकने और चाय पीने का अनुरोध किया। मेरे अनुरोध पर वह रूक गयी। बातचीत के दौरान उसने मुझसे पूछा कि आपने यहाँ और क्या क्या घूमा है ? मैंने कहा कि मैं आज ही आया हूँ और अकेला हूँ इसलिये कही नही गया। वह तुरंत बोली कि आप मेरे साथ मेरे स्कूटर पर घूमना पसंद करेंगें। यह सुनकर मैं मन ही मन प्रसन्न हो गया और कहा कि ठीक है शाम तक मेरे सारे कार्य पूर्ण हो जायेंगे और उसके बाद आप मुझे जहाँ घुमाना चाहे मैं चल सकता हूँ। शाम को ठीक 6 बजे रत्ना मुझे लेने पहुँच गयी। मैं दो तीन दिन रत्ना के साथ घूमता रहा और हमारी एक साधारण सी मुलाकात अभिन्न मित्रता में परिवर्तित हो गयी। मेरे मन में उसके प्रति प्रेम की भावना जाग्रत हो चुकी थी व मेरे और उसके विचार आपस में काफी मिलते थे। जिस दिन मुझे वापिस लौटना था उस दिन मेरे मन में आया कि इसे अपने मन में प्रस्फुटित प्रेम की भावना से अवगत करा दूँ परंतु ना जाने क्यो उसका मेरे प्रति श्रद्धा एवं विश्वास देखकर यह विचार मन में ही रह गया और वहाँ से ना जाने की इच्छा होते हुये भी मैं वापिस अपने देश रवाना हो गया। आज भी कभी कभी हमारी फोन पर बातचीत हो जाती है।