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92 गर्लफ्रेंड्स भाग ३

राकेश हस्त रेखा का विशेषज्ञ है और वह हाथों की रेखाएँ देखकर सब कुछ बता देता है। आनंद ने ऐसा ही किया। अवंतिका ने आनंद से उसे अपने घर आने का अनुरोध किया। यह जानकारी प्राप्त होने पर मैं दो दिन तक ज्योतिष के संबंध में किताबों को पढ़कर तीसरे दिन आनंद के साथ उससे मुलाकात करने उसके घर पहुँच गया। उसने आदरपूर्वक हम लोगो को बैठाकर अंग्रेजी में बातें करना प्रारभ कर दिया। मैंने भी अंगेजी में ही उसे जवाब दे दिया। इससे वह समझ गयी कि वह किसी योग्य व्यक्ति से मिल रही है।

अब उसने अपना हाथ आगे बढ़ाया मैंने उसका बांया हाथ अपने हाथ में लेकर रेखाओं को देखने का अभिनय चालू कर दिया। मैंने उसे दस बातें बताइ और मैं चुपचाप उसके चेहरे को भी भांप रहा था । यह महज इत्तेफाक था कि मेरे द्वारा बतायी गयी बातें सही निशाने पर लगी और अवंतिका ने मुझे बहुत अच्छा हस्तविशेषज्ञ मान लिया उसने आनंद को मुझ जैसे व्यक्तित्व से मिलाने के लिए बहुत आभार व्यक्त किया। उसकी एक बहन अनुराधा भी अपना हाथ दिखाने के लिए मेरे पीछे पड़ गई। मैंने उससे विनम्रतापर्वक कहा कि मुझे भविष्य जानने के लिए शक्तियों का आवाहन करना पड़ता है और मैं एक बार में एक का ही हाथ देख सकता हूँ। मेरी बातों एवं भाव भंगिमाओं से वे सभी बहुत प्रभावित हो गये। और अब धीरे धीरे मेरा उनके यहाँ आना जाना शुरू हो गया। अवंतिका आधुनिक व खुले विचारो की लडकी थी और वह प्रायः प्रतिदिन शाम के समय मेरे साथ लोंग ड्राइव या रेस्टारेंट जैसी जगह जाने लगी। हम बहुत अच्छे मित्र बन गये और आनंद भी मुझे मान गया कि तुमने कमाल कर दिया।

एक दिन में उसे लेकर एक रेस्टारेंट के बाहर रात्रि के समय बैठकर बातचीत कर रहा था उसका एक पुराना मित्र यह जानकर कि आजकल उसकी मेरे साथ बहुत घनिष्ठ मित्रता चल रही है हमारा पीछा करते हुए वहाँ तक आया बाद में उसने अपने कुछ साथियों को बुलाकर ईर्श्यावश हम लोगों के साथ मारपीट की योजना बनाई। उसने जिन लोगों को बुलाया था उनमें से एक ने मुझे देखकर उससे कहा कि यह तो राकेश है और हमारा भी अच्छा मित्र है और हम लोग इसके साथ ऐसा व्यवहार नही कर सकते। तुम पहले ही बता देते कि तुम किसके लिए हमें बुला रहे हो तो हम तभी आने से इंकार कर देते। उसने उनको कहा कि तुम मेरे पुराने मित्र हो राकेश से पहचान तो तुम्हारी कुछ महीने पहिले ही हुई है। क्या तुम मेरी मित्रता के खातिर कुछ भी नही कर सकते? उन्होंने उसको उल्टा डाँटकर कहा कि तुम्हारे मन में ऐसी योजना का आना अच्छी बात नही है। हम लोग ऐसे काम में सहयोग नही करेंगें। इतना कहकर सभी वापिस चले गये। अवंतिका ने मुझसे पूछा की इतने लोग क्यों आये थे और तुम्हे देखकर क्यों चले गये। मैंने नही मालूम कहकर टाल दिया।

इसी समय वेटर मेरे लिए व्हिस्की एवं अवंतिका के लिए नींबु पानी बनाकर लाता है। मैंने चीयर्स कहकर व्हिस्की का पहला घुँट ही पिया था कि वह भडक उठी और पूछने लगी कि तुम व्हिस्की क्यों पी रहे हो यह बहुत खराब चीज है और परिवार को बरबाद कर देती है तुम इसे फेंक दो मैं यह बरदाश्त नही कर सकती हूँ। मैंने उसकी बात ना मानते हुए दूसरा घूंट पिया तभी उसने मेरे हाथ से गिलास छीनकर बाहर फेंक दिया। मैं मन में बहुत आक्रोशित हो गया कि इसकी इतनी हिम्मत ! मैनें उसे घूरकर देखा तो उसने भी आक्रोशित होकर कहा कि मेरे से मित्रता रखनी है तो तुम्हें अपनी आदत बदलनी पड़ेगी या मुझसे मित्रता समाप्त कर दो। वह मेरी इतनी हितैषी थी कि मैं जब इंदौर में था तभी देश की प्रधानमंत्री की हत्या कर दी गयी थी और सभी जगह आक्रोश फैल रहा था। उसने मुझे होटल में फोन करके हिदायत दी कि तुम होटल के बाहर मत जाना। एक दिन उसने बातों बातों में मुझे बताया कि उसका रिश्ता तय हो गया है और वह शीघ्र ही विवाह करने वाली है। यह सुनकर मेरे दिल को बहुत झटका लगा क्योंकि मैं भी उसे चाहने लगा था जब मैंने यह बात बहुत हिम्मत करके उसे बताई तो उसने कहा कि तुम मेरे हमेशा से अच्छे दोस्त थे और रहोगे जरूरी नही कि हर संबंध की परिणिति विवाह में ही बदले। इसके बाद भी हमारी मित्रता आज भी बरकरार है। इस प्रकार बातें करते करते मानसी का हास्टल आ जाता है। राकेश मानसी को हाॅस्टल में छोड़ता हुआ अपने घर को निकल जाता है।

एक दिन राकेश ने सभी को बताया कि वह अपनी पेंटिंग्स की प्रदर्शनी हेतु मुंबई जा रहा है। यह सुनकर गौरव, आनंद और मानसी कहते हैं कि हम भी तुम्हारे साथ चलना चाहते है। राकेश ने कहा कि यह तो बहुत खुशी की बात है और वे चारों मुंबई के लिए रवाना हो जाते है। मुम्बई पहुँचकर राकेश, गौरव और आनंद होटल में रूक जाते हैं एवं मानसी अपनी मौसी के यहाँ चली जाती है।

रात्रि में तीनों दोस्त होटल के कमरे की खिड़की से मुंबई शहर की जगमग जिंदगी को देखते हुए मदिरापान कर रहे थे। रात के दस बज चुके थे। हम तीनो नशे के सुरूर में थे और आपस में बात कर रहे थे कि चलो रात में मुंबई घूमने चलते है। वे तीनों घूमते हुए एक डिस्कोथेक में पहुँचते हैं वहाँ पर पता चलता है कि जब तक महिला साथ में ना हो अंदर प्रवेश वर्जित है। वे आसपास देखते है तो तीन लडकियाँ खडी नजर आती हैं और वे उनसे निवेदन करते है कि क्या आप हमारे साथ डिस्कोथेक में चलेंगी ? वे कहती हैं कि ये तो हमारा रोज का काम है जो अकेले आते है उनको प्रवेश दिलाने का काम हम करते है परंतु इसके लिए आपको एक हजार रू. हमारा चार्ज देना होगा। वे तीनों लडकियों को उनका मुँह माँगा रूपया देकर उस डिस्कोथेक में अंदर जाकर वहाँ की चकाचैंध में अपने आप को मानो भूल जाते है।

वे लडकियाँ इनसे पूछती हैं कि आपको हमारा साथ रात भर चाहिए क्या ? वे तीनो हाँ कह देते हैं और तीन तीन हजार रूपये उनको और देने पडते है। उन तीनो के नाम वे पूछते है तो उनमें से एक कहती है कि मेरा नाम दिव्या है, ये श्वेता हैं और ये काव्या है। रात भी आपकी है हम भी आपके हैं जो नाम आपको अच्छे लगते है दे दीजिए। एक दो घंटे के बाद वे लडकियाँ इनको लेकर उपर की मंजिल पर ले जाती हैं। वहाँ पर हम तीनों के लिए एक कमरा दिलवा देती है और तीनों पारदर्शी कपडे पहन कर टी.वी. पर अश्लील फिल्म शुरू कर अत्यंत कामुकता के साथ नृत्य शुरू कर देती हैं। वे सभी ऐसे कामुकता पूर्ण वातावरण में एक दूसरे के साथ जीवन का आनंद लेने लगते है।

एक दो घंटे के बाद लडकियाँ पूछती हैं कि क्या मुंबई रात में नही देखना चाहेंगे ? आनंद कहता है कि हम लोग चलने तैयार हैं परंतु कोई ऐसी जगह लेकर चलो जहाँ कुछ नयापन हो। वे कहती हैं कि चलिए आप को कांग्रेस हाऊस ले चलते है। गौरव कहता है कि बेवकूफों हमें क्या वहाँ भाषण देना है। वे कहती हैं कि आपको कुछ नही देना है सिर्फ देखकर मजा लीजिए। सभी टेक्सी में बैठकर कांग्रेस हाऊस पहुँचते हैं वहाँ सोच के विपरीत राजनैतिक गतिविधियों का दूर दूर तक कोई संबंध नही था। वह तवायफों का अड्डा था। वहाँ दिखने में बहुत सुंदर, बातचीत में अदब वाली सैकड़ो तवायफों के कोठे थे। वहाँ पर ये लडकियाँ हमें एक शानदार कोठे पर ले गई। जहाँ हम डेढ़ दो घंटे तक मुजरा देखते रहे फिर हम लोग वापिस होटल आ गये तब तक सुबह का 4 बज चुका था। उन लडकियों ने एक बार पुनः हम सभी को बिस्तर पर पूर्ण संतुष्टि देते हुए विदा लेकर वापिस चली गई। हम लोग वापिस अपने होटल आ गये। इस प्रकार मुंबई की रात की जिंदगी का नशा हम लोगों के दिमाग में चढ़ चुका था।

राकेश की प्रदर्शनी बहुत सफल रही। चित्रकारों एवं प्रशंसकों ने बहुत तारीफ की और उसकी कुछ पेंटिंग्स की बिक्री भी होने से उसने प्रसन्न होकर सभी को होटल ताज में रात्रिभोज कराया और उसके उपरांत मानसी को उसकी मौसी के घर छोडकर हम लोग आपस में बातचीत करने लगे कि आज फिर मौज मस्ती की जाए। गौरव बोला कि इतने रूपये व्यर्थ नष्ट करने में क्या फायदा है। राकेश कहता है कि भगवान ने जवानी एक ही बार दी है धन की हमारे पास कोई कमी नही है यह खर्च करके आज की दुनिया देखने का मौका तो प्राप्त होता है तब क्यों ना उसका लुत्फ उठाया जाए।

हम तीनों लोग कोलाबा में घूम रहे थे, एक व्यक्ति ने आकर पूछा आपको कुछ चाहिए क्या ? हम लोगों ने कहा कि एक नही तीन चाहिए परंतु बहुत अच्छी होनी चाहिए। वह बोला मेरे साथ चलिए आपको मिलवा देता हूँ। हम उसके साथ एक फ्लेट में गये वहाँ पर पाँच छः खूबसूरत लडकियाँ बैठी हुई थी हमने उनमें से तीन को पसंद करके कहा कि हमको मुंबई में कुछ ऐसा दिखाओ कि जिसकी कल्पना भी हमने नही की हो। वे बोली रूपया खर्च करोगे ? राकेश ने कहा कितना ? उसने कहा कि पचास से सत्तर हजार। मुंबई के पास एक द्वीप है जहाँ असीमित आनंद मिलेगा परंतु रात के समय वहाँ टैक्सी से ही जाना पडेगा और वहाँ पहुँचने में करीब दो घंटे लग जायेंगे। गौरव की घिग्गी बंद हो गई परंतु उसे मजबूरी में हम लोगों के साथ जाना पड़ा। हम लोग एक टैक्सी में बैठकर रवाना हो गये। लगभग दो घंटे बाद हम लोग काजल, रूपाली और जूही नाम की लडकियों के साथ एक टापू पर पहुँच गये। वहाँ पर वे हमें एक रेस्टारेंट में ले गई। जहाँ हम लोगों ने देखा कि काफी जोडे अर्धनग्न अवस्था में डांस फ्लोर पर मदमस्त होकर नाच रहे थे। हम लोग ऐसा देखकर हतप्रभ हो गये। गौरव को लेकर काजल यह कहकर कि हम दोनो घूमकर आते है चली जाती है। आनंद, जुही के साथ चला जाता है और राकेश रूपाली के साथ उसके कहने पर थोडी दूर जाकर एक झोपडीनुमा जगह में प्रवेश करता है। उपर चांद की रोशनी दायीं तरफ समुद्र, बांयी ओर बडे बडें वृक्ष मन को गदगद कर रहे थे। उस झोपड़ी में पलंग बिछे हुए थे और आप अपने पार्टनर के साथ सबकुछ कर सकते थे। राकेश अब रूपाली के साथ मजा लेने लगा। जूही आनंद को लेकर पास के ही एक दूसरे क्लब में चली जाती है। गौरव को काजल पास ही में समुद्र के किनारे पर ले जाती है और दोनो जवानी का आनंद लेने लगते हैं। लगभग तीन चार घंटे बाद प्रातः काल सभी लोग वापिस हो जाते हैं। रास्ते में तीनों लडकियाँ पूछती है कि आपको आनंद मिला कि नही ? वे कहते हैं जिसकी हम कल्पना भी नही कर सकते थे तुमने आज वो दिखाया है और सभी वापस मुंबई लौट आते है।

अब तीनो दिन भर प्रदर्शनी में अपना समय देते है। उस दिन काफी महत्वपूर्ण लोग आकर राकेश की कला की सराहना करते हुए उसकी पेंटिग्स खरीदते हैं। राकेश आनंद और गौरव को कहता है कि यहाँ पर पेंटिंग्स की इतनी बिक्री होगी इसका मुझे अनुमान भी ना था, यहाँ के लोग कला प्रेमी है। रात में वे सभी वापिस अपने होटल आते हैं। आनंद कहता है आज रात मुंबई में फिर नया जलवा देखने चला जाए। उसकी बात सुनकर गौरव कहता है कि ये जो कुछ भी हम देख रहे हैं यह अच्छा नही है। यह हमारे मन को प्रदूषित करके हमें बुरी आदतों का गुलाम बना देगा। यह कहते हुए कि यह हमारी सभ्यता, संस्कृति एवं संस्कारों के विपरीत है वह आनंद और राकेश से कहता है कि इस प्रकार धन का अपव्यय मत करो। यदि फिर भी तुम लोगों को जाना हो तो जाओ मैं तो होटल में ही रूकूंगा।

आनंद और राकेश उसको यह कहकर कि सिर्फ बाहर घूमकर आते हैं उसे अपने साथ ले लेते है। वहाँ पर एक टैक्सी वाला बताता है कि जिंदगी का लुत्फ उठाना है तो मड आडलैंड जाइये। ये लोग पूछते हैं कि वहाँ पहुँचने में कितना समय लगेगा। टैक्सी वाला बताता है कि दो से ढाई घंटे लग जायेंगे परंतु वहाँ पर जो आनंद है उसकी आप कल्पना भी नही कर सकते। आनंद और राकेश टैक्सीवाले से मडआईलेंड जाने के लिए कह देते हैं और गौरव के विरोध करने पर उसे यह कहकर संतुष्ट कर देते हैं कि तुम वहाँ रूम में आराम करते रहना तुम्हें कोई भी डिस्टर्ब नही करेगा। आपस में बाते करते हुए रात के 11 बजे मडआइलैंड पहुँचते हैं।

वहाँ पर एक जगह टैक्सी वाला ले जाता है जहाँ पर प्रवेश शुल्क देने के बाद अंदर जाकर तीनों ने देखा कि वहाँ पर रेत से भरा हुआ टीला था जो कि पूर्णतया वातानुकुलित था उसमें लोग अपनी गर्लफ्रेंड के साथ मौज मस्ती कर रहे थे। वहाँ पर दो सुंदर लडकियाँ दिखी। राकेश ने उनसे बात की और उन्हें अपने साथ शराब पीने के लिए आमंत्रित किया। इसके बाद हम लोग वहाँ रूम लेकर मौज मस्ती के मूड में आ गये। गौरव यह सब देखकर बिचक गया और कहने लगा कि मैंने पहले ही तुम लोगों को कह दिया था कि मुझे अब इन सब बातों में कोई रूचि नही है। राकेश ने कहा कि तुम रूपये मत खर्च करना, यह सुनकर गौरव प्रसन्न हो जाता है। हम लोग एक लडकी नाजनीन को उसके साथ कमरे में भेज देते है और दूसरी लडकी सलमा हम लागों के साथ रूम के बाहर बरामदे में शराब पी रही थी तभी गौरव के कमरे से जोर की आवाज आयी, हम लोग घबरा गये और दरवाजे को खटखटाया तो अंदर से कोई जबाव नही मिला तभी हाउस कीपर भागा भागा आया कि साहब क्या हो गया है ? हमने उससे कहा कि दरवाजा नही खुल रहा है और कोई जबाव भी नही दे रहा है इस दरवाजे को दूसरी चाबी से खोलो। उसने तुरंत दूसरी चाबी लाकर दरवाजा खोल दिया। हम लोग मन में किसी अनहोनी घटना की कल्पना से परेशान हो रहे थे। जब दरवाजा खोला गया तो हम लोग अंदर का दृश्य देखकर हंस हंस कर पागल हो गये। पलंग टूटा हुआ पड़ा था और ये दोनो उसके बावजूद भी टूटे पलंग पर अपने प्रेमालाप में खोये हुये थे। गौरव इस घटना से हडबडाकर उठा। राकेश ने नाजनीन से पूछा कि पलंग कैसे टूटा तो उसने हंसते हुए कहा कि ये मेरे साथ एकदम से जोर से बैठ गये तो पलंग टूट गया। हाउस कीपर ने मैनेजर को यह बात बताई और अंततः गौरव को बीस हजार रू. हर्जाने के तौर पर देना पडा। हम लोगों का भी मन खिन्न हो चुका था। दोनो लडकियों को धन्यवाद देते हुए उनका भुगतान देकर वापिस मुंबई रवाना हो गये।

रास्ते में गौरव कहता है कि मैं तुम्हें बार बार समझा रहा हूँ ऐसे गलत कामों में धन का अपव्यय मत करो। इससे लक्ष्मी जी का अपमान होता है। आज खर्च करना आसान है किंतु कमाना कितना कठिन होता है यह हम सब जानते हैं कि हमारे पास धन की कमी नही है किंतु यदि ये आदत में शुमार हो गया तो एक ना एक दिन बहुत बड़ा संकट आ सकता है। यदि हमारे परिवार में इसकी भनक लग गई तो इसका क्या परिणाम होगा। वह राकेश से कहता है कि तुम मानसी को प्यार करते हो मैं आरती को चाहता हूँ और आनंद पल्लवी को चाहता हैं। यदि उन लोगों को यह बात पता हो गई तो क्या वह जिंदगी में कभी हमारे साथ आयेंगी ? वे हमसे मिलना भी पसंद नही करेंगी। इसी प्रकार आपस में वार्तालाप करते करते मुंबई आ जाता है। वे टैक्सी से उतरकर बिल चुकातें हैं तभी राकेश कहता है कि आज पता नही सुबह किसका मुँह देखा था कि रात बरबाद हो गई।

टैक्सी वाला धीरे से पूछता है आप कहिए तो आप को शिप में पहुँचा दूं। आनंद पूछता है कि यह क्या बला है और वहाँ पर क्या होता है। यहाँ पर प्राइवेट क्लब है वे महिने में एक दिन अपनी पार्टियाँ जहाज में रखते हैं जो यहां से काफी दूर ले जाते है वहां जहाज रातभर खडा रहता है। आप अपने ढंग से अपने शौक पूरे कर सकते है। आनंद ने राकेश की ओर देखा और बोला चलो यार आज ये भी मजा देख ले। गौरव यह सुनकर कहता है कि तुमको जहां जाना हो जाओ मैं तो होटल में जाकर सो रहा हूं। राकेश और आनंद आगे रवाना हो जाते हैं। टैक्सीवाला कहीं पर फोन करता है और थोडी देर बाद जवाब आता है कि इनके साथ दो मेंबर शिप वाले भी होना चाहिए। टैक्सीवाला इनसे पूछता है कि क्या इस प्रकार के क्लब की किसी मेंबरशिप वाले व्यक्ति से पहचान है। उनके ना कहने पर वो कहता है कि मै दो लडकियों को जानता हूं जो इसकी मेंबर हैं। आप कहें तो मै उनसे संपर्क करूं परंतु आप को रूपये देने पड़ेंगें। हमारे हाँ कहने पर वह हमको एक फ्लैट में ले गया। वहाँ की सुंदरता और सजावट देखकर हम लोग समझ गये कि यह बहुत संपन्न व्यक्ति का फ्लैट है, तभी दो महिलाएँ परख और पायल नाम की आयीं और उन्होंने हमारा आइडेंटिटी कार्ड देखा, टैक्सी वाले ने हमारी होटल का नाम उन्हें बताया तब तक उनमें से एक व्हिस्की का पैग बनाकर ले आई और दूसरी ने तब तक होटल में फोन करके पूरी जानकारी प्राप्त कर ली। अब वे जाने के लिए तैयार हो गई थी। हम लोगों को टैक्सी वाले ने एक जगह छोड दिया जहाँ पर हम एक स्टीमर में बैठकर कुछ दूर चले होंगे फिर एक दूसरे याच में शिफ्ट कर दिया उसमें बैठकर हम लोग जहाज तक पहुंच गये। वहाँ का नजारा ही जबरदस्त था। सभी सुविधायें भीतर उपलब्ध थी। हम लोग उन लडकियों के साथ डांस फ्लोर पर डांस करने लगे। हम लोग काफी थके हुये थे परंतु फिर से कुछ नया देखने की चाह में आ गये थे। जहाज के भीतर तरह तरह के क्लब बने हुये थे। हम लोग यह सब देख रहे थे तभी वहाँ हडकंप मच गया कि पुलिस ने छापा मार दिया है। वहाँ 5 मिनिट के अंदर नजारा ही बदल गया। इसके बाद पुलिस ने सभी के परिचय पत्र चेक करना शुरू किया। हमारे पास जेब में रिटर्न टिकट भी थी। परख ने हमसे पूछा कि आपके वापिस जाने की टिकिट आपके पास है क्या। मैंने उसे टिकिट दिखाई तो वह खुश हो गई और हम लोगों को चेंकिंग स्टाफ के पास ले गई और बताया कि ये मेरे मंगेतर हैं एवं ये बाहर से आये हैं और ये इनकी वापिसी की टिकिट है और ये हमसबका परिचय पत्र है। आपको और कुछ जानकारी चाहिए हो तो बतायें अन्यथा हमें जाने दें। पुलिस वाले ने सब देखकर वहाँ से जाने की अनुमति दे दी। कुछ समय पश्चात याच व स्टीमर के सफर के बाद हम वापिस पहुँच गये। उन लडकियों ने हमारे रूपये लौटा दिये और कहा कि शिप के टिकिट के जो रूपये है वे भी आपको कल दोपहर तक होटल के काउंटर पर वापिस मिल जायेंगे। पुलिस के छापे के दौरान घबराहट के कारण हमारी सिटटी पिटटी गुम हो गई थी। हम उन लडकियों की ईमानदारी देख कर दंग रह गये।

दूसरे दिन सुबह जब गौरव को इन बातों का पता हुआ तो वह बोला कि मैं सोच ही रहा था कि कोई ना कोई मुसीबत खडी होगी और देखो यह हो भी गई थी। वह तो ईश्वर की कृपा है कि तुम लोग सकुशल लौट आये। अब उन्हें मुंबई से वापिस जाने के लिए सिर्फ तीन दिन ही बाकी थे। तीनों ने अब इस प्रकार की रात बिताने से तौबा कर ली। उन्होंने दिन भर प्रदर्शनी में समय दिया और संभ्रांत लोगों से मिलकर समय व्यतीत करते रहे। रात में तीनों वापस अपनी होटल आकर विश्राम करते करते आपस में वार्तालाप करने लगे।

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