92 गर्लफ्रेंड्स भाग ९ Rajesh Maheshwari द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
  • अनोखा विवाह - 10

    सुहानी - हम अभी आते हैं,,,,,,,, सुहानी को वाशरुम में आधा घंट...

  • मंजिले - भाग 13

     -------------- एक कहानी " मंज़िले " पुस्तक की सब से श्रेष्ठ...

  • I Hate Love - 6

    फ्लैशबैक अंतअपनी सोच से बाहर आती हुई जानवी,,, अपने चेहरे पर...

  • मोमल : डायरी की गहराई - 47

    पिछले भाग में हम ने देखा कि फीलिक्स को एक औरत बार बार दिखती...

  • इश्क दा मारा - 38

    रानी का सवाल सुन कर राधा गुस्से से रानी की तरफ देखने लगती है...

श्रेणी
शेयर करे

92 गर्लफ्रेंड्स भाग ९

अब राकेश ऐसा कोई भी मौका नही छोडता है कि जब मानसी को लगे कि वह अकेली है और कोई उसके साथ नही है। धीरे धीरे समय बीतता है और मानसी के दिमाग में राकेश की चाहत के कारण बलात्कार के कारण बैठा हुआ डर धीरे धीरे समाप्त होने लगता है और उसका राकेश के प्रति प्रेम भाव जाग्रत हो जाता है। एक दिन राकेश मौका और समय देखकर उसको एकांत में बाहों में लेकर उसका चुंबन लेकर अपने प्यार का इजहार करता है। मानसी भी आँख बंद करके उसकी बाँहों में कसकर लिपट जाती है और उसके प्यार को स्वीकार कर लेती है। इसके आगे मानसी उसे ऐसा करने से रोक देती है और कहती है कि ऐसे संबंध शादी के बाद ही बनाना उचित होता है। तुम प्रेम और वासना में अंतर समझो और अपने मन को नियंत्रित रखो। यह शाम राकेश के लिए यादगार बन गयी थी। वह घर जाकर अपनी माँ को अपने प्रेम के संबंध में बताता है। उसकी माँ को बहुत खुशी होती हैं और वे यह बात उसके पिताजी तक पहुँचा देती है। उसके पिता श्री रामेश्वर दयाल कहते हैं राकेश की खुशी हमारी खुशी है और वे राकेश से इस बारे में बात करते हैं कि हमें मानसी से मिलवाओ फिर हम उसके परिजनों से बात करेंगें। अगले ही दिन राकेश मानसी को लेकर अपने घर जाता हैं और अपने परिवार वालों से मिलवाता हैं। उसकी सुंदरता, व्यवहारकुशलता, विनम्रवाणी एवं संस्कारी स्वभाव राकेश के माता पिता का मन मोह लेते है। मानसी के जाने के बाद वे राकेश से कहते हैं कि उन्हें मानसी बहुत पसंद है और वे उसके माता पिता से शादी के संबंध बात करेंगें परंतु तुम्हारी एम.बी.ए. की पढाई पूरी होने के उपरांत ही विवाह करेंगें।

राकेश यह सुनकर मुस्कुराकर अपनी मौन सहमति देते हुए चला जाता है। रामेश्वर दयाल जी, मानसी के पिताजी से संपर्क करते हैं और उन्हें अपना परिचय देते हुए राकेश और मानसी के प्रेम संबंध के बारे में बताते हैं और उनसे राकेश के लिए मानसी का हाथ माँगते है। मानसी के पिताजी कहते हैं कि मानसी एवं अपने परिवार से विचार विमर्श के उपरांत ही आपको जवाब दूँगा। मैं आपका आभारी हूँ कि आपने स्वयं संपर्क करके मुझे सारी बातों से अवगत कराया। मानसी के पिताजी उसे तुरंत फोन करके घर आने के लिए कहते हैं। मानसी दूसरे दिन आने के लिए कह देती हैं। इसके बाद वह यह बात राकेश को बताती है और अगले दिन अपने घर के लिए रवाना हो जाती हैं। घर में उसके माता पिता उससे इस संबंध के विषय में पूछते हैं और साथ साथ यह बात भी पूछते हैं कि क्या तुमने उसे अपने बीते हुए कल के बारे में बता दिया है ? मानसी कहती हैं कि हाँ मैंने सबकुछ बता दिया है। इसके बाद उसके पिताजी पूछते है कि क्या तुम इस विवाह के लिये पूरी तरह से तैयार हो ? मानसी हाँ कह देती है। मानसी की माँ कहती है कि तुम बहुत भाग्यवान हो कि तुम्हें इतना अच्छा परिवार मिल रहा है हमने इनके बारे पूरी जानकारी प्राप्त कर ली हैं। तुम बहुत सुखी रहोगी और हमारी चिंता भी खत्म हो जायेगी। इसके बाद मानसी के पिताजी बहुत प्रसन्नतापूर्वक अपनी सहमति रामेश्वर दयाल जी को देते हैं। रामेश्वर दयाल जी उन्हें अपने घर आने के लिए आमंत्रित करते हैं। दो दिन पश्चात मानसी के माता पिता रामेश्वर दयाल जी के घर आते हैं और उनसे बातचीत के दौरान विवाह की तिथि के लिए पूछते हैं तब रामेश्वर दयाल जी कहते हैं कि राकेश का एम.बी.ए. का अंतिम वर्ष है और उसकी पढाई में कोई व्यवधान ना हो इसलिये हम उसकी एम.बी.ए. की पढाई पूरी होने के उपरांत ही उसकी शादी करेंगें। रिश्ता पक्का होने की खुशी में हम एक छोटी सी पार्टी रख रहे हैं।

रात में सोते समय राकेश सोचता है कि मानसी ने तो अपने जीवन को एक खुली किताब के समान मुझे बता दिया है परंतु मैंनें उसे अपनी बीती हुयी जिंदगी के विषय में कुछ भी नही बताया। वह मेरे उपर असीम विष्वास करती है और उसे मेरे द्वारा मेरे अतीत के विषय में कुछ भी ना बताना क्या धोखा नही हैं ? इतना सोचते सोचते वह निर्णय लेता है कि मैं अभी जाकर उसको अपने बीते हुए जीवन के विषय में सच सच बता दूँ। इसके बाद भी यदि उसका मन मुझे स्वीकार करता है तो ठीक है अन्यथा उसके साथ बिताये हुए समय को जीवन के स्वर्णिम दिन समझकर याद रखूँगा।

वह तुरंत मानसी को फोन करता है और कहता है मैं तुम्हें कुछ बहुत ही जरूरी बात बताना चाहता हूँ। मानसी कहती है कि ठीक है अभी रात हो चुकी है हम कल सुबह बात करेंगें। राकेश रातभर इस उधेडबुन के कारण सो नही पाता है। सुबह होते ही वह तैयार होकर मानसी के पास पहुँच जाता है और उसको हास्टल से लेकर अपने गेस्ट हाउस चला जाता है। राकेश उससे कहता है कि तुमने तो अपने अतीत के विषय में सब कुछ खुलकर बता दिया है परंतु तुमने मेरे अतीत के विषय में कुछ नही पूछा तो मानसी कहती है मुझे तुम्हारे बारे में सबकुछ पता है। तुमने मुंबई में क्या किया इसकी भी मुझे पूरी जानकारी है। यह सुनकर राकेश पसीने पसीने हो जाता हैं और पूछता है कि तुम्हें कैसे पता और किसने तुम्हें बताया ?

मानसी कहती है कि आनंद ने यह सब बातें पल्लवी को बताई और बुरा मत मानना आनंद ने मुझे तुमसे पहले ही शादी करने का प्रस्ताव दिया था परंतु मैंने उसे विनम्रतापूर्वक ठुकरा दिया था। मेरे मन में शुरू से ही तुम्हारे प्रति चाहत थी और मैंने सोच रखा था कि यदि तुम्हारे साथ विवाह नही हो सकेगा तो मैं कही विवाह नही करूँगी। यह बात मैंने आनंद को पल्लवी के माध्यम से बता दी थी और मेरे ना करने के कारण पल्ल्वी आनंद के समीप आ पायी। मैंने जीवन को बहुत नजदीक से देखा है तुम्हारा ये जो शौक है ये महज एक जवानी का उतावलापन है वरना तुम एक गंभीर, सभ्य एवं सच्चे व्यक्ति हो। मुझे पूर्ण विश्वास है कि मुझे पाने के बाद तुम किसी और की तरफ ध्यान नही दोगे। मैने इन बातों को इसलिये भी नजरअंदाज कर दिया कि तुम अकेले दोषी नही हो, तुम्हारे साथी आनंद और गौरव भी इसमें भागीदार है। इतना सुनकर राकेश आश्चर्यचकित हो जाता है। मानसी उसे मुस्कुराते हुए कहती है कि मैं तुम्हारे लिए टिफिन में नाश्ता बनाकर लायी हूँ, चलो हम साथ बैठकर नाश्ता कर लें। नाश्ते के उपरांत जब राकेश मानसी का हाथ पकडकर कहता है कि आज मेरा मन हल्का हो चुका है कल रात से यह सब सोचते सोचते मुझे नींद नही आयीं। आज मैं तुमसे वादा करता हूँ कि अब किसी और लडकी से मैं संपर्क नही रखूँगा।

अगले दिन श्री रामेश्वर दयाल द्वारा एक शानदार पार्टी का आयोजन किया जाता है जिसमें शहर के सभी गणमान्य नागरिकों के साथ साथ, रिश्तेदार, दोस्त आदि आमंत्रित थे। मानसी की सुंदरता को देखकर सभी लोग उसकी तारीफ कर रहे थे। अब गौरव व आनंद ने भी अपने जीवन में विवाह करके स्थायित्व देने का निर्णय कर लिया। गौरव ने अपनी अभिलाषा आरती को व्यक्त की। वह बोली कि मित्रता और शादी दो अलग अलग बातें होती है। शादी जीवन भर का साथ है और इस दिशा में मैंने अभी कुछ नही सोचा है। पल्लवी आनंद से इस विषय में कहती है कि तुम अतीत में भी कुछ लडकियों को प्यार करते थे जिन्होने तुम्हें कुछ समय पश्चात छोड दिया। मुझे तुम्हारी सब हरकतों के बारे में पता है यदि मैं तुमसे शादी करती हूँ तो मुझे स्वयं विश्वास नही है कि यह कब तक निभेगी ? इसलिये यदि तुम अपनी आधी जायदाद मेरे नाम कर दो तो मै तैयार हूँ ? यह सुनकर आनंद हतप्रभ हो जाता है और मन में सोचता है कि राकेश कितना भाग्यवान है जिसे मानसी जैसी लडकी मिल गयी। आनंद और गौरव जब आपस में मिलते हैं तो अपनी अपनी व्यथा बताते है। गौरव उससे पूछता है कि यह लडकियों वाली बात जो तुमने मुझे भी कभी नही बतायी, यह क्या है ? आनंद कहता है कि तुम्हें विस्तार से बताता हूँ।

पहली घटना आज से 5 वर्ष पूर्व की है। मैं एक दिन अपने मित्र हरविंदर सिंह के कार्यालय में बैठकर उनसे व्यापारिक चर्चा कर रहा था। उसी समय एक सुंदर महिला जो उनके पडोस के दूसरे आफिस में काम करती थी उसे देखकर मैंने हरविंदर सिंह से पूछा कि यह सुंदर महिला तो किसी अभिनेत्री के समान है। उसकी चाल ढाल में गजब का आत्मविश्वास झलकता है। यह कौन हैं ? उसने बताया कि इसका नाम कामिनी है और ये एक आर्किटेक्ट है एवं बगल के आफिस में काम करती है। यह किसी को अपने पास भी नही फटकने देती है और अत्यंत अहंकारी किस्म की है। इससे दोस्ती करना तो दूर बात करना भी बहुत खतरनाक है। गौरव कहता है कि ऐसे लोगों से दोस्ती करने में तो और मजा आता है। हरविंदर ने कहा कि ठीक है इससे दोस्ती करके दिखाओ तो तुम्हें मान जाऊँगा।

मैं दूसरे दिन अपने घर का नक्शा लेकर आया और हरविंदर से कहा कि मैं उसके आफिस जा रहा हूँ। वह बोला संभलकर बात करना धोखे से भी मुँह से कोई ऐसी वैसी बात निकल गई तो तुम्हे अपमानित होना पड जायेगा। मैं उसके आफिस में जाकर उससे मिला और अपना नक्शा निकालकर उसे देकर मैंने पूछा कि मैं अपने घर को आधुनिक रूप देना चाहता हूँ, क्या आप इसकी रूप रेखा बना सकती है ? वह बोली कि यह काफी कठिन काम है और खर्च भी बहुत होगा क्योंकि पुराने मकान के आधुनिकीकरण में कभी कभी काफी खर्च हो जाने के बाद भी उसका वह स्वरूप नही आ पाता जिसकी हम अपेक्षा करते है। इससे अच्छा तो नये मकान का निर्माण कर लेना है। मैने कहा कि यह मेरा पैतृक मकान है एवं मैं इस घर को नही छोड सकता हूँ। इस प्रक्रिया में जो भी खर्च होगा वह मुझे मंजूर हैं। उसने कहा कि अच्छा ठीक है मैं आपकी जगह देखकर और आपकी आवश्यकताओं को जानकर ही कुछ बता पाऊँगी। मैं आज शाम को ही आप के यहाँ आ रही हूँ, आप अपनी जरूरतों को लिखकर तैयार रखिये।

वह अपने निर्धारित समय पर शाम को आ गयी। उसके साथ उसकी पूरी टीम थी। उन्होंने लगभग एक घंटे में सब देखकर अपनी रिपोर्ट कामिनी को दे दी और उसने रिपोर्ट देखकर मेरी आवश्यकताओं को जानकर कहा कि आप जैसा चाहते हैं वैसा बनाने में काफी खर्च आयेगा। यह सुनकर गौरव ने कहा कि ठीक है आप खर्च की चिंता मत कीजिए बस मुझे मेरी अपेक्षा के अनुरूप ही घर का आधुनिकीकरण चाहिए। इस प्रकार मेरा उससे मिलना प्रायः हर दूसरे तीसरे दिन होने लगा। एक दिन मैंने उसे इस काम के लिए पचास हजार रू. अग्रिम के तौर पर दे दिये।

मैं मन ही मन उसे प्यार करने लगा था और उससे शादी करने का सपना देखने लगा। मेरे भीतर हुये इस परिवर्तन के कारण अब उसका व्यवहार बहुत विनम्र और धीरे धीरे मेरे प्रति आकर्षित होने लगा था। मैं इस बात का फायदा उठाकर उसके और करीब जाने की कोशिश करने लगा। अब धीरे धीरे हम दोनो के बीच में मकान की बातें कम और इधर उधर की बातें ज्यादा होने लगी थी। अब हम लोग अक्सर रेस्टारेंट में भी मिलने लगे। एक दिन हम लोग व्हिस्की पीकर आपस में प्रेम पर चर्चा कर रहे थे। मैंने उसे कहा कि मैं तुम्हें प्यार करता हूँ और तुमसे शादी करना चाहता हूँ। उसने कहा कि मै भी आपसे प्यार करने लगी हूँ। इस प्रकार हम एक दूसरे के साथ प्यार के संबंध में बंध गये और हमारी अंतरंगता भी बढती गयी। एक दिन हम लोग एक दूसरे में खोकर सारी मर्यादाओं को पार कर गये।

कुछ सप्ताह ऐसे ही आनंद में बीते। एक दिन उसने मकान के आधुनिकीकरण के संबंध में नक्शा देते हुये कहा कि इसमें लगभग एक करोड़ रू. का खर्च आयेगा। उसी समय इत्तफाक से मेरे कारखाने में मजदूरों ने हडताल कर दी और सब कामकाज ठप्प हो गया। मैंने अनुशासनहीनता व अवैधानिक हडताल के कारण लगभग 100 कर्मचारियों को नौकरी से बर्खास्त कर दिया और उनको भुगतान में मुझे बहुत बडी राशि देनी पडी। इस कारण मैंने मकान के आधुनिकीकरण की बात एक वर्ष के लिये स्थगित कर दी और इन बदली हुई परिस्थितियों के विषय में कामिनी को अवगत करा दिया। यह सुनकर उसका चेहरा पीला पड गया। वह उस समय तो कुछ नही बोली परंतु उसका व्यवहार उसके बाद एकदम से मेरे प्रति बदल गया और कुछ दिनो के बाद उसने मुझे फोन पर कहा कि अब तुम मुझसे एक साल बाद मिलना जब तुम्हें मकान का आधुनिकीकरण करना हो। मैंने उसे अपनी बात समझाने का बहुत प्रयास किया परंतु वह किसी भी तरह से नही मान रही थी। एक दिन मुझे हरविंदर ने बताया कि आजकल वह किसी और लडके साथ अक्सर दिखती है। जब मैंने सच्चाई पता कि तो मुझे बहुत झटका लगा यह सुनकर कि वह सिर्फ रूपये के लिये ही मेरे नजदीक आयी थी। जिस दिन उसे पता हुआ कि हडताल के कारण मुझे काफी नुकसान हुआ है और किसी भी किस्म के अनावश्यक खर्च को मैं वहन नही कर सकता हूँ तो वह मुझे छोडकर चली गयी। इस बात का दुख मुझे काफी समय तक रहा कि उसके प्यार में वशीभूत होने कारण उसे पहचानने में काफी भूल की।

आनंद ने दूसरी घटना बताया, यह वृतांत भी आज से चार वर्ष पुराना है। मैं अपने मित्र नंदलाल के साथ अरूणाचल प्रदेश घूमने के लिये गया था। वहाँ पर तवांग से पहले एक शहर में हम लोग रात्रि विश्राम के बाद तवांग के लिये टेक्सी से रवाना हुये। यह रास्ता बहुत ही कठिन एवं दुर्गम है जो कि एक बीस किलोमीटर लंबी बर्फ से ढकी हुयी झील के उपर से जाता है। अरूणाचल प्रदेश में पब्लिक टांसपोर्ट की सुविधायें बहुत सीमित है इसलिये अधिकांश विद्यार्थी रास्ते में चलने वाली यात्री गाडियों से लिफ्ट मांगकर अपने गंतव्य तक पहुँचते हैं। हमें भी रास्ते में जाते समय दो लडकियों ने हाथ देकर रोका और लिफ्ट माँगी। हमारे हाँ कहने पर वे लडकियाँ गाडी में बैठ गयी। नंदलाल जी के पूछने पर उन्होंने बताया कि उनके नाम चंद्रकांता और श्रीकांता हैं और वे बी.काम की छात्राएँ हैं एवं कालेज जा रही है। उन्होंने हम लोगों से वहाँ आने का प्रयोजन पूछा तो हमारे नंदलाल जी ने मजाक करते हुए कहा कि मेरे दोस्त आनंद जो मेरे साथ है ये विवाह के लिये लडकी की खोज कर रहे हैं और इसी संबंध में यहाँ आये हुये है। चंद्रकांता ने पूछा कि आपको किस तरह की लडकी चाहिए ? नंदलाल बोले कि आपके जैसी सुंदर और पढी लिखी चाहिए।

चंद्रकांता मेरी तरफ देखकर बोली कि मैं आपको कैसी लगती हूँ। यह सुनते ही नंदलाल जी चैंक गये और चुप हो गये। मैंने बात को आगे बढाया और कहा कि क्या आप मुझे पसंद करती हैं ? उसने बेधडक कहा कि हाँ। नंदलाल जी बोले कि आप इनके साथ शादी करेंगीं। वह बोली कि यदि ये तैयार हो तो। चंद्रकांता ने कहा कि मेरे पास स्वयं की इतनी संपत्ति और कमाई है कि इनका खर्च मैं आसानी से उठा लूँगी। मेरे पास कीवी के दस बगीचे हैं। नंदलाल जी ने कहा कि यदि हम लोग हाँ कहते हैं तो इस संबंध में तुम्हारे माता पिता से बात करनी होगी। वह बोली कि उनसे बात करने की जवाबदारी मेरी है आपकी नही। मैं बौद्ध पद्धति से विवाह करूँगी। ईसाई या हिंदू परंपरा से नही। मैंने पूछा कि ऐसा क्यों ? तो वह बोली कि हिंदू और ईसाई पद्धति में तलाक देना या लेना बहुत कठिन होता है। मैं छः माह तक विवाह की गैरेंटी दूँगी इसके बाद यदि हमारी निभी तो आगे साथ रहने का सोचेंगे अन्यथा हम दोनो इस बंधन से मुक्त हो जायेंगे। इतनी बात करते करते उनका कालेज आ गया और वह हमें धन्यवाद देती हुयी बोली कि मैं आपके जवाब और लौटने की प्रतीक्षा करूँगी साथ ही साथ उसने मेरा मोबाइल नंबर भी ले लिया था और अपना नंबर मुझे दे दिया था।

टैक्सी आगे बढने पर ड्राइवर ने इतनी ठंड में भी अपना पसीना पोंछा और बोला कि आप लोगों ने बहुत होशियारी से बात की कि आप सोचने समझने के बाद में हाँ कहेंगें। यदि आप धोखे से भी हाँ कह देते तो आपकी बात पक्की मानी जाती और आप इस जगह से आगे नही जा पाते। आप शायद नही जानते हैं कि यह यहाँ के एक प्रभावशाली व्यक्ति की बेटी है और ना जाने कैसे वह आपसे ऐसी बात कर गई। आप के वापिस आने पर आप को उसे बताना होगा कि आप उससे विवाह करेंगें की नही। यदि वह आपसे नाराज हो गई तो आपको काफी दिक्कतें हो सकती हैं। यदि आप सुरक्षित रहना चाहते हैं तो तवांग से ईटानगर के लिये हेलीकाप्टर सेवा है आप उससे ईटानगर पहुँच जाए और वहाँ से गुवाहाटी चले जाए। हम लोगों ने तवांग घूमने के उपरांत टैक्सी ड्राइवर के सुझाव के अनुसार हेलीकाप्टर से ईटानगर पहुँचे और वहाँ से हवाई सेवा द्वारा गुवाहाटी शाम तक पहुँच गये। दूसरे दिन चंद्रकांता का फोन आया कि आप लोग अभी तक वापिस नही लौटे हैं क्या ? मैं आप लोगों का इंतजार कर रही हूँ। मैंने उसे बताया कि मैं तुम्हारी परंपरा के अनुसार शादी करके वहाँ नही रह सकता। मैं तुमसे क्षमा चाहता हूँ और तुम्हारे सुखी और उज्जवल भविष्य की कामना करता हूँ।

अब मैं तीसरा वृतांत मेरी चीन की यात्रा के दौरान घटित हुआ है उसे बताता हूँ। मैं दो वर्ष पूर्व अपने उद्योग के आधुनिकीकरण के लिए मशीनों को देखने चीन गया हुआ था। अपना कार्य समाप्त करने के पश्चात मैं गंजाऊ से बीजिंग ट्रेन से जा रहा था। मेरी सहयात्री एक 24 साल की लडकी थी जो कि अंग्रेजी की टीचर थी। उसने मुझसे बात करना आरंभ किया और मुझसे पूछा कि आप किस देश से हैं और यहाँ किस कारण आये हैं ? मैंने उसे बताया कि मैं भारतीय हूँ और उद्योग के सिलसिले में यहाँ आया हुआ था। अब मैं अपना काम समाप्त करके वापिस जाने के पहले बीजिंग और शंघाई शहर घूमने के लिये जा रहा हूँ। यह सुनकर उसे अचरच हुआ कि आप अकेले कैसे घूम रहे हैं ? आप किसी दुभाषिये को साथ में ले लें तो आपको बहुत सुविधा हो जायेगी।