92 गर्लफ्रेंड्स भाग ४ Rajesh Maheshwari द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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92 गर्लफ्रेंड्स भाग ४

आनंद ने कहा कि आज के जमाने में रूपया ही सबसे महत्वपूर्ण हो गया है। मैं तुम दोनो को ऐसी बात बताता हूँ कि तुम्हें विश्वास नही होगा परंतु यह पूर्णतः सत्य है। हमारे आफिस में एक विवाहित महिला संजना रिशेप्सनिस्ट के पद पर नियुक्त की गई। वह दिखने में बहुत आकर्षक एवं सुंदर थी। मेरा मन उसे देखकर डांवाडोल हो गया था। मैंने चुपचाप ही उससे मित्रता का बहुत प्रयास किया परंतु उसकी तरफ से कोई प्रतिक्रिया नही थी। एक दिन वह नयी स्कूटी खरीदने के लिए एडवांस की चाहत में अपना आवेदन लेकर मेरे पास आयी। उस दिन उसकी भाव भंगिमा मुझे कुछ बदली हुई नजर आ रही थी। वह मेरे से मुस्कुराकर बात करती हुई बोली कि मैं इन रूपयों को किश्तो में चुका दूंगी। मैंने हिम्मत करके उसको कहा मैं तुम्हें चुपचाप अपने पास से रूपये दे देता हूँ जिसे तुम्हें वापिस करने की जरूरत नही है। वह बहुत खुश हो गयी। मैंने उसके कंधे पर हाथ रखकर पूछा कि शाम को कहाँ मिल सकती हो और एक स्थान तय कर लिया। वह वहाँ पर आयी और मैं उसे लेकर अपने गेस्ट हाउस चला गया। उसने मुझसे निवेदन किया कि आप मेरे साथ शारीरिक संबंध ना बनायें क्योंकि मेरे संबंध आपके बहुत नजदीकी रिश्तेदार से हैं मैं आपको ऐसी बात कह रही हूँ जिसे अपने तक ही सीमित रखियेगा यदि आप चाहे तो मेरी बेटी जो कि अभी अभी 18 साल की हुई है उसके साथ संबंध बना सकते है। मैने यह सुनकर कहा कि मैं तुम्हारी बेटी को देख चुका हूँ और मुझे यह स्वीकार है। दूसरे दिन वह अपनी बेटी को लेकर उसके गेस्ट हाउस पहुँचती है और उसे छोडकर वापिस अपने घर चली जाती है। मैंने उससे पूछा कि तुम्हें भी कुछ चाहिए तो यह सुनकर वह बोली नही आपने स्कूटी के लिये रूपये तो दे ही दिये हैं। उसके साथ दो तीन घंटे बिताने का अनुभव गजब का था। उसका नाम निधि था और वह गजब की सुंदर थी। उसने मुझसे कहा कि आपने मेरी माँ को मेरे रहते हुए कैसे पसंद कर लिया। वह कभी भी आपके पास नही आयेगी। मैंने पूछा ऐसा कौन सा नजदीकी रिश्तेदार है जिससे उसका दोस्ताना है , क्या तुम्हें यह बात मालूम है। हाँ मुझे यह मालूम है। मुझे बताओ वह कौन है ? निधि कहती है कि आप नाराज तो नही होंगे। मैने कहा कि नही यह मेरा वादा है। तब वह बताती है कि वह व्यक्ति तुम्हारे पिताजी हैं।

राकेश कहता है कि हमारी सभ्यता, संस्कृति और संस्कारो पर बढ़ती हुई महंगाई और धन की आवश्यकता ने बड़ा विपरीत प्रभाव डाला हैं। आज कुछ लोग अपनी दैनिक आवश्यकता की पूर्ति के लिए ऐसी गतिविधियों में लिप्त हो जाते है जो समाज को पतन की ओर ले जाती है। राकेश कहता है कि आज से कुछ साल पूर्व मैं उद्योग में मुनाफे की कमी एवं कानूनी पेचिदगियों में बहुत उलझा हुआ था। मेरे एक मित्र ने मुझे सुझाव दिया कि उसके एक मित्र हरिस्वरूप के यहाँ पीरबाबा आते है जो कि आप की कठिनाईयों के हल के विषय में सलाह देते है। यह प्रक्रिया प्रत्येक शुक्रवार को सप्ताह में एक दिन आधे घंटे तक शाम 7 से 7:30 तक चलती है। तुम चाहो तो मेरे साथ चलके अपनी कठिनाईयों के बारे में पूछ सकते हो। वहाँ किसी प्रकार से कोई पैसा नही लिया जाता है। मैं उसके साथ वहाँ पर गया। एक सज्जन मुझे देखकर मेरे पास आये और बहुत आदर पूर्वक उन्होने अपना परिचय जय कुमार देते हुए कहा कि मैं आपको जानता हूँ और ईश्वर करे आपकी इच्छा यहाँ पूरी हो जाये। नियत समय पर उनके यहाँ एक सज्जन को बाबा आने लगे और कुछ देर के बाद वह अपना होश खोकर चित्त होकर लेट गया। सभी दर्शनार्थियों ने अपने प्रश्न पूछना शुरू किये। उन्होंने मुझे कहा कि यहाँ तेरी समस्या का निदान नही होगा। तुम्हें मदन महल की पहाडियों में स्थित बडे पीर बाबा की मजार पर जाना होगा। इतना सुनकर मैं बाहर आ रहा था तभी मुझे बाहर तक छोडने के लिए जय कुमार मेरे साथ आया और बोला कि आप जब भी बडे पीर बाबा की मजार पर चलना चाहे आप मुझे साथ में ले सकते है। मेरा परिवार प्रति शुक्रवार को चादर चढाने वहाँ जाता है। इतना कहकर उसने अपनी पत्नी और अपनी दो लडकियों से मेरा परिचय करवाया। मैं उन दिनो काफी परेशान था मैंने सोचा कि इस काम में कोई नुकसान तो है नही ,क्या पता आसमानी सुलतानी कोई बला लगी हो तो उससे छुटकारा मिल जायेगा। मैंने उसे फोन करके अगले शुक्रवार को ले चलने के लिए कहा। वह मेरे साथ वहाँ पर गया उसकी पत्नी पहले ही वहाँ पहुँचकर चढ़ावे की सामान की व्यवस्था करके रखी हुई थी और हम लोग पाँच दस मिनिट में ही अपनी आराधना करके नीचे आ गये। मैने उसे सामग्री के रूपये देने के लिए पूछा तो उसने विनम्रतापूर्वक मना कर दिया। उसने मुझसे निवेदन किया कि यदि पाँच मिनिट का समय मेरे पास हो तो नीचे एक दूसरी जगह पीर बाबा के पास अगरबत्ती लगाकर आ जायेगा। मैंने कहा कि ठीक है मैं तुम्हारा यही इंतजार कर रहा हूँ।

अब मेरा ध्यान उसकी पत्नी पर गया। मैंने देखा वह बहुत सुंदर और शालीन प्रवृत्ति की थी। उससे बातचीत के दौरान पता हुआ कि उसका पति किसी फर्म में सेल्समैन के पद पर है। उसकी दो बेटियां भी है जो कि कालेज में पढ रही है। उसके पति को वापिस आने में 15-20 मिनिट का समय लग गया तब तक हम दोनो आपस में बातचीत करते रहे। इसके बाद उन लोगों को रास्ते में छोडते हुए मैं अपने घर निकल गया। मेरा मन उसकी पत्नी रेखा के प्रति आकर्षित हो गया था। एक दिन मैंने फोन करके उन दोनो को एक रेस्टारेंट में बुलाया। जय कुमार शराब का बहुत शौकीन था अपनी पत्नी के मना करने के बावजूद भी तीन चार पैग गटक गया। वह बोला कि मैं जरूरी काम निपटाकर दस मिनिट में वापस आता हूँ तब तक आप खाने का आर्डर दे दे। उसके जाने के बाद मैंने रेखा को कहा कि आप मेरे पास बैठ जाए। वह मान गयी और मेरे पास आकर बैठ गयी। मैं समझ गया कि मामला यहाँ पर आसान हैं। मैंने उससे सीधे कह दिया कि आप बहुत सुंदर है और मुझे बहुत अच्छी लगती है। वह मुस्कुराई और बोली हम तो आपके सेवक है जो सेवा कहेंगें उसके लिए तैयार रहेंगें। इसी बातचीत के दौरान उसका पति वापिस आ गया। मै बाथरूम तक गया इस बीच में उनकी जो भी बात हुई हो वापिस आने पर उसके पति ने मुझसे सीधी बात कही कि मुझे एक बोतल शराब दिलवा दीजिए और मेरी पत्नी रेखा को आप जहाँ ले जाना चाहे ले जाए परंतु यह बात सिर्फ अपने बीच में रहनी चाहिए। मै रेखा को अपने गेस्ट हाउस में ले गया और वहाँ पर मैंने एक घंटे मौज मस्ती करने के बाद वापिस उसे होटल छोड दिया। अब उसका पति प्रायः प्रति सप्ताह रविवार के दिन उसे लेकर मेरे पास आ जाता था और शराब की एक बोतल लेकर उसे छोडकर चला जाता था।

एक दिन वह बोला कि मेरी साली के सामने यह कुछ नही है उसे अभी तक किसी ने छुआ भी नही है। उससे मैं आपको मिलवा देता हूँ बाकी का काम आपको खुद ही संभालना होगा। मेरे हाँ कहने पर वह एक घंटे बाद ही उसे लेकर मेरे पास आ गया और खुद काम का बहाना बनाकर चला गया। उसकी साली जिसका नाम राखी था ने बातचीत करते हुए मुझे बताया कि वह ग्रेजुएशन कर चुकी है और अब उसका इरादा शादी करके व्यवस्थित जीवन जीने का था। वह अपनी बहन से बहुत ज्यादा सुंदर थी। जीजा ने मुझे कहा था कि आप किसी से मित्रता करना चाहते है। यदि आप इच्छुक हो तो मैं दोस्ती कर सकती हूँ। परंतु इसके आगे और कुछ भी नही। मैने कहा कि ठीक है। अब वह भी मुझसे सप्ताह में एक दो दिन मुलाकात करने लगी। एक दिन जब राखी आयी ना जाने वह कैसे मूड में थी उसने मुझे अपने आप को समर्पित कर दिया और स्वीकार किया कि यह उसका पहला अनुभव है हम लोग धीरे धीरे सप्ताह में दो तीन दिन मिलने लगे और ना जाने कब वह मुझे दिल से प्यार करने लगी। कुछ समय पश्चात उसका रिश्ता कही और तय हो गया परंतु वह शादी करने तैयार नही हो रही थीं। मुझे उसके साथ कोई प्यार नही था। मैं मन ही मन बहुत घबराया कि इसका ऐसा व्यवहार कही मेरे लिए मुसीबत ना खडी कर दे। मैने और उसके जीजा जय कुमार ने उसको बैठाकर बहुत समझाया और बडी मुश्किल से शादी के लिए तैयार हो गई। हम दोनो ने जल्दी से पंडित से उसकी शादी की तारीख निकलवा दी और नियत तिथि पर उसका विवाह हो गया। वह अपनी शादी के बाद भी मुझसे लगातार बात करती रही। मैने उसे बहुत समझाया कि इस प्रकार की हरकतों से तुम्हारे वैवाहिक जीवन मे समस्या खडी हो सकती है। बाद में धीरे धीरे उसे यह बात समझ में आयी और यह बात खत्म हुई।

एक दिन रेखा और जय कुमार शाम के वक्त मेरे पास आये और हम लोग बैठकर यहाँ वहाँ की चर्चाएँ कर रहे थे। तभी जय कुमार बोला कि राखी ने आपके साथ बहुत अच्छा समय व्यतीत किया था। उसकी जितनी आवश्यकताएँ थी वह सब पूरी होती गयी और आपने उसके विवाह में भी खुले दिल से उसने जो कुछ भी सामान माँगा वह देकर आपने उसको कृतार्थ कर दिया। मैंने कहा कि यह तो मेरा फर्ज बनता था। अब उसके जाने के बाद अपने अकेलेपन को मिटाने के लिए मुझे किसी को खोजना पडेगा। यह सुनकर रेखा बोली कि आप कहीं बाहर क्यों खोज रहे है। मैंने कहा तो क्या करूँ। वह बोली जब अपने घर में ही सब कुछ है तो बाहर खोजने की क्या जरूरत है। मैंने उससे कहा कि तुम क्या कहना चाहती हो मै समझ नही पा रहा हूँ। रेखा बोली कि समझदार के लिए इशारा काफी होता है।

एक दिन रेखा का जन्मदिन था जिसमें राकेश रेखा के पूरे परिवार को रेस्टारेंट में खाने पर बुलाता हैं। वहाँ पर बातों ही बातों में राकेश उसकी बडी बेटी चाँदनी से शारीरिक संबंध बनाने की बात कहता है। वह यह सुनते ही भडक उठी और बोली कि मैं आपका बहुत सम्मान करती हूँ आप कैसे मेरे बारे में ऐसा सोच सकते हैं। उसके बाद लगभग एक सप्ताह उससे कोई बात नही हुई एक दिन स्वयं उसी का फोन आया कि मैं आपसे मिलना चाहती हूँ। मैंने उसे लेने के लिए गाडी भेज दी और उसे गेस्ट हाउस बुला लिया। उसके बात करने का लहजा काफी बदल गया था उस दिन मैंने उसके साथ काफी आनंद लिया और चाहे जब हम लोग मिलने लगे। कुछ दिनो के बाद उसकी बहन वैशाली से भी मैंने नजदीकी बढाने का प्रयास किया परंतु मुझे बहुत आश्चर्य हुआ कि उसका स्वभाव एकदम विपरीत था। उसने पहले ही दिन मुझे स्पष्ट कह दिया कि वह ऐसे रिश्तो को बनाने में विष्वास नही रखती और इस संबंध में किसी प्रकार का प्रयास ना करें। मुझे जीवन में पढ़ाई पूरी करके अपना कैरियर बनाना है। मुझे इसके अलावा और किसी चीज में कोई रूचि नही है। मैंने उसे आर्थिक रूप से काफी लालच दिया परंतु वह टस से मस नही हुई। वह एक चरित्रवान एवं सिद्धांतवादी लड़की थी। मैं मन ही मन में सोच रहा था कि कमल कीचड में ही खिलता है। चांदनी के मिलने के बाद मेरे जीवन का अकेलापन मिट गया था। मै भरपूर आनंद से जीवन व्यतीत कर रहा था।

गौरव और आनंद यह सुनकर बोले कि यह वास्तविकता है या कोई फिल्मी कहानी। हम लोग तो ऐसी कल्पना भी नही कर सकते कि व्यक्तिगत स्वार्थ एवं आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए ऐसा भी हो सकता है। इस प्रकार चर्चा करते करते तीनों मित्र सो जाते हैं। अगले दिन सभी प्रदर्शिनी से अपनी पेंटिंग्स, सामान आदि पैक करके वापिस रवाना हो जाते है। इस प्रकार अपनी सात दिन की मुंबई यात्रा आनंद पूर्वक संपन्न करते हुए हम सभी वापिस हो गये।

रास्ते में हम लोगों ने मानसी से निवेदन किया कि तुम भी तो कुछ कहो सिर्फ हम लोगों की ही सुनती हो। मानसी ने गंभीर होकर कहा कि मेरे जीवन में ऐसी कोई घटना नही हुई जिसे सुनाया जा सके। कुछ समय बातचीत के पश्चात आनंद और गौरव सोने के लिए अपनी अपनी बर्थों पर चले जाते हैं। मानसी और राकेश भी अपने कूपे में विश्राम करने हेतु जाते हैं। राकेश मानसी से कहता है कि क्या बात है तुम उदास क्यों दिख रही हो ? मानसी कहती है कि मैं तुमको बहुत दिनों पहले यह बात बताना चाहती थी परंतु हिम्मत और उचित समय दोनो ही नही मिल पा रहे थे। आज हम और तुम अकेले है मैं अपनी दर्दनाक दास्तान तुम्हे बता देना चाहती हूँ। राकेश आश्चर्यचकित होकर पूछता है कि अच्छा अब तुम आराम से मुझे बताओ।

मानसी कहती है कि मै जब कक्षा 11 में पढ़ती थी तब मेरे पड़ोस का एक लड़का मुझे अच्छी नजरों से नही देखता था उसने एक दिन मेरे माता पिता से मेरे रिश्ते के लिए बात की। मेरे माता पिता ने उसे कह दिया कि पहले यह उच्च शिक्षा प्राप्त करेगी इसके बाद ही हम इस विषय पर विचार करेंगें। तुम भी अभी बी.काम प्रथम वर्ष के छात्र हो, यह शादी की झंझट में मत उलझो अपनी पढ़ाई मन लगाकर पूरी करो। यह बात सुनकर वह चुपचाप चला जाता हैं। एक दिन गर्मी के मौसम में मेरे परिवारजन छत पर सो रहे थे और मैं अपनी पढ़ाई के कारण नीचे थी। वह लडका मेरे घर आया मैंने जैसे ही दरवाजा खोला उसने कुंडी अंदर से बंद करके मेरी मुँह पर रूमाल रखकर मेरे साथ जबरदस्ती करने लगा मैं चीख भी नही पा रही थी और उसके साथ विरोध करने पर मेरे कपडें भी फट गये थे। वह अंत में अपने उद्देश्य में सफल होकर मुझे वैसा ही रोता हुआ छोडकर भाग गया। मैंने तुरंत अपने तन को ढककर अपने माता पिता को इस वारदात की जानकारी दी। उन्होने तुरंत कुछ परिवारजनों को बुलाया और उस लडके को खोजकर उसे मार डालने का फैसला किया। वे पुलिस थाने नही जाना चाहते थे क्योंकि उन्हें भय था कि इससे सामाजिक बदनामी होगी और लंबी न्यायिक प्रक्रिया से गुजरना होगा। इसके बाद मेरे परिवारजन उस लडके की खोजबीन में लग गये, वह शहर छोडकर भाग गया था। कुछ दिनों पश्चात पता चला कि उसकी एक दुर्घटना में मृत्यु हो गयी थी। इस घटना का मेरे उपर बहुत गहरा प्रभाव पडा और मुझे सामान्य होने में काफी समय लगा। राकेश यह सुनकर बहुत गंभीर हो गया और उसे समझ नही आ रहा था कि वह मानसी को क्या कहे। उसने उसके कंधे पर हाथ रखते हुए इतना ही कहा मानसी तुम एक बहुत सहनशील लडकी हो जीवन में ऐसी दुर्घटना किसी के भी साथ हो सकती हैं परंतु अपनी सहनशीलता के कारण इस गहरे सदमे को सहन कर गई।

राकेश कहता है कि बलात्कार एक बहुत ही संगीन अपराध है। यह तो अच्छा हुआ कि अपराधी की दुर्घटना में मृत्यु हो गयी वरना दो परिवारों की दुश्मनी में ना जाने कब किसका क्या हश्र होता। मैं समझ सकता हूँ कि तुम्हारे दिलोदिमाग पर कितना गहरा प्रभाव इस घटना का पडा होगा। यह व्यक्ति को मानसिक रूप से यह सोचने पर मजबूर कर देता है कि हमारी न्यायपालिका की प्रक्रिया कितनी कमजोर है कि अपराधी को उसके अपराध की सजा देने में कई साल लग जाते है और वह जमानत पर घूमता रहता है। तुमने मेरे उपर विश्वास करते हुए मुझे जीवन की इतनी बड़ी घटना बताई। इससे मेरा तुम्हारे प्रति सम्मान और भी बढ़ गया है। आज मैं तुम्हें एक बात बताना चाहता हूँ कि मै तुम्हें दिल से चाहता था और मेरी चाहत में यह जानने के बाद कोई कमी नही आयेगी कि तुम्हारे साथ क्या हुआ है। तुम इन पुरानी बीती बात को दिलोदिमाग से निकाल दो। वह एक दुर्घटना थी जो बीत गयी है जिंदगी बहुत लंबी है और हमें जिंदगी में बहुत कुछ करना है और अपने उद्देश्यो को निर्धारित करके आगे बढना चाहिए।

यह सुनकर मानसी भावुक होकर अपना सिर राकेश के कंधों पर रख देती है और उसकी आंखो से आंसू निकल आते है। वह बोली कि मैंने इस घटना के तुरंत बाद आत्महत्या का मन बना लिया था परंतु ना जाने कैसे आत्मनुभूति हुई कि मैं अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद किसी अच्छे आश्रम में बच्चों को शिक्षा देने की जवाबदारी उठाना चाहती हूँ और इसी में अपना जीवन बिताने की इच्छुक हूँ। मुझे पहले ईश्वर के प्रति असीम श्रद्धा व विश्वास था परंतु इस वारदात के बाद मेरा मन बहुत बिखर गया है। मैं नही समझ पा रही हूँ कि जीवन क्या है, क्यों है और किसलिए है ? राकेश समझ गया कि मानसी अभी भी मानसिक आघात से उबर नही पायी है। जीवन में जन्म व मरण एक शाश्वत सत्य है ईश्वर का कोई रूप नही है पर हम अहसास कर सकते है। तुम भावनाओं के सागर में बह रही हो, तुम इस घटना के बाद अपने को एकाकी समझकर अभाव महसूस कर रही हो। तुम्हें कोई भी मंजिल नजर नही आ रही है। तुम अभी भी उस दुर्घटना की कल्पना में खोई हुई हो। इसे अब भूल जाओ। देखो प्रतिदिन सूर्योदय होता है और सूर्य की प्रकाशवान किरणें हमारी आत्मा में मनन और चिंतन जाग्रत करती हैं। हमें अकर्मण्य होने से बचाती हैं और सृजन की ओर प्रोत्साहित करती है। मैंने तुम्हें पहले भी कहा है कि तुम अपना लक्ष्य सिर्फ बच्चों की पढाई तक सीमित मत रखो। दुनिया में आगे बढ़ने के लिए बहुत अवसर है। मानव जीवन में सफलता साधन, साधना और साध्य पर आधारित है। साधन है पहली सीढी, साधना है साध्य तक पहुँचने की दूसरी सीढी और साध्य है अंतिम लक्ष्य। तुम्हें अपने जीवन में इनमें समन्वय करके अपने विचारों को मूर्तरूप देना होगा अन्यथा जीवन में भटकाव बना रहेगा और तुम कभी भी सुख, शांति से जीवन यापन नही कर पाओगी।

राकेश कहता है कि यदि तुम सहमत हो तो मै तुम्हारे साथ विवाह करना चाहता हूँ। हम दोनो एक ही जाति के है और मेरे परिवार को इसमें कोई एतराज नही होगा। मानसी कहती है कि यह निर्णय लेना मेरे लिए इस समय बहुत कठिन है अतः मै अभी कुछ नही कह सकती हूँ। मैंने पता नही कैसे और क्यों जीवन का यह सत्य तुम्हें अपना समझकर असीम विश्वास के कारण बता दिया। अब काफी समय हो गया है हमें विश्राम करना चाहिए।

दूसरे दिन प्रातः नाश्ते के समय गौरव और आनंद राकेश का इंतजार करते रहते है परंतु वह विश्राम ही करता रहता है और ये लोग उसे परेशान नही करते है। नाश्ते के उपरांत गौरव आनंद से कहता है कि अब तीन चार घंटे का सफर और बाकी है जब तक राकेश आता है मुझे तुम अपने जीवन के एक दो शिक्षाप्रद, मजेदार एवं रोचक घटनाएँ बताओ। आनंद कहता है कि मैं तुम्हें अपने साथ घटी घटनाओं से अवगत कराता हूँ।