92 गर्लफ्रेंड्स भाग ५ Rajesh Maheshwari द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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92 गर्लफ्रेंड्स भाग ५

आनंद कहता है कि मुझे एक लड़की नेहा नाम की मिली जिससे परिचय एक वकील ने कराया था वह किसी केस के सिलसिले में उससे मिलने आती थी। एक दिन मैं एक रेस्टारेंट में दोपहर के भोजन के लिए बैठा हुआ था तभी वह अपने परिवार के सदस्यों के साथ वहाँ पर आयी। मुझे देखकर उसने औपचारिकतावश नमस्कार किया मैंने भी उसे नमस्कार किया। मैंने उससे पूछा कि आप कैसी हैं? उसने यह कहते हुए कि वह ठीक है अपने परिवार के सदस्यों के मेरा परिचय करवाया। मैंने उन्हें अपने साथ ही बैठने का आमंत्रण दिया जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया। वार्तालाप के दौरान उसने अपने केस के बारे में मुझसे अपनी राय माँगी। मैंने उसकी बातें सुनकर उसे बताया कि इसमें आपकी जीतने की संभावना बहुत कम है उसके परिवारजनों ने भी मेरी बात से सहमति व्यक्त की और कहा कि यह व्यर्थ वकीलों पर रूपये खर्च कर रही है। उसका निवास ऐसे स्थान पर था जहाँ से मेरा रोज आना जाना होता था। उसने नर्सिंग का कोर्स किया था और उसके पिताजी की आर्मी में काफी पहचान थी। वे मुझसे चाहते थे कि राजनीति में मेरे परिवार के अच्छे संबंधों के कारण उनकी बेटी की कही नौकरी मिल जाए। उससे मुलाकात के दौरान ही मुझे महसूस हो गया था कि यह लड़की मुझसे दोस्ती बढ़ाने के लिए बहुत रूचि दिखा रही है। उसके पिताजी ने भी मुझे घर आने के लिए बार बार कहा था।

एक दिन मैं शाम के समय उनके घर पहुँच गया। मैंने बातचीत के दौरान नेहा को मेरे साथ बाहर डिनर पर चलने का आमंत्रण दिया। वह तुरंत तैयार हो गई और उनके परिजनों को भी कोई ऐतराज नही था। हम लोग एक रेस्टारेंट में थे वहाँ पर मैंने स्वयं के लिए विस्की आर्डर की और औपचारिकतावश उससे भी पूछा तो उसने तुरंत हाँ कह दिया उसने अपने लिए रम का आर्डर दिया और बेधड़क तीन चार पैग पीकर मेरे एकदम नजदीक आकर बोली कि तुम कितने हैंडसम हो तुम्हारे ऊपर तो ना जाने कितनी लडकियाँ मरती होंगी तुम्हारे ऊपर मैं फिदा हूँ। आई लव यू डार्लिंग चलो कोई ऐसी जगह चले जहाँ सिर्फ तुम और मैं हो। मै एक क्लब का मेंबर था और उसका मैनेजर मेरा बहुत ही अच्छा दोस्त था, मैंने उसे फोन किया तो उसने मेरे कहने से एक कमरा बुक कर दिया। मैं उसको लेकर वहाँ पहुचा। कमरे में पहुँचते ही वह बेतहाशा प्यार करने लगी उसके इस पागलपन ने सभी मर्यादाओं को तोड़ दिया। मैं जब कमरे से बाहर आया तो मेरे दो मित्रों को ना जाने कैसे इस बात की भनक हो गई थी। उन्होंने मुझसे निवेदन किया कि वे भी उसके साथ कुछ समय बिताना चाहते है। यह सुनकर मैंने कहा कि उससे पूछकर बताता हूँ और नेहा से जब मैंने बात की तो वह बोली की ठीक है भेज दो। इसके पश्चात मेरे दोनो मित्रों के साथ साथ मैनेजर ने भी बहती गंगा में हाथ धो लिया। मैंने क्लब बाहर जाते समय मैनेजर को उसे सुरक्षित घर छोडने के लिए कह दिया था। अगले दिन मैनेजर ने बताया कि उसे सुरक्षित घर पहुँचा दिया था परंतु उसके पहले उसने हमारे दो अन्य साथियों के साथ भी पूरी मौज मस्ती की। मुझे इस बात का आश्चर्य हो रहा था कि कोई लडकी इतने समय तक कैसे इस तरह के कार्य में लिप्त रह सकती हैं। क्या इसे कोई बीमारी तो नही ? मैंने इस बारे अपने क्लब में आने वाले एक डाक्टर पूछा तो उसने मुझे बताया कि इस तरह की महिलायें निमफोमेनिया नामक बीमारी के शिकार होती है इसके कारण उन्हे सेक्स से संतुष्टि प्राप्त नही होती वे हरदम नये व्यक्ति की खोज में रहती है। यह सब जानने के पश्चात उस लडकी से मैंने अपना संपर्क समाप्त कर लिया। यह जानकर गौरव और राकेश भी आश्चर्यचकित हो गये कि ऐसी बीमारी के बारे में हमने पहली बार सुना है।

एक बार मैं दिल्ली गया था वहाँ मेरी पहचान एक लडकी रागिनी से हो गयी थी। अब में जब भी दिल्ली जाता था उससे मिलकर उसे अपने साथ पाँच सितारा होटल में शाम के भोजन के लिए ले जाता था और उसके उपरांत हम लोग वहाँ से डिस्कोथेक में चले जाते थे। मुझे वह स्वभाव से बहुत अच्छी व समझदार लगती थी एक बार मैं दिल्ली अपने मित्र हरीश के साथ गया। मैं उसको लेकर उसके फ्लैट पर समय व्यतीत करने चला गया। हरीश का स्वभाव लडकियों से दूर रहने का था परंतु मेरी महिला मित्र को देखने का वह बहुत इच्छुक था। हम लोग वहाँ पहुँचकर रागिनी के बैठक खाने में बैठकर व्हिस्की पी रहे थे। कुछ समय के बाद वह मुझे लेकर अपने बेडरूम में चली गयी। मैं एक घंटे के बाद निकलकर हरीश के साथ वापिस रवाना हो गया। हरीश ने मुझे रास्ते में कहा कि आनंद तुम यह किस खतरनाक लडकी के चक्कर में फंस गये हो। तुम्हारे कमरे में अदंर जाने के बाद दूसरे कमरे से एक लडकी और दो लडके बाहर निकले तीनो के पास रिवाल्वर थे। यहाँ का वातावरण बहुत संदिग्ध था क्योंकि उनकी फोन पर जिनसे बातें हो रही थी उससे मुझे लगा कि ये लोग बहुत बडे अपराधी हैं और रागिनी का घर अवैधानिक गतिविधियों का केंद्र बिंदु है। यह तो तुम्हारी समझदारी है कि तुमने अपना वास्तिविक परिचय उन्हे नही दिया है अन्यथा अभी तक तुम किसी बहुत बडे चक्कर में फंस गये होते। तुम ऐसी लडकियों से मित्रता तो छोडो, बहुत दूर रहा करो। तुम देखना यहाँ किसी ना किसी दिन बहुत बडी वारदात होगी। ऐसी खतरनाक जगहों पर हमें नही आना चाहिए। मैंने उसकी बात मानली और निश्चय कर लिया की अब कभी रागिनी के साथ कोई संपर्क नही रखूँगा। इसके पंद्रह दिन बाद ही मैंने टाइम्स आफ इंडिया में पढ़ा कि पुलिस एनकाउंटर में रागिनी और उसके सहयोगी को गोली मार दी गई। इसके तीन दिन बाद समाचार पत्रों से पता हुआ कि उस फ्लैट के मालिक की संदिग्ध परिस्थितियो में मुत्यु हो गई। हरीश ने मुझसे पूछा कि तुम्हारे कोई कागजात वगैरह तो वहाँ नही है। जिससे पता हो कि तुम भी उसके पास आते जाते थे। आनंद ने कहा कि इस मामले में मैं सतर्क था और मेरा विजिटिंग कार्ड भी उसके पास नही है। हरीश बोला देखो मैंने तुम्हें सही समय पर आगाह किया था और तुमने मेरी बात मानकर बहुत अच्छा काम किया। मैंने उसे धन्यवाद दिया कि तुमने मुझे बेकार के चक्कर में पडने से बचा लिया।

दिल्ली का एक दूसरा वृत्तांत तुम्हे बताता हूँ। मनोहर नाम का मेरा एक मित्र जो कि राजनीति में भी दखल रखता था मेरे साथ किसी काम से दिल्ली गया था। मैंने उसे अपने साथ ही होटल में रूकने का निवेदन किया। वह मान गया कि चलो इसी बहाने हम साथ साथ रहेंगें। दिल्ली पहुँच कर हम लोग एक होटल में रूके। हम दोनो का शाम तक काम समाप्त हो गया था और हम लोग रूम में वापिस आ गये थे। उसी समय मेरे एक मित्र जिनकी राजनीति में बहुत पैठ थी ने मुझे बुलाया। मैंने मनोहर से कहा कि मेरा इंतजार करना मैं अपने एक मित्र से मिलकर आ रहा हूँ। वहाँ पर मुझे काफी समय लग गया और रात के दस बजे मुझे मनोहर का फोन आया कि अपने रूम की जाँच पडताल के लिए पुलिस बाहर बैठी है। मैं आश्चर्य मे रह गया और तुरंत मित्र से विदा लेकर वापिस अपनी होटल पहुँचा काउंटर पर मैनेजर ने पुलिस आफीसर को बताया कि इन्ही के नाम पर रूम आवंटित है। मैं उनके साथ उपर गया और घंटी दी तभी मनोहर ने दरवाजा खोला उस आफीसर ने हमारे कमरे के चप्पे चप्पे की जाँच की और पूछने लगा कि वह औरत कहाँ है जिसके साथ आप यहाँ रूके थे। मैंने नाराज होकर उससे कहा कि कौन औरत, कैसी औरत, कोई औरत मेरे कमरे में नही रूकी और ना आयी है। आप को कोई गलतफहमी हुई है। उसने कहा कि रजिस्टर पर मि. एंड मिसेज लिखा हुआ है। मैंने कहा कि मैंने रजिस्टर भरते समय कमरे में दो व्यस्क लिखा था। आप रजिस्टर बुलाइये और चेक कीजिए। उसने काउंटर से रजिस्टर बुलाया मेरा कहना सही था कि दो व्यस्क के आगे मेरे दस्तखत थे और किसी ने मि. एंड मिसेज उस पर लिख दिया था। उसके द्वारा पूछताछ करने पर पाया गया कि यह गलती सुबह के ड्यूटी स्टाफ की थी। अब तो होटल मैनेजमेंट अपने बचाव के लिए मुझसे माफी माँगने लगे और वह आफीसर भी खिसक लिया।

उनके जाने के बाद मनोहर ने मुझे बताया कि पिछले दो घंटे से हर घंटे एक लडकी आकर साहब कुछ चाहिए क्या, पूछकर चली जाती थी। मुझे पता हुआ कि उसी ने पुलिस को फोन किया था। इस संदेह पर कि कमरे में कोई लडकी है और इस कारण ये लोग मुझे भगा देते है। मैंने मनोहर से कहा कि इस वारदात के बाद हमें यहाँ नही रूकना चाहिए क्या पता हमारे साथ क्या दुघर्टना घटित हो जाये। अतः हम तुरंत दूसरी होटल में चले गये। लिफ्ट में हम दोनो ने अपने कमरे में जाने के लिए प्रवेश किया। उसमें दो रशियन लडकियाँ भी अपने कमरे में जाने के लिए खडी हुई थी। हमने उन्हे हैलो कहा और उनसे पूछा कि आप को किस मंजिल पर जाना है। हम सभी को चौथी मंजिल पर ही जाना था। मैंने उन्हें ड्रिंक्स के लिए आमंत्रित किया। वे बडे खुले विचारों की जिंदादिल लडकियाँ थी और उन्होंने हमारे अनुरोध को स्वीकार कर लिया और दस पंद्रह मिनिट के बाद दोनो मेरे कमरे में आ गई। हम लोग विभिन्न विषयों चर्चा करते हुए व्हिस्की की चुस्की लेने लगे। मेरे और मनोहर के दिमाग का तनाव समाप्त हो गया था। उन लडकियों ने धीरे धीरे सेक्स के विषय में बातें करनी प्रारंभ कर दी। वे बोली कि वे भारत घूमने आयी है। इसके बाद धीरे धीरे बातों ही बातों हम लोग एक दूसरे से काफी खुल गये और पूरी रात हम लोगों ने आनंद में बितायी। सुबह मैंने उनसे पूछा कि हम आप के लिए क्या सकते हैं ? उन्होंने कहा कि कुछ नही। आपने हमें व्हिस्की पिलायी, सेक्स का आनंद दिया। ये दो वोदका की बोतल हमारी तरफ से आप गिफ्ट रखिये। हमने उन्हें धन्यवाद दिया और फिर मिलेंगे कहकर एयरपोर्ट की तरफ रवाना हो गये। गौरव यह सुनकर कहता है कि तुम भाग्य के बहुत धनी हो। ऐसा लगता है जैसे अच्छे मौके तुम अपनी किस्मत में लिखा कर लाये हो।

उसी समय मानसी और राकेश केबिन में आते हैं । मानसी उन्हें नाश्ता करने का आग्रह करती हैं। वह कहती है कि आप नाश्ता मत बुलाइये मेरी मौसी ने मेरे साथ बहुत सारा खाने का सामान दिया है। नाश्ते के उपरांत मानसी आराम करने के लिए वापिस अपने केबिन में चली जाती है। गौरव और आनंद, राकेश को देखकर कहते है कि आज तुम्हारे चेहरे पर प्रसन्नता नजर नही आ रही है। मानसी ने तुम्हें कुछ कह तो नही दिया। राकेश कहता है कि ऐसी कोई बात नही है। मैं थका हुआ हूँ और अभी सोकर उठा हूँ इसलिए तुम्हें ऐसा लग रहा होगा।

अब गौरव आनंद से कहता है कि यह बताओ आध्यात्मिक, धार्मिक, सामाजिक और व्यवहारिक दृष्टिकोण में हमने जो कुछ भी किया है क्या वह पाप की श्रेणी में नही आता ? हमारे धर्मग्रंथ एक पत्नी के सिद्धांत को प्रतिपादित करते है यदि हम गलत काम कर रहे हैं तो हमें ऐसे कर्मों का फल भी भोगना पड़ेगा। इस बारे में तुम्हारे क्या विचार है। आनंद कहता है कि इसमें क्या पाप है। हम किसी के साथ बलात्कार या झूठ बोलकर उसे झूठा आश्वासन देकर तो रात नही बिता रहे हैं। लडकियाँ स्वेच्छा से आती है हम इनकी माँग रूपये के रूप में पूर्ति कर देते हैं और वे खुशी खुशी चली जाती है। हमारे देश में प्राचीन काल में बहुपत्नी प्रथा थी यह तो स्वतंत्रता के बाद तत्कालीन सरकार ने नियम बनाकर इसे समाप्त कर दिया। इसलिये हमें एक पत्नी के साथ ही जीवन यापन करना पड़ता है। मुस्लिम कानून में आज भी चार पत्नियों को रखने की प्रथा है। एक ही देश में दो अलग अलग धर्मों के व्यक्तियों के लिए अलग अलग कानून क्यों ? हमारे धर्म में इस बारे में ऐसी कोई रोक नही है यह तो सामाजिक बंधन के अंतर्गत एक पत्नी प्रथा लागू की गयी। राकेश भी अपनी सहमति दर्शाता है। आनंद गौरव से कहता है कि अपने जीवन की घटनाओं से कुछ हमारे भी ज्ञान में वृद्धि करो।

राकेश कहता है मैं तुम्हे ऐसा संस्मरण बताता हूँ जो तुम आज का समाज किस दिशा में जा रहा है यह जानकर आश्चर्यचकित रह जाओगे। वह बताता है ईशिता नाम की एक विवाहित लडकी से मेरा परिचय एक कालेज में प्रवेश दिलाने के संबंध में हुआ था। मैंने प्रबंधक से निवेदन करके प्रबंधन कोटे से उसका एडमिशन करा दिया। उसका परिवार इससे काफी उपकृत महसूस कर रहा था और उसके पति ने एक दिन मुझे खाने पर आमंत्रित किया। मैं जब उसके घर पहुँचा तो ईशिता को देखकर दंग रह गया। वह गजब की सुंदर और आकर्षक लग रही थी। उसका पति मुझसे आधे घंटे में आने का कहकर अपने काम से कही चला गया। अब हम दोनो अकेले ही थे। उसने बडे प्रेम पूर्वक मुझे भोजन कराया। अब हम लोग प्रायः मिलने लगे और हम लोग के बीच अंतरंग संबंध बन गये। उसके पति को भी इन संबंधों पर कोई एतराज नही था। एकदिन मेरे परिवार के सभी लोग तीन दिन के लिए बाहर गये हुए थे। मैंने उसे अपने घर में ही रात में बुला लिया। उसका पति रात में छोड जाता था और उसे सुबह वापिस ले जाता था। उसने मुझे इस दौरान बताया कि उसका एक प्रेमी भी है और वह बोली कि मैं आपको धोखे में नही रखना चाहती इसलिये यह बात बता रही हूँ। मेरे कहने पर उसने अपने प्रेमी के साथ सब संबंध तोड लिए। इससे मुझे उसके उपर विष्वास हो गया था। एकदिन वह मेरे साथ मुंबई गई वहाँ पर हम लोग रात में व्हिस्की पीकर मौज मस्ती कर रहे थे। रात में 12 बजे के लगभग हम लोग एक माल के रेस्टारेंट में खाना खाने गये। वहाँ जाने तक वह पाँच छः पैग व्हिस्की पी चुकी थी। वहाँ पहुँचने पर उसने अचानक मेरी कालर पकडकर दीवार से सटा दिया और बोली सुनो राकेश मुझे तुमसे कोई प्यार व्यार नही है तुम इस चक्कर में मत रहना कि मैं तुम्हें चाहती हूँ मुझे केवल तुम्हारे धन से मतलब है जिससे मेरा परिवार आत्मनिर्भर हो सके। मेरे पास धन आने के बाद मैं तुम्हें छोड़ दूँगी और मेरा पति भी तुम्हें मुझसे नही मिलने देगा यह बात सुनकर मैं चौक गया और मेरा शराब का सारा नशा उतर गया। मैंने उसे खाना खिलाया और वापिस होटल आकर चुपचाप सो गया और वापिस अपने गृहनगर लौटने के बाद मैंने उससे अपने संपर्क समाप्त कर लिये।

गौरव कहता है कि मैं तुमको अपने जीवन की एक और ऐसी घटना बताता हूँ। यह बात आज से दो साल पहले की है जब मैं किसी काम से कलकत्ता गया हुआ था और वापिस गृहनगर आ रहा था। मेरा टिकिट ए.सी फर्स्ट का था और मैं समय पर स्टेशन पहुँच कर ट्रेन में अपनी बर्थ पर जाकर बैठ गया। ट्रेन रवाना होने के कुछ मिनिट पहले ही एक सज्जन मेरे कोच में आये, उनके साथ शराब की विभिन्न ब्रांडों की बोतले थी। उन्होने वे सब बोतले निकालकर सामने सजा दी तभी ट्रेन रवाना हो गई। उन्होने एक बोतल खोली और सबको पीने के लिए आमंत्रित किया। मेरे साथ के दो सहयात्रीयों ने पीने से मना कर दिया। अब वह मेरे बहुत पीछे पड़ गया कि आपको मेरा साथ देना होगा। उसके बहुत आग्रह पर मैंने एक पैग ले लिया और धीरे धीरे पीने लगा। उस यात्री का व्यवहार मुझे बड़ा अजीब लग रहा था। वह कभी अपने को उद्योगपति, कभी आर्मी का मेजर जनरल और कभी राजनैतिक पार्टी का नेता बताता था। उसी समय कोच अटेंडेट रात के डिनर के लिए पूछने आया। उससे वह अंटसंट बात करने लगा जिससे मैं समझ गया कि यह व्यक्ति ठीक नही है। इसके बाद सीधे उसने पूछा कि बगल के कंपार्टमेंट में जो दो लडकियाँ बैठी है वो कौन है ? और वहाँ पर दो बर्थ खाली है, मुझे वहाँ शिफ्ट कर दो। यह सुनकर अटेंडेट ने टिकिट चेकर का जाकर सब बातें बतायी और पीछे पीछे वह यात्री भी आ गया। टिकिट चेकर ने कहा उस कंपार्टमेंट में बर्धमान स्टेशन से दो यात्रियों को आना है अतः वह बर्थ नही दी जा सकती।

यह सुनकर वह एकदम गुस्सा हो गया और वापिस अपने कंपार्टमेंट में आकर उसने अपना बैग खोलकर रिवाल्वर निकाल ली। यह देखकर मेरे दोनो सहयात्रियों ने उसको रोकने का प्रयास किया। उसने आव देखा ना ताव, तड़ाक से दोनो को रिवाल्वर से गोली मार दी। उनकी आपस में बातचीत के दौरान मैं दरवाजा खोलकर भागकर एसी टू में चला गया। पूरे एसी फर्स्ट कोच में हडकंप मच गया था और अटेंडेंट एवं टिकिट चेकर ने उन दोनो लडकियो को तुरंत वहाँ से हटाकर दूसरे कोच में शिफ्ट कर दिया। उसी समय ट्रेन बर्धमान स्टेशन पर रूक गयी। ट्रेन के रूकते ही मैं स्टेशन पर नीचे उतर गया और मैंने देखा कि उन दोनो लडकियो को भी अटेंडेंट ने उतारकर तेजी से अपने साथ कही ले गया और पलक झपकते ही वे लोग मेरी नजरों से ओझल हो गये। इस बीच पुलिस ने उस यात्री को पकडकर अपनी हिरासत में ले लिया और दोनो घायल यात्रियों को एंबुलेंस से अस्पताल भिजवा दिया। मैंने वापिस आकर अटेंडेंट से पूछा कि यह क्या मामला था ? उसने बताया कि ये दो लडकियाँ कोलकाता की मशहूर कालगर्ल्स हैं और आपके दोनो सहयात्री इन्हे लेकर आये थे और उनका आरक्षण बर्धमान से था इसलिये वो आपके कोच में बैठ गये थे ताकि किसी को पता ना लगे कि ये उनके साथ है। यह बहुत ही खतरनाक वारदात हो गई है इसलिये वो दोनो लडकियाँ भाग गईं। आप अपना सामान उठाकर किसी दूसरी ट्रेन से आगे निकल जाये अन्यथा यहाँ पर बेकार पुलिस की पूछताछ में आपको उलझा दिया जायेगा। मैं उसके सुझाव के अनुसार अपना बैग लेकर उतर गया और एक घंटे के बाद दूसरी ट्रेन से रवाना हो गया। मैं रास्ते में सोच रहा था कि इस प्रकार की लडकियों को ट्रेन में ले जाना कितना खतरनाक हो सकता है। गौरव ने आनंद से कहा कि हमें यात्रा के दौरान भी इस तरह की गतिविधियों में सतर्क रहना चाहिए। ना जाने कब कैसी दुघर्टना घट सकती है। आनंद ने पूछा कि एक बात तो बताओ कि वे लडकियाँ कैसी थी, गौरव ने कहा कि बहुत सुंदर थी।