खेल प्यार का...भाग 8 Sayra Ishak Khan द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

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खेल प्यार का...भाग 8



(वसीम कुछ प्लान बना कर आया है वह वो हम सब समझ गए हैं लेकिन उसके इरादे क्या है अब आगे।)



कायनात को रूम पर अकेला छोड़ कर वसीम कहा गया ? इसी फ़िक्र में कायनात परेशान हो रही थी !
वो समझ ही नही पा रही थी कि ये सब हो क्या रहा है ?
कायनात  बार बार घड़ी की ओर देख रही थी ! ओर अब तो उसकी हिम्मत ही टूट गई! उसने सोचा में खुद ही घर चली जाती हूं ! लेकिन कैसे?
दरवाज़ा बाहर से बंद जो था! निकल ना चाहती थी पर निकल ना पाई !
कायनात बेड पर बैठ गई! रोना शुरू कर दिया ! लेकिन उसके रोने से वसीम वापस नहीं आने वाला था ! काफी देर तक वो रोती रही ! तभी उसे गेट के पास कुछ आहट सुनाई दी ! उसे लगा वसीम आ गया! 
प्यार में अंधी को ये नहीं पता था कि दरवाजे पर जो है वो उसका खरीदार है! जिसे वसीम ने कायनात को बेच दिया था! वहीं उसे वहां से लेे जाने आया था! 
जेसे ही दरवाज़ा खुला!
कायनात दूसरे शक्स को देख कर डरती हुई बोली!
" आप कौन हो ? और वसीम कहा है ?
उस आदमी ने कहा !
"डरो नहीं में आपको वसीम के पास ले जाने आया हूं ? चलो मेरे साथ!"
वो मासूम वसीम की हर बात पर यकीन करती थी ! उस लगा शायद वो सच कहा रहा है !
कायनात चुप-चाप उसके साथ चली जाती हैं ! थोड़ी ही देर में कायनात का यकीन ,उसका प्यार सब खत्म होने पर था! कुछ  ही देर में वो एक बड़े से मकान में कायनात को लेे आया !
जब उसने अन्दर कदम रखा वो सब कुछ देख के दंग रह गई !
क्यू कि वो ऐसी जगह आ गई थी जहां से अब वो कभी बाहर नहीं निकल सकती थी! उसे वो आदमी वहां लेे कर आ गया था! जहां जिस्म हर रात नए नए लोगो के हाथो खरीदे जाते है ! वो कायनात भी अब उसी बाजार में आ गई थी!
जब उसने ये सारा मंज़र देखा तो उसके होश उड़ गए ! वो ज़ोर-ज़ोर से चीखने लगी!
" वसीम .. वसीम तुम कहा हो..? मुझे घर लेे जाओ..! अल्लाह के वास्ते मुझे इस जहन्नम में नहीं रहना ..! मुझे घर जाना है..!
वसीम तुम कहाँ हो..?
वो चीखती चिल्लाती रही लेकिन वसीम आने वाला नहीं था..! रो रो कर फरियाद करती रही!  
"मुझे मेरे घर जाने दो ..! मुझे मेरे घर जाने दो ..! 
लेकिन वहां उसकी कोई सुनने वाला नहीं था ! उसकी चिखे सुन कर एक उमर दराज ओरत बाहर आई !और कहा बेटा !
"अब से यही घर है ! तेरा वसीम तुझे बेच कर चला गया ..! अब तू हमारी बेटी है..!" कायनात ज़ोर से चिल्लाती हुई !
"नहीं वसीम ऐसा नहीं कर सकता !! वो मुझ से बहुत प्यार करता है..! आप झूट बोल रही हो !! बताओ कहा है मेरा वसीम..?वो मुझे ऐसे नहीं छोड़ सकता ..!
"वसीम तुझे बेच गया है !अपनी आंखो से अंधे प्यार की पट्टी हटा के देख..! सच तेरे सामने है ! उसने तेरा सौदा 2 महीने पहले ही कर दिया था! और वो तुझे अपने प्यार के जाल में फसा के यहां ले आया है !अब तेरा यहां से निकलना नामुमकिन है !अब तुझे भी वही सब करना है !जो ये सारी लड़कियां करती है !बस यही तेरी किस्मत है! आखरी दम तक!"
कायनात ये सब सुन कर जेसे पत्थर बन गई !
उसके घर पर मां बाबा का बुरा हाल है !रात के 11 बज गए !कायनात का इंतज़ार करते हुए !उसकी अम्मी बार बार नूरी के घर जाकर पूछती है! 
"नूरी बेटा तुझे कुछ पता है तो बता दें मेरी बेटी कहा है..?"
नूरी को खुद इस बात पता नहीं था कि आखिर हुआ क्या है ? और कायनात गई कहां ? नूरी कायनात की अम्मी को हर बार यकीन दिलाती !
"खाला जान मुझे कुछ भी पता नहीं है !
अगर कुछ भी पता होता तो अल्लाह की कसम में कुछ नहीं छूपाती! उसकी अम्मी रोते हुए घर आ जाती है !
उसके बाबा की हालत भी खराब थी! अपनी ईक्लोती बेटी कहा गई ? क्यू गई?  कुछ समझ नहीं आ रहा था ! दोनों का हाल बुरा था ! झार-झार रो रहे थे दोनों! फिर भी एक दूसरे को तसल्ली देते हुए बोल रहे थे ! 
"हमारी कायनात को कुछ नहीं होगा ! फ़िक्र ना करो वो आ जाएगी !
कहीं भटक गई होगी..! में सुबह पुलिस स्टेशन जाउंगा..! वो लोग हमारी कायनात को ढूंढ लाएंगे इंशाअल्लाह..।
      ( क्रमशः) 










क्रमशः

            ******** सायरा खान*********