खेल प्यार का...भाग 1 Sayra Ishak Khan द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

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खेल प्यार का...भाग 1

प्रस्तावना
यह कहानी वसिम और कायनात की प्रेम कहानी है मैं इस कहानी को आपके समक्ष पहली बार रजू करने जा रही हूं!  लिखना आता है या नहीं वह तो आप पर निर्भर करता है मुझे जज आप करोगे देखते हैं मेरी संवेदनाएं इस कहानी में कैसे रंग लाती है
मुझे यकीन है कि आप लोगों को जरूर पसंद आएगी..!)

                        1

 एक 16 साल की लड़की जो देखने में बहुत मासूम ओर खूबसूत थी ।
उसे जो देखता बस देखता ही रह जाता! उसकी आंखो में अजीब सी बात थी।
उसके गांव में बहुत लड़के थे जो उसे पाना चाहते थे..! लेकिन वो लड़की सब से अलग थी ।
उसे प्यार मोहब्बत से कोई लेना देना नहीं था ! वो अपने मां बाबा के साथ बहुत खुश थी।
उसका नाम कायनात था..! जैसा उसका नाम था वैसी ही वो थी..! जैसे  एक लड़की मैं पूरी कायनात समाई हो ।
उसे पढ़ने का बहुत शौक था।
कायनात अपने मां बाबा और पढाई को अपनी ज़िन्दगी समझती थी।
वो बहुत चंचल भी थी..!गांव वाले उसे चंचल नाम से बुलाते थे..! वो सब से प्रेम ओर स्नेह से रहती थी।
कायनात की सहेलियां थी जो उसके साथ में पढ़ती थी..! सहेलियों के प्रेमी थे..!लेकिन कायनात को ये सब गलत लगता था..! सो उसने कभी किसी लड़के को अपने करीब आने नही दिया..! बस वो अपनी ज़िन्दगी में मस्त रहती थी। 
एक दिन दूसरे गांव का एक लड़का उसकी स्कूल में पढ़ने आया..!कायनात वहां से गुजर रही थी।
उस लड़के की नजर कायनात पे पड़ी तो वो उसे बस देखता ही रह गया! उसकी आंखे झपक ने का नाम ही नहीं ले रही थी।
वो उसे एक टूक देखता ही रहा! जब कायनात उसके पास से गुजरी तो उसे भी ये आभास हो गया था कि वो लड़का जिसका नाम वसीम था वो उसे देख रहा है।
कायनात ने वहा से अपना रास्ता बदल लिया! क्यू की उसे पता था की ये सबकी आदत थी! वो थी ही इतनी खूसूरत की उसे राह चलते लोग भी देखते थे। 
कुछ दिन यही चलता रहा! वसीम के और कायनात की बीच ! क्यूकि एक ही स्कूल में पढ़ रहे थे तो रोज़ मिलना तो लाजमी बात थी।
एक दिन वसीम ने अपने दोस्तो से कहा कि "यार कुछ भी हो जाए में कायनात से अपने प्यार का इजहार कर दुगा..! उसके दोस्तो ने कहा !
"वसीम कायनात ऐसी वैसी लड़की नहीं जो तेरे प्यार में पड़ जाए।
एक दिन वसीम ने उसे अपने दिल का हाल सुनाना चाहा..! ओर उसे किसी बहाने पार्क मे मिलने बुलाया !
वसीम का एक दोस्त जो कि कायनात की एक सहेली का प्रेमी था तो कायनात को बुलाना मुश्किल नहीं हुआ।
उसकी सहेली ने कहा "मेरे साथ चल.. घूमने चलते है ..!"
वो चल पड़ी।
जब वो दोनो वहां आई वसीम ओर उसका दोस्त दोनो वहां पहले से इंतज़ार कर रहे थे।
क्या हुआ वसीम अपने इरादे में कामयाब हुआ या नहीं कायनात  वसीम की नजरों से  अपने आप को बचा पाई  या फिर प्रणय के रंग में रंग गई यह जानने के लिए पढ़ना ना भूले खेल प्यार का अगला पार्ट जल्द ही आपको मिलेगा मेरी कोशिश इस और बेहतर करने की रहेगी
   क्रमश: