खेल प्यार का...भाग - 3 Sayra Ishak Khan द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

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खेल प्यार का...भाग - 3

खेल प्यार का....भाग 3
प्रस्तावना
यह कहानी वसिम और कायनात की प्रेम कहानी है मैं इस कहानी को आपके समक्ष पहली बार रजू करने जा रही हूं!  लिखना आता है या नहीं वह तो आप पर निर्भर करता है मुझे जज आप करोगे देखते हैं मेरी संवेदनाएं इस कहानी में कैसे रंग लाती है
मुझे यकीन है कि आप लोगों को जरूर पसंद आएगी..!)

(भाग 2 में अपने पढ़ा की वसीम कायनात का हाथ पकड़ के अकेले में ले जाता है।..)



"वसीम ये क्या कर रहे हो ..?
कायनात डरते हुए कहा!
वसीम ने उसे चुप करते हुआ बोला!
आज तुम्हे मेरी बात सुना पड़ेगी..!  कब  से अपने दिल का हाल सुनाना चाहता हूं।
तुम हो कि जान के अनजान बन जाती हो..!"
कायनात झिझकते हुए बोली!
"ये सब क्या बोल रहे हो में कुछ समझी नहीं..?ओर छोड़ो मेरा हाथ मुझे जाने दो..!"
वसीम ने कयानत का एक हाथ पीछे साइड पकड़ा हुआ था!
कायनात की बत सुन के वसीम जेसे पागल होने लगा।
उसने कायनात को ओर ज़ोर से पकड़ा, ओर बोला!" तुम्हे पहले दिन से ही प्यार करने लगा था! तुम्हे देखते ही दिल बस तुम्हरा हो गया था! तुम से पहली बार जब मिला था  लाग की तुम सिर्फ मेरे लिए बनी हो।
कायनात तुम्हारीे कसम तुम्हरे सिवा अब मुझे कुछ ओर सुजता ही नहीं!
आई लव यू कायनात..! में तुम्हरे बिना नहीं रह सकता..!"
ईतना कहते हुए वसीम ने कायनात के होटों को चूम लिया!
अब कायनात की उम्र ऐसी थी कि इस सब से वो बहुत आकर्षित हो गई..!उसे जेसे जन्नत मिल गई।
काफी टाइम से वो भी इस सब का इंतजार कर रही थी..!
वसीम का इजहार करना उसे बेहद अच्छा लगा! और वो इनकार कर ही नहीं पाई..! उसने भी वसीम से कहा!
"में भी तुमको बहुत पसंद करती हूं।"
ये कह कर वो हाथ छुड़ा के भागी !
वसीम मुस्कुराता हुआ उसे देखता रहा! दोनो जाकर शादी के माहौल में मिल गए! अब रात बहुत हो गई थी!
कायनात को घर जाना था! उसने अपनी सहेली को बोला!
" चल अब भैया से बोल मुझे घर छोड़ दें।"
उसकी सहेली ने उसके भाई से कहा! 
"कि कायनात को घर छोड़ दो! साथ में वसीम था उसे ओर वो बोला!
" हा हम छोड़ आते हैं..!
नूरी का भाई सोहेल कार लेने गया!
तुम कायनात को बाहर भेज दो में ओर वसीम छोड़ कर आते हैं।
कायनात बाहर आई वसीम को गाड़ी में बैठा देख कायनात जेसे खिल उठी! मन ही मन वसीम भी खुश था! कायनात बैठ गई !
गाड़ी में नूरी का भाई इस बात से अनजान था कि इन दोनो के बीच क्या है।
वसीम बार बार शीशे से कायनात को देखता था, और कायनात भी चुप के से उसे कुछ ही देर में कायनात का घर पहोच गए! देखने दिखने का सिल सिला यहीं खत्म हो गया! 
कायनात ने जाते जाते वसीम को मूड के देखा और मुस्कुराई!
वसीम भी मुस्कुराया कायनात घर के अंदर चली गई।
दोनो के बीच यही सब काफी दिन तक चलता रहा! लेकिन अब दोनो ही एक दूसरे बिना नहीं रह ना चाहते थे! और उम्र भी कुछ ऐसी थी कि दोनों खुद को पास आने से नहीं रोक सकते थे।
एक दिन वसीम अपने रूम पे था! उसकी  तबियत खराब हो गई थी ! वो दो दिन से स्कूल भी नहीं जा रहा था! कयामत को उसकी फ़िक्र होने लगी!
नूरी दोनो के बारे में सब जानती थी सो कायनात ने नूरी को कहा!
" सोहेल भाई से पूछो दो दिन से वसीम कहा है।"
नूरी के भाई ने बताया कि वसीम की तबियत ठीक नहीं वो अपने रूम में ही है! कायनात से रहा न गया! उसने स्कूल की छुट्टी के बाद नूरी को बोला!
" में वसीम से मिलने जा रही हूं तू संभाल लेना कोई पूछे तो।
कायनात वसीम के रूम गई!
देखा वसीम बेड पे लेटा है! उसने कहा! "वसीम क्या हुआ है तुम्हे ..?
तुम ठीक तो होना..?
वसीम ने हसते हुए जवाब दिया!
" हा में ठीक हूं तुम परेशान मत हो ।
कायनात की आवाज़ में फ़िक्र ओर परेशानी थी! वसीम को ऐसा देख कायनात की आंख भर आई!
वसीम ने उसका हाथ पकडते हुए कहा! "पागल में सच में ठीक हूं! तुम रोना बंद करो ..!"
इतना बोलते ही वसीम ने कायनात को अपने करीब खींचा ओर बहो में भर लिया......।"



आप सभी को मेरी कहानी पसंद अा रही है.. या नहीं..? मुझे बताए ज़रूर की आगे लिखते हुए में और बेहतर करने की कोशिश करती रहुंगी।

              *********** सायराखान**********